Uttar Pradesh

StateCommission

A/775/2024

Rajendra Singh & others - Complainant(s)

Versus

Ashok Kumar Verma - Opp.Party(s)

Sanjay Kumar Verma & Sushila Pandey

25 Sep 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/775/2024
( Date of Filing : 31 May 2024 )
(Arisen out of Order Dated 13/05/2024 in Case No. Complaint Case No. CC/208/2017 of District Lucknow-I)
 
1. Rajendra Singh & others
md jalsa resrot sultanpur post office bakkas lko
...........Appellant(s)
Versus
1. Ashok Kumar Verma
63 eldico green gomti nagar lko
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 25 Sep 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-775/2024

1-    राजेन्‍द्र सिंह (एम0डी0) जलसा रिर्सोट सुलतानपुर, पोस्‍ट आफिस-बक्‍कास, लखनऊ।

2-   आर0एस0 सिंह (जी0एम0) जलसा रिर्सोट सुलतानपुर, पोस्‍ट आफिस-बक्‍कास, लखनऊ।

3-   अरूण कुमार सिंह (मैनेजर) जलसा रिर्सोट सुलतानपुर, पोस्‍ट आफिस-बक्‍कास, लखनऊ।

   ........... अपीलार्थी/विपक्षीगण                                            

बनाम         

अशोक कुमार वर्मा पुत्र श्री पुरूषोत्‍तमदास वर्मा, निवासी 63 एल्डिको ग्रीन गोमती नगर, लखनऊ।

..........प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष          

अपीलार्थीगण के अधिवक्‍ता     : श्री संजय कुमार वर्मा

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता          : श्री अमर बहादुर सिंह

दिनांक :- 25.9.2024

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थीगण द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-41 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-208/2017 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 13.5.2024 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपने पुत्र की शादी के लिये दिनांक 27.02.2017 के लिये अपीलार्थी/विपक्षीगण का लॉन संख्या 01 मुबलिग 1,50,000.00 रुपये में दिनांक 02.8.2016 को बुक कराया, जिसकी बुकिंग हेतु

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अग्रिम धनराशि 50,000.00 रूपये दी गई एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादी को बुकिंग कराने के बाद अपने मित्रों से ज्ञात हुआ कि अपीलार्थी/विपक्षीगणों के यहाँ एक दिन में दो से तीन बुकिंग होती है जिससे बड़ी असुविधा होती है, जिस पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा रिर्सोट के महाप्रबन्धक श्री आर0एस0 सिंह एवं प्रबन्धक श्री अरुण सिंह से वार्ता की गई एवं अग्रिम बुकिंग धनराशि 50,000.00 रूपये की वापसी की मॉग की तब अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा बुकिंग धनराशि वापस करने मना कर दिया और कहा कि यह धनराशि जब्त कर ली जाती है।

यह भी कथन किया गया कि उपरोक्‍त संबंध में प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण को कई अनुस्‍मारक पत्र भेजे गये, परन्तु उनके द्वारा कोई भी धनराशि वापसी की प्रक्रिया नहीं की गयी। तत्‍पश्‍चात प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपने अधिवक्ता के माध्यम से अपीलार्थी/विपक्षीगण को विधिक नोटिस दिनांक 09.02.2017 को भेजी गयी, परन्‍तु फिर भी उनके द्वारा धनराशि वापस नहीं की गयी अत्एव क्षुब्‍ध होकर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर परिवाद पत्र के कथनों को आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए यह कथन किया गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को बुकिंग के समय ही सम्‍पूर्ण नियम एवं शर्तों से भली भाँति अवगत करा दिया गया था कि यदि बुकिंग कैन्सिल करायी जाती है, तो बुकिंग धनराशि किसी

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भी हालत में वापस नहीं की जाती है, जब्त कर ली जाती है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी का विधिक नोटिस दिनांकित 09.02.2017 अपीलार्थी/विपक्षीगण को प्राप्त नहीं हुआ है।

यह भी कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा राजेन्द्र सिंह को मैनेजिंग डायरेक्टर परिवाद पत्र में दर्शाया गया है जबकि राजेन्द्र सिंह केवल कम्पनी में निदेशक हैं। कूटरचित एवं झूठे तथ्य के आधार पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरुद्ध  परिवाद प्रस्तुत करके अनावश्यक मुकदमेंबाजी में फंसाकर अपीलार्थी/विपक्षीगण से धन ऐंठने का प्रयास किया है। अतः परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

"परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है, विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी द्वारा जमा की गयी धनराशि मुबलिग 50,000.00 (पचास हजार रूपया मात्र) मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वाद दायर करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्दर अदा करेंगे। परिवादी को हुए मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक कष्ट एवं वाद व्यय के लिये मुबलिग 20,000.00 (बीस हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगें।

पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रार्थना पत्र निस्तारित किये जाते हैं। निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।"

 

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जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थीगण की ओर से प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपीलार्थी की ओर से प्रस्‍तुत साक्ष्‍य/अभिकथन पर विचार न करते हुए जो निर्णय/आदेश पारित किया गया है, वह अनुचित है।

यह भी कथन किया गया है कि प्रत्‍यर्थी द्वारा बिना किसी उचित कारण के बुकिंग को निरस्‍त कराया गया है, जिसके लिए प्रत्‍यर्थी स्‍वयं उत्‍तरदायी है। यह भी कथन किया गया कि बुकिंग करते समय प्रत्‍यर्थी को बुकिंग की समस्‍त टर्म्‍स एण्‍ड कण्‍डीशन से अवगत करा दिया गया था कि बुकिंग कैंसिल होने पर बुकिंग धनराशि जब्‍त कर ली जाती है।

यह भी कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी द्वारा समस्‍त टर्म्‍स एण्‍ड कण्‍डीशन के परिशीलनोंपरांत ही बुकिंग की गई थी। यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी को फर्जी मुकदमें में फंसाकर रूपये ऐंठने के लिए प्रस्‍तुत परिवाद योजित किया गया है, जो कि अनुचित है। 

यह भी कथन किया गया कि उपरोक्‍त तिथि पर अपीलार्थी द्वारा अन्‍य कोई बुकिंग नहीं की गई थी। अपीलार्थी के अधिवक्‍ता द्वारा अपील स्‍वीकार कर जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश को अपास्‍त किये जाने की प्रार्थना की गई।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि

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के अनुकूल है। उसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है तथा अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।  

मेरे द्वारा उभय पक्ष की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍तागण के कथनों को विस्‍तार पूर्वक सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

मेरे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता द्व्‍य के कथनों को सुना गया तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि प्रस्‍तुत मामले प्रत्‍यर्थी द्वारा अपीलार्थीगण के यहाँ दिनांक 02.8.2016 को रू0 50,000.00 जमा कर अपने पुत्र की शादी दिनांक 27.02.2017 हेतु अपीलार्थीगण के रिसोर्ट को बुक कराया गया था एवं उक्‍त बुकिंग से सम्‍बन्धित नियम एवं शर्तों के संबंध में अपीलार्थीगण द्वारा प्रत्‍यर्थी को बुकिंग के समय ही अवगत कराया गया था कि यदि बुकिंग निरस्‍त की जाती है तब उक्‍त बुकिंग के समय जमा की गई अग्रिम धनराशि जब्‍त कर ली जाती है और फिर वापस नहीं की जावेगी। बुकिंग से सम्‍बन्धित शर्त सं0-4 निम्‍नवत है, जिसका प्रपत्र अपील पत्रावली के पृष्‍ठ सं0-21 पर संलग्‍न है:-

"If Function is Cancelled then the booking amount will be forfeited" (No Money Refund)

उपरोक्‍त तथ्‍य को दृष्टिगत रखते हुए प्रत्‍यर्थी की ओर से इस बात से इंकार भी नहीं किया गया कि प्रत्‍यर्थी को उपरोक्‍त नियम एवं शर्तों की जानकारी नहीं थी या नहीं दी गई थी। अत्एव यह माना जायेगा कि प्रत्‍यर्थी द्वारा समस्त तथ्यों को भली-भाँति सोच विचार के उपरान्त ही बुकिंग करायी गई थी।

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यहॉ यह तथ्‍य भी उल्‍लेखनी है कि प्रत्‍यर्थी द्वारा बुकिंग को निरस्‍त किये जाने के संबंध में मात्र मित्रों द्वारा दी गई सूचना के आधार पर बुकिंग को निरस्‍त किये जाने का कथन किया गया है, जो कि तथ्‍यात्‍मक रूप से उचित प्रतीत नहीं होता है एवं कल्‍पना के आधार पर किया गया कथन है, जो कि प्रश्‍नगत बुकिंग को निरस्‍त करने हेतु उचित भी प्रतीत नहीं होता है।

अपीलार्थी की ओर से उपरोक्‍त जलसा रिसोर्ट बुकिंग से सम्‍बन्धित बुकिंग की सूची/प्रपत्र को प्रस्‍तुत कर यह कथन किया गया है कि उपरोक्‍त दिनांक 27.02.2017 को प्रत्‍यर्थी के अलावा अन्‍य कोई बुकिंग नहीं की गई थी और न ही उक्‍त दिनांक पर कोई कार्यक्रम आयोजित किया गया था। यह भी कथन किया गया कि उपरोक्‍त जलसा रिसोर्ट में दिन प्रतिदिन बड़ी संख्‍या में आयोजन हेतु रिसोर्ट बुक किया जाता हैं एवं किसी किसी दिन तो एक या उससे अधिक आयोजन के लिए रिसोर्ट बुक किया जाता रहा है। 

उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण तथ्‍यों को दृ‍ष्टिगत रखते हुए मेरे विचार से विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपीलार्थीगण की ओर से ऊपर उल्लिखित तथ्‍यों अनदेखी करते हुए जो निर्णय/आदेश पारित किया गया है वह अनुचित है तथा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपीलार्थी के कथनों को विचार में न लेते हुए निर्णय/आदेश पारित किया जाना मेरे विचार से तथ्‍य एवं विधि के विरूद्ध है, तद्नुसार अपीलार्थी के अधिवक्‍ता के तर्कों में बल पाया जाता है, अत्एव प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है एवं विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय व आदेश अपास्‍त किया जाता है।  

 

-7-

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि को मय अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                            (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                     

                                       अध्‍यक्ष                                                                                                                                

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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