Uttar Pradesh

StateCommission

A/2002/2195

New Okhla Industrial Development Authority - Complainant(s)

Versus

Arvind Khandelwal - Opp.Party(s)

Rajneesh Kumar Ashok Shukla

30 Nov 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2002/2195
( Date of Filing : 09 Sep 2002 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. New Okhla Industrial Development Authority
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Arvind Khandelwal
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 30 Nov 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-२१९५/२००२

 

(जिला मंच, गौतमबुद्ध नगर द्वारा परिवाद सं0-१५५/२००१ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक १४-०६-२००२ के विरूद्ध)

न्‍यू ओखला इण्‍डस्ट्रियल डेवलपमेण्‍ट अथारिटी द्वारा चीफ एक्‍जक्‍यूटिव आफीसर, मेन एडमिनिस्‍ट्रेटिव बिल्डिंग, सैक्‍टर-६, नोएडा, गौतमबुद्ध नगर। ...................     अपीलार्थी/विपक्षी।

बनाम

अ‍रविन्‍द खण्‍डेलवाल, डायरेक्‍टर आफ मै0 महालक्ष्‍मी लेमिनेशन्‍स प्रा0लि0, सी-२९, सैक्‍टर-६, नोएडा, गौतमबुद्ध नगर।                          ....................        प्रत्‍यर्थी/परिवादी।

 

समक्ष:-

१.मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य ।

२.मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री अशोक शुक्‍ला विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   :- श्री एम0एच0 खान विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक : २७-१२-२०१८.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

      प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच, गौतमबुद्ध नगर द्वारा परिवाद सं0-१५५/२००१ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक १४-०६-२००२ के विरूद्ध योजित की गयी है।

      संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी ने अपीलार्थी के यहॉं सैक्‍टर-२३, ३२, ३३, ३४, ३५, ४९ व ५३ में आवासीय प्‍लॉट के लिए १९९४ (१) स्‍कीम में प्रार्थना पत्र दिया था जिस पर उसे प्‍लॉट नम्‍बर सी-७०, सैक्‍टर-४९ आबंटित हुआ था। परिवादी ने अनुपयुक्‍त सैक्‍टर लोकेशन होने के कारण अपीलार्थी को आबंटन की तिथि से एक माह की नियत अवधि में प्रार्थना पत्र इस आशय का दिया कि उसके आबंटन को या तो निरस्‍त कर दिया जाय और उसे पंजीकरण धनराशि रिफण्‍ड कर दी जाय अथवा उसका नाम अपीलार्थी की नयी स्‍कीम में नये आबंटन हेतु ड्रॉ में रखा जाय। परिवादी ने इस सम्‍बन्‍ध में अपीलार्थी को कई पत्र लिखे तब उसे लगभग १७ माह बाद अपीलार्थी का पत्र दिनांकित २५-१०-१९९५ प्राप्‍त हुआ, जिसके द्वारा उसे सूचित किया गया कि उसे आबंटित प्‍लॉट सी-७०, सैक्‍टर-४९, को प्‍लॉट नम्‍बर ए-३७, सैक्‍टर-५१ में बदलने के लिए अनुमोदित कर दिया गया है। इस पर परिवादी ने उक्‍त पत्र

-२-

में डिमाण्‍ड की गई ३,६५,०००/- रू० आबंटन धनराशि लीज रेण्‍ट आदि के रूप में दो पे-ऑर्डर द्वारा ३० दिन की नियत अवधि में जमा करा दी। परिवादी का यह भी कथन है कि परिवादी को अपीलार्थी का पत्र दिनांकित २२-०१-१९९६ प्राप्‍त हुआ जिसमें उसे सूचित किया गया कि आबंटित प्‍लॉट के कन्‍वर्जन को वापस ले लिया गया है तथा दोनों पे-ऑर्डरों को अपीलार्थी के कार्यालय द्वारा परिवादी को वापस कर दिया गया। परिवादी ने उक्‍त दोनों पे-ऑर्डरों को अपीलार्थी के यहॉं इस प्रार्थना के साथ पुन: वापस भेजा कि मनमाने कन्‍वर्जन के वापसी के आदेश को समाप्‍त किया जाय किन्‍तु उक्‍त दोनो पे-ऑर्डर अपीलार्थी ने पुन: कोई विशिष्‍ट कारण बताए बिना वापस कर दिए तथा प्‍लॉट नम्‍बर ए-३७, सैक्‍टर-५१ के रेस्‍टोरेशन से इन्‍कार कर दिया। परिवादी ने अपीलार्थी को इस सम्‍बन्‍ध में विधिक नोटिस दी किन्‍तु अपीलार्थी ने उसका कोई उत्‍तर नहीं दिया। अत: परिवाद जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया।

      अपीलार्थी की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया। अपीलार्थी द्वारा यह स्‍वीकार किया गया कि परिवादी को प्‍लॉट सं0-सी-७०, सैक्‍टर-४९ आबंटित किया गया था। यह भी स्‍वीकार किया गया कि अपीलार्थी ने उक्‍त प्‍लॉट के सम्‍बन्‍ध में कन्‍वर्जन लैटर दिनांकित २५-०१-१९९५ जारी किया गया था। अपीलार्थी ने यह भी स्‍वीकार किया कि परिवादी ने दो डिमाण्‍ड ड्राफ्ट ३,६५,०००/- रू० के जमा किए थे। अपीलार्थी का यह कथन है कि परिवादी ने आबंटन धनराशि जमा नहीं की, इसलिए उसका आबंटन नियमित नहीं किया गया था। परिवादी से आबंटन पत्र दिनांक १७-०५-१९९४ द्वारा ३० दिन के अन्‍दर आबंटन धनराशि एवं (वन टाइम) लीज रेण्‍ट जमा करने के लिए कहा गया था और यह स्‍पष्‍ट किया गया था कि यदि वह उक्‍त धनराशि नियत समय में जमा करने में असफल रहता है तो उसका आबंटन निरस्‍त कर दिया जायेगा तथा उसके द्वारा जमा की गई धनराशि जब्‍त हो जायेगी। क्‍योंकि परिवादी ने मूल आबंटित प्‍लॉट की वांछित धनराशि जमा नहीं की थी इसलिए उसके प्‍लॉट के कन्‍वर्जन को नियमित नहीं किया जा सका। यहॉं तक कि कन्‍वर्जन के बाद भी वांछित समस्‍त चार्जेज जमा नहीं किए। परिवादी द्वारा भेजे गये ड्राफ्ट्स अस्‍वीकार करते हुए वापस भेज दिए गये थे। आबंटित प्‍लॉट निरस्‍त होने के उपरान्‍त परिवादी उपभोक्‍ता नहीं रह जाता है, अत: उसे परिवाद योजित करने का अधिकार नहीं है। परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अन्‍तर्गत नहीं आता है तथा खारिज

 

-३-

होने योग्‍य है। परिवादी ने कन्‍वर्जन के बाद भी पलॉट के बढ़े हुए क्षेत्र का मूल्‍य व आबंटन धनराशि जमा नहीं की, इसलिए उसे कोई अनुतोष दिया जा सकता।

      विद्वान जिला मंच ने प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा परिवादी को आबंटित प्‍लाट सं0-ए-३७, सैक्‍टर-५१ को पुनर्स्‍थापित किए जाने के सम्‍बन्‍ध में अनुतोष स्‍वीकार नहीं किया किन्‍तु मूल आबंटित प्‍लॉट के पंजीयन की धनराशि मय ब्‍याज रिफण्‍ड करने हेतु आदेशित किया। देय पंजीयन धनराशि पर दिनांक १७-०५-१९९४ से अदायगी की तिथि तक १२ प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज अदा करने हेतु भी निर्देशित किया।     

      इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गई।

हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अशोक शुक्‍ला तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एम0एच0 खान के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने प्रश्‍नगत अपील को कालबाधित होना बताया तथा यह तर्क प्रस्‍तुत किया कि अपील के प्रस्‍तुतीकरण में हुए विलम्‍ब का पर्याप्‍त स्‍पष्‍टीकरण अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। पत्रावली के अवलोकन से यह विदित होता है कि दिनांक १४-१२-२००२ को यह अपील सुनवाई हेतु अंगीकृत की जा चुकी है। अपील के अंगीकरण के पश्‍चात् इस आयोग द्वारा पुन: अंगीकरण के बिन्‍दु पर विचार किया जाना न्‍यायोचित नहीं होगा।

उल्‍लेखनीय है कि प्रस्‍तुत अपील दिनांक ०९-०९-२००२ को योजित की गई। प्रश्‍नगत निर्णय के विरूद्ध कोई अपील प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा योजित नहीं की गई। अप्रैल २००७ में प्रत्‍यर्थी की ओर से काउण्‍टर क्‍लेम प्रस्‍तुत किया गया जिसका कोई प्राविधान उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम में नहीं है। उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-१५ के अन्‍तर्गत जिला मंच द्वारा पारित निर्णय के विरूद्ध अपील इस आयोग में योजित किए जाने का प्राविधान है। प्रत्‍यर्थी द्वारा उपरोक्‍त धारा-१५ के प्राविधान का अनुपालन नहीं किया गया है तथा अत्‍यधिक विलम्‍ब से काउण्‍टर क्‍लेम के रूप में अभिकथन प्रस्‍तुत किया गया है। इस अभिकथन को अपील के रूप में ऐसी परिस्थिति में स्‍वीकार नहीं किया जा सकता।

जहॉं तक गुणदोष के आधार पर अपील के विचारण का प्रश्‍न है, निर्विवाद रूप से प्रत्‍यर्थी को मूल रूप से आबंटित प्‍लॉट सं0-सी-७०, सैक्‍टर-४९ को प्रत्‍यर्थी/परिवादी की प्रार्थना पर

-४-

परिवर्तित करते हुए प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्‍लॉट सं0-ए-३७, सैक्‍टर-५१ आबंटित किया गया जबकि निर्विवाद रूप से प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा मूल आबंटित प्‍लॉट का आबंटन मूल्‍य जमा नहीं किया गया था। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने यह जानते हुए कि मूल आबंटित प्‍लॉट का मूल्‍य जमा नहीं किया गया है, इस तथ्‍य की जानकारी अपीलार्थी को उपलब्‍ध नहीं कराई तथा भ्रमवश प्रत्‍यर्थी/परिवादी को मूल आबंटित प्‍लॉट का आबंटन मूल्‍य घटाकर प्रेषित किये गये मांग पत्र के अनुसार मांगी गई धनराशि जमा की गई। स्‍वाभाविक रूप से परिवादी द्वारा मूल आबंटित प्‍लॉट की आबंटन धनराशि जमा न किए जाने के कारण मूल आबंटन निरस्‍त माना जायेगा एवं तद्नुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी को पंजीयन धनराशि अपीलार्थी द्वारा वापस की जानी चाहिए थी किन्‍तु अपीलार्थी द्वारा पंजीयन धनराशि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को वापस नहीं की गई। ऐसी परिस्थिति में जिला मंच ने प्‍लॉट सं0-ए-३७, सैक्‍टर-५१ को पुनर्स्‍थापित किए जाने की प्रार्थना अस्‍वीकार करके तथा परिवादी द्वारा जमा की गई पंजीयन धनराशि वापस किए जाने हेतु आदेश पारित करके हमारे विचार से कोई त्रुटि नहीं की है। अपील में बल नहीं है। अपील तद्नुसार निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।   

            आदेश

            अपील निरस्‍त की जाती है। जिला मंच, गौतमबुद्ध नगर द्वारा परिवाद सं0-१५५/२००१ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक १४-०६-२००२ की पुष्टि की जाती है।

इस अपील का व्‍यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना वहन करेंगे।

पक्षकारों को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

 

      (उदय शंकर अवस्‍थी)                       (गोवर्द्धन यादव)

        पीठासीन सदस्‍य                             सदस्‍य

                                                                                                              

                                                                                                   

 

प्रमोद कुमार,

वैय0सहा0ग्रेड-१, 

कोर्ट-२.

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.