Uttar Pradesh

Barabanki

176/2013

Santosh Kumar - Complainant(s)

Versus

Aryan Motors & Mahendra & Mahendra Fin. Ltd. - Opp.Party(s)

04 Mar 2023

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बाराबंकी।

परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि       24.09.2013

अंतिम सुनवाई की तिथि            20.02.2023

निर्णय उद्घोषित किये जाने के तिथि  04.03.2023

परिवाद संख्याः 176/2013

सन्तोष कुमार बालिग पुत्र जगदीश प्रसाद निवासी-भैरमपुर मजरे भिखरा पो0 खरसतिया पर0 व तहसील-हैदरगढ़ जिला-बाराबंकी।

द्वारा-श्री दीपक जैन, अधिवक्ता

 

बनाम

1. आर्यन मोटर्स हैदरगढ़ द्वारा वीरेन्द्र सिंह पुत्र श्री देवीसरन सिंह प्रोपराइटर आर्यन मोटर्स कस्बा व पोस्ट-हैदरगढ़

    जिला-बाराबंकी।

2. महेन्द्रा एंड महेन्द्रा फाइनेन्स लि0 द्वारा प्रबंधक नाका सतरिख फैजाबाद रोड शहर बाराबंकी।

             द्वारा-श्री एम0 के0 महरोत्रा, अधिवक्ता

श्री अमित वर्मा, अधिवक्ता

श्री चन्द्र कान्त मिश्रा, अधिवक्ता

 

समक्षः-

माननीय श्री संजय खरे, अध्यक्ष

माननीय डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य

उपस्थितः परिवादी की ओर से -श्री दीपक जैन, अधिवक्ता

              विपक्षी सं0-01 की ओर से-श्री एम0 के0 महरोत्रा, अधिवक्ता

              विपक्षी सं0-02 की ओर से-श्री अमित वर्मा, अधिवक्ता

द्वारा- श्री संजय खरे, अध्यक्ष

निर्णय

            परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्व धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 प्रस्तुत कर परिवादी को विपक्षीगण ग्लोबल एक्सल कीमती रू0 80,000/-मय सर्विस बुक सहित एवं परिवादी को हुये नुकसान रू0 50,000/-, दौड़धूप हेतु रू0 5,000/- मानसिक क्षति हेतु रू0 5,000/- व खर्चा मुकदमा रू0 7,000/- दिलाये जाने का अनुतोष चाहा है। यह भी अनुतोष चाहा है कि फाइनेन्स रकम रू0 2,00,000/- जो तय हुई थी वह परिवादी से जमा करायी जाय।

            परिवादी ने परिवाद में मुख्य रूप से अभिकथन किया है कि परिवादी ने दिनांक 30.11.2012 को विपक्षी संख्या-02 तहसील हैदरगढ़, जिला-बाराबंकी में ट्रैक्टर का क्षेत्रीय वितरक है, से एक किता ट्रैक्टर अर्जुन अल्ट्रा 60 मैट JCB तथा Loader Doger चलाने हेतु मु0 7,50,000/-में खरीदा था जिसमे ग्लोबल एक्सल की कीमत लगभग मु0 80,000/-तथा पंजीयन शुल्क आदि व्यय शामिल थे। उक्त ट्रैक्टर अर्जुन अल्ट्रा 60 मैट JCB तथा Loader Doger चलाने हेतु विशिष्टतया प्रयुक्त होता है जिसमे ग्लोबल एक्सल अलग से लगाया जाता है। उक्त रकम रू0 7,50,000/-में परिवादी ने मु0 5,50,000/-विपक्षी संख्या-01 को नगद अदा किया एवं मु0 2,00,000/-फाइनेन्स कराने को कहा। यह कार्य विपक्षी संख्या-01 द्वारा विपक्षी संख्या-02 से कराया जाता। विपक्षी संख्या-01 से ट्रैक्टर क्रय करने तथा धनराशि अदा करने के उपरान्त परिवादी को कोई रसीद, सर्विस बुक, असल कागजात नहीं दिये गये बल्कि यह आश्वासन दिया गया कि कम्पनी से कागज आने पर जल्द दे दिया जायेगा। परिवादी ट्रैक्टर ले जाकर इस्तेमाल कर सकता है। विपक्षीगण द्वारा परिवादी से धोखा-धड़ी करते हुये ट्रैक्टर में ग्लोबल एक्सल नहीं लगाया गया तथा फाइनेन्स रू0 2,00,000/- के स्थान पर रू0 3,00,000/-का कर दिया गया। फाइनेन्स रकम सही करवाने का आश्वासन दिया जाता रहा। जब परिवादी प्रथम सर्विस हेतु ट्रैक्टर लेकर विपक्षी संख्या-01 के वर्कशाप पर गया तो विपक्षी संख्या-01 द्वारा न तो सर्विस की गई और न हीं सर्विस बुक दी गई। सर्विसिंग न होने से ट्रैक्टर खड़ा है और प्रयोग नहीं किया जा रहा है। परिवादी ने बार-बार विपक्षी संख्या-01 से ग्लोबल एक्सल लगाने, फाइनेन्स की रकम सही कराने व सर्विस बुक रसीद आदि उपलब्ध कराने हेतु कहा गया परन्तु उन्होनें कोई ध्यान नहीं दिया जिसके कारण परिवादी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अतः परिवादी ने उक्त अनुतोष हेतु प्रस्तुत परिवाद योजित किया है। परिवाद के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया गया है।

            परिवादी के तरफ से दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में सूची से बैंक खाते के स्टेटमेन्ट आफ एकाउन्ट की छायाप्रति  दाखिल की गयी है।

           विपक्षी संख्या-01 द्वारा जवाबदावा योजित करते हुये महेन्द्रा एंड महेन्द्रा का क्षेत्रीय वितरण होना स्वीकार किया है। परिवाद की धारा-2 लगायत 8 को अस्वीकार किया गया है। यह भी कथन किया गया है कि परिवादी ने विपक्षी से अर्जुन ट्रैक्टर अल्ट्रा मय एसेसरीज मु0 6,70,000/-में खरीदा था जिसमे परिवादी ने मु0 3,00,000/-का ऋण महेन्द्रा एंड महेन्द्र फाइनेन्स लि0 बाराबंकी से ऋण लिया था जिसका अनुबन्ध संख्या-2537395 है। परिवादी व विपक्षी संख्या-02 द्वारा स्वतंत्र इच्छा से ऋण अनुबन्ध संपादित किया गया। ट्रैक्टर डिलीबरी के समय परिवादी के ट्रैक्टर का कस्टमर इन्श्योरेन्स रू0 14,532/-में कराकर रसीद परिवादी को दी गई। परिवादी ने रू0 6,70,000/-का ट्रैक्टर क्रय किया था जिसमे रू0 3,00,000/-का ऋण अनुबन्ध विपक्षी संख्या-02 से किया था बाकी बची रकम रू0 3,70,000/-तथा बीमा प्रीमियम का कस्टमर इंश्योरेन्स रू0 14,532/-कुल रू0 3,84,432/-परिवादी का ट्रैक्टर क्रय करने का बनता था जिसमे परिवादी ने रू0 3,04,432/-विपक्षी को अदा किया तथा रू0 80,000/-का चेक दिनांक 08.10.2013 हस्ताक्षरित करके दिया जिसका संख्या-060404 खाता सं0-750110100017718 बैंक आफ इंडिया हैदरगढ़ का है। चेक को एकाउन्ट में लगाया गया तो पर्याप्त बैलेन्स न होने के कारण चेक बाउन्स हो गया। परिवादी द्वारा जवाब न देने पर दिनांक 11.12.2013 को धारा-138 एन. आई. एक्ट व 420 भा0 द0 वि0 का वाद अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट नं0-11 में विचाराधीन है जिसमे तारीख 04.07.2016 व वाद संख्या-3035/2013 है। उक्त ट्रैक्टर के साथ ग्लोबल एक्सल नहीं आता है इस लिये उसका पैसा लेना व ग्लोबल एक्सल देना विपक्षी संख्या-01 के हाथ में नहीं है। कम्पनी न तो ट्रैक्टर के साथ ग्लोबल एक्सल देती है और न ही उसका पैसा लेती है। अतः परिवाद को निरस्त किये जाने की याचना की गई है। विपक्षी संख्या-01 द्वारा वादोत्तर के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया गया है।

             विपक्षी संख्या-01 द्वारा सूची से ए.सी.जे.एम. कोर्ट संख्या-11 में लम्बित परिवाद का विवरण दाखिल किया गया है।

             विपक्षी संख्या-02 द्वारा वादोत्तर दाखिल करते हुये अभिकथन किया है कि वह फाइनेन्स कम्पनी है। परिवादी ने दिनांक 16.03.2013 को बजरिये ऋण अनुबन्ध सं0-2537395 मु0 3,00,000/-का ऋण विपक्षी संख्या-02 से महिन्द्रा 605 डी आई ट्रैक्टर क्रय करने हेतु लिया था। परिवादी व विपक्षी संख्या-02 के मध्य हुये ऋण अनुबन्ध की धारा-16 के अनुसार किसी प्रकार के विवाद के लिये क्षेत्राधिकार मुम्बई में निर्धारित है। ऋण अनुबन्ध के अनुसार परिवादी प्रथम पक्ष है इस लिये उपभोक्ता की परिभाषा में नहीं आता है। परिवादी ने ऋण अनुबन्ध लेते समय जो अनुबन्ध किया था उस पर हस्ताक्षर बनाकर अपनी सहमति दी थी। ऋण रकम अदा करने से बचने के लिये परिवाद प्रस्तुत किया गया है। आरबीटेªटर मुम्बई के यहाॅ दिनांक 04.03.2014 को उपस्थित होने के लिये परिवादी को नोटिस भेजी जा चुकी है। उपरोक्त तथ्यों के आधार पर परिवाद को निरस्त करने की याचना की गई है। विपक्षी संख्या-02 द्वारा वादोत्तर के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया गया है।

                विपक्षी संख्या-02 द्वारा स्टेटमेन्ट आफ एकाउन्ट तथा ऋण अनुबन्ध की छाया प्रति दाखिल की है।  

                परिवादी ने अपनी लिखित बहस योजित की है।

                उभय पक्षो की बहस सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों/साक्ष्य का परिशीलन किया।

                वर्तमान प्रकरण में परिवादी संतोष कुमार ने परिवाद पत्र में निम्नलिखित तीन अनुतोष की याचना की है:-

1. विपक्षीगण को तलब कर उनसे ग्लोबल एक्सल कीमती रू0 80,000/-, सर्विस बुक आदि समस्त असल कागजात दिलाये जाय।

2. नुकसान रू0 50,000/-, दौड़धूप खर्च रू0 5,000/-, मानसिक क्षतिपूर्ति रू0 5,000/-खर्च मुकदमा रू0 7,000/- दिलाये जाय।

3. विपक्षीगण को आदेशित किया जाय कि वह फाइनेन्स रकम रू0 2,00,000/-जो तय हुई थी, वह ही परिवादी से जमा कराये।

 

               प्रथम अनुतोष में परिवादी ने विपक्षीगण से ग्लोबल एक्सल कीमती रू0 80,000/-दिलाये जाने की याचना की है। परिवादी का कथन है कि उसने ट्रैक्टर अर्जुन अल्ट्रा 60 मैट JCB तथा Loader Doger चलाने हेतु रू0 7,50,000/-में खरीदना तय किया था जिसमे ग्लोबल एक्सल की कीमत लगभग रू0 80,000/-तथा पंजीयन शुल्क आदि व्यय सम्मिलित थे। परिवादी का कथन है कि अर्जुन अल्ट्रा ट्रैक्टर में ग्लोबल एक्सल अलग से लगाया जाता है। परिवादी का कथन है कि उसने रू0 5,50,000/-नकद अदा किये और रू0 2,00,000/-विपक्षी संख्या-01 को फाइनेन्स कराने के लिये दिया। विपक्षी संख्या-01 ने विपक्षी संख्या-02 से फाइनेन्स करवाया। कोई रसीद, सर्विस बुक या कागजात नहीं दिये। परिवादी ट्रैक्टर इस्तेमाल करने के लिये ले आया। परिवादी का कथन है कि विपक्षी संख्या-01 ने ग्लोबल एक्सल नहीं लगाया और फाइनेन्स रू0 2,00,000/-के स्थान पर रू0 3,00,000/-का कर दिया। परिवादी के कथन का विपक्षी संख्या-01 व 02 ने खंडन किया है। विपक्षी संख्या-01 का कथन है कि इस ट्रैक्टर के साथ ग्लोबल एक्सल नहीं दिया जाता था। परिवादी ने उसका कोई पैसा भी अलग से नहीं दिया था। विपक्षी संख्या-01 का कथन है कि विपक्षी संख्या-02 से ऋण परिवादी ने लिया था और यह ऋण अनुबन्ध से रू0 3,00,000/-का था। विपक्षी संख्या-01 का यह भी कथन है कि परिवादी ने ट्रैक्टर रू0 6,70,000/-में क्रय किया था। रू0 3,00,000/-का ऋण अनुबन्ध विपक्षी संख्या-02 से कराया था। बाकी बची रकम रू0 3,70,000/-तथा इंश्योरेन्स प्रीमियम व कस्टमर इंश्योरेन्स का कुल रू0 14,532/-मिलाकर रू0 3,84,432/-ट्रैक्टर क्रय करने का शेष बचता था जिसमे से परिवादी ने रू0 3,04,432/-विपक्षी संख्या-01 को अदा किया और रू0 80,000/-का चेक दिनांकित 08.10.2013 बैंक आफ इंडिया शाखा-हैदरगढ़ का दिया। विपक्षी संख्या-01 का कथन है कि उक्त चेक प्रस्तुत करने पर बाउन्स हो गया, जिसका धारा-38 का मुकदमा अन्य न्यायालय में विचाराधीन होना बताया है। कम्पनी ग्लोबल एक्सल ट्रैक्टर के साथ नहीं देती है। विपक्षी संख्या-01 का कथन है कि उसने सभी प्रपत्र दे दिये थे।

            विपक्षी संख्या-02 फाइनेन्स कम्पनी का कथन है कि परिवादी को ट्रैक्टर के लिये ऋण अनुबन्ध से रू0 3,00,000/-का दिया गया था। उस अनुबन्ध के प्रपत्र की प्रति दाखिल की है। अनुबन्ध पत्र के प्रति के अवलोकन से इस तथ्य की पुष्टि होती है कि अनुबन्ध संख्या-2537395 से रू0 3,00,000/-का ऋण विपक्षी संख्या-02 फाइनेस कम्पनी ने परिवादी संतोष कुमार को दिया। ऋण करार पर परिवादी संतोष कुमार, गारन्टर रामसुन्दर के हस्ताक्षर है। यह ऋण अनुबन्ध दिनांक 16.03.2013 को किया गया है जिससे यह पुष्ट होता है कि परिवादी और विपक्षी संख्या-02 फाइनेन्स कम्पनी के मध्य रू0 3,00,000/-ऋण लिये जाने का करार किया गया और इसके आधार पर परिवादी को रू0 3,00,000/-का ऋण, ट्रैक्टर क्रय करने हेतु दिया गया। अतः परिवादी का यह कथन सिद्व नहीं होता कि उसने विपक्षी संख्या-02 से रू0 2,00,000/-ऋण लिया। विपक्षी संख्या-02 से परिवादी द्वारा रू0 3,00,000/-ऋण लिया जाना पुष्ट है।

             परिवादी ने ऐसा कोई भी अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है, जिससे परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-01 से क्रय किये गये ट्रैक्टर के साथ कम्पनी द्वारा ग्लोबल एक्सल दिये जाने की पुष्टि होती हो। परिवादी ने संबंधित ट्रैक्टर की कम्पनी को न तो वर्तमान परिवाद में पक्षकार बनाया है और न ही अपनी ओर से ट्रैक्टर कम्पनी के किसी साक्षी का शपथपत्र या अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किया है। अतः परिवादी के इस तथ्य की भी पुष्टि नहीं होती है कि ट्रैक्टर के साथ कम्पनी द्वारा ग्लोबल एक्सल दिया जाता था, या परिवादी ने ग्लोबल एक्सल क्रय किया।

              परिवादी का कथन है कि उसने ट्रैक्टर खरीदने के लिये रू0 7,50,000/-का भुगतान विपक्षी संख्या-01 को किया। इस भुगतान में ग्लोबल एक्सल का मूल्य रू0 80,000/-तथा पंजीयन शुल्क आदि व्यय भी सम्मिलित थे। विपक्षी संख्या-01 ने अपने जवाबदावे में यह स्पष्ट रूप से अंकित किया है कि ट्रैक्टर अर्जुन अल्ट्रा एसेसरीज सहित परिवादी ने रू0 6,70,000/-में खरीदा था। परिवादी की ओर से सूची से स्टेटमेन्ट आफ एकाउन्ट दिनांकित 08.08.2013 की प्रति प्रस्तुत की गई है जिसमे ट्रैक्टर का मूल्य रू0 6,70,000/-अंकित है और इसी धनराशि का बीमा चोला मंडलम जनरल इंश्योरेन्स कम्पनी द्वारा किया गया है। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में रू0 80,000/-का चेक विपक्षी संख्या-01 को देने का कोई तथ्य अंकित नहीं किया है। विपक्षी संख्या-01 द्वारा अपने जवाबदावे में परिवादी द्वारा ट्रैक्टर व बीमा आदि के लिये नकद रू0 3,04,432/-अदा करने और शेष धनराशि के लिये रू0 80,000/-का चेक दिनांकित 08.10.2013 चेक संख्या 060404 बैंक आफ इंडिया शाखा हैदरगढ़ का देना अंकित किया है। उक्त चेक भुगतान हेतु लगाये जाने पर बाउन्स होना भी अंकित है। जिससे स्पष्ट है कि परिवादी ने रू0 5,50,000/-विपक्षी संख्या-01 को नकद नहीं दिये। रू0 80,000/-का चेक दिये जाने, चेक का भुगतान न होने पर चेक बाउन्स होने और इस आधार पर विपक्षी संख्या-01 के मालिक श्री वीरेन्द्र सिंह द्वारा परिवादी के विरूद्व धारा-138 परक्राम्य अभिलेख अधिनियम में परिवाद दायर करने, परिवाद लम्बित होने की प्रश्नोत्तरी सूची से दाखिल की है। परिवादी ने अपने मौखिक साक्ष्य पी. डब्लू-1 तथा पी. डब्लू.-2 के साथ शपथपत्र में रू0 80,000/-के चेक बाउन्स होने के आधार पर परिवाद लम्बित होने के कथन का कोई खंडन नहीं किया है। परिवादी की ओर से प्रस्तुत लिखित बहस में भी परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-01 को चेक रू0 80,000/-का दिये जाने के संबंध में कोई भी तथ्य अंकित नहीं किया गया है। परिवादी ने मौखिक बहस में कहा है कि विपक्षी संख्या-02 फाइनेन्सिंग कम्पनी ने ट्रैक्टर फाइनेन्स करने के एवज में जो सादे चेक रखवाये थे, उसी में से एक चेक को परिवादी ने रू0 80,000/-भरकर बैंक में प्रस्तुत कर बाउन्स करा लिया। यदि फाइनेन्स कम्पनी ने कोई ब्लैंक चेक परिवादी से प्राप्त भी किया था तो उसमे से एक चेक विपक्षी संख्या-01, विपक्षी संख्या-02 से किस प्रकार प्राप्त कर लेगा, इसका कोई स्पष्टीकरण साक्ष्य में परिवादी की ओर से नहीं दिया गया है। विपक्षी संख्या-01 ट्रैक्टर बेचने का कार्य करते है और विपक्षी संख्या-02 फाइनेन्सिंग का कार्य करते है। दोनो संस्थाए अलग-अलग है। दोनो का स्वामित्व भी किसी एक व्यक्ति के पास होने का कोई साक्ष्य नहीं है। ऐसी स्थिति में परिवादी के इस मौखिक बहस की भी पुष्टि प्रस्तुत मौखिक तथा अभिलेखीय साक्ष्य से नहीं होती कि विपक्षी संख्या-01 ने विपक्षी संख्या-02 से परिवादी का ब्लैंक चेक प्राप्त कर लिया हो।रू0 80,000/-परिवादी द्वारा ट्रैक्टर में ग्लोबल एक्सल लगाने के लिये दिये गये हो, परिवादी साक्ष्य से इस तथ्य की पुष्टि भी नहीं होती है। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह भी अंकित नहीं किया है कि उसके द्वारा ट्रैक्टर के बीमा के लिये कितनी धनराशि दी गई। विपक्षी ने अपने जवाबदावे तथा मौखिक साक्ष्य में स्पष्ट रूप से अंकित किया है कि ट्रैक्टर का बीमा प्रीमियम रू0 14,532/-था। परिवादी के पी. डब्लू.-1 तथा पी. डब्लू-2 के साक्ष्य शपथपत्र में भी बीमा प्रीमियम का कोई उल्लेख नहीं है।

              परिवादी का कथन है कि ट्रैक्टर के फाइनेन्स कराने के एग्रीमेन्ट प्रपत्र में विपक्षी संख्या-02 ने धोखे से रू0 2,00,000/-फाइनेन्स की धनराशि को रू0 3,00,000/-कर दिया। परिवादी के इस तर्क के संबंध में विपक्षी संख्या-02 द्वारा दाखिल लोन एग्रीमेन्ट की प्रति के अवलोकन से स्पष्ट है कि रू0 3,00,000/-ऋण की धनराशि अंकित है। इस पर किसी भी प्रकार से दो के अंक को तीन बनाने के ओवर राइटिंग का भी कोई साक्ष्य नहीं है। रू0 3,00,000/-की धनराशि ऋण एग्रीमेन्ट में स्पष्ट रूप से अंकित है। अतः परिवादी के इस तर्क की भी पुष्टि नहीं होती है कि लोन एग्रीमेन्ट में विपक्षी ने फाइनेन्स की धनराशि रू0 2,00,000/-के स्थान पर रू0 3,00,000/-कर दी हो।

               उपरोक्त विवेचन के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि परिवाद पत्र में ट्रैक्टर के साथ ग्लोबल एक्सल खरीदने हेतु कोई धनराशि दिये जाने का तथ्य भी परिवादी साक्ष्य से सिद्व नहीं होता है। रू0 80,000/-का चेक परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-01 को ट्रैक्टर के मूल्य, बीमा आदि अन्य व्यय की धनराशि के संबंध में दिया जाना पुष्ट होता है ।

             उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर निष्कर्ष निकलता है कि ट्रैक्टर का मूल्य रू0 7,50,000/-न होकर रू0 6,70,000/-होना सिद्व होता है। परिवादी द्वारा ट्रैक्टर के साथ ग्लोबल एक्सल खरीदने के लिये रू0 80,000/-देने की पुष्टि परिवादी साक्ष्य से नहीं होती है। ट्रैक्टर के मूल्य व बीमा आदि अन्य व्यय की कुल धनराशि के भुगतान में रू0 3,00,000/-विपक्षी संख्या-02 फाइनेन्स कम्पनी से ऋण लेकर देने, रू0 80,000/-का चेक देने तथा शेष धनराशि नकद (जैसा कि विपक्षी संख्या-01 ने अपने जवाबदावे में स्पष्ट किया है) देने की पुष्टि होती है।

             परिवाद पत्र के प्रथम पैरा में वर्णित तथ्य के अनुसार ट्रैक्टर दिनांक 30.10.2012 को क्रय किया गया। परिवाद पत्र दिनांक 16.09.2013 को प्रस्तुत हुआ है। ट्रैक्टर क्रय करने के पश्चात् विपक्षी संख्या-01 द्वारा कोई कागजात परिवादी को न देने, प्रथम सर्विसिंग के लिये ट्रैक्टर प्रस्तुत करने पर सर्विस न करने और फाइनेन्सिंग कम्पनी द्वारा रू0 2,00,000/-देने और इस कागजातों में गलत तरीके से रू0 3,00,000/-अंकित करने के संबंध में परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-01 व 02 को लिखित नोटिस दिये जाने का कोई भी तथ्य न तो परिवाद पत्र में अंकित है और न ही परिवादी द्वारा परिवाद पत्र दायर करने के पूर्व कोई दी गई लिखित नोटिस की प्रति ही दाखिल की गई है। ऐसी स्थिति में परिवाद दायर होने के पूर्व परिवादी को विपक्षी संख्या-01 द्वारा ट्रैक्टर के कागजात न देने का भी तथ्य संदेहास्पद हो जाता है। यदि परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-01 से कागजात मांगने पर भी कागजात नहीं दिये गये थे और परिवादी के चेक का गलत इस्तेमाल किया गया था। इस संबंध में परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-01 को परिवाद दायर करने से पूर्व एक लिखित नोटिस अवश्य देनी चाहिये थी। इसी प्रकार रू0 2,00,000/-लोन के जगह रू0 3,00,000/-अंकित कर दिये थे तो उसके संबंध में परिवादी द्वारा परिवाद योजित करने के पूर्व विपक्षी संख्या-02 को लिखित नोटिस अवश्य देनी चाहिये थी। परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-01 व 02 को अपने उपरोक्त कथनों के संबंध में परिवाद योजित करने के पूर्व कोई नोटिस न देना, सीधे परिवाद पत्र प्रस्तुत कर देना और इस परिवाद पत्र में रू0 80,000/-के चेक का कोई भी उल्लेख न करना परिवाद पत्र में ट्रैक्टर के मूल्य के वर्णन, ट्रैक्टर के साथ ग्लोबल एक्सल क्रय किये जाने, ट्रैक्टर के प्रपत्र सर्विस बुक आदि न दिये जाने के तथ्य पश्चात् विचार (।जिमत जीवनहीजद्ध मात्र है क्योकि न तो ट्रैक्टर का मूल्य व्यय सहित रू0 7,50,000/-होने, रू0 5,50,000/-परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-01 को नकद दिये जाने की पुष्टि होती है और न ही ग्लोबल एक्सल लगाने के लिये रू0 80,000/-दिये जाने की पुष्टि होती है। परिवादी के इस कथन की भी पुष्टि नहीं होती है कि विपक्षी संख्या-02 ने रू0 2,00,000/-ऋण देकर रू0 3,00,000/-ऋण करार अभिलेख में अंकित कर दिये।

            ऋण अनुबन्ध में विवाद आर्विटेटर के माध्यम से निस्तारण का प्राविधान होने और इस आधार पर वर्तमान परिवाद पत्र पोषणीय न होने का विपक्षी संख्या-02 ने वादोत्तर में तर्क लिया है। यह विधि का स्थापित सिद्वान्त है कि जब किसी व्यक्ति को अपना विवाद निस्तारित कराने के लिये एक से अधिक फोरम विधि क्षेत्र में उपलब्ध हो तो वह व्यक्ति चयनित फोरम में अपने विवाद निस्तारण हेतु जा सकता है। परिवादी को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता होने के आधार पर अपना परिवाद प्रस्तुत करने का अधिकार है। परिवाद के तथ्य सिद्व होना न होना यह साक्ष्य के ऊपर निर्भर करता है। अतः इस बिन्दु पर विपक्षी संख्या-02 का तर्क बलहीन है।

             उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि परिवादी अपना परिवाद सिद्व करने में असफल रहा है। अतः परिवाद पत्र में याचित कोई भी अनुतोष परिवादी को दिलाये जाने योग्य नहीं है।

             उपरोक्त विवेचना के आलोक में परिवाद पत्र निरस्त किये जाने योग्य है।

आदेश

परिवाद संख्या-176/2013 निरस्त किया जाता है।

(0 एस0 के0 त्रिपाठी)                         (संजय खरे)

       सदस्य                                          अध्यक्ष

यह निर्णय आज दिनांक को  आयोग  के  अध्यक्ष  एंव  सदस्य द्वारा  खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।

(0 एस0 के0 त्रिपाठी)                         (संजय खरे)

       सदस्य                                          अध्यक्ष

दिनांक 04.03.2023

 

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