राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-2063/1994
(जिला उपभोक्ता फोरम, जौनपुर द्वारा परिवाद संख्या-235/1992 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 11.07.1994 के विरूद्ध)
1. बलिराम पुत्र राम नरेश, सा0 मो0 भसोट पो0 पवारा, जिला जौनपुर।
2. मेहीलाल पुत्र राम स्वारथ, सा0 जैपालपुर पोस्ट रामनगर, जिला जौनपुर।
3. रामलखन पटेल पुत्र गूदर, साकिन मौजा जैपालपुर पोस्ट रामनगर, जिला जौनपुर।
4. अमरनाथ पुत्र राम किशोर, सा0 जैपालपुर पोस्ट रामनगर, जिला जौनपुर।
5. बलराम पुत्र राम नरेश, सा0 मो0 भसोट पो0 पवारा, जिला जौनपुर।
6. लालजी पुत्र राजा राम, सा0 मो0 नाथूपर पो0 टिकरा, जौनपुर।
7. जैराम पुत्र द्वारिका, सा0 हिम्मतपुर पो0 पवारा, जिला जौनपुर।
8. रामकरन पुत्र अयोध्या, सा0 पवारा, जिला जौनपुर।
9. राम अधार पुत्र रामनाथ, सा0 कमालपुर पो0 मुगराबादशाहपुर, जौनपुर।
10. विजय बहादुर पुत्र राम अधार, सा0 कमालपुर पो0 मुगराबादशाहपुर, जौनपुर।
11. सालिकराम पुत्र भगौतीदीन, सा0 सजई पो0 पवारा, जिला जौनपुर।
.....................अपीलार्थीगण/परिवादीगण।
बनाम्
प्रोपराइटर (प्रबन्धक) अशोक कोल्ड स्टोरेज एण्ड जनरल मिल्स मुगराबादशाहपुर, जिला जौनपुर।
....................................प्रत्यर्थी/विपक्षी।
समक्ष:-
1. माननीय श्री आलोक कुमार बोस, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री जुगुल किशोर, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री आर0डी0 क्रान्ति, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 01.10.2014
माननीय श्री जुगुल किशोर, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलर्थीगण द्वारा यह अपील, जिला फोरम, जौनपुर द्वारा परिवाद संख्या-235/1992 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 11.07.1994 के विरूद्ध दिनांक 02.08.1994 को योजित की गयी है।
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अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री आर0डी0 क्रान्ति उपस्थित हैं। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता को विस्तारपूर्वक सुना गया एवं उनके तर्कों के परिप्रेक्ष्य में पत्रावली का परिशीलन किया गया।
संक्षेप में प्रकरण इस प्रकार है कि परिवादी ने 313 बोरा आलू विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में दिनांक 21.03.1992 से दिनांक 30.03.1992 तक रखा था। परिवादी जब कोल्ड स्टोरेज में रखा आलू निकलवाने गया तो उसको आलू वापस नहीं किया गया। परिवादी द्वारा यह भी कहा गया कि विपक्षी द्वारा आलू किसी और को बेच दिया गया है, जबकि विपक्षी का जिला फोरम के समक्ष कहना था कि मई 1992 में बिजली की अव्यवस्था के कारण उसके कोल्ड स्टोरेज में तापमान नियंत्रित नहीं हो रहा था, जिसकी सूचना विपक्षी द्वारा जिला उद्यान अधिकारी को दी गयी और परिवादी को भी दिनांक 24.05.1992, 11.06.1992, 01.07.1992 तथा दिनांक 15.07.1992 को सूचना दी गयी कि वह अपना आलू उठा ले जायें, परन्तु परिवादी आलू लेने दिनांक 07.08.1992 तक नहीं आये, जिसके कारण आलू खराब हो गया, इसलिए आलू फिंकवा दिया गया। विपक्षी द्वारा कोई सेवा में कमी नहीं की गयी है। जिला फोरम द्वारा दोनों पक्षों को सुनने एवं पत्रावली का अनुशीलन व परिशीलन करने के पश्चात प्रश्नगत परिवाद खारिज कर दिया गया।
उपरोक्त आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थीगण/परिवादीगण द्वारा यह अपील योजित की गयी। प्रत्यर्थी को भेजी गयी नोटिस इस आख्या के साथ वापस प्राप्त हुई है कि कोल्ड स्टोरेज बंद होकर धराशाही हो गया है, कुछ भी नहीं है। अत: प्रेषक को वापस। कोल्ड स्टोरेज बंद होने की दशा में उसके प्रबन्धक अथवा मालिकोंको अपने-अपने उत्तरदायित्वों से उनमुक्त नहीं किया जा सकता है और न ही ऐसा करना न्यायसंगत अथवा विधि अनुसार होगा। उत्तर प्रदेश कोल्ड स्टोरेज विनियमन अधिनियम 1976 के विनियम 24 में यह प्रावधान है कि ‘’इस अधिनियम में अन्यथा की गयी व्यवस्था के सिवाय, लाइसेन्सधारी किरायादाता को अपने कोल्ड स्टोरेज में स्टोर किये गये माल के सम्बन्ध में ऐसे लाइसेन्सधारी द्वारा की गयी उपेक्षा, अपचार या व्यक्तिक्रम के कारण हुई हुई प्रत्येक हानि,
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नाश, क्षति, खराबी या माल के अपरिदान के लिए प्रतिकर का देनदार होगा।‘’ इस अधिनियम की धारा-25 में यह व्यवस्था है कि धारा-24 के अन्तर्गत देय प्रतिकर संबंधी प्रत्येक विवाद को लाइसेन्स अधिकारी द्वारा निर्धारित किया जाता है। इस अधिनियम के अन्तर्गत लाइसेन्स अधिकारी के अधिकार का प्रयोग जिला उद्यान अधिकारी भी कर सकते हैं। लाइसेन्स अधिकारी का आदेश अन्तिम होगा। जैसा कि उत्तर प्रदेश कोल्ड स्टोरेज विनियमन अधिनियम 1976 की धारा-25 (1) में दिया गया है। इस प्रकरण में अपीलार्थीगण द्वारा उपरोक्त प्राविधान के अन्तर्गत कार्यवाही न करते हुए परिवाद संख्या-235/1992 दाखिल किया गया था। अधीनस्थम फोरम द्वारा उपरोक्त प्रावधानों पर विचार-विमर्श करने के उपरान्त प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है, जिसमें किसी प्रकार का कोई विधिक अथवा तथ्यात्मक त्रुटि होना नहीं पाया जाता है। अत: इसमें हस्तक्षेप करने का प्रथम दृष्टया कोई आधार नहीं बनता है। वर्णित परिस्थितियों में यह अपील सारहीन होने के कारण निरस्त होने योग्य है।
आदेश
तद्नुसार यह अपील सारहीन होने के कारण निरस्त की जाती है। जिला फोरम, जौनपुर द्वारा परिवाद संख्या-235/1992 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 11.07.1994 की पुष्टि की जाती है। उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वंय वहन करेगें। इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि उभय पक्ष को नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाये। पत्रावली दाखिल अभिलेखागार हो।
(आलोक कुमार बोस) (जुगुल किशोर)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0-2
कोर्ट-5