Uttar Pradesh

StateCommission

A/100/2020

Indusind Bank Ltd - Complainant(s)

Versus

Ashok Kumar Yadav - Opp.Party(s)

Brijendra Chaudhary

18 Nov 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/100/2020
( Date of Filing : 03 Feb 2020 )
(Arisen out of Order Dated 24/10/2019 in Case No. C/137/2018 of District Mau)
 
1. Indusind Bank Ltd
Through Legal Supervisor Office at 211 Second Floor SAran Chambers Paark Road hazratganj Lucknow 226001
...........Appellant(s)
Versus
1. Ashok Kumar Yadav
S/O Shri Ram Narayan Yadav R/O Dadanpur Ahrauli Post Ariyaso Tehsil Ghosi Distt. Mau
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 18 Nov 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-100/2020

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, मऊ द्धारा परिवाद सं0-137/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.10.2019 के विरूद्ध)

इन्‍डसइन्‍ड बैंक लिमिटेड, लीगल सुपरवाइजर, आफिस 211, दि्वतीय तल, सरण चेम्‍बर्स, पार्क रोड, हजरतगंज, लखनऊ-226001

                                              ........... अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम              

अशोक कुमार यादव पुत्र राम नरायन यादव, निवासी दादनपुर अहरौली, पोस्‍ट अरियासो, तहसील घोसी, जिला मऊ।

…….. प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य                       

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री बृजेन्‍द्र चौधरी

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता           : श्री लवलेश कुमार सिंह

दिनांक :- 18-11-2022

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षी इन्‍डसइन्‍ड बैंक द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, मऊ द्वारा परिवाद सं0-137/2018 अशोक कुमार यादव बनाम इंडसइन्‍ड बैंक में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.10.2019 के विरूद्ध योजित की गई है। इस निर्णय/आदेश के द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग ने अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते में अंकन 93,000.00 रू0 जमा होना दर्शित करते हुए इस धनराशि को समायोजित करें और ऋण खाते का विवरण प्रत्‍यर्थी/परिवादी को उपलब्‍ध कराये।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा परिवाद इन तथ्‍यों के साथ प्रस्‍तुत किया गया कि उसने अपीलार्थी/विपक्षी से जो ऋण प्राप्‍त किया था उसका भुगतान कर दिया है और अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया गया है। जब

-2-

प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा ऋण का विवरण निकाला गया तो उसमें ज्ञात हुआ कि 93,000.00 रू0 नकद जमा किये जाने का उल्‍लेख नहीं किया गया है, जबकि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पास 93,000.00 रू0 जमा करने की रसीद है। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र देने के बावजूद भी वसूली की धमकी दी जा रही है, जबकि प्रत्‍यर्थी/परिवादी पर कोई बकाया नहीं है, इसलिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है।

निर्णय के अवलोकन से ज्ञात होता है कि अपीलार्थी/विपक्षी पर केवल नोटिस की तामील की उपधारण की गई और एक तरफा निर्णय पारित किया गया है।

इस निर्णय/आदेश को इन आधारों पर चुनौदी दी गई है कि जिला उपभोक्‍ता आयोग ने अपीलार्थी को सुनवाई का अवसर दिये बगैर एक तरफा निर्णय पारित किया गया है। अपीलार्थी द्वारा कभी भी अंकन 93,000.00 रू0 की धनराशि जमा नहीं की गई, जो रसीद दर्शायी जा रही है, वह फर्जी है। अनापत्ति प्रमाण पत्र इसलिए जारी कर दिया गया था कि अंकन 1,00,000.00 रू0 की धनराशि जो चेक के माध्‍यम से किसी अन्‍य व्‍यक्ति द्वारा अपने ऋण खाते में जमा करायी गई थी, वह प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते में जमा हो गई है जबकि बाद में इस त्रुटि को दूर कर दिया गया था, इसलिए बकाया धनराशि की वसूली की मॉग की गई। इसके पश्‍चात प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अंकन 93,000.00 रू0 की फर्जी रसीद बनाते हुए असत्‍य कथनों के आधार पर परिवाद प्रस्‍तुत किया और जिला उपभोक्‍ता आयोग ने साक्ष्‍य के विपरीत एक तरफा निर्णय पारित किया है, जो अपास्‍त होने योग्‍य है।

दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया।

अपीलार्थी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी से सम्‍बन्धित ऋण खाते का विवरण इस आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया है, जिसके अवलोकन से जाहिर होता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते में अंकन 1,00,000.00 रू0 का एक चेक, जो किसी जायसवाल नामक व्‍यक्ति द्वारा जमा किया गया था, जमा हो गया और इस

-3-

धनराशि के जमा होने के कारण अपीलार्थी द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया, किन्‍तु बाद में इस त्रुटि को दुरूस्‍त कर दिया गया है और त्रुटि दुरूस्‍त हाने के पश्‍चात प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते में 1,00,000.00 रू0 की धनराशि बकाया रह जाती है। यह विवरण पत्रावली पर दस्‍तावेज संख्‍या-14 लगायत 19 के रूप में मौजूद है।

दस्‍तावेज सं0-20 पर वह रसीद उपलब्‍ध है, जिसके द्वारा अंकन 93,000.00 रू0 जमा करना कहा जाता है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी से अपेक्षा की गई थी कि वह मूल रसीद प्रस्‍तुत करें, परन्‍तु मूल रसीद उनके द्वारा प्रस्‍तुत नहीं की गई। यह रसीद फोटोप्रति है, जिस पर किसी के हस्‍ताक्षर या मुद्ररण अंकित नहीं है, इसलिए इस रसीद के आधार पर यह सुनिश्चित किया जाना सम्‍भव नहीं है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अंकन 93,000.00 रू0 जमा किये गये और अपीलार्थी द्वारा अंकन 93,000.00 रू0 की रसीद जारी की गई, इसलिए जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद सं0-137/2018 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांकित 24.10.2019 अपास्‍त किया जाता है। परिवाद अपरिपक्‍व होने के कारण खारिज किया जाता है।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की बेवसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                 (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                    (सुशील कुमार)              

                     अध्‍यक्ष                                             सदस्‍य                                                                           

हरीश आशु.,

कोर्ट नं0-1

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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