Uttar Pradesh

StateCommission

A/2009/428

Hero Honda Motors Ltd - Complainant(s)

Versus

Arvind Kumar - Opp.Party(s)

R N Singh

04 Jul 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2009/428
( Date of Filing : 16 Mar 2009 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Hero Honda Motors Ltd
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Arvind Kumar
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 04 Jul 2024
Final Order / Judgement

                                                 (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-428/2009

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, मुजफ्फर नगर द्वारा परिवाद संख्‍या-230/2006 में पारित निणय/आदेश दिनांक 12.2.2009 के विरूद्ध)

 

1.   हीरो हॉण्‍डा मोटर्स लि0, द्वारा राजीव मिश्रा, सर्विस मैनेजर, किसान मण्‍डी भवन, विजय खण्‍ड, गोमती नगर, लखनऊ।

2.   मित्‍तल एजेन्‍सीज, विकास भवन के सामने, मेरठ रोड, मुजफ्फर नगर।

अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

बनाम

अरविन्‍द कुमार पुत्र बाबू राम, ग्राम सहावली, पोस्‍ट नई मण्‍डी भवन, मेरठ रोड, मुजफ्फर नगर।

                                      प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-                         

1. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित         : श्री प्रशान्‍त कुमार।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित             : श्री टी.एच. नकवी।

दिनांक:   04.07.2024  

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.        परिवाद संख्‍या-230/2006, अरविन्‍द कुमार बनाम मित्‍तल एजेन्‍सीज तथा एक अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, मुजफ्फर नगर द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 12.02.2009 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील पर अपीलार्थीगण तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

2.        विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए मोटर साईकिल का इंजन बदलकर मोटर साईकिल को चालू स्थिति में देने का आदेश पारित किया है। विकल्‍प में यह भी आदेश दिया है कि यदि इंजन बदलना संभव न हो तब नई मोटर साईकिल परिवादी को दी जाए। क्षतिपूर्ति की मद में अंकन 10,000/-रू0 भी अदा करने का आदेश पारित किया है।

3.        परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी ने विपक्षी सं0-1 से एक मोटर साईकिल अंकन 42,000/-रू0 में दिनांक 20.4.2005 को क्रय किया था। 40 हजार किलोमीटर चलने तक किसी प्रकार का दोष उत्‍पन्‍न होने के कारण दोष को ठीक करने या नई मोटर साईकिल देने का वायदा किया गया था, परन्‍तु मोटर साईकिल ने धुऑं व इंजन पर दबाव पड़ने की शिकायत विपक्षी से की गई, इस पर दिनांक 6.7.2006 को कंपनी के इंजीनियर आने की बात कही और उसी दिन परिवादी अपनी मोटर साईकिल लेकर गया तब निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के समय निर्माण संबंधी त्रुटि पायी गयी। अनुरोध के बावजूद भी इंजन नहीं बदला गया न ही त्रुटि दूर की गई।

4.        विपक्षीगण का कथन है कि परिवादी ने मिलावटी पेट्रोल मोटर साईकिल में प्रयोग किया है, जिसे परिवादी तथा उसके छोटे भाई ने स्‍वीकार किया है, इसके बावजूद भी मोटर साईकिल की किट बदकर दी गई। मिलावटी पेट्रोल के प्रयोग से इंजन में जंग लगने के कारण यह त्रुटि उत्‍पन्‍न हुई है। मोटर साईकिल में निर्माण की त्रुटि नहीं है।

5.        पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि वारण्‍टी कार्ड में यह उल्‍लेख है कि 40 हजार किलोमीटर चलने से पूर्व मोटर साईकिल खराब होने पर उसे नि:शुल्‍क ठीक कराया जाएगा, परन्‍तु उक्‍त मोटर साईकिल खराब बनी रही और मोटर साईकिल कभी भी ठीक नहीं की गई, इसलिए उपरोक्‍त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।

6.        इस निर्णय/आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश तथ्‍य एवं विधि के विपरीत है। स्‍वंय परिवादी की ओर से स्‍वीकार किया गया है कि मोटर साईकिल में मिलावटी पेट्रोल का प्रयोग हुआ है, इसलिए मोटर साईकिल खराब हुई है। इस प्रकार अपील के ज्ञापन में एवं बहस सुनने के पश्‍चात यह स्थिति स्‍पष्‍ट हो जाती है कि अपीलार्थीगण द्वारा इस तथ्‍य को स्‍वीकार किया गया है कि मोटर साईकिल में त्रुटि है, परन्‍तु इस त्रुटि का जिम्‍मेदार स्‍वंय परिवादी को बताया है। अत: इस तथ्‍य को साबित करने का भार परिवादी पर है कि विपक्षीगण द्वारा लिखित कथन में उल्लिखित तथ्‍य कि परिवादी द्वारा स्‍वीकार किया गया है कि उन्‍होंने मिलावटी पेट्रोल का प्रयोग मोटर साईकिल में किया है, इसलिए मोटर साईकिल खराब हुई है। इस आशय का कोई लिखित पत्र पत्रावली पर मौजूद नहीं है, जिसमें परिवादी या उसके छोटे भाई की ओर से यह स्‍वीकार किया गया हो कि मोटर साईकिल में मिलावटी पेट्रोल का प्रयोग किया गया हो। पत्रावली पर मौजूद अनेक्‍जर सं0-6 से साबित होता है कि यह मोटर साईकिल अभी भी अपीलार्थीगण के गैराज में खड़ी है और इसे अभी भी दुरूस्‍त नहीं किया गया है। अत: इस स्थिति में विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश को परिवर्तित करने का कोई औचित्‍य नहीं है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

7.        प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

          प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

 

(सुशील कुमार)                           (राजेन्‍द्र सिंह)

सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

 

निर्णय/आदेश आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

 

(सुशील कुमार)                           (राजेन्‍द्र सिंह)

सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

दिनांक  04.07.2024

  लक्ष्‍मन, आशु0,

      कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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