जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।
उपस्थित - (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य
परिवाद सं0-284/2006
अमरनाथ यादव आयु लगभग 36 साल पुत्र श्री राम करन यादव निवासी ग्राम करमडाण्डा परगना पष्चिमराठ तहसील मिल्कीपुर जनपद फैजाबाद। .............. परिवादी
बनाम
अषोक सिंह ब्रिक फील्ड मीठे गांव कुचेरा बाजार परगना पष्चिमराठ तहसील मिल्कीपुर जिला फैजाबाद प्रोपराइटर द्वारा - अषोक कुमार सिंह आयु लगभग 38 साल पुत्र स्व0 श्री षेर बहादुर सिंह निवासी निवासी ग्राम मीठे गांव (कुचेरा बाजार) परगना पष्चिमराठ तहसील मिल्कीपुर जिला फैजाबाद। .............. विपक्षी
निर्णय दिनाॅंक 18.08.2015
उद्घोशित द्वारा: श्री विश्णु उपाध्याय, सदस्य।
निर्णय
परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि विपक्षी सिंह ब्रिक फील्ड का प्रोपराइटर है और ईंटों की बिक्री करता है। परिवादी एवं विपक्षी का पहले से मधुर सम्बन्ध था। परिवादी को अपना मकान बनवाने के लिये ईंटों की जरुरत थी। परिवादी ने ईंटों की खरीद के लिये विपक्षी को श्री छोटे लाल, षैलेन्द्र कुमार, माता प्रसाद तथा सत्य देव की उपस्थिति में दिनांक 22.01.1999 को रुपये 90,000/-, दिनांक 05.02.1999 को रुपये 60,000/- तथा दिनांक 28.03.2001 को रुपये 1,00,000/- इस प्रकार विपक्षी को कुल रुपये 2,50,000/- दिया। विपक्षी ने कहा था जब ईंटों की जरुरत हो तब बताना ईंट भिजवा दूँगा। परिवादी ने जब विपक्षी से ईंटा मांगा तो विपक्षी ने ईंटा देने के बजाय रुपये वापस करने को कहा और दिनांक 25.08.2006 को चेक संख्या 116789 से रुपये 25,000/-, दिनंाक 25.04.2006 को चेक संख्या 116788 से रुपये 25,000/-, दिनांक 25.05.2006 को चेक संख्या 116790 से रुपये 8,000/-, दिनांक 15.09.2006 को चेक संख्या 116793 से रुपये 25,000/-, दिनंाक 15.10.2006 को चेक संख्या 116795 से रुपये 25,000/-, एवं दिनांक 15-11-2006 को चेक संख्या 116796 से रुपये 8,000/- के चेक अपने खाता संख्या 132 फैजाबाद क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक षाखा कुचेरा बाजार के दिये। परिवादी ने चेक संख्या 116789, 116788, 116790, 116793 तथा 116795 कुल रुपये 1,08,000/- के चेक अपने खाते में जमा किये तो विपक्षी के खाते में धन न होने के कारण अनादरित हो कर वापस आ गये। परिवादी ने विपक्षी से भुगतान न मिलने के बारे में बताया तो विपक्षी परिवादी को दौड़ाता रहा। परिवादी ने विपक्षी को दिनंाक 01.11.2006 को कानूनी नोटिस दिया मगर विपक्षी ने वह नोटिस नहीं लिया और लेने से इन्कार कर दिया। इसलिये परिवादी को अपना परिवाद दाखिल करना पड़ा। परिवादी को विपक्षी से रुपये 2,50,000/-, क्षतिपूर्ति रुपये 50,000/-, 12 प्रतिषत ब्याज तथा परिवाद व्यय दिलाया जाय।
विपक्षी को फोरम से नोटिस भेजा गया जिसे विपक्षी ने नहीं लिया। दिनांक 05-11-2007 को विपक्षी पर तामीला पर्याप्त मान कर विपक्षी के विरुद्ध परिवाद की सुनवाई एक पक्षीय रुप से किये जाने का आदेष किया गया। उक्त दिनांक से निर्णय के पूर्व तक विपक्षी ने न तो कोई एक पक्षीय कार्यवाही को रिकाल करने का प्रार्थना पत्र दिया और न ही अपना लिखित कथन दाखिल किया।
पत्रावली का भली भंाति परिषीलन किया। परिवादी ने अपने पक्ष के समर्थन मंे अपना षपथ पत्र, रुपये 1,16,000/- के छः चेकों की छाया प्रतियां तथा बैंक के पत्र दिनांक 18.10.2006 की छाया प्रति, साक्ष्य में परिवादी का षपथ पत्र तथा परिवादी के पक्ष के समर्थन मंे षैलेन्द्र कुमार पुत्र विक्रमादित्य का षपथ पत्र दाखिल किया है जो षामिल पत्रावली है। परिवादी ने जो साक्ष्य दाखिल किये हैं वह अकाट्य हैं जिन पर अविष्वास नहीं किया जा सकता है। परिवादी ने विपक्षी द्वारा दिये गये चेकों को अपने खाते मंे जमा किया जो अनादरित हो कर परिवादी को वापस मिल गये। इस प्रकार परिवादी को न तो अपना पैसा वापस मिला और न ही परिवादी को विपक्षी ने ईंटों की सप्लाई की। परिवादी अपना परिवाद प्रमाणित करने में सफल रहा है। विपक्षी ने परिवादी का रुपया वापस न कर के अपनी सेवा में कमी की है। परिवादी अपना रुपया वापस पाने एवं क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी है। परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरुद्ध आंषिक रुप से स्वीकार एवं आंषिक रुप से खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरुद्ध आंषिक रुप से स्वीकार एवं आंषिक रुप से खारिज किया जाता है। विपक्षी को आदेषित किया जाता है कि वह परिवादी को रुपये 2,50,000/- आदेष की दिनांक से 30 दिन के अन्दर वापस करे। विपक्षी परिवादी को रुपये 2,50,000/- पर परिवाद दाखिल करने की दिनांक से तारोज वसूली तक 9 प्रतिषत साधारण वार्शिक ब्याज का भी भुगतान करेगा। विपक्षी परिवादी को रुपये 5,000/- क्षतिपूर्ति तथा परिवाद व्यय के मद मंे रुपये 3,000/- का भी भुगतान करेगा।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 18.08.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष