Final Order / Judgement | राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ। (सुरक्षित) अपील सं0 :-1161/2015 (जिला उपभोक्ता आयोग, औरैया द्वारा परिवाद सं0- 241/2014 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 13/05/2015 के विरूद्ध) Shriram General Insurance Company Limited, E-8 EPIP, RIICO Industrial Area, Sitapura, Jaipur (Rajasthan)-302022 Branch Office 16, Chintal House, Station Road, Lucknow through its manager. - Appellant
Ashok kumar Bhadoriya S/O Shri Surjan Singh resident of Village-Peyghupur, Post-Annantram, District Auraiya. समक्ष - मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
उपस्थिति: अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री दिनेश कुमार प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री उमेश कुमार शर्मा दिनांक:-06.10.2022 माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय - यह अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम औरैया द्वारा परिवाद सं0 241 सन 2014 अशोक कुमार भदौरिया बनाम मुख्य शाखा प्रबंधक श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड व एक अन्य में पारित निर्णय व आदेश दिनांकित 13.05.2015 के विरूद्ध योजित किया गया है, जिसके माध्यम से विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम ने परिवादी का परिवाद रूपये 5,67,000/- की वसूली हेतु आज्ञप्त किया तथा इसपर वाद योजन की तिथि से वास्तविक भुगतान तक 07 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज अदा करने का निर्देश भी दिया है।
- प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन परिवाद मे इस प्रकार है कि वह प्रश्नगत ट्रक संख्या यूपी 75 एम 4351 आयशर का पंजीकृत स्वामी है। यह ट्रक दिनांक 16.10.2012 से दिनांक 15.10.2013 तक विपक्षी के साथ बीमित था। दिनांक 03.11.2012 को यह ट्रक दुर्घटनाग्रस्त हो गया। दुर्घटना की सूचना विपक्षी बीमा कम्पनी को दी गयी और मरम्मत हेतु आगरा भेज दिया गया, जहां पर दिनांक 05.11.2012 को बीमा कम्पनी के सर्वेयर श्री पूणेन्द्र पाठक ने इसका निरीक्षण किया। प्रत्यर्थी/परिवादी के अनुसार दुर्घटना में इंजन डेस बोट, डीजल टैंक, वायरिंग, पाइप लाईन क्षतिग्रस्त हो गये थे, चैचिस कई जगह मुड़ा हुआ था, जिसकी मरम्मत करने मे काफी समय लगा तथा इंजन खोलने पर ज्ञात हुआ कि पिस्टल रिंग क्षतिग्रस्त हो गयी है इसलिए परिवादी ने सर्वेयर पूणेन्द्र पाठक से ट्रक की पूर्ण क्षति का भुगतान करने का निवेदन किया किन्तु उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की और वाहन को टोटल लॉस की श्रेणी में नहीं माना। प्रत्यर्थी/परिवादी के अनुसार वाहन के मरम्मत में लगभग 7,00,000/- रू0 व्यय हुआ था। निरीक्षण हेतु दिनांक 02.07.2013 को बीमा कम्पनी से निवेदन किया किन्तु बीमा कम्पनी ने दिनांक 18.06.2013 को दावा खारिज कर दिया, जिस कारण परिवाद प्रस्तुत किया गया।
- अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया, जिसमें उन्होंने कहा कि बीमा कम्पनी की ओर से सेवा में कोई कमी नहीं है। प्रकरण मे विधि एवं तथ्य का समावेश है इसलिए पूर्ण साक्ष्य के बिना दावा निस्तारित नहीं सकता है। परिवादी को सर्वेयर ने अनेकों पत्र प्रेषित किये गये किन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी ने कोई कार्यवाही नहीं की, जिस कारण परिवादी का क्लेम खारिज कर दिया।
- दोनों पक्षों को सुनवाई का अवसर देते हुए विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम ने परिवाद इन आधारों पर आज्ञप्त किया की कि बीमा कम्पनी का कहना है कि मांगने के बावजूद प्रत्यर्थी/परिवादी ने सभी प्रपत्र नहीं दिये इसलिए उसका क्लेम खारिज किया। पत्रों की प्रतिलिपि भी कम्पनी की ओर से दाखिल की गयी है। प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से कथन किया गया है कि उसके द्वारा कागजात दिये जाने के बावजूद सर्वेयर ने कागज प्राप्त नहीं किये और टोटल लॉस नहीं दिखाया। विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम ने विभिन्न गैराज नोटिस, राजू मुन्ना कम्पनी, कमरूद्दीन चैस वाले, राजकुमार वॉडी मेकर एवं अन्य बाउचर के आधार पर समस्त धनराशि जोड़ते हुए रूपये 5,67,000/- की धनराशि आज्ञप्त की एवं सर्वेयर रिपोर्ट द्वारा दिया गया आंकलन इस आधार पर नहीं माना कि सर्वेयर द्वारा कोई शपथ पत्र नहीं दिया गया है इस कारण सर्वेयर की रिपोर्ट नहीं मानी जा सकती।
- उपरोक्त निर्णय से व्यथित होकर यह अपील प्रस्तुत की गयी है। अपील में मुख्य रूप से यह आधार लिये गये हैं कि विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम ने मनमाने तौर पर बिना तार्किक आधार पर निर्णय पारित किया है। सर्वेयर द्वारा Approved गैराज के आंकलन को दृष्टिगत करते हुए प्रश्नगत ट्रक ने रूपये 3,30,179/- की क्षति का आंकलन किया था, जिसको विद्धान जिला उपभोक्ता ने मनमाने तौर पर बिना किसी आधार के नहीं माना है। यह आंकलन IRDA द्वारा Approved सर्वेयर द्वारा किया गया था, जिसको न मानने का कोई आधार नहीं है इस आधार पर अपील स्वीकार किये जाने एवं प्रश्नगत निर्णय अपास्त किये जाने की प्रार्थना की गयी है।
- अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री दिनेश कुमार एवं प्रत्यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री उमेश कुमार शर्मा को विस्तृत रूप से सुना गया। पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेख का अवलोकन किया गया। तत्पश्चात पीठ के निष्कर्ष निम्नलिखित प्रकार से है:-
- अभिलेखों से एवं उभय पक्षों को सुनकर उभय पक्ष के मध्य विवाद का विषय यह परिलक्षित होता है कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत किये गये प्रश्नगत वाहन की मरम्मत के कागजातों के आधार पर परिवादी को क्षतिपूर्ति दिलाया जाये अथवा सर्वेयर द्वारा दी गयी रिपोर्ट के आधार पर।
- अभिवचनों से स्पष्ट है कि अपीलकर्ता बीमा कम्पनी ने प्रश्नगत वाहन का बीमा होने और बीमा के दौरान दुर्घटना होने तथा दुर्घटना में वाहन की क्षतिग्रस्त होने के तथ्य से इंकार नहीं किया है। दोनों पक्षों के मध्य प्रश्नगत वाहन के मरम्मत किये जाने में होने वाले व्यय और वास्तव में क्षति जो प्रत्यर्थी/परिवादी को हुई है एवं क्षति के उपरान्त बीमा की शर्तों के अनुसार देय धनराशि पर मुख्य विवाद है। नियुक्त सर्वेयर द्वारा रूपये 3,30,179/- का आंकलन किया गया है जबकि दूसरी ओर प्रत्यर्थी/परिवादी ने मरम्मत में हुए समस्त व्यय के बिलों/रसीदों को प्रस्तुत किया है, जिसके आधार पर रूपये 5,67,000/- व्यय होने का कथन किया गया है और परिवादी द्वारा प्रमाण प्रस्तुत किया गया है उल्लेखनीय है कि सम्पूर्ण व्यय में वाहन के पुराने होने एवं उसके बदले गये पार्ट एवं अवयवों के पुराने हो जाने और मरम्मत के समय नये अवयवों लगाये जाने को दृष्टिगत करते हुए ह्रास का आंकलन हो जाना चाहिए था किन्तु विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम ने सम्पूर्ण धनराशि जो मरम्मत में व्यय हुई है, वह दिला दी है। सर्वेयर रिपोर्ट दिनांकित 15.06.2013 के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि इसके साथ संलग्न तालिका में उक्त का ह्रास को दृष्टिगत करते हुए आंकलन किया गया है, जिसमें अधिकतर भागों एवं अवयवों में ह्रास भी नहीं लगाया गया है। अत: यह रिपोर्ट युक्ति-युक्त एवं उचित प्रतीत होती है। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा यह नहीं दर्शाया गया है कि यह रिपोर्ट किस प्रकार असत्य है।
- सर्वेयर रिपोर्ट के संबंध में अपीलकर्ता/बीमा कम्पनी की ओर से माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय आशीष कुमार जायसवाल प्रति आईसीआईसीआई कम्पनी लिमिटेड प्रकाशित I (2017) CPJ page 529 प्रस्तुत किया गया, जिसमें माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा यह निर्णीत किया गया है कि यदि सर्वेयर रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी है और प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा सर्वेयर रिपोर्ट में युक्ति-युक्त एवं उचित कमियॉं नहीं दर्शायी गयी हैं तो सर्वेयर रिपोर्ट के आधार पर आंकलन उचित माना जायेगा क्योंकि सर्वेयर रिपोर्ट ही दुर्घटना के मामले में ऐसा दस्तावेज है, जिस पर निर्भर किया जा सकता है।
- इस संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय न्यू इंडिया एश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड प्रति प्रदीप कुमार प्रकाशित IV (2009) CPJ page 46 (S.C.) इस संबंध में दिशा-निर्देशन देता है, जिसमें यह निर्णीत किया गया है कि यद्यपि सर्वेयर रिपोर्ट अंतिम साक्ष्य नहीं है किन्तु यदि सर्वेयर रिपोर्ट में कोई कमियां नहीं दिखायी गयी हैं तो उस सर्वेयर रिपोर्ट को ही क्षति का आधार माना जायेगा।
- इस संबंध में राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय डी0एन0 बडौनी प्रति ओरियण्टल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड प्रकाशित I (2012) CPJ page 272 (N.C.) का उल्लेख करना भी उचित होगा, जिसमें माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा यह निर्णीत किया गया है कि सर्वेयर रिपोर्ट क्षति के आंकलन के संबंध में दी गयी सर्वोत्तम साक्ष्य है जबकि किसी अन्य साक्ष्य से उसे खण्डित नहीं किया जाये। इसी प्रकार माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड प्रति बीना राघव प्रकाशित III (2015) CPJ PAGE 75 (N.C.) भी उल्लेखनीय है, जिसमें माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा यह निर्णीत किया गया है कि सर्वेयर रिपोर्ट को किसी उचित आधार पर ही तिरस्कृत करना चाहिए यदि सर्वेयर रिपोर्ट को अस्वीकार किये जाने का कोई उचित एवं ठोस कारण नहीं दिया गया है तो ऐसा आदेश अपास्त होने योग्य है।
- माननीय राष्ट्रीय आयोग के उपरोक्त निर्णयों को दृष्टिगत करते हुए यह पीठ इस मत की है कि विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा सर्वेयर रिपोर्ट को अस्वीकार किये जाने का कोई ठोस व उचित कारण नहीं दिया है एवं परिवादी द्वारा प्रस्तुत किये गये बिलों एवं रसीदों में क्षतिग्रस्त वाहन के पुराने अवयवों का ह्रास का आंकलन नहीं किया गया है। अत: सर्वेयर रिपोर्ट द्वारा क्षति की आंकलित की हुई धनराशि रू0 3,30,179/- (तीन लाख तीस हजार एक सौ उनयासी रू0) रूपये दी गयी है। उक्त धनराशि प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलवाया जाना उचित है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। अपील के निर्णय के माध्यम से अपीलकर्ता को निर्देश दिया जाता है कि वे अंदर एक माह प्रत्यर्थी/परिवादी को रूपये 3,30,179/- (तीन लाख तीस हजार एक सौ उनयासी रू0) तथा इस पर वाद योजन की तिथि से वास्तविक अदायगी तक 07 प्रतिशत साधारण वार्षिक अदा करें। धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि मु0 25,000/- रू0 मय अर्जित ब्याज सहित जिला उपभोक्ता आयोग को नियमानुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाये। उभय पक्ष अपीलीय वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे। आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें। (विकास सक्सेना)(राजेन्द्र सिंह) निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उदघोषित किया गया। (विकास सक्सेना) (राजेन्द्र सिंह) संदीप आशु0 कोर्ट नं0 2 | |