( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या- 438/2020
सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया व अन्य बनाम अनुराग बग्गन
दिनांक- 24.07.2023
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया की ओर से विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, झांसी द्वारा परिवाद संख्या- 242/2017 अनुराग बग्गन बनाम सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया व एक अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 04.06.2018 के विरूद्ध योजित की गयी है।
विद्वान जिला आयोग ने परिवाद एकपक्षीय रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
" परिवाद पत्र अंशत: एकपक्षीय स्वीकार किया जाता है और विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि लोन संबंधी औपचारिकताएं पूर्ण करके 30 दिन के भीतर वादी को लोन स्वीकृत करें। वाद व्यय उभय-पक्ष अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।"
विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय में यह आदेशित किया है कि अपीलार्थी बैंक द्वारा ऋण से संबंधित समस्त कार्यवाही करते हुए परिवादी को ऋण प्राप्त कराया जावे एवं उपरोक्त ऋण से संबंधित प्रक्रिया यथाशीघ्र सुनिश्चित की जावे।
जिला आयोग द्वारा पारित उपरोक्त निर्णय के विरूद्ध यह अपील योजित की गयी है।
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अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री शरद कुमार शुक्ला उपस्थित हुए। प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक सिन्हा उपस्थित हुए।
पीठ द्वारा उभय-पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को विस्तार से सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक रूप से परिशीलन किया गया।
अपीलार्थी बैंक की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री शरद कुमार शुक्ला द्वारा कथन किया गया कि वास्तव में अपीलार्थी बैंक द्वारा तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए परिवादी द्वारा उल्लिखित गारण्टर अर्थात परिवादी की पत्नी एवं उसके पिता द्वारा जो ऋण बैंक से प्राप्त किया गया था उसकी देयता उल्लिखित अवधि में उनके द्वारा सुनिश्चित नहीं की गयी थी। उक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए बैंक द्वारा जिला आयोग के निर्णय के विरूद्ध यह अपील इस न्यायालय के सम्मुख योजित की गयी है।
अपीलार्थी बैंक के विद्वान अधिवक्ता द्वारा स्वयं इस तथ्य से इस न्यायालय को अवगत कराया गया कि वर्तमान में परिवादी के पिता व पत्नी जो गारण्टर के रूप में ऋण प्राप्त करने के प्रार्थना पत्र में उल्लिखित किये गये हैं, बैंक द्वारा प्राप्त करायी गयी पिछली सम्पूर्ण देय धनराशि को विधि अनुसार वापस दे दिया है अर्थात अब वे बैंक के डिफाल्टर नहीं रहे। अपीलार्थी बैंक के विद्वान अधिवक्ता द्वारा सही तथ्यों को उल्लिखित करते हुए यह कथन किया गया कि वास्तव में उक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए परिवादी बैंक के समक्ष नवीन ऋण प्रदान किये जाने हेतु प्रार्थना
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पत्र प्रस्तुत करें जिससे समुचित प्रक्रिया के अनुसार ऋण प्राप्त कराने की प्रक्रिया सुनिश्चित की जा सकती है।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक सिन्हा द्वारा अवगत कराया गया कि वर्तमान में अपीलार्थी बैंक द्वारा एक अन्य स्कीम ऋण प्रदान किये जाने हेतु उपलब्ध करायी गयी है जिस हेतु परिवादी प्रार्थना पत्र देने में इच्छुक है तदनुसार प्रस्तुत अपील उक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए अंतिम रूप से निस्तारित करते हुए यह आदेशित किया जाता है कि यदि परिवादी द्वारा अपीलार्थी बैंक के सम्मुख प्रार्थना पत्र एवं विवरण उल्लिखित करते हुए ऋण हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया जाता है तब उस दशा में बैंक समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए बिना किसी विलम्ब के उपरोक्त प्रार्थना पत्र पर विचार करते हुए समुचित आदेश पारित करें। उपरोक्त आदेश पारित करने में किसी प्रकार की देरी न किये जाने हेतु आदेशित किया जाता है। अर्थात एक माह की अवधि में प्रार्थना पत्र का निस्तारण किये जाने हेतु अपीलार्थी बैंक को आदेशित किया जाता है, तदनुसार अपील अंतिम रूप से निस्तारित की जाती है।
अपील में उभय-पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।.......
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुधा उपाध्याय)
अध्यक्ष सदस्य
कृष्णा–आशु0 कोर्ट नं0 1