Uttar Pradesh

Barabanki

14/14

Shiv Kumari - Complainant(s)

Versus

Aryawart Gramin Bank - Opp.Party(s)

28 Jun 2023

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बाराबंकी।

परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि       18.02.2014

अंतिम सुनवाई की तिथि            06.06.2023

निर्णय उद्घोषित किये जाने के तिथि  28.06.2023

परिवाद संख्याः 14/2014

श्रीमती शिवकुमारी पत्नी विशेषर दयाल निवासी ग्राम झाबरा मजरे मीरपुर पोस्ट सुढ़ियामऊ जनपद-बाराबंकी।

द्वारा-श्री प्रदीप कुमार वर्मा, अधिवक्ता

बनाम

1. आर्यावर्त ग्रामीण बैंक शाखा सुढ़ियामऊ जिला बाराबंकी द्वारा प्रबंधक।

2. यूनाइटेड इंन्डिया इन्श्योरेन्स कं0 लि0 शाखा बाराबंकी द्वारा प्रबंधक।

द्वारा-श्री सुबेश कुमार मिश्रा, प्रबंधक विधि

समक्षः-

माननीय श्री संजय खरे, अध्यक्ष

माननीय श्रीमती मीना सिंह, सदस्य

माननीय डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य

उपस्थितः परिवादी की ओर से - श्री, प्रदीप कुमार वर्मा अधिवक्ता

              विपक्षी सं0-01 की ओर से- श्री सुबेश कुमार मिश्रा, प्रबंधक विधि

द्वारा-संजय खरे, अध्यक्ष

निर्णय

            वर्तमान प्रकरण में जिला आयोग द्वारा दिनांक 27.05.2017 को निर्णय पारित किया गया था। जिला आयोग के निर्णय/आदेश से क्षुब्ध यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेन्स कम्पनी लि0 ने माननीय राज्य आयोग में अपील संख्या-1858/2017 योजित किया। माननीय राज्य आयोग द्वारा दिनांक 14.05.2019 के आदेश से उभय पक्ष को साक्ष्य एवं सुनवाई का अवसर प्रदान करते हुये विधि के अनुसार विपक्षी संख्या-01 आर्यावर्त ग्रामीण बैंक के दायित्व के सम्बन्ध में आदेश पारित करने का निर्देश दिया गया है। 

परिवादिनी ने विपक्षी के विरूद्व धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 के तहत परिवादिनी को विपक्षीजन से रू0 50,000/-बीमा धनराशि मय 18 प्रतिशत ब्याज सहित दिलाये जाने तथा शारीरिक, मानसिक, आर्थिक क्षतिपूर्ति मु0 40,000 एवं वाद व्यय व अधिवक्ता फीस हेतु रू0 7,500/- अनुतोष की माँग किया है।

            संक्षेप में परिवाद कथानक इस प्रकार है कि परिवादिनी के पति स्व0 विशेषर प्रसाद निवासी ग्राम झाबरा मजरे मीरपुर पो0 सुढ़ियामऊ जिला बाराबंकी के नाम विपक्षी संख्या-01 की बैंक शाखा द्वारा दिनांक 27.10.2008 को कृषि कार्य हेतु फसली ऋण के0 सी0 सी0 संख्या-1639 मु0 1,18,000/-स्वीकृत किया गया था तथा के0 सी0 सी0 योजना के अंतर्गत ऋण का बीमा विपक्षी संख्या-01 द्वारा विपक्षी संख्या-02 से कराया गया। परिवादिनी के पति की दिनांक 10.01.2013 को रोड दुर्घटना के परिणामस्वरूप इलाज के दौरान मेडिकल कालेज लखनऊ में मृत्यु हो गई। दुर्घटना के सम्बन्ध में परिवादिनी के पुत्र ने थाना रामनगर में रिपोर्ट मु0 अ0 सं0-208/2013 अंतर्गत धारा-279/337/338/304 ए0 भा0 दं0 वि दर्ज करायी थी। शव का पोस्टमार्टम कराया गया। परिवादिनी ने दिनांक 23.02.2013 को विपक्षी संख्या-01 को प्रार्थना पत्र मय कागजात किसान क्रेडिट कार्ड, मृत्यु प्रमाण पत्र, पोस्टमार्टम, पंचनामा, एफ0 आई0 आर0 की प्रति के साथ दुर्घटना बीमा लाभ का भुगतान करने हेतु दिया। विपक्षी संख्या-01 ने समस्त कागजात प्राप्त करते हुये बीमा कम्पनी को सूचना देकर क्लेम फार्म जल्द मगंवाने का आश्वासन दिया गया। विपक्षी संख्या-01 द्वारा दिनांक 30.03.2013 को विपक्षी संख्या-02 को परिवादिनी के पति के मृत्यु के सम्बन्ध में सूचित करते हुये दिनांक 20.07.2013 को प्रथम सूचना रिपोर्ट, पोस्ट मार्टम, मृत्यु प्रमाण पत्र, किसान क्रेडिट कार्ड प्रेषित करते हुये शीद्य्र कार्यवाही का अनुरोध किया। विपक्षी संख्या-01 द्वारा दिनांक 09.01.2014 को परिवादिनी को अवगत कराया गया कि यूनाइटेड इंडिया इं0 के पत्र दिनांक 18.12.2013 से दावा को नो क्लेम कर दिया गया है। विपक्षीगण के उक्त कृत्य से परिवादिनी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अतः परिवादिनी ने उपरोक्त अनुतोष हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया है। परिवादिनी ने परिवाद के कथन के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया है।

            परिवादिनी ने सूची से किसान क्रेडिट पासबुक, प्रथम सूचना रिपोर्ट, ऋण मुक्ति हेतु प्रार्थना पत्र, पत्र दिनांक 30.03.2013, 09.01.2014, मृत्यु प्रमाण पत्र, पोस्ट मार्टम रिपोर्ट की छाया प्रति दाखिल किया है।

            विपक्षी संख्या-01 ने जवाबदावे में कहा है कि उत्तरदाता ने परिवादिनी के पति विशेषर प्रसाद का के0 सी0 सी0 खाता संख्या-101969 दिनांक 27.02.2008 को स्वीकृत किया गया जिस पर व्यक्ति दुर्घटना बीमा कराया गया था जो दिनांक 27.10.2008 से 27.10.2011 के लिये वैध था। परिवादिनी के पति की मृत्यु दिनांक 13.01.2013 को हुई। बैंक को दिनांक 23.02.2013 को मृत्यु की सूचना दिया जाना गलत है। दिनांक 06.03.2013 को अगले तीन वर्ष के लिये बीमा करा दिया गया। अतिरिक्त कथन में विपक्षी संख्या-01 ने यह कहा है कि परिवादिनी के पति को के0 सी0 सी0 के तहत रू0 1,18,000/-का ऋण दिनांक 27.10.2008 को दिया गया तथा दिनांक 27.10.2008 से खाताधारक का व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा भी तीन वर्ष हेतु रू0 50,000/-की धनराशि के लिये कराया गया था। व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा दिनांक 27.10.2011 को समाप्त हो चुका है। व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना में मृत्यु होने पर तीस दिन के अंदर बैंक को सूचित करना चाहिये। विशेषर प्रसाद की मृत्यु दिनांक 13.01.2013 को हुई परन्तु सूचना शाखा को प्रेषित नहीं की गई। विशेषर प्रसाद का व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा दिनांक 06.03.2013 को शाखा को गलत जानकारी देते हुये करवाया गया। कपटपूर्ण तरीके से धनराशि लेने हेतु यह बीमा कराया गया था, जिसमे विपक्षी बैंक की कोई त्रुटि नहीं है। अतः परिवाद को निरस्त किये जाने की याचना की गई है। 

            उभय पक्षों का साक्ष्य लेने, बहस सुनने के बाद वर्तमान प्रकरण में दिनांक 27.05.2017 के निर्णय से जिला आयोग द्वारा परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से विपक्षी संख्या-02 बीमा कम्पनी के विरूद्व स्वीकार किया गया जिसके विरूद्व यूनाइटेड इंडिया एश्योरेन्स कम्पनी द्वारा माननीय राज्य आयोग में अपील प्रस्तुत की गई। माननीय राज्य आयोग द्वारा अपील संख्या-1858/2017 यूनाइटेड इंडिया एश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड बनाम श्रीमती शिव कुमारी आदि में पारित निर्णय दिनांक 14.05.2019 से अपील स्वीकार करते हुये आदेशित किया कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्त कर पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि जिला फोरम प्रत्यर्थी संख्या-02 आर्यावर्त ग्रामीण बैंक को नोटिस जारी कर परिवादिनी और आर्यावर्त बैंक को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देते हुये आर्यावर्त ग्रामीण बैंक के दायित्व के सम्बन्ध में पुनः विधि के अनुसार निर्णय और आदेश पारित करें।

            माननीय राज्य आयोग के उपरोक्त निर्णय के आधार पर वर्तमान पत्रावली में दिनांक 01.06.2019 से कार्यवाही अग्रसारित करते हुये माननीय राज्य आयोग द्वारा नियत तिथि 17.07.2019 के लिये पक्षों को सुनवाई के लिये नियत की गई। परिवादिनी तथा विपक्षी संख्या-01 आर्यावर्त ग्रामीण बैंक बाराबंकी उपस्थित आये। विपक्षी संख्या-01 आर्यावर्त ग्रामीण बैंक ने अतिरिक्त लिखित कथन मय शपथपत्र के प्रस्तुत किया तथा परिवादिनी की ओर से जवाबुल जवाब मय शपथपत्र प्रस्तुत किया गया। विपक्षी संख्या-01 ने अतिरिक्त कथन के साथ अभिलेखों की प्रतियाँ दाखिल की। परिवादिनी ने सूची से अभिलेख दाखिल किये।

उभय पक्षों की बहस सुनी गई तथा पत्रावली पर प्रस्तुत किये गये मौखिक तथा अभिलेखीय साक्ष्य का गहन परिशीलन किया।

            वर्तमान पत्रावली दिनांक 27.05.2017 को निर्णीत होने के पूर्व भी विपक्षी ने अपना जवाबदावा उभय पक्षों ने मौखिक व अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किया था, जो शामिल पत्रावली है।

            वर्तमान परिवाद में माननीय राज्य आयोग द्वारा अपील संख्या-1858/2017 में पारित निर्णय दिनांक 14.05.2019 में अवधारित किया है कि.....‘‘कि जिला फोरम के समक्ष प्रत्यर्थी संख्या-02 आर्यावर्त ग्रामीण बैंक जो परिवाद के विपक्षी संख्या-01 हैं, की ओर से प्रस्तुत लिखित कथन से ही स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पति की मृत्यु के समय अपीलार्थी बीमा कम्पनी की उसके पति के के0 सी0 सी0 खाता की बीमा पालिसी प्रभावी नहीं थी। प्रत्यर्थी संख्या-02 अर्थात आर्यावर्त ग्रामीण बैंक ने प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पति का बीमा दिनांक 27.10.2008 से दिनांक 27.10.2011 तक की अवधि के लिए ही अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी से कराया था और उसके बाद प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पति की दुर्घटना मृत्यु के बाद पुनः बैंक ने प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पति का बीमा दिनांक 06.03.2013 से अगले तीन वर्ष के लिए कराया है। अतः यह स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पति की दुर्घटना और मृत्यु के समय अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा जारी उसके पति की बीमा पालिसी समाप्त हो चुकी थी और प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पति की दुर्घटना और मृत्यु के समय पालिसी प्रभावी नहीं थी। अतः जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी को प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पति की बीमित धनराशि अदा करने हेतु जो आदेशित किया है वह तथ्य और विधि के विरूद्व है।

            परिवाद पत्र में जिला फोरम के समक्ष प्रत्यर्थी संख्या-02 आर्यावर्त ग्रामीण बैंक जो परिवाद के विपक्षी संख्या-01 है, की ओर से प्रस्तुत लिखित कथन से स्पष्ट है कि बैंक द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पति का बीमा कराया गया है। प्रत्यर्थी संख्या-02 के लिखित कथन से स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पति की मृत्यु के बाद दिनांक 06.03.2013 को प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पति का बीमा तीन वर्ष के लिए प्रत्यर्थी बैंक द्वारा ही कराया गया है। ऐसी स्थिति में यह स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पति का बीमा कराने का दायित्व प्रत्यर्थी संख्या-02 आर्यावर्त ग्रामीण बैंक जो परिवाद के विपक्षी संख्या-01 हैं पर था परन्तु उसने अपने दायित्व का निर्वहन ठीक ढंग से नहीं किया है और सेवा में कमी की है। परन्तु जिला फोरम ने प्रत्यर्थी संख्या-02 आर्यावर्त ग्रामीण बैंक के विरूद्व परिवाद खारिज कर दिया है और परिवाद मात्र अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-02 यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेन्स कम्पनी लि0 के विरूद्व स्वीकार किया है।

            उपरोक्त सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेन्स कम्पनी लि0 के विरूद्व जो आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है वह दोषपूर्ण हे और निरस्त किये जाने योग्य है परन्तु प्रत्यर्थी संख्या-02 आर्यावर्त ग्रामीण बैंक जो परिवाद के विपक्षी संख्या-01 हैं के विरूद्व पुनः विधि के अनुसार आदेश पारित करने हेतु पत्रावली जिला फोरम को प्रत्यावर्तित  किया जाना आवश्यक है।‘‘

              माननीय राज्य आयोग द्वारा अपील में किये गये उपरोक्त निर्णय के परिप्रेक्ष्य में वर्तमान परिवाद निस्तारित किया जाना है।

            वर्तमान प्रकरण में यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादिनी के पति स्व0 विशेषर दयाल को विपक्षी संख्या-01 आर्यावर्त ग्रामीण बैंक द्वारा दिनांकित 27.10.2008 को कृषि कार्य हेतु फसली ऋण के0 सी0 सी0 संख्या-1639 पर रू0 1,18,000/-स्वीकृत किया गया। उक्त योजना के ऋण का बीमा विपक्षी संख्या-01 द्वारा विपक्षी संख्या-02 के माध्यम से कराया गया था। यह बीमा तीन वर्ष के लिये कराया गया था। इस बीमा की अवधि दिनांक 27.10.2011 तक थी। यह स्वीकृत तथ्य है कि दिनांक 27.10.2011 को बीमा की अवधि समाप्त होने के पूर्व बीमा के विस्तारण/नवीनीकरण की कार्यवाही नहीं की गई। परिवादिनी के पति की दिनांक 10.01.2013 को रोड दुर्घटना में घायल होने पर मेडिकल कालेज लखनऊ में इलाज के दौरान दिनांक 13.01.2013 को मृत्यु हो गई। प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी गई। मृतक का पोस्टमार्टम किया गया। दिनांक 23.02.2013 को विपक्षी संख्या-01 को प्रार्थना पत्र मय कागजात दुर्घटना हितलाभ तथा ऋण से मुक्त किये जाने हेतु दिया गया।

            दुर्घटना की तिथि पर विशेषर दयाल का बीमा न होने के कारण यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेन्स कम्पनी द्वारा बीमा क्लेम को अस्वीकार कर दिया गया।

            माननीय राज्य आयोग के द्वारा अपील में पारित उपरोक्त निर्णय से स्पष्ट है कि मृत्यु की दिनांक पर बीमा प्रभावी न होने के कारण विपक्षी संख्या-02 बीमा कम्पनी का बीमा धनराशि अदा करने का कोई उत्तरदायित्व नहीं है और विपक्षी संख्या-02 आर्यावर्त ग्रामीण बैंक का बीमा कराने का दायित्व था परन्तु बैंक ने अपने दायित्व का निर्वहन ठीक ढ़ग से नहीं किया और सेवा में कमी की।

              नियमानुसार प्रीमियम की धनराशि बैंक द्वारा (विपक्षी बैंक का अंश तथा बीमित का अंश बीमित के खाते से) काटकर प्रीमियम बैंक द्वारा बीमा कम्पनी को भेजा जाना था और बीमा अवधि पूर्ण होने के पूर्व ही उसके नवीनीकरण की कार्यवाही भी बैंक को ही करानी थी।

             वर्तमान प्रकरण में दिनांक 27.10.2011 को के0 सी0 सी0 धारक विशेषर दयाल का बीमा समाप्त होने के दिवस या उसके पूर्व बीमा नवीनीकरण की कार्यवाही बैंक द्वारा प्रारम्भ नहीं की गई। जबकि यह कार्यवाही बैंक द्वारा की जानी चाहिये थी। बीमित की मार्ग दुर्घटना में मृत्यु के पूर्व बैंक द्वारा बीमा नवीनीकरण की कोई कार्यवाही नहीं की गई। विशेषर दयाल का बीमा समाप्त होने की तिथि व उसके पूर्व उनके खाते में पर्याप्त धनराशि बीमा प्रीमियम की अदायगी हेतु विपक्षी बैंक के पास उपलब्ध थी। बैंक द्वारा बीमा कम्पनी को प्रीमियम न अदा करने में पूर्ण रूप से विपक्षी बैंक की लापरवाही है। परिवादिनी के पति की बीमा प्रीमियम अदा करने में कोई त्रुटि नहीं है। जिससे स्पष्ट है कि मृतक विशेषर दयाल के बीमा नवीनीकरण की कार्यवाही विपक्षी बैंक द्वारा न करके निश्चित रूप से घोर लापरवाही एवं सेवा में कमी की गई है। परिवादिनी पक्ष की कोई त्रुटि न होने के कारण परिवादिनी बीमा की धनराशि मय ब्याज प्राप्त करने की अधिकारिणी है और यह धनराशि विपक्षी संख्या-01 आर्यावर्त ग्रामीण बैंक द्वारा अदायगी के आदेश करना न्यायोचित होगा।

            वर्तमान परिवाद तदनुसार निर्णीत किए जाने योग्य है।

आदेश

            परिवाद संख्या-14/2014 आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या-01 आर्यावर्त ग्रामीण बैंक को आदेशित किया जाता है कि रू0 50,000/-परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक 18.02.2014 से वास्तविक अदायगी की तिथि तक 6ः साधारण वार्षिक ब्याज सहित 45 दिन में अदा करें। उपरोक्त अवधि में अदायगी न करने पर 9% की दर से ब्याज देय होगा। विपक्षी संख्या-01 परिवादिनी को मानसिक, शारीरिक, आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 5,000/-तथा वाद व्यय के रूप में रू0 3,000/-भी 45 दिन में अदा करें।

(डा0 एस0 के0 त्रिपाठी)       (मीना सिंह)         (संजय खरे)

       सदस्य                        सदस्य                अध्यक्ष

यह निर्णय आज दिनांक को  आयोग  के  अध्यक्ष  एंव  सदस्य द्वारा  खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।

(डा0 एस0 के0 त्रिपाठी)       (मीना सिंह)         (संजय खरे)

                                                                             सदस्य                        सदस्य                अध्यक्ष

दिनांक 28.06.2023

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