(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-176/2010
U.P. Sahkari Gram Vikas Bank Ltd.
Versus
Arun Kumar S/O Rajender Singh
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री हेमराज मिश्रा, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री बृजेश तिवारी, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :19.11.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- यह अपील जिला उपभोक्ता फोरम, बलिया द्वारा परिवाद सं0 119 सन 2006 अरूण कुमार बनाम शाखा प्रबंधक उ0प्र0 सहकारी भूमि विकास बैंक व अन्य में पारित निर्णय व आदेश दिनांकित 24.12.2009 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
- जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकर करते हुए बैंक को आदेशित किया है कि परिवादी द्वारा लिये गये समस्त ऋण को ऋण माफी योजना के अंतर्गत माफ किया जाए तथा परिवादी से कोई वसूली न की जाए। परिवाद व्यय अंकन 2,000/-रू0, मानसिक प्रताड़ना के मद में अंकन 2,000/-रू0 अदा करने के लिए भी आदेशित किया है।
- अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि कृषि ऋण माफी योजना के अंतर्गत अतिदेय राशि पर छूट प्रदान की गयी थी और योजना लागू होने की तिथि पर जो राशि अतिदेय थी, उस राशि की छूट प्रदान कर दी गयी है, जो कुल 2,164/-रू0 आती थी। परिवादी सम्पूर्ण ऋण राशि प्राप्त करने के लिए अधिकृत नहीं था। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अवैध निर्णय पारित किया गया। कृषि ऋण राहत योजना से संबंधित जुलाई 12, 1990 के पत्र का अवलोकन किया गया, जिसके अनुसार यह योजना 2 अक्टूबर 1989 से लागू है तथा प्रथम श्रेणी में वह कृषक है, जिन पर 2 अक्टूबर 1986 को ऋण भुगतान की राशि अतिदेय हो गयी है तथा दिनांक 02.10.1989 को भी बकाया हो तब समस्त ऋणों को 3 वर्षों से अधिक बकाया समझा जायेगा। 01 अप्रैल 1986 या उसके पश्चात लिये गये ऋण जिसमें किश्त दिनांक 02.10.1986 के बाद देय हो तथा दिनांक 02.10.1989 को बकाया हो तब ऐसे ऋण अनावारी प्रमाण पत्र के आधार पर माफ किया जायेगा। परिवादी के द्वारा परिवाद पत्र के अनुसार दिनांक 04.12.1987 को 4,000/-रू0 का ऋण प्राप्त किया है, जिसका तात्पर्य यह है कि वर्ष 1986 में ऋण बकाया नहीं था, इसलिए प्रपत्र जारी करने की तिथि को जो किश्त अतिदेय हो चुकी थी, केवल उन्हीं की माफी की जा सकती थी। सम्पूर्ण ऋण की माफी नहीं की जा सकती। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा सम्पूर्ण ऋण की माफी के संबंध में जो आदेश पारित किया है, वह प्रपत्र के विपरीत है। अत: अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
उभय पक्ष अपीलीय वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2