Uttar Pradesh

StateCommission

A/134/2016

M/s Speed Motors Pvt - Complainant(s)

Versus

Aper mukhya adhikari Zila panchayat Jhansi - Opp.Party(s)

Atma Nand

09 Jul 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/134/2016
( Date of Filing : 21 Jan 2016 )
(Arisen out of Order Dated 22/12/2015 in Case No. C/211/2013 of District Jhansi)
 
1. M/s Speed Motors Pvt
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Aper mukhya adhikari Zila panchayat Jhansi
Jhansi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 09 Jul 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-134/2016

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, झांसी द्वारा परिवाद संख्‍या 211/2013 में पारित आदेश दिनांक 22.12.2015 के विरूद्ध)

M/s. Speed Motors Private Ltd., 3, Shahnazaf road, Lucknow through its Managing Director.                                               

                           ................अपीलार्थी/विपक्षी सं02

बनाम

1. Upper Mukhya Adhikari, Zila Panchayat Jhansi, through Kamal Narayan Shukla.

2. M/s. Hindustan Motors Ltd. 9/1, R.S. Mukharjee Road, Kolkatta-700001                         

               .................प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी एवं विपक्षी सं01

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आत्‍मानन्‍द,

                           विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं01 की ओर से उपस्थित : श्री वी0एस0 बिसारिया,

                              विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं02 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक: 14.08.2018

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद संख्‍या-211/2013 अपर मुख्‍य अधिकारी जिला पंचायत झांसी बनाम मैसर्स हिन्‍दुस्‍तान मोटर्स लि0 व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, झांसी द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 22.12.2015 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के  समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

 

 

-2-

जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवाद स्‍वीकार किया जाता है, और विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है, कि वह दो माह के अन्‍दर कार बदलकर उसके स्‍थान पर दूसरी कार परिवादी को दें, अथवा 7,03,034/-रू0 12% ब्‍याज सहित अदा करें। यह ब्‍याज की दर वाद दाखिल करने के दिनांक से भुगतान की तिथि तक देय होगा। मानसिक कष्‍ट हेतु 5000/-रू0 एवं वाद व्‍यय हेतु भी 5000/-रू0 अदा करेगें।''

जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी संख्‍या-2 मैसर्स स्‍पीड मोटर्स प्रा0लि0 ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री आत्‍मानन्‍द और प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री वी0एस0 बिसारिया उपस्थित आए हैं।

प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है, जबकि उस पर आदेश दिनांक 03.08.2016 के द्वारा नोटिस का तामीला पर्याप्‍त माना गया है।

हमने अपीलार्थी एवं प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

अपीलार्थी की ओर से लिखित तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया है। हमने अपीलार्थी के लिखित तर्क का भी अवलोकन किया                   है।

 

-3-

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि  प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपर मुख्‍य अधिकारी जिला पंचायत झांसी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उन्‍होंने एक एम्‍बेसडर कार अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 से  दिनांक 02.02.2013 को खरीदा। कार की डिलीवरी के उपरान्‍त विभाग के अनुभवी ड्राइवर द्वारा चलाने पर ज्ञात हुआ कि कार में परिवाद पत्र की धारा-2 में अंकित मैन्‍यूफैक्‍चरिंग डिफेक्‍ट है, जो निम्‍न है:-

अ- गाड़ी 25 कि. मी. की यात्रा के बाद गर्म होने लगती है।

ब- गाड़ी में लगे ए.सी. को चलाने से गाड़ी जल्‍दी हीट होने लगती है।

स- गाड़ी का लोड न लेना।

द- गाड़ी के फाटक लगाये जाने पर उसमें तेज आवाज आना व गेट सही सैट न होना।

य- रेडियेटर का लीक होते रहना।

र- सायलेन्‍सर का लीक होना।

ल- गाड़ी का सस्‍पेन्‍शन खराब होना व गाड़ी में फिनिशिंग न होना आदि।

     परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसने विपक्षीगण को एक पत्र दिनांक 25.06.2013 को इस आशय का प्रेषित किया कि कार में मैन्‍यूफैक्‍चरिंग डिफेक्‍ट है, परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या–1 जो कार का  निर्माता  है  द्वारा  बार-बार

 

-4-

अनुरोध करने के बाद भी कार को ठीक नहीं कराया गया। तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने विपक्षीगण को जरिया अधिवक्‍ता नोटिस भेजा फिर भी कार का डिफेक्‍ट दूर नहीं किया गया। अत: विवश होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

     जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 ने अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है, जिसमें कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को कथित वाहन दिनांक 20.02.2013 को बेचा गया है और सम्‍पूर्ण विक्रय धन का भुगतान लखनऊ में उसे किया गया है। गाड़ी की डिलीवरी भी उसने लखनऊ में दी है।

     लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 की ओर से कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने उपरोक्‍त वाहन अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 से दिनांक 20.02.2013 को मय टैक्‍स 6,22,620/-रू0 में क्रय किया है और 59,508/-रू0 की एसेसरीज/स्‍पेयर पार्ट्स लगवाये हैं तथा 18,926/-रू0 का इंश्‍योरेंस अदा किया है एवं 2000/-रू0 अस्‍थायी रजिस्‍ट्रेशन चार्जेज का अदा किया है।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 की ओर से कहा गया है कि कभी भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी के उपरोक्‍त वाहन की सर्विसिंग अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के वर्कशाप में नहीं करायी गयी है और न ही प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के अधिकृत वर्कशाप में सर्विसिंग करायी गयी है।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 की ओर से कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी का पत्र दिनांक 25.06.2013 उसे प्राप्‍त

 

-5-

नहीं हुआ है और न ही प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अधिवक्‍ता द्वारा भेजी गयी नोटिस उसे प्राप्‍त हुई है।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 की ओर से कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पत्र दिनांक 23.07.2013 के उत्‍तर में उसने प्रत्‍यर्थी/परिवादी को पत्र दिनांक 02.08.2013 द्वारा सूचित किया कि वाहन को उसके वर्कशाप में भेज दें ताकि वाहन में उत्‍पन्‍न त्रुटियों को भली प्रकार ठीक करा दिया जाए, लेकिन प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने वाहन अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के वर्कशाप में नहीं भेजा। तब वाहन की त्रुटियों को ठीक कराने हेतु अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 ने अपने मैकेनिक को आवश्‍यक सामान के साथ प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पास दिनांक 07.08.2013 को भेजा और मैकेनिक ने यथा संभव कथित वाहन की त्रुटि का निवारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी के ड्राइवर के सामने किया। कुछ त्रुटियॉं ऐसी थी जो वर्कशाप में ही ठीक हो सकती थी। इस कारण अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के मैकेनिक ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी से मांग की कि वाहन को अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के वर्कशाप में भेज दें ताकि वाहन की त्रुटि को पूर्णतया ठीक किया जा सके। इस सम्‍बन्‍ध में अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी को पत्र                दिनांक 10.08.2013 भी भेजा, परन्‍तु उसके बाद भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने वाहन को उसके वर्कशाप में नहीं भेजा।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 की ओर से यह भी  कहा  गया  है  कि  वारण्‍टी  अवधि  में  तथाकथित  वाहन

 

-6-

प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा उसके वर्कशाप में लाया जाता तो वारण्‍टी के अधीन त्रुटियों एवं कमियों को सदैव ठीक करने व दूर करने को वह तैयार था। उसने वाहन के सम्‍बन्‍ध में कभी भी अपनी सेवा में कोई कमी या कोताही नहीं की है और न ही अपने दायित्‍वों के निर्वहन में हीला हवाली की है।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 की ओर से कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा वाहन बड़ी लापरवाही से प्रयोग किया जाता रहा है और उसका उचित देखरेख नहीं किया जाता रहा है।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 की ओर से यह भी कहा गया है कि उसका कोई प्रतिष्‍ठान या शाखा झांसी में नहीं है और न ही उसका कार्यालय झांसी में है और न ही वाहन की बिक्री या डिलीवरी झांसी में हुई है। अत: जिला फोरम, झांसी को परिवाद सुनने का अधिकार नहीं है।

जिला फोरम के समक्ष प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 की ओर से कोई लिखित कथन नहीं प्रस्‍तुत किया गया है।

जिला फोरम ने उभय पक्ष को सुनने के उपरान्‍त उपलब्‍ध साक्ष्‍यों के आधार पर यह माना है कि परिवाद हेतु वाद हेतुक जिला फोरम, झांसी की अधिकारिता में उत्‍पन्‍न हुआ है और वाहन में निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि है। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए आक्षेपित आदेश उपरोक्‍त प्रकार से पारित किया                है।

 

-7-

अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के विरूद्ध है। वाहन में निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि का कोई साक्ष्‍य नहीं है और न ही वाहन का निरीक्षण तकनीकी विशेषज्ञ से कराया गया है। जिला फोरम, झांसी को परिवाद सुनने का अधिकार प्राप्‍त नहीं है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अधिकार रहित और विधि विरूद्ध है।

अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के विद्वान अधिवक्‍ता ने अपने तर्क के समर्थन में निम्‍न न्‍याय निर्णयों को सन्‍दर्भित किया है:-

1. 1999 (4) A.W.C. 4.203 (U.P.C.) (STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, U.P., LUCKNOW) Appeal Nos. 733-34/SC of 1997 Decided on July 27, 1998 Pal Peugeot Ltd. and another Versus Abdul Majid and Bros. and others.

2.  2000 (3) A.W.C. 4.130 (N.C.) (NATIONAL CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, NEW DELHI) Revision Petition No. 34 of 1997 Decided on December 6, 1999 American Express Bank Ltd., Travel Related Services and another Versus Rajesh Gupta and others.

3. IV (2009) CPJ 40 (SC) SUPREME COURT OF INDIA,  SONIC SURGICAL  Versus  NATIONAL INSURANCE COMPANY LTD.

4. I (2014) CPJ 516 (NC) NATIONAL CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, NEW DELHI,  SANTA BANTA COM. LIMITED & ANR. Versus  PORSCHE CARS & ORS.

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम का निर्णय साक्ष्‍य और विधि के अनुकूल है। जिला फोरम  ने

 

-8-

वाहन में निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि मानने हेतु जो आधार उल्लिखित किया है वह उचित और युक्तिसंगत है। वाहन में त्रुटि जनपद झांसी में उजागर हुई है और झांसी अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 का मैकेनिक वाहन को ठीक करने गया भी है तथा कुछ कमी का निवारण करने का प्रयास भी किया है। अत: परिवाद हेतु वाद हेतुक आंशिक रूप से झांसी में उत्‍पन्‍न हुआ है। अत: जिला फोरम, झांसी को परिवाद ग्रहण करने का अधिकार प्राप्‍त है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम के निर्णय में हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है।

हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

Pal Peugeot Ltd. and another Versus Abdul Majid and Bros. and others. के उपरोक्‍त वाद में राज्‍य आयोग, उ0प्र0 ने जिला फोरम की स्‍थानीय क्षेत्राधिकारिता के बिन्‍दु पर विचार करते हुए निम्‍न मत व्‍यक्‍त किया है:-

“As regards the cause of action wholly or in part arises as per the provisions of sub-clause (c) of sub-section (2) of Section 11 of the said Act, detecting of defect in Saharanpur where the car was used does not make the cause of action arise there because the defects found in the car do not decide the territorial jurisdiction but if anything with regard to the place for the payment, purchase and delivery of car are the main factors to determine the cause of action. As already observed above, the car was purchased at New Delhi, payment was made at New Delhi and delivery was also obtained at New Delhi therefore, there arises no question of District Forum, Saharanpur, having the jurisdiction in Delhi or New Delhi.”

 

 

-9-

American Express Bank Ltd., Travel Related Services and another Versus Rajesh Gupta and others के उपरोक्‍त वाद में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग ने स्‍थानीय अधिकारिता के सम्‍बन्‍ध में विचार किया है और उल्‍लेख किया है कि क्‍लेम दिल्‍ली ब्रांच द्वारा निरस्‍त किया गया है, जिसकी सूचना परिवादी को उत्‍तर प्रदेश लखनऊ में उसके व्‍यापारिक पते पर दी गयी है। ऐसी स्थिति में कलकत्‍ता में वाद हेतुक उत्‍पन्‍न नहीं हुआ है और कलकत्‍ता फोरम को परिवाद ग्रहण करने का अधिकार नहीं है।

SANTA BANTA COM. LIMITED & ANR. Versus  PORSCHE CARS & ORS के उपरोक्‍त वाद में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग ने Kandimalla Raghavaiah & Co. v. National Insurance Co. Ltd., III (2009) CPJ 75 (SC)=(2009) 7 SCC 768 के वाद में दिए गए निर्णय में माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्‍त का उल्‍लेख किया है। माननीय राष्‍ट्रीय आयोग के निर्णय का संगत अंश नीचे उद्धरित है:-

“The expression “casue of action” is neither defined in the Act nor in the Code of Civil Procedure, 1908. However, in a catena of decisions of the Supreme Court, the said expression is described as a bundle of essential facts necessary for the plaintiff to prove and obtain a decree but does not comprise evidence necessary to prove such facts. Failure to prove such facts would give the defendant a right to judgment in his favour. “Cause of action” thus gives occasion for and forms the foundation of the suit. See Kandimalla Raghavaiah & Co. v. National Insurance Co. Ltd., III (2009) CPJ 75 (SC)=(2009) 7 SCC 768.”

 

 

-10-

SONIC SURGICAL  Versus  NATIONAL INSURANCE COMPANY LTD  के उपरोक्‍त वाद में माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने कहा है कि धारा-17 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 में एमेंडमेन्‍ट एक्‍ट 2003 के द्वारा जोड़े गए ब्रांच आफिस का अर्थ उस ब्रांच आफिस से है, जिसके अधिकार क्षेत्र में वाद हेतुक उत्‍पन्‍न हुआ है।

धारा-11 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 जिला फोरम की अधिकारिता के सम्‍बन्‍ध में है, जिसे नीचे उद्धरित किया जा रहा है:-

11. जिला पीठ की अधिकारिता- (1) इस अधिनियम के अन्‍य उपबंधों के अधीन रहते हुए, जिला पीठ को ऐसे परिवादों को ग्रहण करने की अधिकारिता होगी जहॉं माल या सेवा का मूल्‍य और दावा प्रतिकर, यदि कोई है, 1[ 2[बीस लाख रुपये से अधिक नहीं            है ] ]

(2) परिवाद ऐसे जिला पीठ में संस्थित किया जाएगा जिसकी अधिकारिता की स्‍थानीय सीमाओं के भीतर-

(क) विरोधी पक्षकार, या जहॉं एक से अधिक विरोधी पक्षकार हैं वहॉं विरोधी पक्षकारों में से हर एक परिवाद के स‍ंस्थित किए जाने के समय वास्‍तव में और स्‍वेच्‍छा से निवास करता है या 3[कारबार करता है या उसका शाखा कार्यालय है ], या अभिलाभ के लिए स्‍वयं काम करता है; अथवा

(ख) जहॉं एक से अधिक विरोधी  पक्षकार  हैं  वहॉं  विरोधी

 

 

-11-

पक्षकारों में से कोई भी विरोधी पक्षकार परिवाद के संस्थि‍त किए जाने के समय वास्‍तव में और स्‍वेच्‍छा से निवास करता है या 4[कारबार करता है या उसका शाखा कार्यालय है ] या अभिलाभ के लिए स्‍वयं काम करता है, परंतु यह तब जबकि ऐसी अवस्‍था में या तो जिला पीठ की इजाज़त दे दी गई है या जो विरोधी पक्षकार पूर्वोक्‍त रूप में निवास नहीं करते या 5[कारबार नहीं करते या उसका शाखा कार्यालय नहीं है ] या अभिलाभ के लिए स्‍वयं काम नहीं करते, वे ऐसे संस्थित किए जाने के लिए उपमत हो गए हैं; अथवा

(ग) वाद हेतुक पूर्णत: या भागत: पैदा होता है।

उभय पक्ष के अभिकथन के आधार पर यह तथ्‍य निर्विवाद है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपर मुख्‍य अधिकारी, जिला पंचायत              झांसी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 से एम्‍बेसडर कार              दिनांक 02.02.2013 को खरीदकर झांसी ले जाया गया और परिवाद पत्र एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादी के शपथ पत्र के अनुसार कार में झांसी में प्रयोग के दौरान परिवाद पत्र की धारा-2 में  अंकित डिफेक्‍ट पाया गया है, जिसका विवरण ऊपर अंकित           किया गया है। अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 ने अपने लिखित कथन के प्रस्‍तर-16 में स्‍पष्‍ट रूप से कहा है कि वाहन की त्रुटियों को ठीक कराने हेतु अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 ने अपने मैकेनिक                 को आवश्‍यक सामान के साथ प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पास                    दिनांक 07.08.2013 को भेजा था तथा मै‍केनिक  ने  यथा  संभव

 

 

-12-

कथित वाहन की त्रुटि को प्रत्‍यर्थी/परिवादी के ड्राइवर के समक्ष ठीक व दूर किया तथा कुछ त्रुटियां ऐसी थी जो कि वर्कशाप में ही ठीक हो सकती थी। इस कारण अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के मैकेनिक ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी से प्रार्थना की कि वाहन को अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के वर्कशाप में भेज दें ताकि वाहन की त्रुटियों को पूर्णतया ठीक किया जा सके। उसके बाद इस सम्‍बन्‍ध में अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी को पत्र भी दिनांक 10.08.2013 को भेजा, परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने वाहन अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के वर्कशाप में नहीं भेजा। इस प्रकार अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के लिखित कथन से यह स्‍पष्‍ट है कि प्रश्‍नगत वाहन की त्रुटियों के सम्‍बन्‍ध में प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा सूचना दिए जाने पर अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 ने त्रुटियों के निवारण हेतु अपना मैकेनिक प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पास झांसी भेजा है, जिसने झांसी जाकर वाहन की कुछ त्रुटियों का निवारण किया है, परन्‍तु वाहन की त्रुटियों का पूर्ण निवारण नहीं कर सका है और गाड़ी लखनऊ वर्कशाप में लाने को कहा है। इस प्रकार प्रश्‍नगत वाहन के सन्‍दर्भ में कथित त्रुटियों एवं उसके निवारण के सम्‍बन्‍ध में परिवाद हेतु वाद हेतुक आंशिक रूप से जनपद झांसी में उत्‍पन्‍न हुआ है। अत: उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-11 की उपधारा-(ग) के प्राविधान एवं उपरोक्‍त उल्लिखित न्‍यायिक निर्णयों में प्रतिपादित सिद्धान्‍त को दृष्टिगत रखते हुए हम इस मत के हैं कि वर्तमान वाद के तथ्‍यों एवं परिस्थितियों के आधार पर वाद  हेतुक  आंशिक

 

 

-13-

रूप से जनपद झांसी में उत्‍पन्‍न हुआ है और जिला फोरम, झांसी ने परिवाद का संज्ञान लेकर जो आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है, उसे अधि‍कार रहित और विधि विरूद्ध नहीं कहा जा सकता है।

अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत लिखित कथन में किए गए उपरोक्‍त कथन से यह स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को आपूर्ति की गयी एम्‍बेसडर कार में त्रुटियॉं थी, जिसके निवारण हेतु अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 ने अपना मैकेनिक दिनांक 07.08.2013 को भेजा, परन्‍तु उक्‍त मैकेनिक वाहन की सम्‍पूर्ण त्रुटियों का निवारण नहीं कर सका है। अत: यह मानने हेतु उचित और युक्तिसंगत आधार है कि वाहन में तकनीकी त्रुटियॉं रहीं हैं, जिसका निवारण अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा नहीं किया जा सका है।

अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 ने अपने लिखित कथन की            धारा-16 में कहा है कि दिनांक 07.08.2013 को उसने अपना मैकेनिक प्रत्‍यर्थी/परिवादी के वाहन को ठीक करने हेतु भेजा, जिसने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के ड्राइवर के समक्ष वाहन की त्रुटि को ठीक व दूर किया। कुछ त्रुटियां ऐसी थी जो कि वर्कशाप में ही ठीक हो सकती थी। इस कारण अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के मैकेनिक ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी से प्रार्थना की कि वाहन को अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के वर्कशाप में भेज दें ताकि वाहन की त्रुटियों को पूर्णतया ठीक किया जा सके। उसके बाद इस सम्‍बन्‍ध  में  अपीलार्थी/विपक्षी

 

 

-14-

संख्‍या-2 ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी को पत्र भी दिनांक 10.08.2013 को भेजा, फिर भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने वाहन अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के वर्कशाप में नहीं भेजा।

अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 की ओर से जिला फोरम के समक्ष श्री राजेश नारायन, डायरेक्‍टर का शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया है, जिसकी धारा-17 में कहा गया है कि दिनांक 07.08.2013 को अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 ने अपना मैकेनिक भेजा, जिसने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के ड्राइवर के समक्ष कुछ कमियॉं ठीक व दूर की, परन्‍तु कुछ त्रुटियॉं ऐसी थी जो वर्कशाप में ही ठीक की जा सकती थी। इस कारण अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के मैकेनिक ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी से प्रार्थना की कि वाहन को अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के वर्कशाप में भेज दें ताकि वाहन की त्रुटियों को पूर्णतया ठीक किया जा सके। इस सम्‍बन्‍ध में अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी को एक पत्र भी दिनांक 13.08.2013 को भेजा। इस प्रकार अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के लिखित कथन और शपथ पत्र के कथन में प्रत्‍यर्थी/परिवादी को वाहन अपीलार्थी/विपक्षी   संख्‍या-2 के वर्कशाप में लाने हेतु भेजे गए पत्र की तिथि के सम्‍बन्‍ध में अन्‍तर है। लिखित कथन के अनुसार यह पत्र दिनांक 10.08.2013 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी को भेजा गया, जबकि शपथ पत्र के अनुसार यह पत्र दिनांक 13.08.2013 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी को भेजा गया है। अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 ने अपील में प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रेषित  पत्र  दिनांक  13.08.2013  की  प्रति

 

 

-15-

प्रस्‍तुत किया है, जिसके अवलोकन से यह स्‍पष्‍ट है कि इसमें दिनांक 13.08.2013 ओवर राइटिंग करके अंकित किया गया है। अपील की पत्रावली में एक रजिस्‍ट्री रसीद दिनांक 13.08.2013 की फोटो प्रति प्रस्‍तुत की गयी है, जो पोस्‍ट आफिस चिनहट की है। इस रजिस्‍ट्री रसीद पर पावती का पता स्‍पष्‍ट अंकित नहीं है।

जिला फोरम के समक्ष प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से तत्‍कालीन अपर मुख्‍य अधिकारी, जिला पंचायत झांसी श्री के0के0 सिंह का शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया है, जिसके प्रस्‍तर-6 में कहा गया है कि परिवादी ने विपक्षी को विधिवत् नोटिस दिया, जिसकी तामीला विपक्षी संख्‍या-2 पर हुई तब विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा अपना मैकेनिक कार को ठीक करने के लिए झांसी भेजा गया, परन्‍तु कार में मैन्‍यूफैक्‍चरिंग डिफेक्‍ट था, इसलिए विपक्षी संख्‍या-2 का मैकेनिक कार ठीक नहीं कर सका। प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर                  से प्रस्‍तुत तत्‍कालीन अपर मुख्‍य अधिकारी, जिला पंचायत                    झांसी के शपथ पत्र में अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के पत्र                    दिनांक 13.08.2013 का उल्‍लेख नहीं है। रजिस्‍ट्री रसीद की जो फोटो प्रति प्रस्‍तुत की गयी है उसमें पता स्‍पष्‍ट न होने के कारण अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 का कथित पत्र दिनांक 13.08.2013 प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्राप्‍त होना प्रमाणित नहीं माना जा सकता है। यदि बहस के लिए यह पत्र प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्राप्‍त होना माना भी जाए तो उपरोक्‍त विवरण से यह स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की शिकायत पर अपीलार्थी/विपक्षी  संख्‍या-2  ने  अपना  मैकेनिक

 

-16-

झांसी वाहन की त्रुटियों के निवारण हेतु भेजा है, परन्‍तु वह वाहन की त्रुटियों का पूर्ण रूप से निवारण नहीं कर सका है और त्रुटि निवारण का कोई प्रमाण पत्र प्रत्‍यर्थी/परिवादी अथवा उसके चालक द्वारा नहीं दिया गया है। ऐसी स्थिति में यदि वाहन को अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के लखनऊ स्थित वर्कशाप में लाना आवश्‍यक था तो अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 को वाहन लखनऊ लाने की स्‍वयं व्‍यवस्‍था करना चाहिए था क्‍योंकि वाहन अभी नया उसने प्रत्‍यर्थी/परिवादी को बिक्री किया था और उसमें कमियॉं पायी गयी हैं, जो अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा भेजे गए मैकेनिक ने भी पाया है। अत: ऐसी स्थिति में अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 का यह दायित्‍व था कि वह दोषपूर्ण वाहन को अपने वर्कशाप में लाकर ठीक करे और उसे सही कर क्रेता प्रत्‍यर्थी/परिवादी को उपलब्‍ध कराए, परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 ने अपने दायित्‍व का निर्वहन नहीं किया है और मात्र कथित रूप से एक पत्र प्रेषित कर प्रत्‍यर्थी/परिवादी को बिक्री किए गए वाहन की त्रुटि का निवारण करने का प्रयास नहीं किया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से प्रस्‍तुत परिवाद पत्र व शपथ पत्र एवं अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 की ओर से प्रस्‍तुत लिखित कथन व शपथ पत्र पर विचार करने के उपरान्‍त यह स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा बिक्री किए गए वाहन में त्रुटि पायी गयी है और उसके निवारण हेतु अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 ने अपना मैकेनिक झांसी भेजा है।              फिर भी त्रुटियों का निवारण नहीं  हो  सका  है  और  उसके  बाद

 

-17-

अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 ने वाहन की त्रुटि के निवारण का कोई प्रयास नहीं किया है और न ही त्रुटि निवारण किया है। परिवाद पत्र की धारा-2 में अंकित वाहन की कथित त्रुटियों, जिनका विवरण ऊपर अंकित किया गया है, से वाहन में तकनीकी त्रुटि होना स्‍पष्‍ट है क्‍योंकि नया वाहन 25 कि0मी0 चलने पर ही गर्म तकनीकी त्रुटि के कारण ही हो सकता है अन्‍यथा नहीं।

उभय पक्ष के अभिकथन एवं सम्‍पूर्ण तथ्‍यों, साक्ष्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त यह स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 ने अथवा निर्माता कम्‍पनी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी की शिकायत प्राप्‍त होने पर वाहन की जांच सक्षम इंजीनियर से कराकर यह सुनिश्चित नहीं किया है कि क्‍या वाहन में निर्माण सम्‍बन्‍धी तकनीकी त्रुटि है। अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 अथवा निर्माता कम्‍पनी ने अपने सक्षम इंजीनियर या मैकेनिक की कोई आख्‍या जिला फोरम के समक्ष या अपील में राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं किया है, जिससे यह प्रमाणित होता कि वाहन में निर्माण सम्‍बन्‍धी तकनीकी त्रुटि नहीं रही है। अत: उभय पक्ष के अभिकथन एवं सम्‍पूर्ण तथ्‍यों, साक्ष्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त हम इस मत के हैं कि जिला फोरम ने जो अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को बिक्री की गयी एम्‍बेसडर कार में निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि माना है, वह आधार रहित और विधि विरूद्ध नहीं कहा जा सकता है।

सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त  हम

 

-18-

इस मत के हैं कि जिला फोरम ने जो अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 व निर्माता कम्‍पनी मै0 हिन्‍दुस्‍तान मोटर्स लि0 को संयुक्‍त रूप से आदेशित किया है कि वे प्रत्‍यर्थी/परिवादी को कार बदलकर उसे दूसरी कार दें अथवा 7,03,334/-रू0 12 प्रतिशत ब्‍याज के साथ उसे अदा करें वह अनुचित नहीं कहा जा सकता है। जिला फोरम ने जो मानसिक कष्‍ट हेतु 5000/-रू0 व वाद व्‍यय हेतु 5000/-रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रदान किया है वह भी उचित प्रतीत होता है।

उपरोक्‍त विवेचना एवं ऊपर निकाले गए निष्‍कर्ष के आधार पर हम इस मत के हैं कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश में हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। अत: अपील निरस्‍त की जाती है।

अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-2 प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 10,000/-रू0 अपील व्‍यय के रूप में भी प्रदान करेगा।

अपीलार्थी द्वारा धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाएगी।

 

 

      (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)         (महेश चन्‍द)       

          अध्‍यक्ष                    सदस्‍य          

 

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.