Uttar Pradesh

Barabanki

32/14

Dhani Ram - Complainant(s)

Versus

Aryawart Gramin Bank - Opp.Party(s)

20 Mar 2023

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बाराबंकी।

परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि       05.04.2014

अंतिम सुनवाई की तिथि            28.02.2023

निर्णय उद्घोषित किये जाने के तिथि  20.03.2023

परिवाद संख्याः 32/2014

धनीराम पुत्र स्व0 कुन्ज बिहारी निवासी ग्राम व पोस्ट-याकूतगंज जनपद-बाराबंकी।

द्वारा-श्री कमल बहादुर सिंह, अधिवक्ता

श्री देवी प्रसाद वर्मा, अधिवक्ता

 

बनाम

1.         मुख्य प्रबंधक, आर्यावत ग्रामीण बैंक प्रधान कार्यालय ए-2/46 विजय खण्ड गोमती नगर, लखनऊ।

2.         क्षेत्रीय प्रबंधक, आर्यावत ग्रामीण बैंक, क्षेत्रीय कार्यालय सी-333, सिविल लाइन्स देवाॅ रोड, बाराबंकी।

3.         शाखा प्रबंधक आर्यावत ग्रामीण बैंक शाखा पलहरी जनपद-बाराबंकी।

द्वारा-श्री टी0 यू0 चैधरी, अधिवक्ता

समक्षः-

माननीय श्री संजय खरे, अध्यक्ष

माननीय श्रीमती मीना सिंह, सदस्य

माननीय डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य

उपस्थितः परिवादिनी की ओर से -श्री कमल बहादुर सिंह, अधिवक्ता

             विपक्षीगण की ओर से-श्री टी. यू. चैधरी, अधिवक्ता

द्वारा-संजय खरे, अध्यक्ष

निर्णय

            परिवादी ने यह परिवाद, विपक्षीगण के विरूद्व धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 प्रस्तुत कर परिवादी द्वारा लिये गये वास्तविक ऋण व उस पर लगने वाले ब्याज व ब्याज दर की सही गणना करके परिवादी को उपलब्ध कराये जाने तथा मानसिक उत्पीड़न हेतु रू0 15,000/-, आर्थिक क्षतिपूर्ति हेतु रू0 10,000/- तथा परिवाद व्यय रू0 5,000/- दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।

            परिवादी का परिवाद में कथन है कि परिवादी ने दिनांक 23.10.2008 को विपक्षी संख्या-03 से रू0 1,70,000/-का के. सी. सी. ऋण अपने पिता स्व0 कुंज बिहारी के साथ मिलकर लिया था। ऋण खाता संख्या-033335100002213 तथा किसान क्रेडिट कार्ड संख्या-सी/2213 विपक्षी संख्या-03 द्वारा दिनांक 23.10.2008 को जारी किया गया। दिनांक 21.11.2009 को परिवादी के पिता कुंज बिहारी का देहांत हो गया। दिनांक 17.07.2013 को विपक्षी संख्या-03 द्वारा उक्त के. सी. सी. ऋण खातें में कुल बकाया रू0 2,30,000/-बताया जिसे दिनांक 17.07.2013 को परिवादी ने विपक्षी संख्या-03 के यहाँ जमा कर दिया। दिनांक 13.01.2014 को विपक्षी संख्या-03 द्वारा परिवादी को ऋण खाता संख्या-033335100002213 के संबंध में एक पत्र प्रेषित किया गया जिसमे रू0 60,751/-जमा करने हेतु कहा गया। परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-03 के यहाँ से कुल रू0 2,00,000/-का ऋण लेना बताया गया जबकि परिवादी व उसके पिता को कुल रू0 1,70,000/-ही ऋण दिया गया था। दिनांक 17.07.2013 को विपक्षी संख्या-03 के यहाँ कुल बकाया रू0 2,30,000/-बताने पर जमा किया गया और ऋण खाता बन्द करवा दिया गया लेकिन उसके छः माह बाद विपक्षी संख्या-03 द्वारा रू0 60,751/-विधि विरूद्व तरीके से दिखाया गया। विपक्षी संख्या-03 द्वारा ऐसा इस लिये किया गया, क्योंकि परिवादी के पिता द्वारा ट्रैक्टर हेतु ऋण लिया गया था जिसमे आर0 सी0 जारी की गई जिसके विरूद्व परिवादी ने माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद खण्डपीठ लखनऊ में रिट याचिका संख्या-5941(एम.एस.)/2013 धनीराम बनाम उ0 प्रदेश सरकार व अन्य योजित की जिसमे माननीय न्यायालय द्वारा दिनांक 13.09.2013 पर आर. सी. पर रोक लगा दी। इसी खुन्नस के कारण परिवादी पर रू0 60,751/-बकाया दिखाया जा रहा है। दिनांक 25.01.2014 को परिवादी द्वारा उक्त के संबंध में एक प्रार्थना पत्र विपक्षीगण को दिया गया परन्तु उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई। अतः परिवादी ने उक्त अनुतोष हेतु प्रस्तुत परिवाद योजित किया है। परिवाद के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया गया है।

            परिवादी ने बैंक पासबुक, पत्र दिनांक 13.01.2014, 25.01.2014 की छाया प्रति दाखिल की है। परिवादी ने सूची दिनांक 01.12.2014 से पास बुक, पत्र दिनांक 13.01.2014, रू0 2,30,000/-की जमा रसीद, माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय दिनांक 13.09.2013, पत्र दिनांक 25.01.2014 दाखिल किया है।

             विपक्षीगण द्वारा वादोत्तर दाखिल करते हुये कहा गया है कि परिवादी को रू0 2,00,000/-ऋण दिनांक 23.10.2008 को दिया गया था। परिवादी द्वारा दिनांक 17.07.2013 को रू0 2,30,000/-विपक्षी संख्या-03 के यहाँ जमा किया गया। दिनांक 13.01.2014 को रू0 60,751/-की वसूली हेतु पत्र परिवादी को प्रेषित किया गया। परिवादी द्वारा ट्रैक्टर के सम्बन्ध में रिट दाखिल करना सही है। परिवादी ने के. सी. सी. का ऋण अपने पिता कुंज बिहारी के साथ मिलकर लिया गया था जिसका खाता संख्या-033335100002213 तथा किसान क्रेडिट कार्ड संख्या-सी/2213 है। रू0 1,70,000/-के ऋण का कथन गलत है। परिवादी ने अपने ऋण खाते का संचालन नियमित रूप से नहीं किया जिसके कारण खाता एन0 पी0 ए0 हो गया इस कारण दिनांक 01.10.2011 के बाद जो ब्याज बना था व इलेक्ट्रानिक सिस्टम के द्वारा उसके एकाउन्ट में कैलकुलेट नहीं किया जा सका। दिनांक 17.07.2013 को परिवादी को यह बता दिया गया था कि रू0 2,30,000/-की धनराशि में ब्याज शामिल नहीं है। परिवादी के ऊपर दिनांक 01.10.2011 से 17.07.2013 तक ब्याज रू0 60,751/-बकाया है जिसके संबंध में दिनांक 13.01.2014 को नोटिस दी गई। कोई सेवा में कमी नहीं की गई है। अतः परिवाद निरस्त किये जाने की याचना की गई है। विपक्षीगण द्वारा जवाबदावा के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया गया है।

              विपक्षीगण द्वारा सूची दिनांक 30.07.2022 से बैंक स्टेटमेन्ट तीन वर्क तथा किसान क्रेडिट कार्ड के ऋण प्रस्ताव की छाया प्रति दाखिल किया है। विपक्षीगण द्वारा पुनः दिनांक 28.02.2023 को सूची से स्टेटमेन्ट ऑफ एकाउन्ट कुंज बिहारी पुत्र मोतीलाल का दाखिल किया है। ब्याज गणना चार्ट भी दाखिल किया है।

              परिवादी ने अपनी लिखित बहस दाखिल की है।

              विपक्षीगण द्वारा लिखित बहस दाखिल की गई है।

              उभय पक्षों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्को को सुना तथा पत्रावली पर प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों/अभिलेखों का गहन परिशीलन किया।

            परिवादी का यह कथन है कि उसके पिता स्व0 कुंज बिहारी व परिवादी स्वयं संयुक्त रूप से मिलकर दिनांक 23.10.2008 को रू0 1,70,000/-का ऋण विपक्षीगण की बैंक से खाता संख्या-033335100002213 पर किसान क्रेडिट कार्ड पर प्राप्त किया था। रू0 2,00,000/-की सीमा तक परिवादी को के. सी. सी. ऋण देना विपक्षीगण को स्वीकार है।

           परिवादी का यह कथन है कि दिनांक 17.07.2013 को विपक्षी संख्या-03 द्वारा के0 सी0 सी0 ऋण में कुल बकाया रू0 2,30,000/-बताया गया जिसे परिवादी ने दिनांक 17.07.2013 को ही ऋण खातें में जमा कर दिया परन्तु विपक्षीगण द्वारा नो ड्यूज न देकर रू0 60,751/-का ऋण खातें में विधि विरूद्व ढंग से बकाया प्रदर्शित कर रहे है। इस संबंध में विपक्षीगण का यह कथन है कि परिवादी को रू0 2,00,000/-का ऋण दिनांक 23.10.2008 को स्वीकृत किया गया। परिवादी ने दिनांक 23.10.2008 को रू0 1,70,000/-की धनराशि का ही ऋण के रूप में आहरण किया गया। उक्त के संबंध में विपक्षी बैंक द्वारा ऋण अनुबन्ध दिनांक 23.10.2008 दाखिल किया गया है। ऋण अनुबन्ध से यह पुष्ट होता है कि बैंक द्वारा रू0 2,00,000/-की सीमा तक ऋण कुल जोत सीमा के आधार पर कुंज बिहारी व धनीराम के नाम से संयुक्त रूप से दिनांक 23.10.2008 को स्वीकृत किया गया है।

           परिवादी ने किसान क्रेडिट कार्ड संख्या-सी/2213 के पासबुक की छायाप्रति दाखिल की है। ऋण पास बुक के अवलोकन से यह विदित है कि परिवादी ने दिनांक 23.10.2008 को रू0 1,70,000/-ऋण का आहरण किया है। विपक्षी बैंक ने कम्प्यूटर की ऋण आगणन शीट दिनांकित 28.02.2023 दाखिल की है जिसमे दिनांक 24.09.2009 को ओपनिंग बकाया रू0 1,76,280/-अंकित है। यह आगणन ऋण दिये जाने के लगभग एक वर्ष बाद का है। जिसके परिशीलन से भी यह पुष्ट होता है कि बैंक द्वारा भी परिवादी को ऋण की देयता का आगणन रू0 1,70,000/-धनराशि पर ही किया गया है। अतः उपरोक्त विवेचन से यह पुष्ट हाता है कि विपक्षी बैंक ने रू0 2,00,000/-की सीमा तक ऋण स्वीकृत किया और परिवादी ने रू0 1,70,000/-ऋण का आहरण किया।

           अब यह विवेचित किया जाना है कि परिवादी के ऋण खातें में 17.07.2013 तक कितनी ऋण राशि बकाया था। इस संबंध में विपक्षी द्वारा स्टेटमेन्ट आफ एकाउन्ट प्रस्तुत किया गया है। स्टेटमेन्ट आफ एकाउन्ट के अवलोकन से यह पुष्ट होता है कि परिवादी द्वारा दिनांक 23.08.2008 को रू0 1,70,000/-ऋण आहरित करने के उपरान्त दिनांक 17.07.2013 तक ऋण भुगतान के रूप में कोई भी धनराशि जमा नहीं की गई। विपक्षी बैंक द्वारा दाखिल ब्याज गणना चार्ट से यह पुष्ट होता है कि दिनांक 23.10.2008 को परिवादी को सात प्रतिशत ब्याज की दर से ऋण दिया गया। परिवादी द्वारा दिनांक 31.03.2011 तक ऋण राशि का भुगतान न करने की स्थिति में खाता एन. पी. ए. कर दिया गया। ऋण खाता एन. पी. ए. होने के उपरान्त दिनांक 01.04.2011 के बाद ब्याज की गणना साढ़े तेरह प्रतिशत की प्रचलित दर से आंकलित की गई है। स्टेटमेन्ट आफ एकाउन्ट से यह भी प्रमाणित होता है कि दिनांक 17.07.2013 को परिवादी द्वारा रू0 2,30,000/-जमा करने के उपरान्त परिवादी पर दिनांक 17.07.2013 तक रू0 60,751/-अवशेष होना दर्शित किया गया है।   

              जहाँ तक रू0 2,30,000/-के परिवादी द्वारा भुगतान का प्रश्न है। उक्त के संबंध में परिवादी का कथन है कि उसने रू0 2,30,000/-का भुगतान बैंक के निर्देशानुसार किया। जबकि इस कथन की पुष्टि में परिवादी ने न तो दिनांक 17.07.2013 के बकाये की स्थिति को स्पष्ट किया है और न ही विपक्षी बैंक द्वारा प्रेषित ऐसी कोई पत्र या वसूली नोटिस प्रस्तुत किया है जिससे यह सिद्व हो सके कि वास्तव में परिवादी पर दिनांक 17.07.2013 को बैंक की गणनानुसार रू0 2,30,000/-ही बकाये थे। विपक्षी बैंक द्वारा स्टेटमेन्ट आफ एकाउन्ट दिनांक 24.09.2009 से 08.10.2010 तक का दाखिल करते हुये यह कहा गया है कि परिवादी पर दिनांक 27.09.2010 को ही रू0 2,10,150/-बकाया था और बकाया होने के कारण ही उसके ऋण खातें को बैंक द्वारा एन. पी. ए. कर दिया गया। विपक्षी द्वारा प्रस्तुत खाता विवरण से स्पष्ट है कि परिवादी ऋण प्राप्त करने के बाद केवल दिनांक 17.07.2013 को रू0 2,30,000/-जमा किया था। परिवादी का कथन है कि उससे बैंक कर्मियों द्वारा रू0 2,30,000/-जमा करने पर ऋण खाता बन्द हो जाना कहा गया था। परिवादी के इस कथन के समर्थन में बैंक की कोई नोटिस आदि दाखिल नहीं है। जिससे यह सिद्व होता है कि परिवादी ने स्वयं आगणन करके रू0 2,30,000/-ऋण खातें में दिनांक 17.07.2013 को जमा किया। परिवादी के उक्त धनराशि जमा करते ही कम्प्यूटर ने अद्यतन आगणन करके परिवादी पर शेष बकाया रू0 60,751/-अंकित किया। परिवादी ने दिनांक 17.07.2013 के पूर्व कोई ऋण अदा ही नहीं किया अतः उसे नियमित ऋण अदायगी पर समय से मिलने वाली छूट भी परिवादी को नहीं दिलाई जा सकती। ऋण अदायगी में व्यतिक्रमी होने की दशा में अद्यतन लागू होने वाले ब्याज के अनुसार बकाया की गणना की जाएगी। विपक्षी बैंक द्वारा प्रस्तुत खाता विवरण से भी यह स्पष्ट है कि प्रचलित ब्याज दर के अनुसार गणना करने पर परिवादी द्वारा दिनांक 17.07.2013 को रू0 2,30,000/-जमा करने के बाद भी रू0 60,751/-बकाया था। अतः परिवादी यह सिद्व करने में असफल रहे है कि उनके ऊपर दिनांक 17.07.2013 को केवल रू0 2,30,000/-ऋण की ही देनदारी थी।

             पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर उपरोक्त विवेचन से यह सिद्व होता है कि विपक्षी बैंक द्वारा परिवादी पर बकाया ऋण की गणना सही की गई है। परिवादी द्वारा दिनांक 17.07.2013 को रू0 2,30,000/-अदायगी पश्चात भी परिवादी पर ऋण रू0 60,751/- अवशेष था, जिसकी अद्यतन ब्याज सहित देनदारी परिवादी पर है। अतः विपक्षी बैंक द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है।

          उपरोक्त विवेचन के आलोक में परिवादी परिवाद पत्र में याचित किसी अनुतोष को प्राप्त करने के अधिकारी नहीं है। तदनुसार परिवादी का परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।

आदेश

परिवाद संख्या-32/2014 निरस्त किया जाता है।

 (डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी)       (मीना सिंह)         (संजय खरे)

     सदस्य                         सदस्य                अध्यक्ष

यह निर्णय आज दिनांक को  आयोग  के  अध्यक्ष  एंव  सदस्य द्वारा  खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।

(डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी)       (मीना सिंह)         (संजय खरे)

    सदस्य                             सदस्य                 अध्यक्ष

 

दिनांक 20.03.2023

 

 

 

 

 

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