Uttar Pradesh

StateCommission

RP/149/2018

Indusind Bank - Complainant(s)

Versus

Ashok Kumar - Opp.Party(s)

Adeel Ahmad

10 Oct 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Revision Petition No. RP/149/2018
( Date of Filing : 08 Oct 2018 )
(Arisen out of Order Dated 07/03/2018 in Case No. CC/530/2016 of District Allahabad)
 
1. Indusind Bank
Allhabad
...........Appellant(s)
Versus
1. Ashok Kumar
Allahabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Petitioner:
For the Respondent:
Dated : 10 Oct 2018
Final Order / Judgement

मौखिक

पुनरीक्षण संख्‍या-149/2018

इण्‍डस इण्‍ड बैंक लि0 बनाम अशोक कुमार

10.10.2018

पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अदील अहमद उपस्थित आए। परिवाद संख्‍या-530/2016 अशोक कुमार सिंह बनाम इण्‍डस इण्‍ड बैंक लि0 में जिला फोरम, इलाहाबाद द्वारा पारित आक्षेपित आदेश दिनांक 07.03.2018 के विरूद्ध यह पुनरीक्षण याचिका प्रस्‍तुत की गयी है।

आक्षेपित आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद के परिवादी द्वारा परिवाद में संशोधन हेतु प्रस्‍तुत प्रार्थना पत्र स्‍वीकार कर दिया है, जिससे क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी इण्‍डस इण्‍ड बैंक लि0 ने यह पुनरीक्षण याचिका इस आधार पर धारा-17 (1) (बी) उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की है कि पुनरीक्षणकर्ता को परिवादी के संशोधन प्रार्थना पत्र पर सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया है।

मैंने पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अदील अहमद के तर्क को सुना है।

पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता ने मौखिक रूप से भी यह तर्क किया है कि आक्षेपित आदेश दिनांक 07.03.2018 पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षी को सुनवाई का अवसर दिए बिना व उसकी आपत्ति पर विचार किए बिना पारित किया गया है।

मैंने आक्षेपित आदेश के द्वारा स्‍वीकार किए गए संशोधन प्रार्थना पत्र का अवलोकन किया।

प्रस्‍तावित संशोधन के द्वारा परिवादी परिवाद में जो संशोधन करना चाहता है वह तथ्‍य से सम्‍बन्धित है और उसे उभय पक्ष के साक्ष्‍य के द्वारा सही या गलत साबित किया जा सकता है। प्रस्‍त‍ावित संशोधन से न तो परिवाद का स्‍वरूप परिवर्तित हो रहा है और न ही प्रस्‍तावित संशोधन पूर्व अभिकथन के विपरीत है।

उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण तथ्‍यों पर विचार करते हुए मैं इस मत का हूँ  कि

...........................2

 

 

 

-2-

आक्षेपित आदेश के द्वारा स्‍वीकार किए गए संशोधन प्रार्थना पत्र से पुनरीक्षणकर्ता के हित पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ सकता है क्‍योंकि वह अपना अतिरिक्‍त लिखित कथन प्रस्‍तुत कर संशोधन के माध्‍यम से किए गए कथन का खण्‍डन कर सकता है और शपथ पत्र व साक्ष्‍य प्रस्‍तुत कर उसे गलत साबित कर सकता है।

उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण तथ्‍यों पर विचार करते हुए मैं इस मत का हूँ कि जिला फोरम के आक्षेपित आदेश में हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। इससे परिवाद की कार्यवाही में ही विलम्‍ब होगा। अत: पुनरीक्षण याचिका जिला फोरम को इस निर्देश के साथ निस्‍तारित की जाती है कि जिला फोरम परिवाद पत्र में प्रस्‍तावित संशोधन के द्वारा किए गए कथन के सम्‍बन्‍ध में पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षी बैंक को अपना अतिरिक्‍त लिखित कथन प्रस्‍तुत करने का अवसर प्रदान करे और उसके बाद उभय पक्ष को साक्ष्‍य और सुनवाई का अवसर देकर विधि के अनुसार अंतिम निर्णय पारित करे।

 

 

 

                      (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)           

                       अध्‍यक्ष                               

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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