सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या 1404/2017
(जिला उपभोक्ता फोरम, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्या-42/2014 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29-06-2016 के विरूद्ध)
आकाशदीप कोल्ड स्टोरेज प्रा0 लि0 भौंती चकरपुर, कानपुर नगर।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
अशोक कुमार मिश्रा, पुत्र स्व0 अम्बिका प्रसाद मिश्रा, निवासी ग्राम रंजीतपुर, पोस्ट माऊपुर, जनपद कानपुर देहात।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता, श्री आर०एन० सिंह
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता, श्री आलोक सिन्हा
दिनांक: 20-06-2018
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या 42 सन् 2014 अशोक मुमार मिश्रा बनाम प्रबन्धक आकशदीप कोल्ड स्टोरेज प्रा0 लि0, में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर नगर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 29-06-2016 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
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आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से स्वीकार करते हुये निम्न आदेश पारित किया है:-
"परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से इस आशय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अन्दर विपक्षी, परिवादी को आर्थिक क्षति के रूप में रू० 2,00,000/- (दो लाख रू०) अदा करें तथा रू० 2000/- परिवाद व्यय भी अदा करें।"
जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी, आकाशदीप कोल्ड स्टोरेज प्रा0 लि0 ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आए०एन० सिंह और प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक सिन्हा उपस्थित आए हैं।
मैंने उभय पक्ष के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त और सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने मार्च 2012 में 20 पैकेट आलू अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में जमा किया और आलू भण्डारण का किराया 1760/- रू० दिनांक 09-10-2012 को विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में जमा कर दिया। किन्तु बोआई के समय अपीलार्थी/विपक्षी के कर्मचारियों द्वारा उससे रसीद जमा करा ली गयी और बीज उपलब्ध नहीं कराया गया। अपीलार्थी/विपक्षी ने परिवादी के उन्नतशील आलू के बीज को मंहगी कीमत पर किसी अन्य को विक्रय कर दिया जिससे प्रत्यर्थी/परिवादी को लगभग 1,00,000/- रू० का नुकसान हुआ है।
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परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसके द्वारा विधिक नोटिस दिये जाने के बाद अपीलार्थी/विपक्षी ने उससे सम्पर्क कर अफसोस जाहिर किया और एक आपसी सहमति पत्र दिनांक 14-02-2013 लिखित रूप से निष्पादित किया जिसके अनुसार अपीलार्थी/विपक्षी ने वचन दिया कि प्रत्यर्थी/परिवादी को बिना किराया लिये 20 बोरी आलू का बीज इस सीजन में उपलब्ध करा देगा, किन्तु उसने समझौतानामा का पालन नहीं किया। अत: विवश होकर प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है।
जिला फोरम द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गयी परन्तु उसकी ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है और न ही लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी पर नोटिस का तामीला पर्याप्त मानते हुए परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से की है और आक्षेपित निर्णय और आदेश उपरोक्त प्रकार से पारित किया है।
अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश अपीलार्थी/विपक्षी को सुने बिना एकपक्षीय रूप से पारित किया है और यह निर्णय त्रुटिपूर्ण है।
अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने परिवाद पत्र में कथित समझौतानामा दिनांक 14-02-2013 को सही ढंग से नहीं पढ़ा है। इस समझौतानामा में यह स्पष्ट रूप से अंकित है कि वर्ष 2012 में प्रत्यर्थी/परिवादी लाट नं० 326/20 का 20 बोरी आलू किन्हीं कारणों से उठा नहीं पाया था वह 20 बोरी आलू इस सीजन में देना प्रत्यर्थी/परिवादी और अपीलार्थी/विपक्षी के बीच तय हुआ है। अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता
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का तर्क है कि जिला फोरम ने जो क्षतिपूर्ति की धनराशि 2,00,000/- रू० निर्धारित की है वह बहुत अधिक है और बिना किसी उचित आधार के है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम के समक्ष नोटिस तामीला के बाद भी अपीलार्थी/विपक्षी उपस्थित नहीं हुए हैं। अत: जिला फोरम ने एकपक्षीय रूप से उसके विरूद्ध निर्णय और आदेश पारित कर कोई त्रुटि नहीं की है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने जो क्षतिपूर्ति प्रदान की है वह उचित है। जिला फोरम के निर्णय में हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है।
हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
अपील की पत्रावली का संलग्न 2 आपसी सहमति पत्र दिनांक 14-02-2013 की प्रति है जिसका उल्लेख अपील मेमों में अपीलार्थी द्वारा किया गया है। इस आपसी सहमति पत्र से यह स्पष्ट है कि अपीलार्थी/विपक्षी कोल्ड स्टोरेज ने यह स्वीकार किया है कि वर्ष 2012 में भण्डारित प्रत्यर्थी/परिवादी का 20 बोरी आलू अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को नहीं दिया गया है। अत: इस आलू को अगले सीजन अर्थात 2013 में वह बिना किसी किराए के उसे देगा। वर्ष 2013 में प्रत्यर्थी/परिवादी को इस आलू की डिलीवरी दिये जाने का कोई साक्ष्य या अभिलेख अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रस्तुत नहीं किया जा सका है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार है कि 20 बोरी आलू अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा संलग्नक 2 आपसी सहमति पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी को नहीं दिया गया है। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी को 20 पैकेट
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आलू हेतु क्षतिपूर्ति अपीलार्थी/विपक्षी से दिलाया जाना उचित और युक्तिसंगत दिखता है। एक पैकेट आलू में 50 किलो आलू होता है। इस प्रकार 20 पैकेट में कुल 10 कुन्तल आलू होगा। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा रखा गया आलू उन्नतशील आलू का बीज है, यह दर्शित करने हेतु प्रत्यर्थी/परिवादी ने कोई उचित आधार दर्शित नहीं किया है। आपसी सहमति पत्र दिनांक 14-02-2013 से भी यह जाहिर नहीं होता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा भण्डारित आलू विशेष उन्नतशील किस्म का आलू रहा है। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा भण्डारित आलू का मूल्य सामान्य आलू के मूल्य के समान निर्धारित किया जाना उचित प्रतीत होता है।
प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद पत्र में वर्ष 2012-13 में आलू का मूल्य दर्शित नहीं किया है और न ही इस सन्दर्भ में कोई साक्ष्य प्रस्तुत किया है। जिला फोरम ने भी अपने निर्णय में आलू के मूल्य के सम्बन्ध में कोई विवेचना नहीं की है।
सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुये मेरी राय में आलू का मूल्य 2012-13 में 1000/- रू० प्रति कुन्तल की दर से निर्धारित किया जाना उचित होगा। अत: 10 कुन्तल आलू का मूल्य 10,000/- रू० निर्धारित किया जाता है। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी ने 1760/- रू० कोल्ड स्टोरेज का भाड़ा जमा किया था और उपरोक्त आपसी सहमति पत्र के अनुसार अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्यर्थी/परिवादी को 20 पैकेट आलू बिना किसी भाड़ा के 2013 में देने का वादा किया था परन्तु वादा नहीं निभाया है। ऐसी स्थिति में आलू की क्षतिपूर्ति में 1760/- रू० कोल्ड स्टोरेज के किराया की धनराशि सम्मिलित किया जाना उचित है। वर्ष 2013 में आपसी सहमति पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी को आलू न दिये जाने से प्रत्यर्थी/परिवादी को जो आर्थिक और
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मानिसक कष्ट हुआ है उसकी क्षतिपूति हेतु प्रत्यर्थी/परिवादी को 15,000/- रू० क्षतिपूर्ति दिलाया जाना मेरी राय में उचित है। इस प्रकार प्रत्यर्थी/परिवादी को कुल क्षतिपूर्ति की धनराशि 26,760/- रू० दिया जाना उचित है। अत: जिला फोरम ने जो क्षतिपूर्ति की धनराशि 2,00,000/- रू० निर्धारित की है उसे संशोधित करते हुए क्षतिपूर्ति की धनराशि 26,760/- रू० निर्धारित किया जाता है। जिला फोरम ने जो प्रत्यर्थी/परिवादी को 2000/- रू० वाद व्यय दिया है वह उचित है। उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। मेरी राय में क्षतिपूर्ति की उपरोक्त धनराशि पर प्रत्यर्थी/परिवादी को परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज दिया जाना उचित है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्वीकार कर जिला फोरम द्वारा पारित आदेश उपरोक्त प्रकार से संशोधित किया जाना उचित है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश संशोधित करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह प्रत्यर्थी/परिवादी को उसका भण्डारित आलू वापस न करने के कारण उसे कुल क्षतिपूर्ति 26,760/- रू० परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ अदा करें। इसके साथ ही अपीलार्थी/विपक्षी प्रत्यर्थी/परिवादी को जिला फोरम द्वारा आदेशित वाद व्यय की धनराशि 2000/- रू० भी अदा करें।
अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
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धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि 25,000/- रू० अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कृष्णा, आशु0
कोर्ट 01