जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
इकबाल पुत्र श्री मल्ला बेग, निवासी- चक्का ढाणी, गैंस प्लाट के पास, गांव -बीर, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. मालिक, अषोका इलेक्ट्रोनिक्स काॅर्पोरेषन, केसरगंज, अजमेर।
2. महाप्रबन्धक, वीडियोकाॅन इण्डस्ट्रीज लि., 14 कि.मी. स्टोन, ओरंगाबाद, पेठन रोड़, चीते गांव तालूका पेठन, जिला-ओरंगाबाद-431105(महाराष्ट्र)
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 80/2014
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री दीपक गुप्ता, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री विजय स्वामी,अधिवक्ता अप्रार्थी सं.2
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 31.08.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसने अप्रार्थी संख्या 2 द्वारा निर्मित फ्रिज अप्रार्थी संख्या 1 से दिनांक 15.3.2012 को रू. 14,000/- में क्रय किया । जब उसने उक्त फ्रिज को घर ले जाकर काम में लिया तो उसे कई त्रुटियां यथा- लाईट आने पर भी बार बार बन्द होना ै, उसमें रखा हुआ सामान ठण्डा नहीं होना इत्यादि आने लगी तो उसने अप्रार्थी संख्या 1 को 7.10.2013 को इसकी षिकायत की । तत्पष्चात् अप्रार्थी संख्या 1 ने फ्रिज को अपने पास रख कर दो-तीन दिन बाद यह कहते हुए लौटा दिया कि फ्रिज सहीं कर दिया गया है । किन्तु घर ले जाकर देखा तो फ्रिज में उक्त त्रुटियां यथावत बनी रही । जिसकी प्रार्थी ने पुनः अप्रार्थी संख्या 1 को षिकायत की किन्तु अप्रार्थी संख्या 1 ने उसकी षिकायत को नजरअन्दाज कर दिया । उसने दिनंाक 26.11.2012 को अप्रार्थीगण को नोटिस भी दिया किन्तु न तो नोटिस का जवाब दिया और ना ही फ्रिज को ठीक करके दिया । प्रार्थी ने इसे अप्रार्थीगण की सेवाओं में कमी बताते हुए परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी संख्या 1 बावजूद नोटिस तामील न तो मंच में उपस्थित हुआ और ना ही परिवाद का कोई जवाब ही पेष किया । अतः अप्रार्थी संख्या 1 के विरूद्व दिनांक 16.7.2015 को एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लाई गई ।
3. अप्रार्थी संख्या 2 ने जवाब प्रस्तुत कर कथन किया है कि फ्रिज एक इलेक्ट्रोनिक उत्पाद है जिसकी कार्यक्षमता उसके रख रखाव व उपयोग उपभोग में लेने पर निर्भर करती है । प्रार्थी द्वारा यदि कम्पनी के टोल फ्री नम्बर पर षिकायत दर्ज करवाई जाती तो अप्रार्थी का सर्विस सेन्टर प्रार्थी को सेवाएं उपलब्ध करवा कर सन्तुष्टी प्रदान करवाता । उत्तरदाता प्रार्थी को आज भी वारण्टी ष्षर्तो के अनुरूप सेवाएं उपलब्ध कराने को तत्पर है । प्रार्थी के फ्रिज की एक वर्ष की वारण्टी ष्षर्ते समाप्त हो चुकी हंै । प्रार्थी का नोटिस प्राप्त होने पर उनके तकनीषियन ने प्रार्थी के फ्रिज की जांच करनी चाही, किन्तु प्रार्थी ने फ्रिज की जांच कराने से इन्कार कर दिया । फ्रिज में कोई उत्पादकीय या निर्माण संबंधी दोष नहीं है । फ्रिज में खराबी स्वयं प्राथी की लापरवाही के कारण उत्पन्न हुई है । फ्रिज की अधिनियम की धारा 13(1)(सी) के अन्तर्गत किसी समुचित तकनीकी संस्थान से जांच नहीं करवाई गई है । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की हे । जवाब के समर्थन में श्री राजेन्द्र सिंह षेखावत, अधिकृत प्राधिकारी का षपथपत्र पेष किया है ।
4. प्रार्थी का तर्क रहा है कि उसके द्वारा अप्रार्थी संख्या 1 से दिनांक 15.3.2013 को खरीद किए गए फ्रिज को घर पर लाकर काम में लिए जाने के दौरान तकनीकी रूप से वह खराब हो गया व बार बार बन्द होने लगा तथा इसके अन्दर रखा सामान भी ठण्डा नहीं होने पर इसकी षिकायत अप्रार्थी संख्या 1 को दिनंाक 17.10.2013 को की गई । अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा उक्त फ्रिज को अपने पास 2-3 दिन रखने के बाद यह कहते हुए लौटा दिया गया कि उक्त फ्रिज ठीक कर दिया गया है जबकि वास्तव में दोबारा घर पर लाए जाने के बाद काम में लेने के दौरान उसकी हालत ज्यों की त्यों बनी हुई थी व फ्रिज काम नहीं कर रहा था । इसकी षिकायत भी की गई, किन्तु षिकायत को नजरअन्दाज कर दिया गया । यह फ्रिज ज्यों का त्यों पड़ा हुआ है । अप्रार्थीगण को नोटिस भी दिया किन्तु कोई कार्यवाही नहीं की गई । अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य सेवा में कमी का परिचायक है । परिवाद मय भारी क्षतिपूर्ति के स्वीकार की जानी चाहिए ।
5. अप्रार्थी संख्या 2 की ओर से विद्वान अधिवक्ता ने इन तथ्यों का खण्डन किया व प्रष्नगत उत्पाद को इलेक्ट्रोनिक उत्पाद बताते हुए इसकी कार्य क्षमता व उसके समुचित रखरखाव व उपयोग व उपभोग मंे लाने के तौर तरीकों पर निर्भर बताया तथा इसके लिए अप्रार्थी को जिम्मेदार नहीं होना कथन किया । फ्रिज की वारण्टी अथवा गारण्टी की ष्षर्तो के अनुरूप सेवाएं उपलब्ध कराने को तत्पर होना बताया तथा फ्रिज की एक वर्ष की वारण्टी षर्ते समाप्त होना कथन करते हुए इसमें आई खराबी को स्वयं प्रार्थी की लापरवाही के कारण होना बाया एवं इसकी जांच किसी समुचित तकनीकी संस्थान के माध्यम से करवाया जाना विधि के प्रावधानों के अनुरूप आवष्यक बताया ।
6. हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का भी अवलोकन कर लिया है ।
7. पत्रावली में उपलब्ध फ्रिज के खरीद बिल क्रमांक 6395 दिनंाक 15.3.2013 से यह सिद्व है कि तत्समय समय उक्त फ्रिज अप्रार्थी संख्या 1 से खरीद किया गया था क्योंकि प्रार्थी के कथनों का खण्डन सामने नहीं आया है तथा यह भी अखण्डित रूप से सिद्व माना जा सकता है कि उक्त फ्रिज क्रय किए जाने के बाद इसमें आई तकनीकी खराबी के कारण प्रार्थी द्वारा इसकी षिकायत अप्रार्थी संख्या 1 को दिनंाक
7.10.2013 को की गई व इस षिकायत पर यह फ्रिज अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा अपने यहां ठीक करने के आष्वासन पर रख लिया व बाद में लौटाए जाने के बाद इसमें पुनः खराबी आई व स्थिति पहले जैसी ज्यों कि त्यों विद्यमान रही है अर्थात इसे किसी प्रकार ठीक नहीं किया गया है । कहा जा सकता है कि अप्रार्थी संख्या 1 जो उक्त उत्पाद का डीलर है, ने इस प्रकार आचरण करते हुए सेवा में कमी का परिचय दिया है व अनुचित व्यापार व्यवहार किया है । मंच की राय में परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
8. (1) प्रार्थी अप्रार्थी संख्या 1 से उसके द्वारा जरिए बिल संख्या 6395 दिनंाक 15.3.2013 के क्रय किए गए फ्रिज के स्थान पर उसी मेक व माॅडल का नया त्रुटिहीन फ्रिज प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी अप्रार्थी संख्या 1 से मानसिक क्षतिपूर्ति पेटे रू. 5000/- व ं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000 /- भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी संख्या 1 प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 31.08.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष