राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-885/2019
(जिला उपभोक्ता फोरम, गौतमबुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्या-122/2018 में पारित निर्णय दिनांक 28.02.2019 के विरूद्ध)
ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेन्ट अथारिटी। .....अपीलार्थी@विपक्षी
बनाम
अनूप सिंह हाउस नं0 803 यूनीवर्ल्ड गार्डेन-1 सोहना रोड
सेक्टर-47, गुड़गांव 122018, हरियाणा। .......प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चडढा, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 28.03.2023
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 122/2018 अनूप सिंह बनाम ग्रेटर नोएडा में पारित निर्णय व आदेश दि. 28.02.2019 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। जिला उपभोक्ता मंच ने परिवाद स्वीकार करते हुए जलापूर्ति की तिथि से 5 प्रतिशत डिस्काउन्ट एवं ब्याज रहित नया पानी बिल भेजने का आदेश पारित किया है।
2. इस निर्णय व आदेश को इन आधारो पर चुनौती दी गई है कि यथार्थ में कोई उपभोक्ता विवाद मौजूद नहीं है। परिवादी पिछले लम्बे समय से पानी का उपभोग कर रहा है, इसलिए पानी शुल्क देने के लिए बाध्य है।
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3. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय व आदेश का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
4. परिवाद के तथ्यों के अवलोकन से जाहिर होता है कि आवासीय योजना के अंतर्गत भूखंड संख्या बी 119 सेक्टर पाई-03 ग्रेटर नोएडा में आवंटित किया गया। विपक्षी द्वारा दि. 16.11.2017 को एक पत्र भेजा गया, जिसमें अंकन रू. 44236.44 पैसे अतिरिक्त जलकर शुल्क की मांग की गई थी। यह शुल्क 31.03.2010 से 31.03.2017 की अवधि के लिए मांगा गया। इस अवधि में अन्य कोई मांग पत्र प्राप्त नहीं हुआ। यही कारण है कि जिला उपभोक्ता मंच ने यह आदेश पारित किया है कि परिवादी के विरूद्ध संशोधित बिल जारी किया जाए। इस आदेश में कोई अवैधता नहीं है, सिवाए इसके कि 5 प्रतिशत डिस्काउन्ट के साथ नया बिल जारी किया जाए, क्योंकि डिस्काउन्ट के संबंध में नियम के विपरीत जाकर आदेश पारित करने का आधार जिला उपभोक्ता मंच में निहित नहीं है, परन्तु चूंकि परिवादी के विरूद्ध एक साथ वर्ष 2010 से 2017 की अवधि के लिए अतिरिक्त शुल्क की मांग करने वाला बिल भेजा गया, इसलिए यह बिल अनुचित है। प्रत्येक वर्ष की अवधि का एक स्वतंत्र बिल या सभी बिलों की राशि एकत्रित करते हुए बिल की मांग की जानी चाहिए। इस मध्य ब्याज लगाया जाना उचित नहीं है। हां यदि प्रत्येक वर्ष या देय तिथि को विद्युत शुल्क प्रेषित किया जाता और उपभोक्ता द्वारा समय पर जमा न किया जाता, केवल उस स्थिति में ब्याज लगाया जा
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सकता है, अत: मंच के आदेश में आंशिक संशोधन होना उचित है। शेष आदेश पुष्ट होने योग्य है।
आदेश
5. अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि 5 प्रतिशत डिस्काउन्ट की आवश्यकता नया बिल जारी करने में नहीं है। शेष निर्णय पुष्ट किया जाता है।
अपीलार्थी द्वारा धारा-41 के अंतर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित जिला उपभोक्ता आयोग को निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार) अध्यक्ष सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-1