राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-3450/99
के0बी0कोल्ड स्टोरेज एण्ड आइस प्लान्ट नरायनपुर पयागीपुर सुलतानपुर
द्वारा मैनेजर श्री कुंवर बहादुर सिंह पुत्र श्री राम कलप सिंह।
.........अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
अशोक दूबे पुत्र श्री राम अभिलाख दूबे निवासी ग्राम पूरे भगवानदीन
तिलोकपुर परगना अमेठी तहसील अमेठी जिला सुलतानपुर।
........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :कोई नहीं।
दिनांक 08.05.2015
मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है न ही प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित है। यह प्रकरण काफी पुरान है। पत्रावली का अवलोकन किया गया। जिला मंच द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया।
'' तदनुसार परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षीगा को निर्देशित किया जाता है कि वे आज से तीस दिन के अंदर परिवादी को रू. 11240/- प्रतिकर के रूप में तथा उस पर परिवाद संस्थित करने की तिथि 25.11.97 से भुगतान की तिथि तक 9 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज एवं 200/- रूपये वाद व्यय के रूप में भुगतान करें। इस आदेश की एक प्रति परिवादी के व्यय पर विपक्षी संख्या 2 को पंजीकृत डाक से अनुपालनार्थ भेजी जाए तथा पंजीकरण की रसीद पत्रावली पर लगायी जाए।''
सक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी संख्या 2 द्वारा संचालित विपक्षी संख्या 1 कोल्ड स्टोरेज में 59 बोरा आलू रखा, जिसकी दर उस समय दो रूपये प्रति किलो थी जिसे परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने बताया, इसके अतिरिक्त उसने 705/- रू. विपक्षीगण के पास अग्रिम किराये के रूप में जमा किया, परन्तु कुछ
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समय बीतने के पश्चात विपक्षीगण ने आलू उसे वापस नहीं किया। परिवादी ने 59 बोरा जमा आलू का मूल्य 705/- रूपये अग्रिम के रूप में जमा धनराशि तथा 1095/- मय ढुलाई, पल्लेदारी एवं आवागमन तथा मानसिक कष्ट के लिए पांच हजार रूपये की मांग की है।
विपक्षीगण ने नोटिस के समुचित तामीला के उपरांत भी परिवाद का कोई विरोध नहीं किया, अत: परिवादी की एकपक्षीय रूप से बहस सुनी गई।
केस के तथ्य एवं परिस्थिति के आधार पर हम यह पाते हैं कि जिला फोरम द्वारा जो निर्णय 22.02.1999 पारित किया गया है वह साक्ष्यों की विवेचना करते हुए पारित किया है, जो विधिसम्मत है और उसमें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है। तदनुसार अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
अपीलकर्ता की अपील खारिज की जाती है।
उभय पक्ष अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(राम चरन चौधरी) (राज कमल गुप्ता) पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक
कोर्ट-5