(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 425/2013
Vijay saroj S/o Gobari Res. Vill. Bavahanpur, Post -Bazar Gosai, Police Station- Raunapar Dist. Azamgarh.
…………Appellant
Versus
1.Ashok lal S/o Sri Chandra shekhar R/o Devariya, Moh. Badhavar, Post-Baijabari, Dist. Azamgarh.
2.INT Consultant Licence No. 4274/MUM/PER/300/1/4/676/2004 Basement Shop No. 4, Hona Shopping Cent, SB Road Jogeswari West, Mumbai-400102.
3.Chola Mandalum M.S. General Insurance Co. Ltd. & Head Office Dare House, Pumees Courier Chenni 600002 through Policy Issuing Office, Regional Office Mumbai-102A, Ground floor, Leela Business Park Wepage Marole, Andheri (E)- 400059, Mumbai.
4.Brij Bhusan S/o Laxmi R/o Gangapur, Post- Maukullupur, Dist. Azamgarh.
………..Respondents
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री ए0के0 मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण सं0- 1 व 4 की ओर से : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी सं0- 2 की ओर से : श्री एस0के0 शुक्ला,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0- 3 की ओर से : श्री टी0के0 मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
अपील सं0- 2256/2014
INT Consultant License No. 4274/MUM/PER/300/1/4/676/2004 Basement Shop No. 4, Heena Shoping Centre, SV Road Yogeshwari West, Mumbai-400102.
…………Appellant
Versus
1.Ashok lal S/o Sri Chandra shekhar R/o Deoria, Moh. Badhavar, Post-Baijavari, PS-Raunapar Dist-Azamgarh.
2.Cholamandalam M.S. General Insurance Company. Ltd. Head Office Dare House, Pameej Corrier Channai 600002.
3.Brij Bhusan S/o Laxmi R/oVill-Gangapur, Post- Maukulpur, Dist. Azamgarh.
4. Vijay saroj S/o Gobari R/o Vill. Bahavanpur, Post -Bazar Gosai, PS-Raunapar Dist-Azamgarh.
………..Respondents
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री एस0के0 शुक्ला,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण सं0- 1 व 3 की ओर से : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी सं0- 2 की ओर से : श्री टी0के0 मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0- 4 की ओर से : श्री ए0के0 मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
अपील सं0- 1105/2012
Cholamandalam M.S. General Insurance Company. Ltd. 4. Mary Gold, Second Floor, Shanajaf Road, Sapru Marg, Lucknow through its, Assistant General Manager.
…………Appellant
Versus
1.Ashok lal S/o Sri Chandra shekhar, Village-Deoria, Mohalla- Bghawar, Post-Baijawari, Police Station- Rouinapar, Tehsil-Sagri, District-Azamgarh.
2.I.N.T. Consultant License No. 4274/M.U.M./P.E.R./300/1/4/676/2004 Basement Shop No. 4, Hona Shoping Cent, S.B. Road, Yogeshwari West, Mumbai.
3.Brij Bhushan S/o Laxmi Village-Gangapur, Post- Maukulpur, District. Azamgarh.U.P.
4. Vijay saroj Son of Gobri Village Bahawanpur, Post-Bazaar Gosai, Police Station-Raunapar, Tehsil-Sagri, District-Azamgarh U.P.
………..Respondents
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री टी0के0 मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण सं0- 1 व 3 की ओर से : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी सं0- 2 की ओर से : श्री एस0के0 शुक्ला,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0- 4 की ओर से : श्री ए0के0 मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 07.01.2022
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0- 54/2010 अशोक लाल बनाम आई0एन0टी0 कंसल्टेंट लाइसेंस व तीन अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, आजमगढ़ द्वारा पारित निर्णय व आदेश दि0 26.07.2011 के विरुद्ध अपील सं0- 425/2013 विजय सरोज बनाम अशोक लाल व तीन अन्य परिवाद के विपक्षी सं0- 4 की ओर से तथा सम्बन्धित अपील सं0- 1105/2012 चोलामण्डलम एम0एस0 जनरल इंश्योरेंस कं0लि0 बनाम अशोक लाल व तीन अन्य परिवाद के विपक्षी सं0- 2 की ओर से एवं सम्बन्धित अपील सं0- 2256/2014 आई0एन0टी0 कंसल्टेंट लाइसेंस बनाम अशोक लाल व तीन अन्य परिवाद के विपक्षी सं0- 1 की ओर से धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत तीनों अपीलें प्रस्तुत की गई हैं।
2. प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी ने इन अभिकथनों के साथ परिवाद योजित किया है कि अपीलार्थी/प्रत्यर्थी सं0- 4/विपक्षीगण सं0- 3 व 4, प्रत्यर्थी सं0- 2/विपक्षी सं0- 1 आई0एन0टी0 कंसल्टेंट के एजेंट हैं जो विदेश में नौकरी दिलाये जाने का कार्य करते हैं। प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी को विदेश में नौकरी दिलाये जाने हेतु उससे 69,500/-रू0 लिए थे और आश्वासन दिया था कि उसे 02 वर्ष के लिए 400 डालर प्रतिमाह के दर से नौकरी दिलायी जायेगी। इस सम्बन्ध में प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी ने समस्त बतायी गई औपचारिकतायें पूर्ण की, जिससे उसे त्रिपोली लीबिया भेज दिया गया। जहां उसे दि0 18.04.2008 से काम पर लगाया गया। प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी के अनुसार उसे निर्धारित कार्य व वेतन नहीं दिया गया तथा उसकी धार्मिक भावनाओं के विरुद्ध खान-पान कराया गया। लगभग साढ़े छ: माह तक कार्य कराने के बाद उसका काम बन्द हो गया। प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी ने जब एम्बेसी आफ इंडिया से सम्पर्क किया तो उसे दि0 05.11.2008 से कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ, किन्तु अगले दिन 06 नवम्बर 2008 को कम्पनी के मालिक ने बताया कि उसका वापसी का टिकट कंफर्म हो गया। प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी को स्थानीय पुलिस ने हिरासत में लिया तथा 06 दिसम्बर 2008 तक जेल में रहना पड़ा। दि0 17 दिसम्बर 2008 को वहां से उसे भारत भेज दिया गया। प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी के अनुसार अपीलार्थी/विपक्षीगण ने इस प्रकार सेवा में कमी की है जिससे व्यथित होकर क्षतिपूर्ति हेतु वाद योजित किया गया।
3. अपीलार्थी/प्रत्यर्थीगण सं0- 2 ता 4/विपक्षीगण को पंजीकृत डाक से नोटिस दि0 03.03.2010 को प्रेषित की गई, नोटिस वापस प्राप्त नहीं हुई, अत: विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने नोटिस की तामीली पर्याप्त मानकर एकपक्षीय रूप से सुनवाई की और प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए क्षति हेतु रू0 3,00,000/- तथा परिवाद प्रस्तुत किए जाने की तिथि से 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज 01 माह के भीतर अदायगी का आदेश दिया गया एवं इसके उपरांत 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की आज्ञप्ति हुई, जिससे व्यथित होकर उपरोक्त तीनों अपीलें प्रस्तुत की गई हैं।
4. अपील सं0- 425/2013 परिवाद के विपक्षी सं0- 4 विजय सरोज द्वारा प्रस्तुत की गई है जिसमें मुख्य रूप से यह कथन किया गया है कि प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी, अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 4 का उपभोक्ता नहीं है। यह तथ्य विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने अपने निर्णय में अवलोकित नहीं किया है। अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 4 प्रश्नगत कम्पनी का एजेंट नहीं है न ही उसका कोई वास्ता उस कम्पनी से है। अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 4 ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, आजमगढ़ के समक्ष उपस्थित हुआ, जहां उसे ज्ञात हुआ कि उसके विरुद्ध एकपक्षीय रूप से निर्णय व आदेश पारित किया जा चुका है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने बिना किसी तर्क के नॉन स्पीकिंग आदेश पारित किया है तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का सम्यक अवलोकन भी नहीं किया है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने इस तथ्य का भी अवलोकन नहीं किया कि प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 4 के विरुद्ध कोई विशिष्ट आक्षेप नहीं लगाये थे। अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 4 का परिवाद के तथ्यों से कोई वास्ता नहीं है। अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 4, प्रत्यर्थी सं0- 2/विपक्षी सं0- 1 आई0एन0टी0 कंसल्टेंट का न तो एजेंट है न ही उसका वास्ता इस कम्पनी से है। इन तथ्यों पर अपील स्वीकार किए जाने और प्रश्नगत निर्णय व आदेश अपास्त किए जाने की प्रार्थना की गई है।
5. अपील सं0- 425/2013 में प्रत्यर्थीगण सं0- 1 व 4 की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया। प्रत्यर्थीगण सं0- 2 व 3 के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आये। प्रत्यर्थी सं0- 4 ने अपील के विरुद्ध आपत्ति प्रस्तुत करते हुए कथन किया है कि अपीलार्थी ने यह कथन गलत किया है कि उसको फोरम द्वारा प्रेषित नोटिस के सम्मन नहीं मिले थे। अपीलार्थी की ओर से श्री रमेश पाण्डेय व दिवाकर नाथ पाण्डेय का वकालतनामा लगाया गया था। अपील गलत तथ्यों पर योजित की गई है जो निरस्त किए जाने योग्य है।
6. अपील सं0- 2256/2014 यह अपील परिवाद के विपक्षी सं0- 1 आई0एन0टी0 कंसल्टेंट द्वारा प्रस्तुत की गई है। अपील के प्रत्यर्थी सं0- 1 अशोक लाल ने परिवाद इन अभिकथनों के साथ योजित किया है कि कि अपीलार्थी के एजेंट प्रत्यर्थीगण सं0- 3 व 4 ने विदेश में नौकरी दिलाये जाने हेतु प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी से 69,500/-रू0 लिए थे और आश्वासन दिया था कि उसे 02 वर्ष के लिए 400 डालर प्रतिमाह की दर से नौकरी दिलायी जायेगी।
7. प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी ने इन एजेंट द्वारा बतायी गई सभी औपचारिकतायें पूर्ण की जिसके उपरांत उसे त्रिपोली लीबिया भेज दिया गया था वहां पर मै0 अलफरमअल हंडासे कम्पनी में उसे कार्य पर लगाया गया। प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी के अनुसार उसे निर्धारित वेतन नहीं दिया गया तथा उसकी धार्मिक भावनाओं के विरुद्ध खान-पान कराया गया। छ: माह काम कराने के बाद उसका काम बन्द हो गया। प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी ने जब एम्बेसी आफ इंडिया से सम्पर्क किया तो उसे पुन: दि0 05.11.2008 से कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ, किन्तु अगले दिन 06 नवम्बर 2008 को कम्पनी के मालिक ने बताया कि उसका वापसी का टिकट कंफर्म हो गया है। इसके उपरांत प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी को स्थानीय पुलिस ने हिरासत में ले लिया जहां पर उसे 01 माह तक जेल में रहना पड़ा। इसके उपरांत उसे 17 दिसम्बर 2008 को वहां से भारत वापस भेज दिया गया।
8. प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी ने परिवाद इन आक्षेपों के साथ प्रस्तुत किया कि अपीलार्थी/विपक्षीगण ने सेवा में कमी की है और क्षतिपूर्ति हेतु यह वाद प्रस्तुत किया गया। अपीलार्थी तथा अन्य प्रत्यर्थीगण सं0- 2 ता 4 को नोटिस प्रेषित की गई थी, किन्तु नोटिस वापस प्राप्त नहीं हुई। अत: विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने नोटिस की तामील पर्याप्त मानकर परिवाद की एकपक्षीय रूप से सुनवाई की और प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए क्षतिपूर्ति हेतु रू0 3,00,000/- तथा परिवाद प्रस्तुत किए जाने की तिथि से वास्तविक अदायगी तक 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज 01 माह के भीतर अदा करने के आदेश दिए तथा यह भी निर्देश दिया कि 01 माह के उपरांत धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज लगाया जायेगा, जिससे व्यथित होकर यह अपील प्रस्तुत की गई है।
9. अपील में मुख्य रूप से यह कथन किया गया है कि अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 का प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी से कोई वास्ता नहीं है न ही उसने ऐसी कोई सेवायें प्रदान की थीं। इसके अतिरिक्त विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, आजमगढ़ को परिवाद की सुनवाई का कोई क्षेत्राधिकार नहीं है, क्योंकि कोई भी कथित सेवा आजमगढ़ में प्रदान नहीं की गई है। परिवाद के अनुसार प्रत्यर्थी सं0- 3 ब्रजभूषण तथा प्रत्यर्थी सं0- 4 विजय सरोज ने स्वयं को अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 का एजेंट बताया उसके साथ कोई कार्यवाही नहीं की थी जिसका कोई वास्ता अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 से नहीं है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने साक्ष्य का अनदेखा करते हुए यह निर्णय दिया है जो अपास्त होने योग्य है।
10. प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी अशोक लाल की ओर से अपील के विरुद्ध आपत्तियां प्रस्तुत की गईं जिसमें उसका कथन इस प्रकार है कि उसने एजेंट द्वारा बतायी गई सभी औपचारिकतायें पूर्ण की जिसके उपरांत उसे त्रिपोली लीबिया भेज दिया गया था वहां पर मै0 अलफरमअल हंडासे कम्पनी में उसे कार्य पर लगाया गया। प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी के अनुसार उसे निर्धारित वेतन नहीं दिया गया तथा उसकी धार्मिक भावनाओं के विरुद्ध खान-पान कराया गया। छ: माह काम कराने के बाद उसका काम बन्द हो गया। प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी ने जब एम्बेसी आफ इंडिया से सम्पर्क किया तो उसे पुन: दि0 05.11.2008 से कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ, किन्तु अगले दिन 06 नवम्बर 2008 को कम्पनी के मालिक ने बताया कि उसका वापसी का टिकट कंफर्म हो गया है। इसी के उपरांत प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी को स्थानीय पुलिस ने हिरासत में ले लिया जहां पर उसे 01 माह तक जेल में रहना पड़ा। इसके उपरांत उसे 17 दिसम्बर 2008 को वहां से भारत वापस भेज दिया गया।
11. अपील सं0- 1105/2012 में मुख्य रूप से अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 ने यह कथन किया है कि अपीलाथी/विपक्षी सं0- 2 के विरुद्ध परिवाद पोषणीय नहीं है, क्योंकि अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 2 इंश्योरेंस कम्पनी है तथा उसके द्वारा किसी भी प्रकार की सेवा में त्रुटि नहीं की गई है। प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी ने परिवाद पत्र में अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 2 इंश्योरेंस कम्पनी के विरुद्ध कोई आक्षेप नहीं लगाये हैं न ही किसी अनुतोष की प्रार्थना की है। अत: परिवाद अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 2 के विरुद्ध नहीं बनता है। प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी ने अपना कोई भी प्रार्थना पत्र या अनुतोष इंश्योरेंस कम्पनी से नहीं मांगा, अत: अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 2 इंश्योरेंस कम्पनी का कोई भी उत्तरदायित्व परिवाद में उठाये गए आक्षेपों के सम्बन्ध में नहीं बनता है। अत: अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 2 इंश्योरेंस कम्पनी के विरुद्ध परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है। इस कारण प्रश्नगत निर्णय व आदेश अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 2 बीमा कम्पनी के विरुद्ध अपास्त किए जाने योग्य है तथा अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 2 की अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
12. परिवादी एवं विपक्षी सं0- 3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। विपक्षी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्ता श्री एस0के0 शुक्ला तथा विपक्षी सं0- 2 के विद्वान अधिवक्ता श्री टी0के0 मिश्रा एवं विपक्षी सं0- 4 के विद्वान अधिवक्ता श्री ए0के0 मिश्रा उपस्थित हैं। विपक्षीगण सं0- 1, 2 व 4 के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक परिशीलन किया गया।
13. विपक्षी सं0- 4 विजय सरोज द्वारा यह कथन किया गया है कि उसका विपक्षी सं0- 1 आई0एन0टी0 कंसल्टेंट से कोई वास्ता नहीं है न ही उस कम्पनी का एजेंट है। उक्त आई0एन0टी0 कंसल्टेंट की ओर से परिवादी अशोक लाल ने अपने परिवाद में यह कथन किया है कि उक्त कंसल्टेंट के एजेंट के तौर पर विपक्षी सं0- 4 विजय सरोज ने परिवादी को विदेश में नौकरी दिलाये जाने हेतु करार किया था। उक्त करार की सेवा में कमी होने के आधार पर परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
14. प्रश्नगत निर्णय व आदेश दिनांकित 26.07.2011 में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवादी के शपथ पत्र, मेडिकल रिपोर्ट, ट्रैवेल पोर्ट व्यू ट्रिप तथा पालिसी शेड्यूल का उल्लेख करते हुए यह निष्कर्ष दिया है कि परिवादी के सशपथ कथन एवं अभिलेखों से प्रकट होता है कि विपक्षीगण ने उसे विदेश में कार्पेंटर की सेवा हेतु भेजा था और मु069,500/-रू0 सेवा फीस के रूप में लिया था। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उल्लिखित अभिलेखों में ऐसा कोई भी दस्तावेज नहीं है जिसमें विपक्षी सं0- 1 आई0एन0टी0 कंसल्टेंट एवं परिवादी के मध्य परिवादी को विदेश में नौकरी दिलाये जाने हेतु करार होने का कोई वर्णन मिलता हो। परिवादी अशोक लाल को मेडिकल सार्टीफिकेट जो ''संघी मेडिकल सेन्टर प्रा0लि0'' द्वारा दिया गया है, परिवादी का चिकित्सीय प्रमाण पत्र है। इसी प्रकार ''ट्रैवेल पोर्ट व्यू ट्रिप'' परिवादी अशोक लाल को Emirates Airlines के माध्यम से मुम्बई से दुबई भेजे जाने का एयर टिकट है जो ''जय अम्बे टूर्स'' नामक एजेंसी द्वारा प्रेषित किया गया है। अन्य दस्तावेज पालिसी शेड्यूल प्रवासी भारतीय बीमा योजना 2006 के अंतर्गत बीमा पालिसी द्वारा चोला मण्डलम एम0एस0 जनरल इंश्योरेंस कं0लि0 द्वारा दी गई बीमा पालिसी है। इस प्रकार कोई भी दस्तावेज न तो विपक्षी सं0- 4 द्वारा प्रस्तुत किया गया है और न ही विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने विवरण दिया है जिससे परिवादी तथा विपक्षी सं0- 1 आई0एन0टी0 कंसल्टेंट के मध्य विदेश में नौकरी दिलाये जाने का कोई करार परिवादी व उक्त फर्म के मध्य होना स्पष्ट होता हो।
15. दूसरी ओर परिवादी ने उक्त विपक्षी सं0- 4 विजय सरोज को आई0एन0टी0 का एजेंट बताते हुए उसके द्वारा परिवादी को विदेश में नौकरी देने का प्रलोभन दर्शाया है। ऐसा कोई भी दस्तावेज अभिलेख पर नहीं प्रस्तुत है और न ही ऐसे किसी दस्तावेज का विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उल्लेख किया है जिससे यह स्पष्ट होता हो कि उक्त विपक्षी सं0- 4 विजय सरोज, विपक्षी सं0- 1 आई0एन0टी0 कंसल्टेंट का एजेंट हो, जब कि विपक्षी सं0- 4 विजय सरोज ने इस तथ्य से इंकार किया है। चूँकि यह परिवाद प्रश्नगत निर्णय व आदेश के माध्यम से एकपक्षीय रूप से निर्णीत हुआ था जिसमें विपक्षी सं0- 4 की उपस्थिति नहीं हुई थी एवं एकपक्षीय साक्ष्य जैसे परिवादी का शपथ पत्र एवं जो भी साक्ष्य परिवादी द्वारा प्रस्तुत किए गए थे उस पर विश्वास करते हुए निर्णय पारित किया गया। अत: उपरोक्त आधार पर यह पीठ उचित पाती है कि प्रस्तुत उपरोक्त तीनों अपीलें स्वीकार करते हुए विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय व आदेश दि0 26.07.2011 खण्डित किया जाए और यह प्रकरण विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, आजमगढ़ को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित किया जाए कि वह उपरोक्त परिवाद को अपने पुराने नम्बर पर पुनर्स्थापित करे और तदोपरांत परिवादी उपरोक्त बिन्दुओं पर परिवादी एवं विपक्षी सं0- 1 आई0एन0टी0 कंसल्टेंट के मध्य हुए करार, विपक्षी सं0- 4 विजय सरोज के एजेंट होने के सम्बन्ध में एवं विपक्षी सं0- 2 चोलामण्डलम एम0एस0 जनरल इंश्योरेंस कं0लि0 की उत्तरदायित्व के सम्बन्ध में सम्पूर्ण साक्ष्य दे तथा विपक्षी सं0- 4 को भी इस साक्ष्य को खण्डित करने का पूर्ण अवसर प्रदान किया जाए और पूर्ण साक्ष्य दोनों पक्षों द्वारा लेकर वाद का पुन: निस्तारण विधिनुसार 03 माह में किया जाए।
आदेश
16. प्रस्तुत उपरोक्त तीनों अपीलें स्वीकार की जाती हैं। प्रश्नगत निर्णय व आदेश खण्डित किया जाता है तथा यह प्रकरण विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, आजमगढ़ को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित किया जाता है कि वह उपरोक्त परिवाद को अपने पुराने नम्बर पर पुनर्स्थापित करे और तदोपरांत परिवादी उपरोक्त बिन्दुओं पर परिवादी एवं विपक्षी सं0- 1 आई0एन0टी0 कंसल्टेंट के मध्य हुए करार, विपक्षी सं0- 4 विजय सरोज के एजेंट होने के सम्बन्ध में तथा विपक्षी सं0- 2 चोलामण्डलम एम0एस0 जनरल इंश्योरेंस कं0लि0 की उत्तरदायित्व के सम्बन्ध में सम्पूर्ण साक्ष्य दे एवं विपक्षी सं0- 4 को भी इस साक्ष्य को खण्डित करने का पूर्ण अवसर प्रदान किया जाए तथा पूर्ण साक्ष्य दोनों पक्षों द्वारा लेकर वाद का पुन: निस्तारण विधिनुसार 03 माह में सुनिश्चित करें।
उभयपक्ष जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष दि0 18.02.2022 को उपस्थित हों।
परिवादी अशोक लाल इस मामले में उपस्थित नहीं हैं, अत: आवश्यकतानुसार उन्हें जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पुन: नोटिस प्रेषित की जा सकती है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
प्रस्तुत उपरोक्त तीनों अपीलों में धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित इस निर्णय व आदेश के अनुसार उपरोक्त तीनों अपीलों के अपीलार्थीगण को वापस की जाए।
इस निर्णय व आदेश की मूल प्रति अपील सं0- 425/2013 में रखी जाए एवं इसकी प्रमाणित प्रतिलिपि सम्बन्धित अपील सं0- 1105/2012 तथा अपील सं0- 2256/2014 में रखी जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0-2