जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।
उपस्थित - (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य
परिवाद सं0-54/08
रामतेज वर्मा पुत्र श्री जगपति वर्मा निवासी मकान नं0-3/20/110 नहर बाग फैजाबाद .................परिवादी
बनाम
1- प्रबन्ध महोदय क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक शाखा रिकाबगंज जिला फैजाबाद।
2- मिनहाजअहमद पुत्र मो0 वसीवारसी निवासीगण मोहल्ला कटरा कस्बा पोस्ट परगना व तहसील रूदौली जिला फैजाबाद ................विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 02.11.2015
निर्णय
उद्घोषित द्वारा: श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध चेक की धनराशि मय ब्याज तथा क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु योजित किया है।
संक्षेप में परिवादी का केस इस प्रकार है कि परिवादी मकान नं0-3/20/110 नहरबाग फैजाबाद का मूल निवासी है। विपक्षी सं0-2 के द्वारा एग्रीमेन्ट के अनुसार
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जारी मु0 1,50,000=00 का चेक जिसका चेक सं0-425237 ह,ै जो बैंक आफ बड़ौदा शाखा रूदौली जिला बाराबंकी के नाम से देय था। उपरोक्त चेक को परिवादी ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक रिकाबगंज जिला फैजाबाद अपने बचत खाता संख्या-5533 में भुगतान हेतु दि0 16.01.07 को जमा किया था। उपरोक्त चेक की धनराशि न तो परिवादी के खाता में जमा हुई और न ही परिवादी को चेक वापस किया गया। विपक्षी सं0-1 द्वारा पत्रांक एम0बी0/27/बी-466 दि0 26.10.07 के माध्यम से सूचित किया गया कि आपका चेक कहीं गुम हो गया है। परिवादी ने विपक्षी जिनके द्वारा चेक जारी किया गया था व्यक्तिगत मिलकर दोबारा चेक प्राप्त करने का काफी प्रयास किया गया लेकिन वह दोबारा चेक अथवा धनराशि देने को तैयार नहीं हुआ। जिसके कारण परिवादी को काफी शारीरिक मानसिक व आर्थिक क्षति उठानी पड़ी। दि0 14.11.07 को उपरोक्त धनराशि की वसूली एवं दुबारा चेक वापस करने के सम्बन्ध में विधिक नोटिस दी गयी लेकिन विपक्षी सं0-1 द्वारा अभी तक कोई मकूल जवाब नहीं दिया गया और न ही परिवादी को चेक अथवा धनराशि का भुगतान किया गया।
विपक्षी सं0-1 ने अपने जवाब में कहा कि परिवादी के कथनानुसार परिवादी एवं विपक्षी सं0-2 के मध्य हुए एग्रीमेन्ट के बाबत उसे चेक मु0 1,50,000=00 का मिला था। परिवादी का उक्त चेक का भुगतान चूॅंकि बैंक आफ बड़ौदा शाखा रूदौली के द्वारा देय था जिसे भुगतान प्राप्त करने हेतु क्लीयरिंग में भेजा गया था और जो चेकदाता के खाते में धन की व्यवस्था न होने के कारण अनादरित होकर वापस आ गया था जिसकी जानकारी परिवादी को दी गयी थी। परिवादी के पुनः अनुरोध पर उक्त चेक पुनः भुगतान हेतु क्लीयरिंग में भेजा गया फिर भी वह अनादरित होकर वापस आ गया और उसके उपरान्त् उक्त चेक फैजाबाद के माध्यम से भेजा गया जो परिवादी को प्राप्त नहीं हुआ जिसकी जानकारी करने पर उक्त कोरियर कम्पनी ने सूचित किया कि उक्त चेक का पता नहीं चल रहा है और गायब है जिससे परिवादी को सूचित भी किया गया था। स्थानीय क्षेत्र के बाहर व चेक क्लीयरिंग हेतु बैंक द्वारा देय बैंक शाखा को कोरियर या डाक से प्रेषित करता है और भुगतान आने पर ही भुगतान प्राप्त होने वाले या चेक धारक के खाते में रकम क्रेडिट की जाती है किन्तु उक्त वाद में चेक का भुगतान हुआ ही नहीं ऐसी दशा में परिवादी को भुगतान करने या उसके खाता में विवादित चेक की रकम क्रेडिट करने का प्रश्न हीं नहीं उठता है। कोरियर से यह जानकारी होने पर की उक्त चेक गलती से जब परिवादी को भेजने के लिए दिया गया था पुनः बैंक आफ बड़ौदा रूदौली भेज दिया गया तो विपक्षी
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उत्तरदाता ने बैंक आफ बड़ौदा रूदौली से भी जानकारी की तथा उसे उक्त तथ्यों से अवगत कराया किन्तु कोरियर कम्पनी की लापरवाही के कारण चेक गन्तव्य स्थान पर न पहुॅंच कर गायब हुआ। उपरोक्त परिवाद में परिवादी ने बैंक आफ बड़ौदा शाखा रूदौली जिसके द्वारा उक्त चेक राशि देय थी, को पक्षकार नहीं बनाया गया है जो कि एक आवश्यक पक्षकार है तथा परिवाद पत्र में पक्षकार दोष है और परिवाद पत्र ग्राह्य नहीं है। कोरियर कम्पनी श्री मारूति कोरियर सर्विस स्टेशन रोड निकट स्टेट बैंक फैजाबाद को भी पक्षकार नहीं बनाया गया है।
विपक्षी सं0-2 ने अपने जवाब में कहा कि उत्तरदाता/विपक्षी का बचत खाता बैंक आफ बड़ौदा शाखा रूदौली में है जिसका खाता सं0-1175 है और बाद में कम्प्यूटराइज खाता सं0-275501-00000795 है। उक्त खाते की पास बुक व बैंक द्वारा उक्त पास बुक पर जारी चेक बुक दोनों खो गया है जिसकी सूचना मौखिक रूप से उत्तरदाता विपक्षी ने संबंधित बैंक मैनेजर को दिया और तत्कालीन बैंक मैनेजर ने यह कहा कि जब भी डुप्लीकेट पास बुक व चेक बुक की जरूरत होगी तो एक प्रार्थना-पत्र दे दीजिएगा, बनवा दिया जायेगा। विपक्षी ने परिवादी के साथ न तो किसी किस्म का कोई एग्रीमेन्ट किया था और न ही विपक्षी ने कोई चेक अपने द्वारा हस्ताक्षरित मु0 1,50,000=00 का परिवादी को दिया है और न ही परिवादी से किसी उपभोग किये जाने वाली वस्तु या जमीन जायदाद की खरीद फरोख्त या किसी रूपये के लेन-देन के सम्बन्ध में किसी प्रकार का कोई एग्रीमेन्ट ही किया है इसलिए परिवादी द्वारा अपने परिवाद में जो यह कहा गया है कि उत्तरदाता/विपक्षी सं0-2 ने कोई चेक, चेक सं0-425237 मु0 1,50,000=00 का किसी एग्रीमेन्ट के अनुसार परिवादी को दिया है। विपक्षी सं0-2 का चेक बुक व पास बुक जो पहले से ही गायब हो गया था और ऐसा लगता है कि उक्त चेक बुक व पास बुक परिवादी को कहीं मिल गया। परिवादी जिस तथा कथित एग्रीमेन्ट का जिक्र उसने अपने परिवाद पत्र में कर रखा है, उसका परिवाद पत्र दायर करते समय जरूर दाखिल करता लेकिन परिवादी ने उसे आज तक नहीं दाखिल किया है और परिवाद उक्त तथा कथित एग्रीमेन्ट को भी दाखिल नहीं कर सकता है।
परिवादी ने विपक्षी सं0-2 के जवाब के विरूद्ध जवाबुल जवाब दाखिल किया तथा यह कहा कि शिवपता पत्नी दरबारीलाल व परिवादी का लड़का विजय वर्मा निवासी मकान नं0-3/20/110 नहर बाग फैजाबाद के जमीन से संबंधित मुकदमा
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चल रहा था जिसके सम्बन्ध में दोनों पक्षों के मध्य समक्ष गवाहान दि0 28.08.03 को आपसी समझौता हुआ कि ग्राम भेलसर परगना व तहसील रूदौली जिला फैजाबाद की आवासीय भूमि जिसकी चैहद्दी निम्न है पूरब सड़क रूदौली से भेलसर, पश्चिम बाग नियाज अहमद, उत्तर सड़क लखनऊ से फैजाबाद, दक्षिण साहब बरदान व तालाब में 1/2 विजय वर्मा व 1/2 शिवपता पत्नी दरबारीलाल का रहा है। विपक्षी सं0-2 मिनहाज अहमद व शरद त्रिवेदी पुत्र सुशील कुमार साझीदारी में प्रापर्टी डीलर का कारोबार करते हैं जिसके तहत परिवादी का लड़का विजय वर्मा व शरद त्रिवेदी के मध्य उत्तर से दक्षिण 1 गुणा 5 का मु0 10,000=00 के हिसाब से 60 गुणा 5 का सौदा मु0 6,00,000=00 में तय हुआ जिसका इकरारनामा दि0 15.04.04 को समक्ष गवाहान हुआ जिसमें परिवादी व विपक्षी सं0-2 गवाह है जिसकी मूल लिखा पढ़ी का कागजात शरद त्रिवेदी के पास है। इसी समझौता के अनुसार उसी दिन मु0 25,000=00 नकद परिवादी के लड़के विजय वर्मा को दिया था जिसमें यह तय हुआ कि विजय वर्मा अपनी मामी शिवपता पत्नी स्व0 दरबारी लाल निवासी देवकली रहीमगंज से भेलसर चैराहे पर स्थित भूमि का बैनामा कराने के पाबन्द होंगे।
मैं परिवादी की बहस तथा विपक्षीगण की बहस सुनी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य तथा परिवादी की लिखित बहस का अवलोकन किया। परिवादी ने चेक सं0-425237 मु0 धनराशि 1,50,000=00 जिसे विपक्षी सं0-2 द्वारा देना कहा गया है। इस चेक को परिवादी ने विपक्षी सं0-1 क्षेत्रीय ग्रामीण शाखा रिकाबगंज जिला फैजाबाद में बचत खाता सं0-5533 में दि0 16.01.07 को कलेक्शन हेतु जमा किया। यह विवादित चेक बी.ओ.बी. शाखा रूदौली जिला बाराबंकी को भेजी गयी थी। यह चेक अनादृत हो गयी। यह चेक विपक्षी सं0-1 के यहाॅं वापस आ गयी। परिवादी ने पुनः इस चेक को कलेक्शन हेतु बी.ओ.बी. शाखा रूदौली जिला बाराबंकी को भेजने हेतु कहा गया। विपक्षी सं0-1 द्वारा पुनः चेक को भेजा गया। चेक पुनः अनादृत हो गयी और मारूति कोरियर सर्विसेज के माध्यम से यह चेक भेजी गयी थी। चेक ट्रांजिट पीरियड में गुम हो गयी। यह तथ्य कि चेक गुम हो गयी परिवादी तथा विपक्षी सं0-1 को स्वीकार है। विपक्षी सं0-2 ने चेक देने से इन्कार किया है और अपने तर्क में कहा है कि चेक बुक विपक्षी सं0-2 की खो गयी थी। मौखिक रूप से विपक्षी सं0-1 को सूचित किया था। विपक्षी सं0-1 ने कहा कि जब जरूरत हो तो आ जाना दूसरी चेक बुक जारी कर देंगे। इस केस में विवाद यह है कि चेक सं0-425237 मु0 धनराशि 1,50,000=00 जो गुम हुई है उसके गुम होने की जिम्मेदारी किसकी है। विपक्षी सं0-1
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ने अपने जवाबदावे में कहा है कि मारूति कोरियर सर्विसेज से यह चेक गुम हो गयी है उसे पक्षकार बनाया जाना आवश्यक है। परिवादी ने मारूति कोरियर सर्विसेज फैजाबाद को पक्षकार नहीं बनाया है। चेक गुम होने के सम्बन्ध में विपक्षी सं0-1 ने कागज सं0-1/11 छायाप्रति दाखिल किया है। मारूति कोरियर सर्विसेज से ट्रांजिट पीरियड में चेक गुम हो जाने के सम्बन्ध में क्या कार्यवाही की या चेक की माॅंग किया कि नहीं किया इस सम्बन्ध में कोई कागजात अपने साक्ष्य के सम्बन्ध में विपक्षी सं0-1 ने दाखिल नहीं किया है। इसमें जो कागज मारूति कोरियर सर्विसेज प्रदीप कुमार द्विवेदी ने कागज सं0-1/12 प्रस्तुत किया है। विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिक्ता ने अपने तर्क के समर्थन में अजहर मोहम्मद बनाम पंजाब नेशनल बैंक, 2009 (1) सी0पी0आर0 107 राष्ट्रीय आयोग को प्रेषित किया और अपने तर्क में कहा कि ट्रांजिट पीरियड में यह चेक कोरियर कम्पनी से खो जाता है तो बैंक जिम्मेदार नहीं कोरियर कम्पनी जिम्मेदार होगी। विपक्षी सं0-1 ने कोरियर कम्पनी से चेक के सम्बन्ध में कोई कार्यवाही नहीं किया और उसे वापसी मंगाने के सम्बन्ध में भी कोई कार्यवाही नहीं किया और विवादित चेक विपक्षी सं0-1 ने ही कलेक्शन हेतु बी0ओ0बी0 रूदौली को भेजा था। इस प्रकार विपक्षी सं0-1 ही चेक के सम्बन्ध में जिम्मेदार है। विपक्षी सं0-1 चाहे तो कोरियर कम्पनी के खिलाफ कार्यवाही कर सकता है। विपक्षी सं0-2 का इसमें कोई रोल नहीं है। यदि अनादरित चेक विपक्षी सं0-1 परिवादी को वापस कर देता है तो परिवादी विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध धारा-138 नीगोशियेबिल इन्स्ट्रूमेंट एक्ट के तहत दाण्डिक कार्यवाही कर सकता है या धनराशि की वसूली हेतु विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध दीवानी न्यायालय के माध्यम से कार्यवाही कर सकता है। उपरोक्त विवेचना के आधार पर मैं इस निष्कर्ष पर पहुॅंचता हूॅं कि परिवादी का परिवाद विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध स्वीकार स्वीकार किये जाने योग्य है तथा विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध खारिज किये जाने योग्य है। परिवादी का परिवाद अंशतः स्वीकार तथा अंशतः खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध अंशतः स्वीकार तथा अंशतः खारिज किया जाता है। परिवादी का परिवाद विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध खारिज किया
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जाता है तथा विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0-1 को आदेश दिया जाता है कि निर्णय की तिथि से एक माह के अन्दर परिवादी को चेक की धनराशि मु0 1,50,000=00 तथा परिवाद योजित करने की तिथि से 9 प्रतिशत सालाना साधारण ब्याज तारोज वसूली अदा करे। इसके अतिरिक्त विपक्षी सं0-1 परिवादी को मु0 2,000=00 परिवाद व्यय भी अदा करे।
( विष्णु उपाध्याय ) ( माया देवी शाक्य ) ( चन्द्र पाल )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 02.11.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) ( चन्द्र पाल )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष