// जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, बिलासपुर छ.ग.//
प्रकरण क्रमांक CC/108/2010
प्रस्तुति दिनांक 12/05/2010
राकेश कुमार अग्रवाल, उम्र- लगभग 32 वर्ष,
पिता श्री एस.सी.अग्रवाल
पता- हॉटल नटराज, ट्रांसपोर्ट नगर, कोरबा
तह. व जिला कोरबा छ.ग ......आवेदक/परिवादी
विरूद्ध
- आशीष ऑटोमोबाइल्स, मेन रोड,
व्यापार विहार, बिलासपुर
जिला बिलासपुर छ.ग. 495001
- टाटा मोटर्स मार्केटिंग एण्ड कस्टमर सपोर्ट
पैसेन्जर कार बिजिनेस यूनिट,
8 वीं तल, सेंटर नंबर 01, वर्ल्ड ट्रेड सेंटर
कफे पराडे, मुंबई (महाराष्ट्र) 400005
- टाटा मोटर्स 3री तल, नवरंग टॉवर्स, 27 पाम रोड,
सिविल लाईंस, नागपुर (महाराष्ट्र) 400010 .........अनावेदकगण/विरोधीपक्षकारगण
आदेश
(आज दिनांक 16/04/2015 को पारित)
1. आवेदक राकेश कुमार अग्रवाल ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदकगण के विरूद्ध सेवा में कमी के आधार पर पेश किया है और अनावेदकगण से दोषयुक्त वाहन के बदले नयी वाहन अथवा उसकी राशि वापस दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक दिनांक 02/11/2007 को अनावेदक क्रमांक 2 व 3 के अधिकृत एजेंसी अनावेदक क्रमांक 1 से एक वाहन टाटा सफारी सी.जी. 12 डी. 7826 क्रय किया, जिसमें एक सप्ताह पश्चात ही उसका एक्सीलेटर फेल होना शुरू हो गया । आवेदक द्वारा इस बात की शिकायत करने पर अनावेदक क्रमांक 1 के कर्मचारी घर आकर वाहन को बनाये, किंतु शिकायत दूर नहीं हुयी । उसके उपरांत वाहन को अनावेदक क्रमांक 1 के संस्थान में बार-बार सुधरवाया गया, किंतु इसके बाद भी कथित शिकायत दूर नहीं हुई, तब आवेदक वाहन में उत्पादकीय त्रुटि होने के आधार पर अनावेदकगण से संपर्क कर उनसे दोष युक्त वाहन को बदलकर नई वाहन दिए जाने अथवा वाहन का संपूर्ण सिस्टम नया बदलकर दिए जाने का निवेदन किया, किंतु अनावेदकगण द्वारा ऐसा नहीं किया गया, तब आवेदक दिनांक 20/02/2008 को अपने अधिवक्ता जरिए नोटिस भेजा, किंतु उसके बाद भी अनावेदकगण द्वारा कोई सकारात्मक प्रयास नहीं किया गया, अत: उसने यह परिवाद पेश करते हुए अनावेदकगण से वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
3. अनावेदक क्रमांक 1 जवाब पेश कर यह तो स्वीकार किया है कि आवेदक, उसके पास से प्रश्नाधीन वाहन क्रय किया था, किंतु इस बात से इंकार किया है कि उक्त वाहन में कोई खराबी है । इस बाबत उसका कथन है कि आवेदक उसके पास केवल एक बार एक्सीलेटर के संबंध में शिकायत किया था, जिसका निराकरण कर दिया गया था । आगे उसने वाहन में कोई शिकायत नहीं होना और असत्य कथनों के आधार पर आवेदक द्वारा परिवाद प्रस्तुत होने के आधार पर उसे निरस्त किए जाने का निवेदन किया है ।
4. अनावेदक क्रमांक 2 व 3 संयुक्त जवाब पेश कर परिवाद का विरोध इस आधार पर किए कि आवेदक द्वारा प्रश्नाधीन वाहन में उत्पादकीय त्रुटि होने के आधार पर यह परिवाद पेश किया गया है, किंतु इस संबंध में उसके द्वारा किसी विशेषज्ञ का रिपोर्ट दाखिल नहीं किया गया है । आगे उनका कथन है कि आवेदक देखपरख कर वाहन क्रय किया था, जिसमें कोई तकनीकी खराबी नहीं थी । आगे उनके द्वारा कहा गया है कि आवेदक की ओर से यह परिवाद वाहन के 63000 कि.मी. से अधिक वाहन के चलने उपरांत वारंटी अवधि के बाहर पेश किया गया है, जो स्वीकार किए जाने योग्य नहीं । अत: परिवाद निरस्त किए जाने का निवेदन किया गया है।
5. उभयपक्ष अधिवक्ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया।
6. देखना यह है क्या आवेदक, अनावेदकगण से वांछित अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी है।
सकारण निष्कर्ष
7. आवेदक द्वारा अनावेदक क्रमांक 2 व 3 के अधिकृत एजेंसी अनावेदक क्रमांक 1 के संस्थान से दिनांक 02/11/007 को प्रश्नाधीन वाहन क्रय किए जाने का तथ्य मामले में विवादित नहीं है ।
8. आवेदक का कथन है कि प्रश्नाधीन वाहन क्रय किए जाने के एक सप्ताह बाद ही उसका एक्सीलेटर फेल होना शुरू हो गया, जिसे उसने कई बार अनावेदक क्रमांक 1 के संस्थान में सुधार करवाया, किंतु शिकायत दूर नहीं हुई । अत: उसने इसे वाहन की उत्पादकीय त्रुटि होना प्रकट करते हुए यह परिवाद पेश करना बताया है तथा अनावेदकगण से उक्त वाहन के बदले नयी वाहन अथवा उसकी कीमत दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
9. यह सुस्थापित है कि आवेदक को अपना प्रकरण स्वयं प्रमाणित करना होता है । उसके द्वारा यह परिवाद प्रश्नाधीन वाहन में उत्पादकीय त्रुटि होने के आधार पर पेश किया गया है, किंतु अपने इस कथन के समर्थन में आवेदक द्वारा किसी विशेषज्ञ अथवा मान्यताप्राप्त संस्था का कोई रिपोर्ट मामले में प्रस्तुत नहीं किया गया है । फलस्वरूप मामले में ऐसे किसी साक्ष्य के अभाव में यह अनुमान लगाया जाना संभव नहीं कि आवेदक के प्रश्नाधीन वाहन में कोई उत्पादकीय त्रुटि है। अत: आवेदक को अनावेदकगण से वांछित अनुतोष दिलाया जाना संभव नहीं।
10. उपरोक्त कारणों से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि आवेदक अपना परिवाद प्रमाणित करने में असफल रहा है । अत: उसका परिवाद निरस्त किया जाता है ।
11. उभयपक्ष अपना- अपना वादव्यय स्वयं वहन करेंगे
(अशोक कुमार पाठक) (प्रमोद वर्मा)
अध्यक्ष सदस्य