(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2270/2015
(जिला आयोग, प्रथम लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-212/2005 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 1.9.2015 के विरूद्ध)
टाटा मोटर्स लिमिटेड, बॉम्बे हाउस, 24 होमी मोडी स्ट्रीट, मुम्बई 400 001, एण्ड आफिसेस एट जीवन तारा बिल्डिंग, 5 संसद मार्ग, नई दिल्ली द्वारा मैनेजर।
अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 त 3
बनाम
1. आशीष अग्रवाल पुत्र श्री एस.डी. अग्रवाल, 277/38-39, बलरामपुर गार्डेन रोड, पी.एस. नाका हिण्डोला, लखनऊ।
2. गोल्ड रस सेल्स एण्ड सर्विसेज लि0, 6-ए, सप्रू मार्ग, लखनऊ।
प्रत्यर्थीगण/विपक्षी सं0-4
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चड्ढा, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 20.06.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-212/2005, आशीष अग्रवाल बनाम मै0 टाटा मोटर्स लि0 तथा तीन अन्य में विद्वान जिला आयोग, प्रथम लखनऊ द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 1.9.2015 के विरूद्ध यह अपील मै0 टाटा मोटर्स लिमिटेड की ओर से प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी संख्या-1 त 3 को संयुक्त एवं एकल रूप से निर्देशित किया है कि परिवादी को उस मूल्य की नई कार उपलब्ध कराई जाए, जिस मूल्य में क्रय की गई थी, अन्यथा रू0 5,47,472.76 पैसे 09 प्रतिशत ब्याज सहित वापस लौटाए जाए तथा अंकन 10 हजार रूपये क्षतिपूर्ति एवं अंकन 05 हजार रूपये परिवाद व्यय के रूप में अदा करने के लिए भी आदशित किया है।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा रू0 5,47,472.76 पैसे में एक इंडिगो LX-II विपक्षी संख्या-4 से क्रय की गई थी, केवल 4624 किलोमीटर चलने के बाद गाड़ी पूर्णतया बंद हो गई, जिसे वर्कशॉप पर खींच कर ले जाया गया। दिनांक 7.1.2004 को जॉब कार्ड बनाया गया। दिनांक 8.1.2004 को अंकन 310/-रू0 लेबर चार्ज के दिए गए। गैराज द्वारा एक प्रमाण पत्र जारी किया गया, जिसको लेने पर जानकारी हुई कि Fuel Injection Pump परिवर्तित किया गया था। दिनांक 13.5.2004 को पुन: समस्या पैदा हो गई और गाड़ी पूर्णतया बंद हो गई, जिसे विपक्षी संख्या-4 द्वारा खींचा गया। वाहन की कमी को एक-दो दिन में दूर करने को कहा गया। अंतत: दिनांक 22.5.2004 को कार उपलब्ध कराई गई और इस बार भी Fuel Injection Pump परिवर्तित किया गया था। इस प्रकार इंजन में निर्माण संबंधी दोष मौजूद है। यह प्रथम बार 4624 किलोमीटर पर और दूसरी बार 6628 किलोमीटर पर FIP बदला गया। दूसरी बार टेम्परेचर सेन्सर भी बदला गया तथा सेल्फ भी खोला गया। पुन: दिनांक 2.11.2004 को समस्या उत्पन्न हो गई। वारण्टी अवधि में ही अनेक समस्यों को बर्दाश्त करना पड़ा। पुन: दिनांक 11.12.2004 को वाहन स्टार्ट नहीं हुआ। इस तिथि को मीटर रीडिंग 8333 किलोमीटर हो गई थी, परन्तु स्टार्ट होने की समस्या लगातार बनी हुई थी। कार को धक्का देकर स्टार्ट करना पड़ रहा था। दिनांक 14.12.2004 को कार पुन: विपक्षी संख्या-4 को दी गई, इसके पश्चात मैसर्स टाटा मोटर्स लि0 से टेलिफोन पर सम्पर्क किया गया। दिनांक 8.2.2005 को मैसर्स रिलायन्स मोटर्स द्वारा जॉब कार्ड बनाया गया। दिनांक 7.3.2005 को वाहन वापस दिया गया, इस तिथि को FIP बदला गया। इस प्रकार 3 विभिन्न गैराज द्वारा FIP बदला गया। अत: स्पष्ट है कि कार में निर्माण संबंधी दोष है। विद्वान जिला आयोग द्वारा इस तथ्य को सही मानते हुए कार को बदलने या कार का मूल्य वापस लौटाने का आदेश पारित किया है।
3. इस निर्णय/आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला आयोग ने तथ्य एंव साक्ष्य के विपरीत निर्णय पारित किया है। इस परिवाद को पूर्व में दिनांक 28.8.2006 को निर्णीत किया गया, जिसके विरूद्ध अपील संख्या-2256/2006 इस आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई, जो आंशिक रूप से दिनांक 28.9.2007 को स्वीकार की गई, जिसके विरूद्ध पुनरीक्षण याचिका संख्या-12/2008 माननीय राष्ट्रीय आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई, जिसके द्वारा निदेशक ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को निर्देशित किया गया था कि एक टेक्निकल एक्सपर्ट को नियुक्त किया जाए। टेक्निकल एक्सपर्ट द्वारा दिनारंक 14.11.2008 को रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जो माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा स्वीकार नहीं की गई और पुन: टेक्निकल एक्सपर्ट नियुक्त करने का आदेश ट्रांसपोर्ट कमिश्नर, यू.पी. को दिया गया। दिनांक 9.11.2013 को रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, यह रिपोर्ट भी टेक्निकल एक्सपर्ट द्वारा तैयार नहीं की गई। माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा पुनरीक्षण आवेदन स्वीकार कर लिया गया और प्रकरण पुन: निस्तारण के लिए इस आयोग को प्रेषित किया गया।
4. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णयों तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
5. पुनरीक्षण संख्या 12/2008 टाटा मोटर्स बनाम आशीष अग्रवाल तथा अन्य में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया है कि एक्सपर्ट ओपिनियन पर विचार करने के पश्चात तथा इस रिपोर्ट पर प्रस्तुत की गई आपत्तियों को विचार में लेते हुए पुन: गुणदोष पर सुनवाई करते हुए निर्णय पारित किया जाए।
6. संलग्नक संख्या-3 एक कमेटी द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट है, जिसमें श्री नीरज सोनकर, सेवा प्रबंधक, उ0प्र0 राज्य सड़क परिवहन निगम, मुख्यालय, श्री एस0एस0 सिंह, सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन/प्रशासन), अलीगढ़, श्री आर0पी0 सिंह सम्भागीय निरीक्षक (प्राविधिक) लखनऊ मौजूद थे, उनके द्वारा निष्कर्ष दिया गया कि Fuel Injection Pump बार-बार खराब होना, इस बात का द्योतक है कि वाहन में निर्माण संबंधी दोष मौजूद है।
7. इस रिपोर्ट के विरूद्ध आपत्ति इस आशय से की गई कि कमेटी ने इस बिन्दु पर विचार नहीं किया कि वाहन 45304 किलोमीटर चल चुका है। कमेटी ने इस बिन्दु पर भी विचार नहीं किया Fuel Injection Pump इंजन का बाहरी पार्ट है, इसकी कमी को इंजन की कमी नहीं माना जा सकता।
8. सम्पूर्ण साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात यह तथ्य स्थापित होता है कि Fuel Injection Pump बार-बार परिवर्तित होता रहा। यद्यपि परिवर्तन के पश्चात वाहन का संचालन भी होता रहा है, परन्तु Fuel Injection Pump का बार-बार बदलना, गाड़ी का सम्पूर्ण रूप से कार्य करना बंद कर देना, गाड़ी को खींचकर गैराज तक ले जाना, गैराज पर Fuel Injection Pump खराब होने का कारण खोजने में विफल होना इन तथ्यों को साबित करता है कि Fuel Injection Pump खराब है। यह तर्क उचित प्रतीत नहीं होता कि Fuel Injection Pump इंजन का बाहरी पार्ट है। Fuel Injection Pump विशुद्ध रूप से इंजन का पार्ट है, जैसा कि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में वर्णित किया है, इसलिए एक विशेषज्ञ कमेटी द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट के विरूद्ध प्रस्तुत की गई आपत्ति निरर्थक है, यह आपत्तियां निरस्त होने योग्य हैं तथा रिपोर्ट के आधार पर यह निष्कर्ष देना उचित है कि विद्वान जिला आयोग ने जो निर्णय एवं आदेश पारित किया है, वह विधिसम्मत है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
9. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय एवं आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2