Uttar Pradesh

StateCommission

A/2502/2015

M/S Poddar Agency - Complainant(s)

Versus

Arvind Vihari Srivastava - Opp.Party(s)

Yogendra Kumar Tewari

04 Oct 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2502/2015
(Arisen out of Order Dated 03/11/2015 in Case No. C/79/2014 of District Gonda)
 
1. M/S Poddar Agency
Gonda
...........Appellant(s)
Versus
1. Arvind Vihari Srivastava
Gonda
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 04 Oct 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील सं0- 2502/2015

                                   (मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, गोण्‍डा द्वारा परिवाद सं0- 79/2014 में पारित आदेश दि0 03.11.2015 के विरूद्ध)

मेसर्स पोद्दार एजेंसी द्वारा प्रोपराइटर राजेन्‍द्र प्रसाद अग्रवाल निकट- महिला अस्‍पताल चौराहा, सरदार पेट्रोल पम्‍प के समाने कचेहरी रोड गोण्‍डा, नगर पोस्‍ट व जनपद- गोण्‍डा, उ0प्र0।

                                                   …………..अपीलार्थी                                                   

बनाम   

 

अरविन्‍द बिहारी श्रीवास्‍तव पुत्र श्री वंशेश्‍वर प्रसाद निवासी- म0नं0- 73 मोहल्‍ला-चन्‍द्र शेखर आजाद नगर गोण्‍डा, पोस्‍ट व जनपद- गोण्‍डा, उ0प्र0।

                                                                                       .....………..प्रत्‍यर्थी     

समक्ष:-                       

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष। 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री योगेन्‍द्र कुमार तिवारी, विद्वान

                           अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित :  अरविन्‍द बिहारी श्रीवास्‍तव, व्‍यक्तिगत 

                           रूप से।  

दिनांक:-  04.10.2017

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष  द्वारा उद्घोषित

                                                     

निर्णय

 

  परिवाद सं0- 79/2014 अरविन्‍द बिहारी श्रीवास्‍तव बनाम मेसर्स पोद्दार एजेन्‍सी में जिला फोरम, गोण्‍डा द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 03.11.2015 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

  आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है :-

  परिवादी का परिवाद पत्र स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी से पुरानी बैटरी लेकर उसके स्‍थान पर नयी एक्‍साइड इन्‍वारेट बैटरी बदलकर एक माह में दे दे। विपक्षी परिवादी को मानसिक एवं शारीरिक कष्‍ट हेतु 2,000/-रू0 तथा वाद व्‍यय के रूप में भी 2,000/-रू0 एक माह में प्राप्‍त कराये।

  जिला फोरम के निर्णय और आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी मेसर्स पोद्दार एजेंसी की ओर से यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। 

  अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से उसके विद्वान अधिवक्‍ता श्री योगेन्‍द्र कुमार तिवारी उपस्थित आये हैं। प्रत्‍यर्थी अरविन्‍द बिहारी श्रीवास्‍तव व्‍यक्तिगत रूप से उपस्थित आये हैं।

  मैंने उभयपक्ष के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

  अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने उपरोक्‍त परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने अपीलार्थी/विपक्षी से इंवर्टर बैटरी दि0 03.03.2011 को 11,700/-रू0 में क्रय किया। बैटरी क्रय किये जाते समय विपक्षी ने उसे बताया कि बैटरी काफी अच्‍छी और शक्तिशाली है। बिजली न रहने पर तीन-चार पंखे, बल्‍ब व टी0वी0 6 से 8 घण्‍टे तक चलेंगे, परन्‍तु बैटरी में दो-तीन महीने के बाद से ही खराबी आने लगी और बिजली न रहने पर बैटरी 2-3 घण्‍टे से अधिक नहीं चलती थी। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी से शिकायती की तो उसने बैटरी देखने के लिए आदमी भेजा जिसने देखकर बताया कि बैटरी ठीक लग रही है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी स्विच व इन्‍वर्टर की जांच करा ले तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने स्विच और इन्‍वर्टर की जांच करायी तो दोनों ठीक पाये गये, फिर भी बैटरी की खराबी बनी रही और मई 2011 में प्रत्‍यर्थी/परिवादी बैटरी लेकर विपक्षी की दुकान पर गया तो विपक्षी ने बैटरी ठीक कर उसे दिया। बैटरी दो-तीन महीने बाद पुन: खराब हो गई तब नवम्‍बर 2011 में प्रत्‍यर्थी/परिवादी, विपक्षी के पास पुन: गया। पांच दिन देखने के बाद विपक्षी ने बैटरी ठीक कर उसे दे दी, परन्‍तु दो माह चलने के बाद बैटरी पुन: खराब हो गई तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने दि0 07.04.2012 को विपक्षी को बैटरी ठीक करने को दिया तो उसने बैटरी ठीक नहीं किया, मजबूर होकर सिंह इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स को प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने बैटरी दिखाया जिसने 700/-रू0 लिया और कहा कि बैटरी में बेसिक त्रुटि है तब उसके बाद प्रत्‍यर्थी/परिवादी दि0 10.02.2014 को विपक्षी के पास गया, परन्‍तु उसने किसी प्रकार की सहायता करने से इनकार कर दिया। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने मजबूर होकर विधिक नोटिस देकर परिवाद प्रस्‍तुत किया है।

  विपक्षी ने जिला फोरम के समक्ष उपस्थित होकर लिखित कथन प्रस्‍तुत किया और कहा कि परिवादी कभी भी उसकी दुकान पर बैटरी नहीं लाया और न उसकी कोई जांच की गई। प्रत्‍यर्थी ने अनुचति लाभ प्राप्‍त करने के लिए परिवाद गलत कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है। बैटरी खराब होने की दशा में प्राइवेट मिस्‍त्री को देखने का अधिकार नहीं है। यदि बैटरी प्राइवेट मिस्‍त्री को दिखायी जाती है तो कम्‍पनी का उत्‍तरदायित्‍व नहीं रह जाता है।

  उभयपक्ष के अभिकथन और साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत जिला फोरम ने यह निष्‍कर्ष निकाला है कि बैटरी में निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि थी और विपक्षी ने त्रुटि निवारण नहीं किया है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध परिवाद स्‍वीकार करते हुए उपरोक्‍त प्रकार से आदेश पारित किया है।

  अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के विरूद्ध है। अपीलार्थी विक्रेता है निर्माता नहीं। अत: बैटरी में किसी निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि के लिए निर्माता उत्‍तरदायी है, जिसे परिवाद में पक्षकार नहीं बनाया गया है। अत: परिवाद दोष पूर्ण है।

  अपीलार्थी की ओर से तर्क किया गया है कि दि0 20.02.2014 को डीलर मेसर्स पोद्दार एजेंसी गोण्‍डा द्वारा बैटरी की शिकायत दर्ज करायी गई है जिसका नं0- 4130 है और शिकायत नं0- NVHO-00084727 पर दर्ज है तथा कम्‍पनी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को मोबाइल पर मैसेज भेजा गया है और शिकायत दर्ज कर ली गई है। बैटरी डीलर की दुकान पर ले आइये, फिर भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने बैटरी नहीं पहुंचायी जिससे बैटरी कम्‍पनी को प्रेषित नहीं की जा सकी है।

  प्रत्‍यर्थी का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के अनुकूल है। अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा बराबर अनुरोध किये जाने के बाद बैटरी की त्रुटि का निवारण नहीं किया है जब कि बैटरी में निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि रही है जिससे बैटरी ने ठीक ढंग से काम नहीं किया है।

  मैंने उभयपक्ष के तर्क पर विचार किया है।

  उभयपक्ष के अभिकथन एवं उनकी ओर से किये गये तर्क के आधार पर मैं इस मत का हूँ कि जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी को जो आदेशित किया है कि वह परिवादी से पुरानी बैटरी लेकर नई एक्‍साइड इंवर्टर बैटरी बदलकर दें वह उचित और युक्ति संगत है। अपीलार्थी निर्माता बैटरी का अथराइज्‍ड डीलर है। अत: बैटरी बदलवाने हेतु वह सक्षम है।

  मेरी राय में जिला फोरम ने जो 2,000/-रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादी को मानसिक एवं शारीरिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति अपीलार्थी/विपक्षी से दिलाया है उसे अपास्‍त किया जाना उचित है। जिला फोरम ने जो 2,000/-रू0 वाद व्‍यय प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिलाया वह उचित है।

  उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा जो 2,000/-रू0 मानसिक व शारीरिक कष्‍ट हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादी को क्षतिपूर्ति दिलायी गई है उसे अपास्‍त किया जाता है। जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश का शेष अंश यथावत कायम रहेगा।

  अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

  धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।  

 

 

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)                                           

                                      अध्‍यक्ष                         

 

शेर सिंह आशु0,

कोर्ट नं0-1

 

    

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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