ROSHNI filed a consumer case on 25 May 2023 against ARYAWART GRAMIN BANK in the Kannauj Consumer Court. The case no is CC/86/12 and the judgment uploaded on 30 May 2023.
Uttar Pradesh
Kannauj
CC/86/12
ROSHNI - Complainant(s)
Versus
ARYAWART GRAMIN BANK - Opp.Party(s)
25 May 2023
ORDER
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग,कन्नौज ।
उपस्थित............... श्री राम करन एच0जे0एस0 अध्यक्ष
2-क्षेत्रीय प्रबंधक,ग्रामीण बैंक आॅफ आर्यावर्त,कार्यालय, कन्नौज ।
3-ओरियण्टल इश्योरेंश कम्पनी लिमिटेड, विकास दीप भवन 9वाॅ तल 22
स्टेशन रोड, लखनऊ। ..........विपक्षीगण
श्री राम करन एच0जे0एस0अध्यक्ष द्वारा पारित ।
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद परिवादिनी की तरफ से विपक्षीगण के विरूद्ध परिवादिनी के पति के क्रेडिट कार्ड का बीमा रूपया दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है।
2-संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पति नेत्रपाल आर्यावर्त ग्रामीण बैंक तेराजाकेट थाना गुरसहायगंज जनपद कन्नौज से कार्ड धारक ग्राहक थे जिन्होंने आर्यावर्त ग्रामीण बैंक शाखा तेराजाकेट से कार्ड संख्या-1336 से 60,000/- क्रेडिट कार्ड का लिया था जिस पर बीमा का भी क्लेम होता है। यदि कार्ड धारक की मृत्यु निर्धारित समय में हो जाये। दिनांक 18.01.2010 को परिवादिनी के पति नेत्रपाल पुत्र रामाधार सिंह निवासी ग्राम मिश्रापुर पोस्ट सरायप्रयाग थाना गुरसहायगंज जनपद कन्नौज की हत्या करके मृत्यु कर दी गयी थी उक्त घटना की रिपोर्ट परिवादिनी के चचिया ससुर विलखराम पुत्र गोवर्धनलाल निवासी मिश्रापुर थाना गुरसहायगंज जनपद कन्नौज ने मुकदमा अपराध संख्या-44/2010 धारा 304/भारतीय दण्ड सहिता में थाना गुरसहायगंज जनपद कन्नौज में सुशील कुमार पुत्र आहेलाल,रावेन्द्र सिंह पुत्र रूपलाल निवासीगण ग्राम गुलरिया थाना तालग्राम जनपद कन्नौज के खिलाफ लिखायी थी । परिवादिनी के पति का पोस्टमार्टम दिनांक 19.01.2010 को हुआ था । परिवादिनी के पति के मृत्यु के बाद उनके क्रियाकर्म में व्यस्त हो गयी और दिनांक 29.01.2010 को परिवादिनी ने आर्यावर्त ग्रामीण बैंक शाखा तेराजाकेट जनपद कन्नौज को अपने पति के मृत्यु की सूचना दी और मृत्यु की सूचना का जो प्रार्थना पत्र बैंक को भेजा गया था उसके साथ प्रथम सूचना रिपोर्ट व पोस्टमार्टम रिपोर्ट एवं अखबार की कटिंग व क्रेडिट कार्ड की छायाप्रति संलग्न की थी । बाबजूद इसके परिवादिनी को कोई भी बीमा क्लेम का पैसा नहीं दिया गया । कई बार बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय व उच्च कार्यालयों को प्रार्थना पत्र दिया गया जिस पर कोई सुनवाई नहीं हुई । परिवादिनी महिला है और ग्रामीण परिवेश की रहने वाली है और कम पढी लिखी है और लगातार बैंक के चक्कर काट रही है इसके बाबजूद भी परिवादिनी की बीमा की धनराशि नहीं दी गयी और न ही सहानुभूति पूर्वक बात की गयी । परिवादिनी ने किसी तरह बच्चों के साथ जीवन यापन कर रही है। विपक्षीगण जानबूझकर परिवादिनी को परेशान कर रहे हैं और प्रार्थना किया है कि परिवादिनी को उसके पति के क्रेडिट कार्ड का बीमा राशि दिलाया जावे ।
3-इसके विरूद्ध विपक्षीगण का जबाबदावा दाखिल कराने का अवसर समाप्त होने के कारण उनकी तरफ से जबाबदावा दाखिल नहीं किया गया ।
4-परिवादिनी की तरफ से अपने कथनों के समर्थन में अभिलेखीय साक्ष्य में भारतीय डाक विभाग की रसीदों की छायाप्रतियॅा,आर्यावर्त के लिफाफा,आर्यावर्त ग्रामीण बैंक के पत्र दिनांकित 29.06.2010,बीमा कम्पनी का लिफाफा,बीमा कम्पनी का पत्र दिनांकित 05.07.2010,परिवादिनी का प्रार्थना-पत्र दिनांकित 09.01.2010,प्रथम सूचना रिपोर्ट,अखबार की कटिंग क्रेडिट कार्ड,पोस्टमार्टम रिपोर्ट, आर्यावर्त ग्रामीण बैंक का पत्र दिनांकित 12.06.2010,बीमा कम्पनी का पत्र दिनांकित 13.05.2010 की छायाप्रतियॅा प्रस्तुत की गयी है। एंव मौखिक साक्ष्य में परिवादिनी का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है। इसके विरूद्ध विपक्षी संख्या-01 व 2 की तरफ से शाखा प्रबंधक रवि कुमार का शपथ पत्र एवं दो अदद पत्रों की छायाप्रतियॅा व बीमा विनियामक सर्कुलर दाखिल किया गया है। विपक्षी संख्या-03 की तरफ से शपथ पत्र एवं अतिरिक्त प्रति साक्ष्य शपथ पत्र दाखिल किया गया है।
5-परिवादिनी एवं विपक्षी संख्या-03 के विद्धान अधिवक्ता एवं विपक्षी संख्या-1 व 2 के विधि प्रबंधक की बहस सुनी गयी एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
6-परिवादिनी के कथनानुसार उसके पति नेत्रपाल आर्यावर्त ग्रामीण बैंक तेराजाकेट जनपद कन्नौज से कार्ड धारक ग्राहक थे जिन्होंने अपने कार्ड संख्या-1336 से 60,000/- क्रेडिट कार्ड का लिया था उसके पति नेत्रपाल की दिनांक 18.01.2010 को हत्या करने से मृत्यु हो गयी थी जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट मुकदमा अपराध संख्या-44/2010 धारा-304 भा0द0सं0 थाना गुरसहायगंज जिला कन्नौज में सुशील कुमार लिखायी गयी और उनके शव का पोस्टमार्टम दिनांक 19.01.2010 को किया गया । उनके क्रिया कर्म में व्यस्त होने केकारण दिनांक 29.01.10 को परिवादिनी ने आर्यावर्त ग्रामीण बैंक तेराजाकेट को अपने पति की मृत्यु की सूचना दी । उसके साथ एफआईआर व पोस्टमार्टम रिपोर्ट अखबार की कटिंग व क्रेडिट कार्ड संलग्न किया था परन्तु परिवादिनी को बीमा दावा की धनराशि अभी तक नहीं दी गयी । इसके विरूद्ध विपक्षी संख्या-01 व 02 आर्यावर्त ग्रामीण बैंक की तरफ से शपथ पत्र दिनांकित 04.05.2019 व लिखित बहस दिनांकित 09.09.2016 के द्वारा यह कहा गया है कि वादिनी ने दिनांक 30.01.2010 को पत्र के माध्यम से नेत्रपाल की मृत्यु की सूचना दी जिस पर शाखा प्रबंधक द्वारा क्षेत्रीय कार्यालय कन्नौज को अवगत कराते हुये बीमा कम्पनी से आवश्यक प्रपत्र मंगाने हेतु निवेदन किया गया । बीमा कम्पनी से प्राप्त प्रपत्रों को उपलब्ध कराने हेतु दिनांक 22.02.2010 को क्षेत्रीय कार्यालय का पत्र प्राप्त हुआ जिससे स्पष्ट है कि बीमा कम्पनी को नेत्रपाल के मृत्यु की जानकारी दिनांक 22.02.10 के पूर्व मृत्यु के तीस दिन के पूर्व प्राप्त हो चुकी थी । बीमा विनयामक और विकास प्राधिकरण के प्रपत्र दिनांकित 20.09.2011 में दिये गये निर्देश का अनुपालन न करते हुये दावा भुगतान योग्य नहीं है। परिवादिनी का दावा निरस्त कर दिया गया है। इसके विरूद्ध विपक्षी संख्या-3 बीमा कम्पनी की तरफ से यह कथन किया गया है कि परिवादी के पति की मृत्यु जहर खिला कर हत्या किये जाने अथवा स्वंय जहर खाकर आत्महत्या किया जाना साबित नहीं होता है, एवं क्लेम कथित हत्या के पांच माह बाद बीमा कम्पनी को भेजे गये हैं जो बीमा शर्तो का उल्लंघन है इसलिए परिवादिनी बीमा की कोई धनराशि पाने की अधिकारिणीं नहीं है।
7-इस सम्बन्ध में परिवादिनी की ओर से पत्रावली पर दाखिल प्रपत्रों के अवलोकन से पाया गया कि परिवादिनी के पति नेत्रपाल की मृत्यु के सम्बन्ध में दिनांक 19.01.10 को 6.10 बजे प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी गयी है जिसमें नेत्रपाल की मृत्यु दिनांक 18.01.10 को रात्रि 9-00 बजे होना अंकित करते हुये यह कहा गया है कि प्रार्थी विलखराम का भतीजा नेत्रपाल सुबह रूपया जमा करने गांव मिश्रापुर से तेराजाकेट ग्रामीण बैंक में गया था सरायप्रयाग में सुनील पुत्र आछेलाल व रावेन्द्र पुत्र रूप लाल निवासी गुलरिया थाना तालग्राम कन्नौज मिले और मोटर साइकिल से नेत्रपाल को लेकर चले गये शाम को करीब 8-00 बजे आये और मकान का ताला बन्द करके चाबी गांव के मुकेश के हाथ भेज दिया और दोनो ने मोटर साइकिल से शाम को 9.00 बजे लाकर गांव में रामकृष्ण के सामने गली में डाल गये यह बात गांव के प्रेम ने बतायी तब हम लोगो ने मौके पर जाकर देखा तो नेत्रपाल मृत अवस्था में पडा है मुझे विश्वास है कि नेत्रपाल की हत्या सुनील व रावेन्द्र सिंह ने पैसों के लालच में कुछ खिलाकर की है ।
8-पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार मृतक के शव का पोस्टमार्टम दिनांक 19.01.10 को 3.00 बजे शाम को कन्नौज में किया गया । पोस्टमार्टम के समय मृतक के शरीर पर तीन मृत्यु पूर्व चोटे पायी गयी जिसमें दो चोटे नीलगू निशान की पायी गयी जिसमें एक मस्तक पर बायी आंख की भौं से उपर व एक चोट बायी आख के बाहरी तरफ ठीक नीचे थी व तीसरी चोट बायीं नथुने पर खरोंच की चोट थीं चिकित्सक की राय में मृतक की मृत्यु का कारण सुनिश्चित नहीं किया जा सका इसलिए विसरा संरक्षित किया गया । जिससे स्पष्ट होता है कि मृतक नेत्रपाल की मृत्यु उसकी हत्या कारित करने के आशय से कोई जहरीला पदार्थ खिलाकर की गयी है । कागज संख्या-6/10 परिवादिनी का प्रार्थना पत्र दिनांकित 19.01.10 जो शाखा प्रबंधक आर्यावर्त ग्रामीण बैंक तेराजाकेट कन्नौज को सम्बोधित है के द्वारअपने पति की मृत्यु की सूचना एफआईआर पोस्टमार्टम रिपोर्ट अखबार की कटिंग के्रडिट कार्ड पास बुक की छायाप्रतियों के साथ विपक्षी बैंक को दिया गया है। जिस पर विपक्षी बैंक द्वारा दावा फार्म बीमा कम्पनी के कार्यालय से मंगाने हेतु कार्यवाही की गयी है और बीमा प्रपत्र प्राप्त होने पर बीमा दावा विपक्षी संख्या-3 बीमा कम्पनी को प्रेषित किया गया है जिसे परिवादिनी ने अपने शपथ पत्र द्वारा समर्थित किया है तथा विपक्षी संख्या-1 व 2 के शाखा प्रबंधक द्वारा अपने शपथ पत्र में भी उक्त कथन को समर्थित किया है और अपने लिखित बहस दिनांकित 09.09.2016 में स्पष्ट रूप से कहा है कि “परिवादिनी के पति की मृत्यु की सूचना परिवादिनी से दिनांक 06.02.10 को प्राप्त हुई और बैंक द्वारा बिना किसी विलम्ब के क्षेत्रीय प्रबंधक को दिनांक 08.02.10 को दावा प्रपत्र मंगाने हेतु पत्र प्रेषित किया गया और परिवादिनी द्वारा ओरियण्टल कम्पनी से प्रपत्र प्राप्त होने के पश्चात् वाछित औपचारिकतायें पूर्ण करने पर विपक्षी संख्या-1 को परिवादिनी से प्राप्त दावा प्रपत्र बिना किसी विलम्ब के बीमा कम्पनी को भिजवा दिये गये परन्तु बीमा कम्पनी द्वारा अपने पत्र दिनांकित 13.05.10 को सूचित किया गया कि बीमा राशि प्रस्तुत दावा सापेक्ष देय नहीं बनती है और बीमा दावा निरस्त कर दिया गया जिसकी सूचना दिनांक 12.06.10 को परिवादिनी को प्राप्त करा दी गयी”। जिससे विपक्षी संख्या-03 का यह कथन कथन कि परिवादिनी द्वारा प्रश्नगत क्लेम उसके पति की हत्या के पांच माह प्रेषित किया गया था, में कोई बल नहीं है । यह भी उल्लेखनीयहै कि इस सम्बन्ध में विपक्षी संख्या-3 बीमा कम्पनी की तरफ से जिलाधिकारी,कन्नौज को प्रेषित पत्र 209725 दिनांकित 28/7/14 में कहा गया है कि “दिनांक 26.03.10 के माध्यम से आपको सूचित किया है कि मृत्यु का कारण स्पष्ट नहीं है, के कारण हमारे सक्षम अधिकारी द्वारा सम्बन्धित दावा नो क्लेम किया गया है उक्त दावे में पीएमआर में प्रिजर्व फार केमिक रिएग्जामिनेशन दर्शाया गया है” उक्त सूचना पर अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व द्वारा दिनांक 28.7.14 के द्वारा परिवादिनी को सूचित किया गया है।
9- इस सम्बन्ध में बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण का सर्कुलर जिसे समस्त जीवन बीमा एवं गैर जीवन बीमाकर्ताओं को जारी किया गया है जिसमें यह निर्देशित किया गया है कि बीमाकर्ता पाॅलिसी के अभिलेखों में अतिरिक्त शब्दावली जोडें जिससे देर से प्रस्तुत दावों में गुण दोष पर देरी को माफ किया जा सके, जहां की गयी देरी बीमित के नियंत्रण से परे हो । एवं निर्णयज विधि गुरसिंदर सिंह बनाम श्री राम जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लिमिटेड निर्णीत दिनांक 24.01.2020 में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा यह व्यवस्था दी गयी है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट त्वरित दर्ज होने पर,वाहन चोरी/दुर्घटनाग्रस्त होने की सूचना विलम्ब से देने से दावा अस्वीकार नहीं किया जा सकता है।
10-इस परिप्रेक्ष्य में पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट है कि परिवादिनी के पति की हत्या की गयी है हत्या के सम्बन्ध में कोई सन्देह नहीं है न ही किया जा सकता है इसलिए हत्या का स्पष्ट कारण पोस्टमार्टम में न देने के आधार पर दावा निरस्त नहीं किया जा सकता है यह भी कि विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा दो आधारों पर प्रथम निर्धारित समय पर सूचना न दिया जाना, द्धितीय मृत्यु का कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट में निश्चित न होना परिवादिनी के मृत्यु दावा को अस्वीकृत किया गया है। जिसमें प्रथम कारण माननीय उच्चतम न्यायालय के द्वारा दी गयी उपरोक्त विधि व्यवस्था के अधीन ग्राह्य नहीं है। जहां तक दूसरा कारण का प्रश्न है प्रथम सूचना रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से अंकित है कि परिवादिनी के पति नेत्रपाल का सुनील व रावेन्द्र लेकर गये थे और वही लाकर रामकृष्ण के घर के सामने गली में मृत अवस्था में डाल गये थे जिससे भारतीय साक्ष्य में प्रावधानित परिस्थितिजन्य साक्ष्य के अधीन इन्हीं दोनों अभियुक्तों द्वारा कोई जहरीला पदार्थ खिला कर हत्या किया जाना प्रथम दृष्टया परिलक्षित होता है इसीलिए पोस्टमार्टम के समय हत्या का कारण स्पष्ट न हो पाने के कारण बिसरा सुरक्षित किया गया है । बीमा कम्पनी को उक्त बिसरा रिपोर्ट मंगा कर अथवा इस सम्बन्ध में विशेषज्ञ राय लेकर ही दावे का निस्तारण करना चाहिये था और इस प्रकार कार्य करने पर निश्चित रूप से हत्या का कारण किसी अन्य व्यक्तियों द्वारा या अभियुक्तों द्वारा हत्या कारित किया जाना था । इसलिए विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण के निर्देशों का पालन न करते हुये मनमाने तौर पर दावे का निस्तारण करते हुये परिवादिनी के दावा को निरस्त किया गया है और तदनुसार विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिनी का दावा निरस्त करके सेवा में कमी की गयी है इसलिए परिवादिनी अपने परिवाद पत्र में मांगे गये अनुतोष बीमा राशि एवं वाद-व्यय प्राप्त करने की अधिकारिणीं है। परिवाद परिवादिनी स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवाद परिवादिनी स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या- 03 बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह एक माह के अन्दर परिवादिनी की बीमा धनराशि अंकन 60,000/- मय 07 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज,जो परिवाद संस्थित करने की तिथि से अंतिम भुगतान करने की तिथि तक देय होगा, एवं 5,000/- वाद-व्यय भुगतान करते हुये आयोग के बैंक खाते में जमा करना सुनिश्चित करें।
(वन्दना मिश्रा) (राम करन)
सदस्या, अध्यक्ष,
जिलला उपभोक्ता वि0प्रति0 आयोग, जिला उपभोक्ता विवाद प्रति0 आयोग,
कन्नौज । कन्नौज ।
25/05/2023
यह निर्णय आज आयोग के खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एंव दिनांकित कर उद्घोषित किया गया ।
(वन्दना मिश्रा) (राम करन)
सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता वि0 प्रति0 आयोग, जिला उपभोक्ता विवाद प्रति0आयोग,
कन्नौज । कन्नौज ।
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