जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-प्रथम बरेली।
उपस्थितः- 1. घनश्याम पाठक अध्यक्ष
2. मोहम्मद कमर अहमद सदस्य
परिवाद संख्या सं0 223/2017
श्रीमती सुनीता पाठक पत्नी श्री सतीश पाठक, निवासी कसगरान बिहारीपुर, थाना कोतवाली जिला बरेली ।
...............परिवादिनी।
प्रति
अरूण कुमार महेता पुत्र स्व0 शिव कुमार महेता साझीदार/प्रबन्धक, मैसर्स एगोकेन्ट कार्मिशियल कं0प्रा0 लि0 रजि0 शाखा कार्यालय शाहजहांपुर रोड बरेली । वर्तमान पता प्लेट नं. 409 विजनेस रेजीडेन्सी अपार्टमेंट पुराना रोडवेज के सामने थाना कोतवाली जिला बरेली ।
..................विपक्षी।
निणर्य
यह परिवाद परिवादिनी ने विपक्षी के विरूद्ध अपने द्वारा निवेश की यी धनराशि मय ब्याज सहित वसूली के संबंध में प्रस्तुत किया है।
2. परिवादिनी का कहना है कि विपक्षी कृषि संबंधी व तकनीकी यंत्र के संबंध में निवेश कराने की योजना चलाता है। परिवादिनी के विपक्षी से व्यक्तिगत संबंध थे, जिसके कारण विपक्षी के बताने पर योजना के अनुसार दिनांक 12.10.13 को रू0 25000/- का 36 महीने का निवेश किया, जिसकी परिपक्वता धनराशि रू0 35000/- थी। परिवादिनी द्वारा ली गयी धनराशि की रसीद सं0 155 है जो दिनांक 12.10.13 विपक्षी ने परिवादिनी को जारी किया।
3. परिवादिनी का कहना है कि विपक्षी के कहने पर दिनांक 8.11.13 को पुनः उसी योजना में रू0 25000/- 36 माह का और निवेश किया, जिसमें 36 माह में रू0 35000/- मिलना था। कुछ समय बाद विपक्षी की योजना बंद हो गयी, मांगे जाने के बावजूद विपक्षी ने धनराशि नहीं दिया, तब यह परिवाद प्रस्तुत किया गया ।
4. विपक्षी को पंजीकृत डाक से नोटिस भ्ेाजी गयी जो इस मंच के आदेश दिनांकित 30.1.18 द्वारा तामील हुआ, विपक्षी उपस्थित नहीं आया और न ही कोई उत्तर पत्र प्रस्तुत किया। फलस्वरूप एकपक्षीय कार्यवाही का आदेश पारित किया गया ।
5. परिवादिनी ने अपना साक्ष्य, शपथ पत्र कागज सं0 7 के माध्यम से प्रस्तुत किया, मूल डिपाजिट रसीद कागज सं. 9/1 व 9/2 दाखिल किया।
6. ़हमने परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता के सारगर्भित तर्को को सुना तथा पत्रावली का सम्यक अवलोकन किया।
7. इस मामले में सम्यक निस्तारण हेतु निम्नलिखित अवधारण बिन्दु बनाये जाते हैः-
1. क्या विपक्षी ने परिवादिनी द्वारा जमा धनराशि उसे वापस न करके उपभोक्ता सेवा प्रदान करने में ़त्रृटि किया है?
2. क्या परिवादनी कोई अनुतोष पाने की अधिकारिणी है?ै
निष्कर्ष
8. अवधारण बिन्दु सं0 1 इस बिन्दू में यह देखा जाना है कि क्या विपक्षी ने परिवादिनी के द्वारा जहमा की गयी धनराशि वापस न करके उसे उपभोक्ता सेवा प्रदान करने में ़त्रृटि किया है।
9. परिवादिनी का कहना है कि विपक्षी से उसके द्वारा योजना अनुसार दिनांक 12.10.13 को व दिनांक 8.11.13 को क्रमशः रू0 25000/- , रू0 25000/- जमा करके रसीद सं0 155 व 157 प्राप्त किया। परिवादिनी के अनुसार इस योजना के अंतर्गत 36 माह पूरा होने पर रू0 25000/- की जगह परिपक्वता पर रू0 35000/-मिलना था। अचानक विपक्षी की योजना बंद हो गयीद और विपक्षी पैसा देने से हीला हवाली करने लगा ।
10. अपने कथन के समर्थन में परिवादिनी ने मूल रसीद कागज सं09/1 व 9/2 दाखिल किया है जिसमें रू0 25000/- , रू0 25000/- का निवेश किया गया है, जो 36 माह बाद रू0 35000/-, रू0 35000/- मिलना था। दिनांक 8.11.13 को निवेश की गयी धनराशि की परिपक्वता तिथि 7.11.17 अंकित है जब कि दिनांक 12.10.13 को जमा की गयी धनराशि की परिपक्वता तिथि 11.10.16 अंकित हैै। यह रसीदें विपक्षी के कामर्शियल कार्यालय से जारी की गयी हैं। अपने शपथ पत्र साक्ष्य द्वारा परिवादिनी ने अपने कथन को समर्थन किया है, इसके विपरीत ऐसा कोई साक्ष्य या कथन विपक्षी की तरफ से नहीं आया है कि जिससे परिवादिनी के कथनों पर अविश्वास किया जा सके।
11. फलस्वरूप हम इस निष्कर्ष पर पहुूंचते हैं कि परिवादिनी द्वारा जमा की गयी धनराशि को योजना के अनुसार वापस न करके विपक्षी ने उपभोक्ता सेवा प्रदान करने में त्रृटि किया है।
12. अवधारण बिन्दु सं0 1 तदानुसार निस्तारित किया जाता है।
13. अवधारण बिन्दु सं0 2 इस बिन्दु में यह देखना है कि क्या परिवादिनी कोई अनुतोष पाने की अधिकारिणी है?
14. ऊपर की विवेचनाओं से यह तय पाया गया है कि परिवादिनपी विपक्षी की योजना में जो धनराशि जमा की थी उसे परिपक्वता के अनुसार उचित ब्याज व हर्जा-खर्चा के साथ वापस पाने की अधिकारिणी है। फलस्वरूप परिवादिनी रू0 35000/- , रू0 35000/-कुल रू0 70000/- व परिपक्वता की तिथि से इस पर 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज पाने की अधिकारिणी है । इसके अलावा रू0 5000/- मानसिक व शारीरिक कष्ट की मद में एवं रू0 5000/- मुकदमा खर्च की मद में कुल 10000/-रू0 और पाने की अधिकारिणी है।
15. तदानुसार अवधारण बिन्दु सं0 2 निस्तारित किया जाता है।
16. परिवादिनी का परिवाद एकपक्षीय रूप से तदानुसार डिक्री किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद रू0 35000/-,रू0 35000/- कुल रू0 70,000/-उसके द्वारा जमा की गयी धनराशि की वसूली के लिए विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से डिक्री किया जाता है। इस धनराशि पर परिपक्वता की अंकित तिथियों से वसूली तक परिवादिनी 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी पाने की अधिकारिणी होगी। इसके अलावा परिवादिनी विपक्षी से मानसिक व शारीरिक कष्ट की मद में रू0 5000/- व खर्चा मुकदमा की मद में रू0 5000/- भी पाने की अधिकारिणी है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह इस धनराशि को एक माह के अंदर मय ब्याज सहित अदा करें।
(मोहम्मद कमर अहमद) (घनश्याम पाठक)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उप0वि0प्रति0 फोरम, जिला उप0वि0प्रति0 फोरम
प्रथम बरेली। प्रथम बरेली।
यह निर्णय आज दिनांक 07.05.2018 को हमारे द्वारा हस्ताक्षरित करके खुले मंच पर उद्घोषित किया गया।
(मोहम्मद कमर अहमद) (घनश्याम पाठक)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उप0वि0प्रति0 फोरम, जिला उप0वि0प्रति0 फोरम,
प्रथम बरेली। प्रथम बरेली।
दिनांकः 07.05.2018