Uttar Pradesh

StateCommission

A/1122/2019

Shriram Transport Finance Co. Ltd - Complainant(s)

Versus

Asha Ram - Opp.Party(s)

Yatish Gupta

13 Sep 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1122/2019
( Date of Filing : 17 Sep 2019 )
(Arisen out of Order Dated 22/01/2018 in Case No. C/151/2017 of District Etawah)
 
1. Shriram Transport Finance Co. Ltd
101-106 1st Floor Shiv Chambers Sector 11 C,B,D, Belapur Navi Mumbai
...........Appellant(s)
Versus
1. Asha Ram
S/O Sri RAjaram R/O Village Nagla Laskariyan Post DAdora Thana Ekdil Distt. Etawah
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 13 Sep 2022
Final Order / Judgement

 (मौखिक)

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष्‍ा आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1122/2019

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, इटावा द्वारा परिवाद संख्‍या-151/2017 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 22.01.2018 के विरूद्ध)

 

मैसर्स श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेन्‍स कं0लि0, 101-106, 1st फ्लोर, शिव चैम्‍बर्स-सेक्‍टर 11, सी.बी.डी. बेलापुर, नवि मुम्‍बई तथा एक अन्‍य।

अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

बनाम

आशा राम पुत्र राजाराम, निवासी ग्राम नगला, लश्‍करियान पोस्‍ट ददोरा, थाना इकदिल, जिला इटावा।

                                     प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-                                                   

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित     : श्री विष्‍णु कुमार मिश्रा, विद्वान

                                                       अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित    : श्री प्रसून कुमार राय, विद्वान

                                                      अधिवक्‍ता।

दिनांक : 13.09.2022 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-151/2017, आशा राम बनाम श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेन्‍स कं0लि0 तथा एक अन्‍य में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, इटावा द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 22.01.2018 के विरूद्ध यह अपील दिनांक 17.09.2019 को विलम्‍ब से प्रस्‍तुत की गई है। अत: अपील प्रस्‍तुत करने में हुआ विलम्‍ब क्षमा किया जाता है। उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को गुणदोष पर सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

 

-2-

2.         परिवादी का कथन है कि ऋण चुकता करने के बावजूद विपक्षीगण द्वारा एनओसी जारी नहीं की गई।

3.         विपक्षीगण पर तामील पर्याप्‍त होने के बावजूद विपक्षीगण की ओर से कोई उत्‍तर प्रस्‍तुत नहीं किया गया।

4.         परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत की गई साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि चूंकि परिवादी द्वारा ऋण राशि अदा कर दी गई है, इसलिए उसके पक्ष में एनओसी जारी किया जाए।

5.         इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अवैध निर्णय पारित किया गया है, जो साक्ष्‍य पर आधारित नहीं है। चूंकि परिवादी ने ईएमआई के भुगतान में बाधा कारित की है, इसलिए अतिरिक्‍त ब्‍याज अधिरोपित किया गया है। परिवादी को अंकन 01 लाख रूपये ऋण दिया गया था तथा अंकन 29,542/- रूपये वित्‍तीय शुल्‍क था, जिसकी अदायगी 42 किश्‍तों में होनी थी। परिवादी द्वारा केवल 93,472/- रूपये अदा किए गए हैं। अंकन 97,339/- रूपये मूलधन तथा ब्‍याज के बकाया हैं। परिवादी ने कभी भी भुगतान की सूची के अनुसार किश्‍ते अदा नहीं की हैं, इसलिए परिवाद खारिज होने योग्‍य था।

6.         परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में कथन किया है कि परिवादी ने अंकन 01 लाख रूपये का ऋण प्राप्‍त किया था, जिसकी किश्‍त अंकन 5,842/- रूपये प्रतिमाह थी तथा 22 किश्‍तों में इस राशि को अदा करना था। अंतिम किश्‍त का भुगतान दिनांक 20.11.2012 को किया गया, परन्‍तु एनओसी जारी नहीं की गई। इन तथ्‍यों को शपथ पत्र द्वारा भी साबित किया गया है, जिसका कोई खण्‍डन विपक्षीगण द्वारा नहीं किया गया, इसलिए परिवाद पत्र में जो तथ्‍य वर्णित हैं, उनका खण्‍डन न होने के कारण इन तथ्‍यों को असत्‍य नहीं माना जा सकता। परिवादी द्वारा अंकन 01 लाख रूपये ऋण प्राप्‍त करने का कथन किया गया है तथा अपील के ज्ञापन में भी अंकन 01

-3-

लाख रूपये का ऋण देने का ही उल्‍लेख है, परन्‍तु अंकन 29,542/- रूपये किस मद में ऋण के रूप में शामिल किए गए, इसका कोई स्‍पष्‍टीकरण नहीं दिया गया, इसलिए परिवादी को जो ऋण दिया गया, उ‍सी ऋण की वसूली देय है। अगर ऋण के साथ कोई अतिरिक्‍त राशि शामिल की जाती है तब इस राशि को शामिल करने का आधार दर्शित करना चाहिए था तथा परिवाद के तथ्‍यों का खण्‍डन विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष करना चाहिए था, इसलिए विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में किसी प्रकार की अवैधानिकता नहीं है। प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

7.         प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

           उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

                     

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                         (सुशील कुमार)

          अध्‍यक्ष                                    सदस्‍य

 

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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