Uttar Pradesh

StateCommission

A/2003/498

M/S Maruti Udyog Ltd. - Complainant(s)

Versus

Arun Kumar Tomar - Opp.Party(s)

Anil Kumar

28 Feb 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2003/498
( Date of Filing : 25 Feb 2003 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. M/S Maruti Udyog Ltd.
New Delhi
...........Appellant(s)
Versus
1. Arun Kumar Tomar
Kanpur
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 28 Feb 2022
Final Order / Judgement

                                                           (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-498/2003

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्‍या-779/2001 में पारित निणय/आदेश दिनांक 11.12.2002 के विरूद्ध)

                                    

मारूति उद्योग लिमिटेड, 11th फ्लोर, जीवन प्रकाश बिल्डिंग 25, कस्‍तूरबा गांधी मार्ग, नई दिल्‍ली 110001 ।

अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1

बनाम

1. श्री अरूण कुमार तोमर एण्‍ड श्री समीर कुमार तोमर, निवासीगण 124-ए/197, गोविन्‍द नगर, कानपुर, उत्‍तर प्रदेश।

2. मै0 अमित दीप मोटर्स, 123/380, फैक्‍ट्री एरिया, फजलगंज, कानपुर, उत्‍तरप्रदेश।

                                     प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण/विपक्षी सं0-2

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से     : श्री अंकित श्रीवास्‍तव, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से    : कोई नहीं।

दिनांक:  23.03.2022  

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-779/2001, अरूण कुमार तोमर तथा एक अन्‍य बनाम मै0 मारूति उद्योग लि0 तथा एक अन्‍य में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, कानपुर नगर द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 11.12.2002 के विरूद्ध यह अपील योजित की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षी सं0-1 को आदेशित किया है कि एक्‍साइस ड्यूटी की छूट रू0 28,171.41 पैसे निर्णय के दो माह के अन्‍दर परिवादीगण को अदा करें और इस छूट को केन्‍द्रीय शासन से प्रतिपूर्ति करा लेने का अवसर भी प्रदान किया गया तथा अंकन 3,000/- रूपये वाद व्‍यय भी परिवादीगण को अदा करने का आदेश दिया।

2.         परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादीगण के पिता ने टैक्‍सी कोटा के अन्‍तर्गत एक वाहन विपक्षीगण से क्रय किया था। पिता की मृत्‍यु के बाद परिवादीगण इस वाहन को चला रहे हैं। इस वाहन पर रियायती दर से एक्‍साइज ड्यूटी लेने की छूट मिलनी थी, परन्‍तु इस तथ्‍य को छुपा लिया गया और रू0 28,171.41 पैसे अधिक प्राप्‍त कर लिए, इसलिए इस राशि को प्राप्‍त करने के लिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.         विपक्षीगण का कथन है कि परिवाद कालबाधित है, क्‍योंकि वाहन दिनांक 05.12.1991 को क्रय किया गया और परिवादीगण ने दिनांक 13.11.1993 को छूट का दावा प्रस्‍तुत किया और नवम्‍बर 2001 में परिवाद प्रस्‍तुत किया गया। यह भी कथन किया गया कि केन्‍द्र सरकार समय-समय पर क्रेताओं को छूट प्रदान करती है। टैक्‍सी कोटा की छूट प्राप्‍त करने के लिए सभी प्रलेख डिप्‍टी एक्‍साइज कमिश्‍नर के समक्ष 03 माह के अन्‍दर प्रस्‍तुत होने चाहिए, परन्‍तु परिवादीगण के पिता द्वारा 03 माह के अन्‍दर यह प्रलेख प्रस्‍तुत नहीं किए, इसलिए छूट पाने के लिए वह अधिकृत नहीं हैं।

4.         सभी पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने यह निष्‍कर्ष दिया कि विपक्षी संख्‍या-1 ने केन्‍द्रीय शासन से एक्‍साइज ड्यूटी की छूट प्राप्‍त कर परिवादीगण को उपलब्‍ध कराई जानी चाहिए, ऐसा न कर सेवा में कमी की गई है। तदनुसार उपरोक्‍त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।

5.         इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने समयावधि से बाधित परिवाद पर निर्णय/आदेश पारित किया है। एक्‍साइज ड्यूटी में छूट भारत सरकार प्रदान करती है न कि वाहन निर्माता या विक्रेता कम्‍पनी, इसलिए प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश अपास्‍त होने योग्‍य है।

6.         अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अंकित श्रीवास्‍तव उपस्थित हुए। प्रत्‍यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता की बहस सुनी गई तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

7.         परिवाद के तथ्‍यों के अवलोकन से ज्ञात होता है कि प्रश्‍नगत वाहन दिनांक 05.12.1991 को क्रय किया गया, जबकि परिवाद वर्ष 2001 में प्रस्‍तुत किया गया है। अत: यह परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 24क के प्रावधानों के अनुसार समयावधि से बाधित है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने समयावधि से बाधित परिवाद को ग्राह्य किया एवं निस्‍तारित किया, जो अवैध कार्यवाही है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने अपने निर्णय/आदेश में यह अंकित किया है कि एक्‍साइज ड्यूटी की छूट का मामला विपक्षीगण द्वारा दिनांक 03.11.2001 तक निस्‍तारित नहीं किया गया, इसलिए परिवाद समयावधि के अन्‍दर है, यह निष्‍कर्ष विधिसम्‍मत नहीं है। वादकारण उत्‍पन्‍न होने के पश्‍चात परिवाद दो वर्ष के अन्‍दर प्रस्‍तुत किया जाना चाहिए। एक्‍साइज ड्यूटी का निस्‍तारण विपक्षीगण द्वारा नहीं किया जाना था, अपितु एक्‍साइज ड्यूटी की छूट डिप्‍टी एक्‍साइज कमिश्‍नर के कार्यालय से प्राप्‍त होनी थी। एक्‍साइज ड्यूटी में छूट केन्‍द्र सरकार द्वारा अधिरोपित एवं वसूल की जाती है। यदि इस ड्यूटी में किसी प्रकार की छूट प्रदान की जानी है तब यह छूट केन्‍द्र सरकार या उसके अधिकृत प्राधिकारी के माध्‍यम से की जानी है न कि वाहन निर्माता/विक्रेता कम्‍पनी से, इसलिए परिवाद न केवल गलत पक्षकार बनाते हुए प्रस्‍तुत किया गया, अपितु समयावधि से बाधित रहा है, इसलिए प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश अपास्‍त होने और अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

 

8.         प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11.12.2002 अपास्‍त किया जाता है तथा परिवाद खारिज किया जाता है।

           पक्षकार इस अपील का व्‍यय भार स्‍वंय अपना-अपना वहन करेंगे।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

  (राजेन्‍द्र सिंह)                           (सुशील कुमार)

   सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

 

निर्णय/आदेश आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

                   

 

(राजेन्‍द्र सिंह)                           (सुशील कुमार)

 सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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