Uttar Pradesh

StateCommission

A/2011/602

Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Arun Rastogi - Opp.Party(s)

Y C Srivastava

08 Apr 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2011/602
( Date of Filing : 07 Apr 2011 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Bank Of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Arun Rastogi
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 08 Apr 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

मौखिक

अपील सं0-602/2011

 

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद सं0-241/2010 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 06-01-2011 के विरूद्ध)

 

बैंक आफ इण्डिया a body corporate, constituted under the Banking Company (Transfer and Acquisition of Undertaking) Act, 1970 हेड आफिस स्‍टार हाउस सी-5, जी ब्‍लाक बान्‍द्रा कुर्ला कॉम्‍प्‍लेक्‍स, बान्‍द्रा (ईस्‍ट) मुम्‍बई एवं ब्रान्‍च खैर नगर, मेरठ द्वारा ब्रान्‍च मैनेजर।  

...........अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1.      

 

बनाम

 

1. अरूण रस्‍तोगी आयु लगभग 62 वर्ष पुत्र शशि शेखर, निवासी ई-128, साकेत, जिला मेरठ।

............ प्रत्‍यर्थी/परिवादी।  

 

2. एच0डी0एफ0सी0 बैंक, ब्रान्‍च वेस्‍टर्न कचहरी रोड, मेरठ द्वारा ब्रान्‍च मैनेजर।

............ प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2.   

समक्ष:-

1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित:श्री योगेश चन्‍द्र श्रीवास्‍तव विद्वान अधिवक्‍ता।  

प्रत्‍यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

प्रत्‍यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित : श्री साकेत मिश्रा विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक : 08-04-2024.

 

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

यह अपील उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-15 के अन्‍तर्गत, जिला उपभोक्‍ता आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद सं0-241/2010 अरूण रस्‍तोगी बनाम बैंक आफ इण्डिया व एक अन्‍य में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 06-01-2011 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है।  

 

 

-2-

      विद्वान जिला आयोग ने अंकन 03.00 लाख रू0 की राशि का चेक परिवादी के खाते में जमा न होने के आधार पर इस राशि की क्षतिपूर्ति का आदेश संयुक्‍त रूप से विपक्षीगण के विरूद्ध आदेश पारित किया है।

हमारे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री योगेश चन्‍द्र श्रीवास्‍तव एवं प्रत्‍यर्थी सं0-2 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री साकेत मिश्रा को सुना गया तथा पत्रावली का सम्‍यक रूप से परिशीलन किया गया। प्रत्‍यर्थी सं0-1 की ओर से बहस करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ।

      परिवादी का कथन है कि अंकन 03.00 लाख रू0 का चेक अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 बैंक में जमा किया गया था और चेक  प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 के यहॉं पेयबिल था। चेक जमा करने के बाद परिवादी ने अपने खाते का जब बेलेन्‍स देखा तब पाया कि उक्‍त राशि का चेक उसके खाते में जमा नहीं किया गया है और चेक की राशि का भुगतान हो चुका है। चेक को देखने पर पाया कि उसका एक कोना फटा हुआ था, जहॉं पर एकाउण्‍ट पेयी लिखा हुआ था, परन्‍तु चेक की राशि खाते में जमा नहीं की गयी और चेक में अंकित राशि का भुगतान प्राप्‍त कर लिया गया है।

परिवादी के तर्क एवं साक्ष्‍य पर विचार करते हुए विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 बैंक में चेक जमा किया गया था, जिसका भुगतान हो चुका है, परन्‍तु धनराशि परिवादी के खाते में जमा नहीं हुई है।

      अपीलार्थी बैंक के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि उनके विरूद्ध एकतरफा निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है। विद्वान जिला आयोग ने इस तथ्‍य पर विचार नहीं किया कि चेक की पुष्‍त पर एकाउण्‍ट नम्‍बर अंकित किया जाता है तथा क्रॉस किया जाता है। यह चेक क्रॉस नहीं किया गया था। इसलिए उनका कोई उत्‍तरदायित्‍व नही है।

      पत्रावली के अवलोकन से जाहिर होता है कि विद्वान जिला आयोग ने

 

-3-

निष्‍कर्ष दिया है कि विपक्षीगण को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गयी, परन्‍तु उनकी ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। भारतीय साक्ष्‍य अधिनियम की धारा-114 के प्रावधान के अनुसार इस तथ्‍य की उपधारण की जाएगी कि विद्वान जिला आयोग द्वारा जो निष्‍कर्ष दिया है, वह सत्‍य है जब तक कि इसका कोई खण्‍डन नहीं किया जाता है। अत: यह नहीं कहा जा सकता कि अपीलार्थी को सूचना प्रेषित नहीं की गयी।

      परिवादी द्वारा परिवाद के विचारण के दौरान् बैंक द्वारा दी गयी रसीद, प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति तथा बैंक में ऋण प्रपत्रों की प्रतियॉं दाखिल की थीं, जिन पर विद्वान जिला आयोग ने विचार किया है। परिवादी ने शपथ पत्र से साबित किया कि चेक चेक एकाउण्‍ट पेयी था, जिसका भुगतान सीधे नहीं होना चाहिए था। अपीलार्थी बैंक ने रसीद दी और चेक प्राप्‍त किया। इसलिए बैंक के स्‍तर पर निश्चित रूप से लापरवाही की गयी, जिसके परिणामस्‍वरूप अंकन 03.00 लाख रू0 परिवादी के खाते में जमा न होकर यह राशि बैंक कर्मी या किसी अन्‍य व्‍यक्ति द्वारा आहरित की गयी। इस‍लिए अपीलार्थी बैंक को उत्‍तरदायी ठहराने का आदेश विधि सम्‍मत है।

      तदनुसार अपील खारिज किये जाने योग्‍य है।         

आदेश

वर्तमान अपील, खारिज की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद सं0-241/2010 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 06-01-2011 की पुष्टि की जाती है।

अपील व्‍यय उभय पक्ष पर।

अपीलार्थी द्वारा उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अन्‍तर्गत यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उस धनराशि को अर्जित ब्‍याज सहित विधि अनुसार एक माह में सम्‍बन्धित जिला आयोग को प्रेषित

 

 

-4-

की जाए ताकि जिला आयोग द्वारा उसका विधि अनुसार निस्‍तारण किया जा सके।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

      वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

       (सुधा उपाध्‍याय)                   (सुशील कुमार)

             सदस्‍य                           सदस्‍य                    

 

 

दिनांक : 08-04-2024.

 

प्रमोद कुमार,

वैय0सहा0ग्रेड-1,

कोर्ट नं.-2.     

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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