Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/56/2014

LIYAKAT ALI - Complainant(s)

Versus

ARTI TRADERS - Opp.Party(s)

SHIV SHAMBHU PATHAK

20 Jul 2021

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 56 सन् 2014

प्रस्तुति दिनांक 10.03.2014

                                                                                               निर्णय दिनांक 20.07.2021

     लियाकत अली पुत्र अनीश अहमद निवासी मुहल्ला- फ्रेन्ड्स कालोनी,     बदरका, जिला- आजमगढ़।      

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

  1. मेo आरती ट्रेडर्स करतारपुर बाईपास, आजमगढ़ द्वारा प्रोपराइटर।
  2. मैनेजर ए.सी.सी. लिमिटेड 1021 एम.के. रोड मुम्बई।      
  3.  

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि 2011 में उसने अपने जमीन पर मकान बनवाना शुरू किया। उसने सीमेन्ट, सरिया, गिट्टी, बालू मोरंग आदि आरती ट्रेडर्स करतारपुर बाईपास आजमगढ़ से खरीदा और उसका समय-समय पर भुगतान करता रहा। जब उसका मकान छत लदने के कगार पर आया तो दुकानदार ने कहा कि अपनी छत ए.सी.सी. सीमेण्ट से ढ़लवाएं। परिवादी राजी हो गया। परिवादी ने अप्रैल 2012 में ढ़लाई में लगने वाली सीमेण्ट 189 बैग जिसकी कीमत 290/- रुपए प्रति बोरी के हिसाब से 54,810/- रुपया, सरिया 27 कुन्टल 5,000/- रुपया प्रति कुन्टल के हिसाब से 1,35,000/- रुपया गिट्टी 900 घन फुट जिसकी कीमत 81,000/- रुपया तथा बालू मोरंग 600 घन फुट जिसकी कीमत 16,800/- रुपया का भुगतान करके सामान खरीदा था तथा सिलाप ढलाई कराया। निर्धारित समय पर सटरिंग खुलने के बाद छत में दरारें आने लगी और छत क्रेक हो गयी जिससे सारा पानी मकान के अन्दर आने लगा, जिसकी सूचना दुकानदार को दी तो उसने कहा कि सीमेण्ट सही नहीं था। दुकानदार ने कहा कि वह कम्पनी में बात करके बताएगा। परिवादी से लगातार टालमटोल करता रहा और परिवादी की समस्या का निराकरण नहीं किया गया। अतः विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि परिवादी के मकान की छत लगवाने की लागत 3,91,810/- रुपया व उसके तोड़वाने की लगभग 78,750/- रुपया कुल 4,70,520/- रुपया और पुनः छत लगवाने की लागत 4,00,000/- रुपए अतः कुल 8,70,000/- रुपया दिलवाया जाए, मानसिक, शारीरिक परेशानी के लिए 4,00,000/- हर्जाने के रूप में तथा अन्य अनुतोष जो न्यायालय की राय में दिलाया जाए।परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 6 छल लदवाने में लगे पैसे की रसीद की छायाप्रति तथा रजिस्ट्री रसीद प्रस्तुत किया गया है।

कागज संख्या 10 आपत्ति विपक्षी संख्या 01 द्वारा परिवादी पर की गयी है, लेकिन उसके द्वारा कोई भी जवाबदावा दाखिल नहीं किया गया है।

कागज संख्या 14 व 15 हाथ से लिखी गयी रसीदें प्रस्तुत की गयी हैं यह किस पक्षकार द्वारा प्रस्तुत किया गया है इसका उल्लेख नहीं किया गया है।  

कागज संख्या 25 विपक्षी संख्या 02 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। विशेष कथन में उसने यह कहा है कि ए.सी.सी. लिमिटेड एक प्रसिद्ध सीमेण्ट कम्पनी है। परिवाद उसके विरुद्ध संधार्य नहीं है। परिवाद पक्षकार नॉनज्वाइंडर और मिसज्वाइंडर के दोष से ग्रसित है। परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या 02 को कोई भी प्रतिफल अदा नहीं किया गया है। उसके छत से जो पानी आ रहा है वह निर्माण की कमी की वजह से आ रहा होगा। परिवादी ने विपक्षी संख्या 02 को हैरान व परेशान करने के उद्देश्य से परिवाद प्रस्तुत किया है। अतः खारिज किया जाए।   

विपक्षी संख्या 02 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

चूंकि पत्रावली प्राचीन है अतः पक्षकारों की अनुपस्थिति में पत्रावली का अवलोकन किया गया।

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कथन किया है कि उसने विपक्षी संख्या 01 से सीमेण्ट क्रय किया था, लेकिन उसकी छत क्रेक कर गयी। विपक्षी संख्या 02 के मैनेजर के खिलाफ जो रिलीफ मांगी गयी है उसके बारे में परिवाद पत्र में कोई उल्लेख नहीं किया गया है। परिवादी ने साक्ष्य में जो छत निर्माण व पुनः निर्माण में खर्च हुआ था उसके बाबत विवरण दिया है। इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “2004(2) सी.एल.टी. पृष्ट 612 हिमाचल प्रदेश स्टेट कमीशन” में पारित निर्णय को यदि देखा जाए तो इसमें यह अभिधारित किया गया है कि परिवादी को सीमेण्ट के क्वालिटी का न्यायालय के आदेश से परीक्षण करवाना चाहिए था, इस न्याय निर्णय में यह कहा गया है कि केवल दुकानी तौर पर यह कह देना कि सीमेण्ट की गुणवत्ता मे कमी थी उसे नहीं माना जा सकता। ऐसी स्थिति में उपरोक्त विवेचन से हम लोग इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि परिवादी सीमेण्ट की गुणवत्ता के विषय में न्यायालय से न तो कोई भी अनुरोध किया और न ही कोई प्रार्थना पत्र दिया कि सीमेन्ट की गुणवत्ता परीक्षण हेतु विशेषज्ञ से साक्ष्य मगवाया जाए। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवादी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य से अपने परिवाद पत्र में किए कथनों को सिद्ध करने में असफल रहा है। अतः परिवादी पत्र खारिज किए जाने योग्य है।   

आदेश

                                                         परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

                                                                    गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण  कुमार सिंह 

                                                   (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

           दिनांक 20.07.2021

                                                यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

                                       गगन कुमार गुप्ता                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                         (सदस्य)                               (अध्यक्ष)

 

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