(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
ए0ई0ए0 संख्या-09/2022
श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कम्पनी लिमिटेड
बनाम
अनवरी बेगम
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री आसिफ अनीस, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री आदित्य कुमार श्रीवास्तव, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :08.08.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- इजराय वाद सं0-40/2013, श्रीमती अनवरी बेगम बनाम श्रीराम ट्रांसपोर्ट में विद्वान जिला आयोग, गोरखपुर द्वारा पारित आदेश दिनांक 21.01.2022 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गयी है।
- अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवाद सं0 393/2001 में पारित डिक्री के विरूद्ध निष्पादन कार्यवाही प्रारंभ की जा रही है, जो अनुचित है, जबकि परिवादिनी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि चूंकि वाहन लम्बी अवधि तक अपीलार्थी के पास खड़ा था, इसलिए इस अवधि में खराब हो गया। अत: वाहन को दुरूस्त करने के पश्चात वापस लौटाने का आदेश पारित किया गया, जो विधिसम्मत है।
- पत्रावली के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवाद सं0 393/2011 में निम्नलिखित आदेश पारित किया गया है:-
‘’परिवादिनी का परिवाद विरूद्ध विपक्षी सं0 1 आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0 1 को निर्देशित किया जाता है कि वह निर्णय व आदेश के दिनांक से एक माह की अवधि के अंतर्गत परिवादिनी, यदि विपक्षी सं0 1 के प्रतिष्ठान में 50,000/- (पचास हजार रू0) की धनराशि जमा कर देती है, तो उसके पश्चात एक सप्ताह की अवधि के अंतर्गत प्रश्नगत वाहन यू0पी0 51टी/1031 को परिवादिनी के हक में दे दिया जाए। यह स्पष्ट किया जाता है कि विपक्षी सं0 1 को परिवादिनी द्वारा देय धनराशि दीवानी न्यायालय, संतकबीर नगर में सिविल जज न्यायालय में लम्बित मुकदमा निर्णीत हो जाने पर वह धनराशि विपक्षी सं0 1 को देय होगी, जिसमें से 50,000/-रू0 (पचास हजार रू0) समायोजित की जाएगी। विपक्षी सं0 2 के विरूद्ध परिवादिनी कोई अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारी नहीं है। यदि नियत 50,000/-रू0 (पचास हजार रू0) की धनराशि नियत अवधि में जमा कर देने के पश्चात विपक्षी सं0 1 आदेश का परिपालन नहीं करते हैं तो विपक्षी सं0 1 के विरूद्ध विधि अनुसार कार्यवाही की जाएगी। परिवादिनी को निर्देशित किया जाता है कि वाहन प्राप्त होने की स्थिति में वे दीवानी न्यायालय द्वारा निर्णीत धनराशि के भुगतान के पूर्व प्रश्नगत वाहन सं0 यू0पी0 51टी/1031 को विक्रय नहीं करेगी और न ही किसी अन्य के पक्ष में बंधक करेगी।‘’
- इस आदेश के अनुपालन में प्रत्यर्थी/परिवादिनी ने अंकन 50,000/-रू0 देने का प्रयास किया, परंतु अपीलार्थी द्वारा यह राशि स्वीकार नहीं की गयी। तत्पश्चात इस आयोग के आदेश पर यह राशि स्वीकार की गयी, इस मध्य वाहन लम्बित अवधि तक निष्प्रयोज्य खड़ा रहा, इसलिए खराब हो गया। अत: जिला उपभोक्ता मंच ने वाहन को जब्त करने की स्थिति में वाहन को वापस लौटाने का आदेश पारित किया है, जो पूर्णता विधिसम्मत है। अत: अपील (ए0ई0ए0) खारिज होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील (ए0ई0ए0) खारिज की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट -1