Uttar Pradesh

StateCommission

R/2010/167

Sahara India Ltd - Complainant(s)

Versus

Asha Gupta - Opp.Party(s)

A K Srivastava

01 Jul 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Revision Petition No. R/2010/167
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Sahara India Ltd
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Asha Gupta
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Chandra Bhal Srivastava PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Petitioner:
For the Respondent:
ORDER

सुरक्षित ।

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ

 

 

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्‍या 297/06में पारित प्रश्‍नगत  आदेश दिनांक 28.6.2010 के विरूद्ध)

 

 

 

पुनरीक्षण संख्‍या 167 सन 2010

SAhara India Having its Sector Office at cinema Road District Gorakhpur Through Sector Manager .        Revisionist.

 

बनाम

 

1          Smt. Asha Gputa W/o Late Sri Tez Narayan Gupta R/o A32/7,

            Suraj kund Colony, Post Office- Tiwaripur, District Gorakhpur.

 

2          Rajesh Sharma (Co-Ordinator) Saara India, Kushwaha Gali,

            Behing Dav School, Deewan Bazar, Gorakhpur .

     opp. Party .

समक्ष:-

1    मा0   श्री चन्‍द्र भाल श्रीवास्‍तव,  पीठासीन  सदस्‍य।

2    मा0  , संजय कुमार, सदस्‍य।

 

पुनरीक्षणकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता – श्री ए0के0 श्रीवास्‍तव ।

प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता- श्री वीर राघव चौवे ।      

 

 

दिनांक:   14-07-15

    

श्री चन्‍द्रभाल श्रीवास्‍तव, सदस्‍य (न्‍यायिक) द्वारा उदघोषित ।

निर्णय

      प्रस्‍तुत पुनरीक्षण, जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्‍या 297/06 में पारित प्रश्‍नगत आदेश दिनांक 28.6.2010 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है जिसके द्वारा जिला फोरम ने विपक्षी का इस आशय का आवेदन अस्‍वीकार कर दिया है कि परिवाद आर्बीट्रेशन एवार्ड पारित होने के कारण चलने योग्‍य नहीं है।

संक्षेप में, प्रकरण के आवश्‍यक तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादिनी द्वारा विपक्षी सहारा इण्डिया के विरूद्ध एक परिवाद इस आशय का प्रस्‍तुत किया गया कि परिवादिनी ने सहारा स्‍वर्ण योजना के अन्‍तर्गत विपक्षी के यहां खाता खोला था तथा खाता खोलते समय एक लाख रू0 जमा किया था।  विपक्षी द्वारा पासबुक नहीं दी गयी और उसके द्वारा 75000.00 रू0 लोन द्वारा निकाला जाना दर्शित किया गया । शिकायत के बावजूद विपक्षी सहारा इण्डिया द्वारा कार्यवाही न करने पर परिवादिनी ने इस आशय का परिवाद प्रस्‍तुत किया कि उसके खाते में गलत रूप से लोन के रूप में निकाला गया 75000.00 रू0 जमा कराया जाए तथा 20,000.00 रू0 क्षतिपूर्ति दिलायी जाए । विचारण के दौरान जिला फोरम के समक्ष विपक्षी द्वारा यह आवेदन दिया गया कि चूंकि प्रस्‍तुत प्रकरण में मध्‍यस्‍थ द्वारा एवार्ड पारित कर दिया गया है, अत: परिवाद की कार्यवाही समाप्‍त कर दी जाए। जिला फोरम ने यह दलील न मानते हुए आवेदन निरस्‍त कर दिया, जिससे विक्षुब्‍ध होकर यह पुनरीक्षण प्रस्‍तुत किया गया है।

हमने उभय पक्षों के विद्वान अधिवक्‍तागण की बहस सुन ली है एवं अभिलेख का अनुशीलन कर लिया है।

अभिलेख के अनुशीलन से स्‍पष्‍ट है कि मध्‍यस्‍थ की नियुक्ति के संबंध में अनेक भ्रामक तथ्‍य जिला फोरम के समक्ष रखे गए । विपक्षी द्वारा 07.4.2007 को एक आवेदन दिया गया कि मध्‍यस्‍थ की नियुक्ति कर दी जाय किन्‍तु उक्‍त आवेदन पर दिनांक 17.8.2007 को बल नहीं दिया गया। तदन्‍तर एक और प्रार्थना पत्र दि0 17.8.07 दिया गया कि चूंकि इस प्रकरण में मध्‍यस्‍थ श्री यू0एस0 खरे एडवोकेट ने एवार्ड पारित कर दिया है, अत: परिवाद की कार्यवाही समाप्‍त कर दी जाए। जिला फोरम ने अपने आदेश में मध्‍यस्‍थ द्वारा एवार्ड पारित होने के संबंध में प्रांगन्‍याय के सिद्धांत का विस्‍तृत विवेचन किया है, किन्‍तु इस स्थिति में पहले यह सुनिश्चित किया जाना आवश्‍यक है कि क्‍या  मध्‍यस्‍थ की नियुक्ति पक्षकारों के बीच हुयी सम्विदा के अनुरूप थी । पक्षकारों के बीच हुए अनुबंध की फोटो प्रति जो प्रस्‍तुत की गयी है उसकी शर्त-19 में मध्‍यस्‍थ की व्‍यवस्‍था की गयी है और यह कहा गया है कि पक्षकारों के बीच यदि विवाद होता है तो कम्‍पनी एवं संबंधित आवेदक द्वारा संयुक्‍त रूप में मध्‍यस्‍थ की नियुक्ति की जाएगी। प्रस्‍तुत प्रकरण में पुनरीक्षणकर्ता द्वारा यह दलील ली गयी है कि उभय पक्षों  के बीच निष्‍पादित संविदा के अनुरूप मध्‍यस्‍थ की नियुक्ति की गयी थी और मध्‍यस्‍थ को वाद संदर्भित किया गया था जबकि अभिलेख पर परिवादिनी श्रीमती आशा गुप्‍ता की आपत्ति दिनांक 12.12.2006 की प्रति दाखिल की गयी है जिसमें परिवादिनी ने यह कहा है कि उसने उपभोक्‍ता न्‍यायालय में वाद प्रस्‍तुत कर दिया है और इस प्रकरण का निपटारा न्‍यायालय द्वारा ही किया जाएगा । इस संबंध में जिला फोरम से अपेक्षित था कि वह मध्‍यस्‍थ की नियुक्ति संबंधी सभी अभिलेख तलब करके स्‍वयं परीक्षण करता और सबसे पहले यह सुनश्चित करता कि उभय पक्षों द्वारा संयुक्‍त रूप से संविदा की शर्तो के अधीन मध्‍यस्‍थ की नियुक्ति की गयी है या नहीं। इस बिन्‍दु के निस्‍तारण के बाद ही इस बिन्‍दु की विवेचना की जानी चाहिए थी कि मध्‍यस्‍थ द्वारा दिया गया एवार्ड पक्षकारों पर कितना और किस रूप में बाध्‍यकारी है और इसी संदर्भ में उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986की धारा-3 को भी व्‍याख्‍यायित किया जाना चाहिए था ।

उपर्युक्‍त विवेचन के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचते हैं कि इस प्रकरण में मध्‍यस्‍थ की नियुक्ति संबंधी मूल अभिलेख तलब करके उसके परीक्षण किए जाने के उपरांत ही विपक्षी द्वारा दिए गए आवेदन का पुनर्निस्‍तारण किया जाना न्‍यायोचित होगा।

अत:, यह पुनरीक्षण तदनुसार स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।     

                                                    आदेश

 

             प्रस्‍तुत पुनरीक्षण स्‍वीकार करते हुए जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, गोरखपुर पारित प्रश्‍नगत  आदेश दिनांक 28.6.2010 खण्डित किया जाता है एवं यह प्रकरण जिला फोरम को प्रति-प्रेषित करते हुए निर्देशित किया जाता है कि वह विधि एवं इस निर्णय में दिए गए निर्देशों के अनुरूप प्रश्‍नगत आवेदन दिनांक 17.8.2007 का पुनर्निस्‍तारण करें।

उभय पक्ष इस पुनरीक्षण का अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

      इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार नि:शुल्‍क उपलब्‍ध करा दी जाए।

 

 

(चन्‍द्र भाल श्रीवास्‍तव)                           (संजय कुमार)

पीठा0 सदस्‍य (न्‍यायिक)                                                      सदस्‍य

      कोर्ट-2

(S.K.Srivastav,PA)

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Chandra Bhal Srivastava]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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