Uttar Pradesh

StateCommission

A/280/2017

Indusind Bank - Complainant(s)

Versus

Arvind Kumar - Opp.Party(s)

Brijendra Chaudhary

03 May 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/280/2017
( Date of Filing : 08 Feb 2017 )
(Arisen out of Order Dated 30/12/2016 in Case No. c/04/2016 of District Rae Bareli)
 
1. Indusind Bank
Raibareli
...........Appellant(s)
Versus
1. Arvind Kumar
Raibareli
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 03 May 2019
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-280/2017

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, रायबरेली द्वारा परिवाद संख्‍या 04/2016 में पारित आदेश दिनांक 30.12.2016 के विरूद्ध)

INDUSIND BANK LTD.

Branch Office:

Aspatal Chauraha, City & District-Raebareli

Registered office:

2401, General Thimaiya Road, Cantonment,                  Pune-411001

State office:

Saran Chamber-II, Park Road, Hazratganj, Lucknow

Through it’s Manager Legal.

                              ...................अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

ARVIND KUMAR

S/o- Sukh Nandan,

R/o-Sobhpurwa,

Post-Ambara Paschim,

Tehsil-Lalganj, Raebareli.

                             ......................प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री बृजेन्‍द्र चौधरी,                               

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री संजय कुमार वर्मा,                               

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 14.06.2019  

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद संख्‍या-04/2016 अरविन्‍द कुमार बनाम इन्‍सन्‍ड बैंक लि0 में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष  फोरम,  रायबरेली  द्वारा

 

 

-2-

पारित निर्णय और आदेश दिनांक 30.12.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा उपरोक्‍त परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। परिवादी को विपक्षी रू0 1084000.00 (रूपये दस लाख चौरासी हजार मात्र) तथा इस धनराशि पर वाहन क्रय करने की तिथि जून 2014 से अदायगी की तिथि तक आठ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज भी पाने का अधिकार होगा। विपक्षी यह धनराशि परिवादी को दो माह में अदा करें। विपक्षी परिवादी को रू0 5000.00 क्षतिपूर्ति तथा रू0 1000.00 वाद व्‍यय भी परिवादी को दो माह में अदा करेंगें। निर्धारित अवधि में क्षतिपूर्ति तथा वाद व्‍यय की कुल धनराशि रू0 6000.00 (रू0 छ: हजार मात्र) न अदा करने पर इस धनराशि पर भी परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि 04.01.2016 से अदायगी की तिथि तक आठ प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज परिवादी प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा।''

जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी इन्‍सन्‍ड बैंक लि0 ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री बृजेन्‍द्र चौधरी और प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर

 

 

-3-

से विद्वान अधिवक्‍ता श्री संजय कुमार वर्मा उपस्थित आये हैं।

मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है। मैंने प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से प्रस्‍तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं  कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने स्‍वरोजगार एवं जीविकोपार्जन हेतु ट्रक क्रय करने के लिए अपीलार्थी/विपक्षी से ऋण हेतु माह जून 2014 में सम्‍पर्क किया तो अपीलार्थी/विपक्षी ने उसे बताया कि वर्तमान समय में रायबरेली में वाहन उपलब्‍ध नहीं है। यदि फतेहपुर से चाहे तो वह वाहन दिलवा देगा। तब अपीलार्थी/विपक्षी के निर्देशानुसार माह जुलाई 2014 में प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने फतेहपुर स्थित डीलर को डाउन पेमेन्‍ट सम्‍बन्‍धी पूरा भुगतान कर दिया और वहीं पर अपीलार्थी/विपक्षी के उपब्रान्‍च में कार्यरत कर्मचारियों ने उससे अंग्रेजी भाषा में छपे अनुबन्‍ध पत्र पर बिना पढ़कर सुनाये व समझाये हस्‍ताक्षर करवा लिया तथा समस्‍त विधिक औपचारिकतायें पूर्ण कर 16,00,000/-रू0 का ऋण प्रदान कर दिया। तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने वाहन क्रय करके अपने ट्रक की बाडी बनवाने में 7,00,000/-रू0 खर्च किया और वाहन का पंजीकरण व परमिट आदि प्राप्‍त किया। वाहन का पंजीकरण नं0  UP71-T5154  और

 

-4-

चेचिस नं0 448022FA05423 व इंजन नं0 41F84165583 है।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि ऋण की अदायगी 48100/-रू0 प्रतिमाह के हिसाब से 48 किश्‍तों में करना था। वाहन का बीमा अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा अपनी इच्‍छानुसार चोलामण्‍डलम इंश्‍योरेंस कम्‍पनी से करवाकर प्रीमियम की धनराशि ऋण धनराशि में समायोजित की गयी थी और किश्‍तों का भुगतान दो माह बाद से प्रारम्‍भ होना था। एक किश्‍त का भुगतान अपीलार्थी/विपक्षी ने अग्रिम प्राप्‍त किया था।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि किश्‍तों के भुगतान हेतु अपीलार्थी/विपक्षी ने उसके बैंक खाते से सम्‍बन्धित सादे चेकों पर हस्‍ताक्षर करवाकर सुरक्षित रख लिया था और उसे आश्‍वासन दिया था कि उसके खाते में चेक संलग्‍न कर भुगतान प्राप्‍त करता रहेगा। इसके साथ ही बैंक में प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते में पर्याप्‍त धनराशि न होने पर नकद भुगतान प्राप्‍त करने की सुविधा अपीलार्थी/विपक्षी ने प्राप्‍त की थी।

परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते से लगातार भुगतान प्राप्‍त किया है और समय-समय पर फतेहपुर और रायबरेली स्थि‍त अपीलार्थी/विपक्षी की शाखाओं               ने नकद भुगतान भी प्राप्‍त किया है। अगस्‍त 2015 तक कुल                 13 किश्‍तों का भुगतान प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने किया। उसके बाद माह सितम्‍बर में प्रत्‍यर्थी/परिवादी की पत्‍नी गम्‍भीर रोग से ग्रसित हो गयी, जिससे प्रत्‍यर्थी/परिवादी  तीन  माह  तक  अपने  वाहन  का

 

-5-

संचालन नहीं कर सका, जिससे किश्‍तों का भुगतान वह अपीलार्थी/विपक्षी को नहीं कर सका।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने घोर उपेक्षा व लापरवाही तथा सेवा में शिथिल‍ता पूर्वक कार्यवाही करते हुए किसी प्रकार की पूर्व सूचना या डिमाण्‍ड नोटिस भेजे बिना प्रत्‍यर्थी/परिवादी का वाहन दिनांक 04.12.2015 को गेगासो घाट थाना सरेनी जिला रायबरेली से बलपूर्वक अपराधी प्रवृत्ति के लोगों की सहायता से कब्‍जे में ले लिया और प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा मांग करने पर भी उसे वाहन को कब्‍जे में लेने की रसीद नहीं दिया। तदोपरान्‍त दिनांक 05.12.2015 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी, अपीलार्थी/विपक्षी से मिला और विधि विरूद्ध कार्यवाही के प्रति अपना विरोध दर्शित किया तथा यह भी कहा कि बकाये का सम्‍पूर्ण भुगतान प्राप्‍त कर उसका वाहन उसे वापस दे दे, परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी के कार्यलय में नियुक्‍त अधिकारियों ने उसे अपशब्‍ध कहते हुए कार्यालय से भगा दिया। अत: क्षुब्‍ध होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत कर निवेदन किया कि उसे उसका वाहन अपीलार्थी/विपक्षी से दिलाया जाये अथवा उक्‍त वाहन पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा किये गये व्‍यय की धनराशि 8,00,000/-रू0 एवं किश्‍त में किये गये भुगतान की धनराशि 7,00,000/-रू0 कुल 15,00,000/-रू0 ब्‍याज सहित उसे वापस दिलायी जाये। इसके साथ ही प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने क्षतिपूर्ति व वाद व्‍यय भी मांगा है।

 

-6-

जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत कर कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने वाहन वाणिज्यिक उद्देश्‍य से क्रय किया है। अत: परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत ग्राह्य नहीं है। लिखित कथन में उसने यह भी कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी और बैंक के मध्‍य प्रश्‍नगत ट्रक के सम्‍बन्‍ध में अनुबन्‍ध जनपद फतेहपुर में सम्‍पादित किया गया है और प्रश्‍नगत वाहन प्रत्‍यर्थी/परिवादी के ड्राइवर से जनपद फतेहपुर में अधिग्रहित किया गया है, जिसकी सूचना थाना मलवॉ फतेहपुर में दी गयी थी। अत: वाद कारण जनपद रायबरेली में उत्‍पन्‍न नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति में जिला फोरम, रायबरेली को परिवाद की सुनवाई का अधिकार नहीं है।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से यह भी कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को वाहन क्रय करने हेतु              16,20,000/-रू0 का ऋण अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा दिया गया है और अनुबन्‍ध के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी को कुल 21,60,360/-रू0 का भुगतान दिनांक 21.09.2014 से दिनांक 21.06.2018 के मध्‍य करना था, परन्‍तु उसने अनुबन्‍ध की शर्तों का उल्‍लंघन किया है और किश्‍तों के भुगतान में चूक की है। उससे अपीलार्थी/विपक्षी बैंक ने लिखित व मौखिक रूप से बराबर किश्‍तों की धनराशि के भुगतान का आग्रह किया, परन्‍तु उसने भुगतान नहीं किया। वाहन अभिरक्षा में लेते समय उसके खाते में दिसम्‍बर माह तक कुल 2,13,831/-रू0 जमा कराया जाना बाकी था तथा डिले पेमेन्‍ट चार्ज

 

-7-

भी देय था।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी ने कहा है कि परिवाद अनुचित लाभ प्राप्‍त करने हेतु योजित‍ किया गया है।

जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त आक्षेपित निर्णय में यह मत व्‍यक्‍त किया है कि वाहन को अपीलार्थी/विपक्षी बैंक ने दिसम्‍बर 2015 में कब्‍जे में लिया था। अत: वाहन को इस अवधि में वापस कराये जाने का कोई औचित्‍य नहीं पाया जाता है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह भी उल्‍लेख किया है कि तथ्‍यों से यह भी स्‍पष्‍ट होता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने 3,64,000/-रू0 भुगतान करके वाहन की बॉडी बनवायी तथा ऋण के रूप में 7,20,000/-रू0 की धनराशि जमा किया है, जिसे प्रत्‍यर्थी/परिवादी प्राप्‍त करने का अधिकारी है। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए आदेश पारित किया है, जो ऊपर अंकित किया गया है।

अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय व आदेश साक्ष्‍य और विधि के विरूद्ध है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी के ऋण की किश्‍तों का भुगतान नहीं किया है। अत: ऋण करार पत्र के अनुसार अपीलार्थी/विपक्षी ने वाहन को विधि और नियम के अनुसार अभिरक्षा में लिया है।

अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम ने अपने निर्णय में अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा वाहन अवैधानिक

 

-8-

ढंग से कब्‍जे में लिये जाने के सम्‍बन्‍ध में कोई निष्‍कर्ष नहीं अंकित किया है।

अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि ऋण करार के अनुसार अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा वाहन की नीलामी कर प्राप्‍त धन प्रत्‍यर्थी/परिवादी के जिम्‍मा अवशेष धनराशि में समायोजित किया जा सकता है और यदि उसके बाद कोई धनराशि बचती है तो उसकी वसूली विधि के अनुसार बैंक को प्रत्‍यर्थी/परिवादी से करने का अधिकार है।

अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने प्रश्‍नगत ट्रक वाणिज्यिक उद्देश्‍य से लिया है अत: वह उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता नहीं है और परिवाद जिला फोरम के समक्ष ग्राह्य नहीं है।

अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि प्रश्‍नगत वाहन के सम्‍बन्‍ध में अनुबन्‍ध पत्र जनपद फतेहपुर में निष्‍पादित किया गया है और प्रश्‍नगत ट्रक को कथित रूप से जनपद फतेहपुर में ही कब्‍जे में लिया गया है। अत: वाद हेतुक जनपद फतेहपुर में उत्‍पन्‍न हुआ है। ऐसी स्थिति में जिला फोरम, रायबरेली को परिवाद ग्रहण करने का क्षेत्राधिकार नहीं है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी  के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश उचित और युक्तिसंगत है। अपीलार्थी/विपक्षी बैंक ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी से ट्रक विधि विरूद्ध ढंग से

 

-9-

कब्‍जे में लिया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता है और जिला फोरम, रायबरेली को परिवाद की सुनवाई का अधिकार है।

मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

परिवाद पत्र में प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने स्‍पष्‍ट रूप से कहा है कि उसने प्रश्‍नगत ट्रक अपीलार्थी/विपक्षी से ऋण लेकर स्‍वनियोजन एवं जीविकोपार्जन हेतु क्रय किया है। अत: धारा-2 (1) (डी) उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के स्‍पष्‍टीकरण के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता की श्रेणी में आता है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी को उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत परिवाद प्रस्‍तुत करने का अधिकार है।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का वाहन              दिनांक 04.12.2015 को अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा गेगासो घाट थाना सरेनी जिला रायबरेली से बलपूर्वक कब्‍जे में लिया गया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपने इस कथन का समर्थन शपथ पत्र के माध्‍यम से किया है। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा वाहन कब्‍जे में लिये जाने के सम्‍बन्‍ध में कोई अभिलेख या रसीद प्रत्‍यर्थी/परिवादी को नहीं दिया गया है। इसके साथ ही उल्‍लेखनीय है कि अपील की पत्रावली में अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिनांक 21.11.2015 और दिनांक 28.10.2015 को भेजी गयी नोटिस की प्रति संलग्‍न की है, जो प्रत्‍यर्थी/परिवादी को उसके रायबरेली के  पते

 

-10-

से भेजी गयी है। दोनों नोटिसों में प्रत्‍यर्थी/परिवादी से ट्रक के ऋण की अवशेष धनराशि की मांग की गयी है और भुगतान में चूक होने पर ऋण करार पत्र के क्‍लाज-15 के अनुसार ट्रक को कब्‍जे में लेने का कथन किया गया है। अत: परिवाद हेतु वाद हेतुक जनपद रायबरेली में उत्‍पन्‍न होना स्‍पष्‍ट है। अत: जिला फोरम, रायबरेली को परिवाद की सुनवाई का अधिकार है।

जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को ट्रक को कब्‍जे में लेने के पूर्व भेजी गयी नोटिसों के सम्‍बन्‍ध में कोई विचार नहीं किया है और न ही अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी का ट्रक अवैधानिक ढंग से बलपूर्वक लिये जाने के सम्‍बन्‍ध में कोई निष्‍कर्ष अंकित किया है। ऋण करार पत्र के अनुसार किश्‍तों के भुगतान में चूक होने पर अपीलार्थी/विपक्षी के बैंक को वाहन को कब्‍जे में लेने का अधिकार प्राप्‍त है, परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी को वाहन को कब्‍जे में लेने के पहले प्रत्‍यर्थी/परिवादी को नोटिस विधि के अनुसार दिया जाना आवश्‍यक है। अपीलार्थी/विपक्षी ने वाहन को कब्‍जे में लेने के पूर्व कथित रूप से दी गयी नोटिस की प्रति प्रस्‍तुत की है, जिसका उल्‍लेख ऊपर किया जा चुका है, परन्‍तु यह नोटिस प्रत्‍यर्थी/परिवादी को कैसे प्रेषित की गयी यह पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍यों से स्‍पष्‍ट नहीं है और न ही इस सम्‍बन्‍ध में जिला फोरम ने कोई विचार किया है। जिला फोरम के समक्ष वर्तमान परिवाद में मुख्‍य रूप से विचारणीय बिन्‍दु यही रहा है कि क्‍या अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी  का

 

-11-

वाहन करार पत्र की शर्त के विरूद्ध बिना किसी नोटिस के अवैधानिक ढंग से कब्‍जे में लिया है, परन्‍तु इस बिन्‍दु पर जिला फोरम ने विचार किये बिना या कोई निष्‍कर्ष अंकित किये बिना आक्षेपित निर्णय व आदेश पारित किया है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय व आदेश दोषपूर्ण है और कायम रहने योग्‍य नहीं है।

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय व आदेश अपास्‍त करते हुए पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्‍यावर्तित की जाती है कि जिला फोरम उभय पक्ष को साक्ष्‍य एवं सुनवाई का अवसर देकर विधि के अनुसार निर्णय व आदेश पुन: पारित                करे और इस बिन्‍दु पर स्‍पष्‍ट निष्‍कर्ष अंकित करे कि क्‍या अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी का वाहन ऋण करार पत्र की शर्तों एवं नियम और विधि के विरूद्ध नोटिस दिये बिना अवैधानिक ढंग से कब्‍जे में लिया है।

उभय पक्ष जिला फोरम के समक्ष दिनांक 26.07.2019 को उपस्थित हों।

अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी/विपक्षी को वापस की जायेगी।

 

-12-

ट्रक खड़ा रखने से खराब हो सकता है। अत: जिला फोरम ट्रक की अभिरक्षा अथवा नीलामी के सम्‍बन्‍ध में अन्‍तरिम आदेश विधि के अनुसार प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत किये जाने पर पारित करने हेतु स्‍वतंत्र है।

 

                (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)           

                    अध्‍यक्ष             

 

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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