Uttar Pradesh

StateCommission

A/801/2015

Pachimanchal Vidyut Vitran Nigam - Complainant(s)

Versus

Arvind Kumar - Opp.Party(s)

Isarhussain

11 Jul 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/801/2015
( Date of Filing : 29 Apr 2015 )
(Arisen out of Order Dated 03/04/2014 in Case No. C/213/2009 of District Saharanpur)
 
1. Pachimanchal Vidyut Vitran Nigam
saharanpur
...........Appellant(s)
Versus
1. Arvind Kumar
saharanpur
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 11 Jul 2022
Final Order / Judgement

                                  (मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 

अपील सं0- 801/2015

1. Pachimanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd. through its Suprintending Engineer, EDD Saharanpur.

2. Pachimanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd. through its Executive Engineer, EDD I Correct Division is EUDD I Ghanta Ghar, Saharanpur.

3. Pachimanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd. through its Junior Engineer, EDD, Hakikat Nagar, Saharanpur.  

                                                ………..Appellants

Versus

 

Arvind Kumar S/o Mahipal Singh R/o Village Budhdha Khera, Santlal, Post Nalheda Gurjar, District Saharanpur.

                                              …………..Respondent 

                                     

समक्ष:-

   माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

   माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थीगण की ओर से  : श्री इसार हुसैन, विद्वान अधिवक्‍ता।                         

प्रत्‍यर्थी की ओर से      : कोई नहीं।

                     

दिनांक:- 11.07.2022

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

निर्णय

1.        परिवाद सं0- 213/2009 अरविन्‍द कुमार बनाम पश्चिमांचल उत्‍तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लि0 व 02 अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता आयोग, सहारनपुर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 03.04.2014 के विरुद्ध यह अपील धारा- 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।       

2.        संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की एक दुकान पावनबेला मार्किट कोर्ट रोड, सहारनपुर में थी जिसमें प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने विद्युत कनेक्‍शन सं0- एस0पी0/6/108/082291 लिया था जो किसी कारण बन्‍द हो गया तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के प्रार्थना पत्र देने पर अपीलार्थीगण/विपक्षीगण ने पुराना मीटर उतारकर नया इलेक्‍टॉनिक मीटर दि0 05.05.2008 को लगा दिया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी की उक्‍त दुकान में किरायेदार राकेश था जिसने माह जून 2008 तक के विद्युत बिल की अदायगी कर दी थी। उक्‍त दुकान में लगाया गया इलेक्‍ट्रॉनिक मीटर भी तुरन्‍त ही किसी कारणवश खराब हो गया और बन्‍द हो गया जिसको माह अक्‍टूबर 2008 में अपीलार्थीगण/विपक्षीगण ने उतरवा लिया और प्रत्‍यर्थी/परिवादी का विद्युत कनेक्‍शन अपीलार्थीगण/विपक्षीगण द्वारा काट दिया गया। उसके पश्‍चात उक्‍त दुकान में मीटर नहीं लगाया गया। उसके बाद माह अक्‍टूबर 2008 से प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने उक्‍त दुकान में विद्युत का उपभोग नहीं किया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने वर्ष 2007 में उक्‍त दुकान गणेशदत्‍त शर्मा को बेच दी तथा माह अक्‍टूबर 2007 के विद्युत बिल का भुगतान कर दिया था। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थीगण/विपक्षीगण के कार्यालय में जाकर मामले को निपटाना चाहा, किन्‍तु उनके द्वारा मीटर से ज्‍यादा रीडिंग बतायी गई और मीटर बदलने का चार्ज भी 1500/-रू0 मांगा गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा बार-बार निवेदन करने पर भी अपीलार्थीगण/विपक्षीगण द्वारा सही धनराशि नहीं बतायी गई और वे नाजायज रूप से प्रत्‍यर्थी/परिवादी से धन वसूलना चाहते हैं। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा उक्‍त के सम्‍बन्‍ध में अपने अधिवक्‍ता द्वारा भी एक नोटिस अपीलार्थीगण/विपक्षीगण को दिया गया जिसका कोई उत्‍तर नहीं दिया गया, जिससे व्‍यथित होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने यह परिवाद प्रस्‍तुत किया है।

3.        विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष अपीलार्थीगण/विपक्षीगण की ओर से उत्‍तर पत्र दाखिल किया गया जिसमें कथन किया गया है कि परिवाद खिलाफ कानून तथ्‍यों के विपरीत बिना किसी आधार प्रस्‍तुत किया गया है जो निरस्‍त होने योग्‍य है। पक्षों के मध्‍य ऐसा कोई विवाद नहीं है जो उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की परिधि में आता हो। विभाग के किसी भी कर्मचारी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी को हिसाब-किताब समझाने से इंकान नहीं किया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी किसी भी कार्य दिवस में आकर हिसाब समझ सकता है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी को कोई मानसिक क्षति नहीं हुई है। प्रश्‍नगत कनेक्‍शन का निरंतर उपभोग होता रहा है, किन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा कभी भी समय से बिलों की अदायगी नहीं की गई। प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से माह जनवरी 2010 तक अंकन 17,961/-रू0 वाजिब थे। प्रत्‍यर्थी/परिवादी को जो भी बिल भेजे गए वे नियमानुसार सही हैं, जिन्‍हें अदा करने का दायित्‍व प्रत्‍यर्थी/परिवादी का है। कनेक्‍शन को स्‍थायी रूप से विच्‍छेदित कराने हेतु निश्चित नियम हैं जिसके लिए विभाग में प्रार्थना पत्र व शपथ पत्र देना होता है और स्‍थायी विच्‍छेदन फीस जमा करनी होती है तथा इसके बाद ही नियमानुसार कनेक्‍शन को विच्‍छेदित किया जाता है। पी0डी0 कराने के लिए प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने कोई कार्यवाही विभाग में नहीं की। प्रत्‍यर्थी/परिवादी की दुकान अक्‍सर बन्‍द रहती है, इसलिए कुछ बिल रीडिंग के व कुछ औसत यूनिट के आधार पर प्रोविजनल भेजे गए। परिवाद कानूनन पोषणीय नहीं है, अत: सव्‍यय निरस्‍त होने योग्‍य है।

4.        विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थीगण/विपक्षीगण को आदेशित किया है कि वे प्रश्‍नगत निर्णय की तिथि से एक माह के अन्‍दर प्रत्‍यर्थी/परिवादी को कनेक्‍शन सं0- एसी0पी0/6/108/082291 से सम्‍बन्धित अक्‍टूबर 08 तक का बकाया विद्युत उपभोग का सही हिसाब बनाकर दें, जिसे प्रत्‍यर्थी/परिवादी हिसाब प्राप्‍त होने से एक सप्‍ताह के अन्‍दर जमा करें। विद्युत बिल जमा करने के एक सप्‍ताह के अन्‍दर प्रत्‍यर्थी/परिवादी के उक्‍त कनेक्‍शन को अपीलार्थीगण/विपक्षीगण स्‍थाई रूप से विच्‍छेदित कर दें। इसके अतिरिक्‍त उपरोक्‍त अवधि में ही अपीलार्थीगण/विपक्षीगण, प्रत्‍यर्थी/परिवादी को मानसिक व शारीरिक कष्‍ट एवं सेवा में कमी के लिये अंकन 5000/-रू0 एवं वाद व्‍यय के लिये अंकन 3000/-रू0 भी अदा करें। उपरोक्‍त अवधि में अदायगी न करने पर निर्णय की तिथि से अंतिम अदायगी की तिथि तक अपीलार्थीगण/विपक्षीगण द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अंकन 5000/-रू0 की राशि पर 09 प्रतिशत की दर से साधारण वार्षिक ब्‍याज भी देय होगा, जिससे व्‍यथित होकर अपीलार्थीगण/विपक्षीगण द्वारा यह अपील प्रस्‍तुत की गई है।

5.        अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री इसार हुसैन को सुना गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया गया।

6.        विद्वान जिला उपभोक्‍ता के प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपने शपथ पत्र से यह साबित किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपनी दुकान हेतु विद्युत कनेक्‍शन लिया था जिसका बिल उसके किरायेदार राकेश द्वारा माह जून 2008 तक जमा कर दिया गया है। इसके उपरांत अपीलार्थीगण/विपक्षीगण द्वारा पुराना मीटर उतारकर नया इलेक्‍ट्रॉनिक मीटर दि0 05.05.2008 को लगा दिया गया था, यह नया मीटर खराब हो गया, जिसे अपीलार्थीगण/विपक्षीगण ने माह अक्‍टूबर 2008 में उतरवा लिया और प्रत्‍यर्थी/परिवादी का विद्युत कनेक्‍शन काट दिया। उसके बाद से प्रत्‍यर्थी/परिवादी की दुकान में मीटर नहीं लगाया गया और प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा विद्युत का उपभोग भी नहीं किया गया। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने प्रश्‍नगत निर्णय में यह तर्क दिया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से प्रस्‍तुत किए गए प्रमाण पत्र के पृष्‍ठ पर स्‍पष्‍ट रूप से अंकित है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी का मीटर उतारा गया था तथा माह नवम्‍बर 2007 तक का बिल अदा किया गया था। माह नवम्‍बर 2007 से माह जून 2008 तक के बिल उसके किरायेदार राकेश द्वारा अदा किया गया। माह जून 2008 के उपरांत उपभोग का कोई प्रमाण नहीं मिला। इसके अतिरिक्‍त माह अक्‍टूबर 2008 में मीटर उतारा गया और इसके उपरांत दि0 17.10.2008 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने दुकान एक व्‍यक्ति श्री गणेश दत्‍त शर्मा को बेच दी थी। अपीलार्थीगण/विपक्षीगण के अनुसार कनेक्‍शन का निरंतर उपभोग होता रहा, अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से दि0 10 जनवरी 2009 तक 17,961/-रू0 वाजिब हो गए। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के अनुसार अपीलार्थीगण/विपक्षीगण ने उक्‍त कथनों को साबित करने के लिए साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया है। उक्‍त धनराशि कब तक की है, कितनी रीडिंग व यूनिट की है। इस आधार पर प्रश्‍नगत आदेश में अपीलार्थीगण/विपक्षीगण माह अक्‍टूबर 2008 तक का बकाया विद्युत उपभोग का सही हिसाब बनाकर दें तथा हिसाब प्राप्‍त होने के 01 सप्‍ताह के अन्‍दर प्रत्‍यर्थी/परिवादी को विद्युत बिल जमा करने का निर्देश दिया गया और विद्युत बिल जमा होने के 01 सप्‍ताह के अन्‍दर उक्‍त कनेक्‍शन को स्‍थायी रूप से विच्‍छेदित कर देने के निर्देश दिए गए हैं। उक्‍त साक्ष्‍य के आधार पर निर्णय का यह भाग उचित प्रतीत होता है।             

7.        दौरान बहस अपीलार्थीगण/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री इसार हुसैन द्वारा यह भी कथन किया गया कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, सहारनपुर द्वारा परिवाद सं0- 213/2009 में पारित निर्णय एवं आदेश दि0 03.04.2014 के द्वारा अपीलार्थीगण/विपक्षीगण के विरुद्ध मानसिक व शारीरिक कष्‍ट एवं सेवा में कमी के लिए अंकन 5,000/-रू0 और वाद व्‍यय के रूप में अंकन 3,000/-रू0 अदा न करने पर अंकन 5,000/-रू0 की राशि पर 09 प्रतिशत की दर साधारण वार्षिक ब्‍याज की देयता निर्धारित की गई है, जिसे अपीलार्थीगण/विपक्षीगण द्वारा निरस्‍त किए जाने की याचना की गई है।

8.        प्रस्‍तुत अपील विगत लगभग 12 वर्षों से लम्बित है, अत: अपीलार्थीगण/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क एवं सभी तथ्‍यों व वर्तमान परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, सहारनपुर द्वारा परिवाद सं0- 213/2009 में पारित निर्णय एवं आदेश दि0 03.04.2014 को संशोधित करते हुए अपीलार्थीगण/विपक्षीगण के विरुद्ध मानसिक व शारीरिक कष्‍ट एवं सेवा में कमी के लिए अंकन 5,000/-रू0 और वाद व्‍यय के रूप में अंकन 3,000/-रू0 अदा न करने पर अंकन 5,000/-रू0 की राशि पर 09 प्रतिशत की दर से साधारण वार्षिक ब्‍याज की देयता निर्धारित की गई है उसे न्‍याय की दृष्टि से निरस्‍त किया जाना उचित प्रतीत होता है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

आदेश

9.        अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश इस प्रकार संशोधित किया जाता है कि मानसिक व शारीरिक कष्‍ट एवं सेवा में कमी के लिए अंकन 5,000/-रू0 और वाद व्‍यय के रूप में अंकन 3,000/-रू0 तथा 09 प्रतिशत की दर से साधारण वार्षिक ब्‍याज की देयता निरस्‍त की जाती है। शेष निर्णय व आदेश की पुष्टि की जाती है। 

          अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

          अपील में धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थीगण द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित इस निर्णय व आदेश के अनुसार जिला उपभोक्‍ता आयोग को निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जावे।             

          आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय व आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

   (राजेन्‍द्र सिंह)                         (विकास सक्‍सेना)

            सदस्‍य                                सदस्‍य

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0- 2

     

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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