सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-2224/2015
(जिला उपभोक्ता फोरम, सोनभद्र द्वारा परिवाद संख्या-52/2015 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 09.09.2015 के विरूद्ध)
श्रीराम जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, ई-8, ईपीआईपी, आरआईआईसीओ इण्डस्ट्रियल एरिया, सीतापुरा, जयपुर (राजस्थान) 302022 ब्रांच आफिस 16, चिंटल हाउस, स्टेशन रोड, लखनऊ द्वारा मैनेजर।
अपीलकर्ता/विपक्षी
बनाम्
अरविन्द कुमार जायसवाल पुत्र राम लखन जायवाल, निवासी ग्राम कुदरी लिलासी, तहसील दुद्दी, जिला सोनभद्र।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलकर्ता की ओर से उपस्थित : श्री दिनेश कुमार के सहयोगी अधिवक्त
श्री आनन्द भार्गव, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 05.09.2018
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, विद्वान जिला मंच, सोनभद्र द्वारा परिवाद संख्या-52/2015 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 09.09.2015 के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में प्रकरण के तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी का वाहन संख्या-यू0पी0 64 एच 8266 अपीलकर्ता, बीमा कम्पनी से दिनांक 02.02.2014 से 01.02.2015 तक की अवधि के लिए बीमित था। बीमा अवधि के मध्य दिनांक 27.04.2014 को परिवादी का वाहन उसका चालक विनय कुमार जायवाल समय करीब 10.30 बजे रात्रि बहदस्थान ग्राम सोनवाही मेनरोड थाना जय नगर, जिला सूरजपुर लेकर जा रहा था कि उसी समय मोटर साइकिल संख्या-सीजी 15 सीएफ 7036 के चालक ने अपने वाहन को एकाएक मोड़ दिया, जिसे बचाने के चक्कर में परिवादी का वाहन पीकप पलट गया, जिससे उक्त वाहन पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गया। कथित दुर्घटना के समय यह वाहन वैध लाइसेन्सधारी चालक विनय कुमार जायसवाल द्वारा चलाया जा रहा था। दर्घटना की सूचना चालक के बताने पर तत्काल अपीलकर्ता, बीमा कम्पनी को प्रेषित की गयी। तदोपरांत दुर्घटनाग्रस्त वाहन को परिवादी अपने साधन से नूर एण्ड नेयाज गैरेज वर्क्सशॉप रायगढ़रोड अम्बिकापुर जिला सरगुजा बनवाने हेतु ले गया तथा अपीलकर्ता, बीमा कम्पनी को पुन: सूचित किया गया। अपीलकर्ता, बीमा कम्पनी द्वारा नियुक्त सर्वेयर द्वारा वाहन का सर्वे किया गया तथा परिवादी से कहा गया कि अब आप अपना वाहन बनवाये क्षतिपूर्ति प्रदान कर दी जायेगी। नूर एण्ड गैरेज वर्कशॉप द्वारा बताया गया कि वाहन पूर्णतया क्षतिग्रस्त हो गया है बन नहीं सकता है। परिवादी ने इसकी सूचना अपीलकर्ता, बीमा कम्पनी को दी, उनके द्वारा यह सूचित किया गया कि परिवादी वाहन बनवा ले सम्पूर्ण क्षतिपूर्ति प्रदान कर दी जायेगी, किन्तु अपीलकर्ता, बीमा कम्पनी द्वारा क्षतिपूर्ति की अदायगी नहीं की गयी। अत: वाहन में हुए खर्च की धनराशि रू0 3,85,200/- अभिकथित करते हुए उक्त धनराशि की मय ब्याज तथा क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु परिवाद विद्वान जिला मंच में योजित किया गया।
अपीलकर्ता, बीमा कम्पनी द्वारा विद्वान जिला मंच के समक्ष प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया। अपीलकर्ता, बीमा कम्पनी के कथनानुसार प्रत्यर्थी/परिवादी ने कथित दुर्घटना की सूचना घटना के 03 दिन बाद विलम्ब से बीमा कम्पनी को प्रेषित की, जबकि बीमा संविदा के अनुसार घटना की सूचना अविलम्ब बीमाधारक द्वारा दिया जाना आवश्यक था। दुर्घटना की सूचना मिलते ही अपीलकर्ता, बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर की नियुक्ति की गयी। सर्वेयर ने परिवादी के क्षतिग्रस्त वाहन का निरीक्षण करने के उपरांत क्षति का आंकलन रू0 2,27,901/- किया। सर्वेयर आख्या आने के उपरांत बीमा कम्पनी ने परिवादी से दिनांक 02.08.2014 एवं 15.10.2014 को रोड चालान बिल्टी दाखिल करने एवं तीन दिन विलम्ब से सूचना दिये जाने के सन्दर्भ में स्पष्टीकरण की मांग करते हुए पत्र प्रस्तुत किया, जिसका जवाब परिवादी द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया। पुन: दिनांक 07.12.2014 एवं 08.12.2014 को पंजीकृत पत्र के माध्यम से पत्र भेजा गया, किन्तु कोई भी स्पष्टीकरण परिवादी द्वारा प्रस्तुत किया गया। अपीलकर्ता, बीमा कम्पनी के कथनानुसार परिवादी द्वारा बतायी गयी क्षतिपूर्ति की धनराशि रू0 3,85,200/- गलत व बेबुनियाद है। परिवादी ने गैरेज मालिक व मिस्त्रियों से मिलकर अपीलकर्ता, बीमा कम्पनी से गलत लाभ पाने के लिए फर्जी तरीके से एस्टीमेट व बिल बनवाकर दाखिल किया है।
विद्वान जिला मंच ने परिवादी के परिवाद को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए अपीलकर्ता, बीमा कम्पनी को निर्देशित किया है कि वह परिवादी को उसकी वाहन की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 3,82,590/- का भुगतान एक माह में करें तथा मानसिक व शारीरिक क्षति के रूप में रू0 500/- तथा वाद व्यय के रूप में रू0 500/- का भुगतान भी एक माह में करने के लिए आदेशित किया है।
उपरोक्त आदेश से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
हमने अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता श्री दिनेश कुमार द्वारा अधिकृत अधिवक्ता श्री आनन्द भार्गव के तर्क सुने। प्रत्यर्थी पर नोटिस की तामीला आदेश दिनांक 20.11.2017 द्वारा पर्याप्त माना जा चुका है।
अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि कथित दुर्घटना के संबंध में अपीलकर्ता द्वारा नियुक्त सर्वेयर द्वारा क्षतिग्रस्त वाहन की क्षति का आंकलन रू0 2,27,901/- का किया गया था। अपीलकर्ता ने अपने पत्र दिनांकित 07.11.2014 द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को उपरोक्त धनराशि स्वीकार नहीं की गयी तथा वाहन की पूर्ण क्षति का भुगतान किये जाने हेतु आग्रह करता रहा, जबकि जिला मंच के समक्ष प्रश्नगत वाहन के पूर्ण रूप से दुर्घटनाग्रस्त होने के संबंध में कोई भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। अपीलकर्ता की ओर से यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि जिला मंच ने सर्वेयर आख्या पर विचार न करते हुए प्रश्नगत निर्णय पारित किया गया है। वाहन की क्षतिपूर्ति के आंकलन हेतु आईआरडीए द्वारा मान्यता प्राप्त एवं लाइसेन्सधारी सर्वेयर की आख्या बिना किसी तर्कपूर्ण आधार के अस्वीकार नहीं की जा सकती है। उनके द्वारा यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि विद्वान जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय में यह स्पष्ट नहीं किया है कि सर्वेयर द्वारा प्रेषित की गयी आख्या क्यों न स्वीकार की जाये। इस संदर्भ में अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता ने New India Assurance Co. Ltd. Vs Vinay Kumar Pandey I (2014) CPJ 49 (NC) के मामलें मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा दिये गये निर्णय एवं Iffco Toko General Insurance Co.Ltd Vs Beena Raghav III (2015) CPJ 75 (NC) के मामले में मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा दिये गये निर्णयों पर विश्वास व्यक्त किया।
हमने अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता द्वारा संदर्भित उपरोक्त निर्णयों का अवलोकन किया, जिनमें मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा यह निर्णीत किया गया है कि सर्वेयर आख्या बिना किसी तर्कसंगत आधार के अस्वीकार नहीं की जा सकती है। प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से विदित होता है कि विद्वान जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय में अपीलकर्ता, बीमा कम्पनी द्वारा नियुक्त सर्वेयर द्वारा किये गये क्षति आंकलन पर विचार न करते हुए प्रश्नगत निर्णय पारित किया गया है। अपीलीय स्तर पर भी प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा सर्वेयर आख्या को त्रुटिपूर्ण होना नहीं बताया गया है। प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि विद्वान जिला मंच के समक्ष भी प्रत्यर्थी/परिवादी ने सर्वेयर आख्या के विरूद्ध कोई आपत्ति प्रस्तुत नहीं की थी। निर्विवाद रूप से अपीलकर्ता, बीमा कम्पनी द्वारा नियुक्त सर्वेयर द्वारा प्रश्नगत वाहन की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 2,27,901/- की धनराशि आंकलित की है। अत: बिना किसी तर्कसंगत आधार के सर्वेयर द्वारा प्रस्तुत आख्या को अस्वीकार किये जाने का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता है। तदनुसार हमारे विचार से अपील तदनुसार आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला मंच, सोनभद्र द्वारा परिवाद संख्या-52/2015 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 09.09.2015 अपास्त किया जाता है।
अपीलकर्ता को निर्देशित किया जाता है कि वह प्रत्यर्थी/परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 2,27,901/- निर्णय की तिथि से एक माह के अन्दर अदा करें। इस धनराशि पर परिवाद योजित करने की तिथि से सम्पूर्ण धनराशि की अदायगी तक प्रत्यर्थी/परिवादी 09 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी पाने का अधिकार होगा। इसके अतिरिक्त प्रत्यर्थी/परिवादी 500/- रूपये वाद व्यय भी निर्धारित अवधि में अपीलकर्ता से प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
पक्षकारान अपना-अपना अपीलीय व्यय-भार स्वंय वहन करेंगे।
पक्षकारान को इस निर्णय एवं आदेश की सत्यप्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाये।
(उदय शंकर अवस्थी) (राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2