Uttar Pradesh

StateCommission

A/1100/2024

Bank of Baroda & Anothers - Complainant(s)

Versus

Apratim Narayan - Opp.Party(s)

Arjun Krishna

02 Sep 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1100/2024
( Date of Filing : 01 Aug 2024 )
(Arisen out of Order Dated 19/06/2024 in Case No. CC/06/2023 of District Sitapur)
 
1. Bank of Baroda & Anothers
Branch hazratganj lucknow through its branch Manager
...........Appellant(s)
Versus
1. Apratim Narayan
R/o 2639/45 shri ram kunj faridi nagar indira nagar lucknow 226016
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 02 Sep 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1100/2024

बैंक आफ बड़ौदा, ब्रांच हजरतगंज, लखनऊ द्वारा ब्रांच मैनेजर आदि

बनाम

अप्रतिम नारायण पुत्र राकेश वर्मा, निवासी 2639/45 श्रीराम कुंज फरीदीनगर, इंदिरा नगर, लखनऊ।

दिनांक:-02.9.2024

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता आयोग, सीतापुर द्वारा परिवाद संख्‍या-06/2023 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 19.6.2024 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवादी के दावे को स्वीकार किया जाता है और विपक्षी संख्या-1 बैंक ऑफ बड़ौदा शाखा प्रबंधक हजरतगंज को यह आदेश देती है कि उपरोक्त दोनों एफडीआर की परिपक्वता की सम्पूर्ण धनराशि पर 9% वार्षिक ब्याज के साथ परिवाद दाखिल करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक आदेश होने के दो माह अदा के अन्दरा करें। साथ ही शारीरिक एवं मानसिक क्षतिपूर्ति हेतु रु.50,000/- तथा वाद व्यय हेतु रु.5,000/- भी विपक्षी बैंक सं०-1 परिवादी को भुगतान करेगा।

विपक्षी संख्या-1 को इस आदेश का अनुपालन आदेश की तिथि से दो मास की अवधि के भीतर करना होगा अन्यथा परिवादी को इस आदेश को इस आयोग के माध्यम से लागू करवाने का अधिकार होगा।"

जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/विपक्षी बैंक की ओर से प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

-2-

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की दादी शांति वर्मा द्वारा अपने और परिवादी के नाम दो एफ.डी.आर. बैंक ऑफ बड़ौदा शाखा हज़रतगंज से बनवायी गई थी, जिसमें एक एफ.डी.आर. रु0 14,00,000/- का जिसका नं0- 00500300017864 एवं दूसरी एफ.डी.आर. रु0 16,50,000/- का जिसका नं0-00500300017865 था। उपरोक्त दोनों एफ.डी.आर. Either or Survivor के रूप में संचालित होनी थी। उपरोक्त दोनों एफ.डी.आर. की परिपक्वता दिनांक 03/6/2019 को होनी थी। जब प्रत्‍यर्थी/परिवादी की दादी शांति वर्मा द्वारा एफ.डी.आर. बनवायी गयी थी उस समय प्रत्‍यर्थी/परिवादी नाबालिग था और यह धनराशि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को एक पारिवारिक समझौते में अपने दादा से प्राप्त हुई थी। चूंकि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पिता का देहांत दिनांक 21/01/2003 को हो गया था इसलिए दादी को परिवादी का संरक्षक बनाया गया था।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी की दादी शांति वर्मा जो एफ.डी.आर. की प्रथम खाताधारक थी, उनका देहांत दिनांक 16/04/2021 को हो गया है इसलिए एफ.डी.आर. के मैंडेट के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी उपरोक्त एफ.डी.आर. की सम्पूर्ण धनराशि को प्राप्त करने का एक मात्र अधिकारी है, जिसका भुगतान प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी/विपक्षीगण बैंक द्वारा नहीं किया जा रहा है अत्एव उपरोक्‍त एफ.डी.आर. की सम्‍पूर्ण धनराशि मय ब्‍याज के अपीलार्थी बैंक को आदेशित किये जाने हेतु परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपीलार्थी/विपक्षी बैंक की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर परिवाद पत्र के कथनों को आंशिक रूप से स्‍वीकार किया गया।

-3-

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। यह भी कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी, अपीलार्थी बैंक के समक्ष मूल एफ.डी.आर. प्रस्तुत करने में असफल रहा है। यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं है। यह भी कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की विभिन्‍न दस्‍तावेजों में जन्‍मतिथि भिन्‍न-भिन्‍न अंकित है। यह भी कथन किया गया कि श्रीमती शान्ति वर्मा ने अपने जीवन काल में प्रत्‍यर्थी/परिवादी को भुगतान किए जाने का विरोध किया और दोनों के मध्‍य कुछ विवाद था, इसलिए एफ0डी0आर0 की धनराशि का भुगतान नहीं किया जा सका। अत्एव अपील स्‍वीकार कर जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश को अपास्‍त किये जाने की प्रार्थना अपीलार्थी की ओर से की गई।

मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री अर्जुन कृष्‍णा के कथनों को सुना गया तथा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश का सम्‍यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।

मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथनों को सुनने गया तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि यदि एफ0डी0आर0 खाताधारक श्रीमती शान्ति वर्मा और प्रत्‍यर्थी/परिवादी के मध्‍य कोई विवाद रहा होता तो वह एफ0डी0आर0 से प्रत्‍यर्थी/परिवादी का नाम हटवा सकती थी या और कोई प्रयास कर सकती थी परन्‍तु श्रीमती शान्ति वर्मा द्वारा

 

-4-

अपने जीवनकाल में ऐसा नहीं किया गया, जिससे स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ही उपरोक्‍त एफ0डी0आर0 में नामिनी होने पर उक्‍त

एफ0डी0आर0 की धनराशि को प्राप्‍त करने का अधिकारी है तथा इस सम्‍बन्‍ध में दोनों एफ0डी0आर0 का भुगतान प्रत्‍यर्थी/परिवादी को न करके अपीलार्थी/विपक्षी बैंक का दी जाने वाली सेवाओं में घोर त्रुटि कारित की गई है। अपीलार्थी/विपक्षी बैंक को चाहिए था कि वे इन्‍डेम्निटी बांड प्रत्‍यर्थी/परिवादी से लेकर एफ0डी0आर0 की धनराशि का भुगतान प्रत्‍यर्थी/परिवादी को कर दे, परन्‍तु ऐसा न कर अपीलार्थी/विपक्षी बैंक द्वारा सेवा में त्रुटि कारित की गई है और इस सम्‍बन्‍ध में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि सम्‍मत है।

     यहॉ यह भी स्‍पष्‍ट किया जाता है कि एफ0डी0आर0 के विरूद्ध इन्‍डेम्निटी बांड प्राप्‍त करने की प्रक्रिया से पूर्व अपीलार्थी बैंक द्वारा दैनिक समाचार पत्र में इस निर्णय की तिथि से 15 दिवस में एक नोटिस वास्‍ते किसी भी व्‍यक्ति को उक्‍त एफ0डी0आर0 के संबंध में यदि कोई आपत्ति है तो वह प्रकाशन से 15 दिवस की अवधि में अपना विरोध पत्र सशपथ पत्र व आवश्‍यक साक्ष्‍य के साथ बैंक के शाखा प्रबन्‍धक के सम्‍मुख प्रस्‍तुत कर अपना पक्ष प्रस्‍तुत करें, अन्‍यथा इन्‍डेम्निटी बांड के विरूद्ध तत्‍काल धनराशि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्राप्‍त करायी जावेगी।

परन्‍तु जहॉ तक विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत आदेश में अपीलार्थी/विपक्षी बैंक के विरूद्ध जो शारीरिक एवं मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 50,000.00 (पचास हजार रू0) की देयता निर्धारित की गई है, उसे वाद के सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों तथा अपीलार्थी के अधिवक्‍ता के कथन को दृष्टिगत रखते हुए अधिक

-5-

प्रतीत हो रही है, तद्नुसार अपीलार्थी/विपक्षी बैंक के विरूद्ध शारीरिक एवं मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 50,000.00 (पचास हजार रू0)  की देयता को रू0 20,000.00 (बीस हजार रू0) की देयता में परिवर्तित किया जाता है। प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। निर्णय/आदेश का शेष भाग यथावत कायम रहेगा।

अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन 06 (छ:) सप्‍ताह की अवधि में किया

जाना सुनिश्चित करें। अंतरिम आदेश यदि कोई पारित हो, तो उसे समाप्‍त किया जाता है।

प्रस्‍तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

     आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                                       (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                             

                                           अध्‍यक्ष                                                                                                                

हरीश आशु.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.