Uttar Pradesh

StateCommission

A/982/2024

Rural Postal Life Insurance Superitendent of Kanpur & Others - Complainant(s)

Versus

Arun Kumar Sharma - Opp.Party(s)

Ram Bilash Verma

19 Jul 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/982/2024
( Date of Filing : 11 Jul 2024 )
(Arisen out of Order Dated 02/01/2024 in Case No. Complaint Case No. CC/14/2021 of District Kanpur Dehat)
 
1. Rural Postal Life Insurance Superitendent of Kanpur & Others
Divison Kanpur
...........Appellant(s)
Versus
1. Arun Kumar Sharma
Village Rampur Jaganpur Kanpur Dehat
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 19 Jul 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-982/2024

ग्रामीण डाक जीवन बीमा अधीक्षक कानपुर (एम) डिवीजन, कानपुर व एक अन्‍य

बनाम

अरूण कुमार शर्मा पुत्र श्री जय प्रकाश शर्मा, निवासी ग्राम रामपुर, जगनपुर, कानपुर देहात।

दिनांक:-19.7.2024

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता आयोग, कानपुर देहात द्वारा परिवाद संख्‍या-14/2021 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 02.01.2024 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अक्तूबर, 2000 में ग्रामीण डाक जीवन बीमा 365/-रु0 प्रति तिमाही के हिसाब से कराया गया था एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा बीमा की बराबर किश्तों का भुगतान जून, 2017 तक किया गया, जो कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रतिवर्ष 1460/-रु0 जमा किये गये एवं 17 वर्षों तक बराबर जमा की गयी धनराशि मु0 24,820/-रु0 जमा किये गये। प्रत्‍यर्थी/परिवादी को कर्मचारी डाकघर संचालक व अखिलेश कुमारी पत्‍नी शैलेन्द्र पाल डाक कर्मचारी जगनपुर द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को यह आश्‍वासन दिया गया कि बीमा का नेट से सम्पर्क होना है तथा अपनी पासबुक व रसीदें एवं पॉलिसी बॉन्ड जमा करा दें।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी कुछ समय बीतने के बाद उपरोक्त कर्मचारी डाकघर संचालक के पास गया तो बताया कि अब आपकी किश्त नहीं जमा होगी और यह योजना समाप्त हो गयी है तथा इसकी Maturity

 

-2-

करा देंगे। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ‌द्वारा Maturity के लिए प्रयास किये जाने पर सक्षम अधिकारी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को यह बताया गया कि डाकघर संचालक द्वारा धोखाधड़ी करते हुये आपका बीमा तोड़ा गया है तथा बीमा का भुगतान समय पूरा होने पर ही किया जायेगा। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के बीमा का समय पूरा होने पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी को बीमा कम्‍पनी से एक नोटिस प्राप्त हुए जिसमें प्रत्‍यर्थी/परिवादी के बीमा की Maturity के संबंध में अवगत कराया गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा माह अक्तूबर, 2000 में बीमा कराया गया था जो कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ‌द्वारा 365/-रु0 बीमा तिमाही जून 17 वर्ष तक जमा किया गया, जिसकी जमा धनराशि मु0 24,820/-रु0 होती है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी को बीमा कम्पनी से नोटिस में मु0 10,313/- रु0 जमा धनराशि दिखायी गयी है, जबकि Maturity धनराशि मु0 26,015/-रु0 दिये जाने का आग्रह किया गया है जो कि जमा धनराशि का ढाई गुना दिया जाना दिखाया गया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा बीमा कम्पनी को मु0 24,820/- रु0 जमा किया गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी को धोखे में रखकर डाकघर संचालक ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के साथ धोखा-धड़ी कर सेवा में कमी की गई है अत्एव क्षुब्‍ध होकर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवादी का परिवाद विपक्षी संख्या-1 के विरुद्ध एकपक्षीय आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी संख्या-1 ग्रामीण डाक जीवन बीमा अधीक्षक महोदय मुख्य प्रखण्ड कानपुर नगर, को

-3-

आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को उसकी जमा धनराशि मय 7% वार्षिक ब्याज की दर से एक माह के अंदर भुगतान करे, ब्याज की गणना अन्तिम प्रीमियम भुगतान दिनांक 06.7.2017 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक सुनिश्चित की जायेगी तथा इसके अतिरिक्त वाद व्यय के एवज में रुपया 5,000/- भी विपक्षी सं-1 द्वारा परिवादी को अदा किया जायेगा।''

जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री आर0बी0 वर्मा को सुना गया तथा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश का सम्‍यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।

मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथनों को सुना गया तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि सम्‍मत है, परन्‍तु जहॉ तक विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत आदेश में अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध वाद व्‍यय के मद में रू0 5,000.00 (पॉच हजार रू0) की देयता एवं जमा धनराशि पर 07 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की देयता निर्धारित की गई है, वह वाद के सम्‍पूर्ण तथ्‍य एवं परिस्थितियों तथा अपीलार्थी के अधिवक्‍ता के कथन को दृष्टिगत रखते हुए अधिक प्रतीत हो रही है, तद्नुसार वाद व्‍यय के मद में रू0 5,000.00 (पॉच हजार रू0) की देयता को रू0 2,000.00 (दो हजार रू0) की देयता में तथा ब्‍याज की देयता को भी 07

-4-

(सात) प्रतिशत वार्षिक के स्‍थान पर 06 (छ:) प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज में परिवर्तित किया जाना उचित पाया जाता है, तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। निर्णय/आदेश का शेष भाग यथावत कायम रहेगा।

अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन 45 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें।

प्रस्‍तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

     आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                                       (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                             

                                           अध्‍यक्ष                                                                                                                

हरीश आशु.,

कोर्ट नं0-1

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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