राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या:-3102/2000
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, कानपुर देहात द्वारा परिवाद संख्या 871/1999 में पारित आदेश दिनॉंक 24.11.2000 के विरूद्ध)
Central Bank of India, Nayaganj Branch, 51/47 Naya Ganj Kanpur, through its Branch Manager.
…………Appellants.
Versus
Anubhav & Company 51/045 Naya Ganj Kanpur through its Proprietor Shri Surendra Kumar Gupta son of Shri Shrikrishna Gupta resident of 24/71 Birhana Road Kanpur Nagar.
……………Respondents.
समक्ष
1. माननीय श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्रीमती बालकुमारी, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री सी0के0 सेठ अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनॉंक: 18.08.2017
माननीय श्री उदय शंकर अवस्थी, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील परिवाद संख्या 871/1999 में जिला मंच कानपुर देहात द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय दिनॉंक 24.11.2000 के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार उसका एक चालू बचत खाता संख्या 2855 अपीलार्थी बैंक में है जिसमें प्रत्यर्थी/परिवादी ने एक डिमाण्ड ड्राफ्ट संख्या 005766 मुबलिग 18,903.45/- का मैसर्स लखनऊ किराना कम्पनी द्वारा जारी किया गया था। अपीलार्थी बैंक ने दिनॉंक 25.01.94 को इस अनुरोध के साथ जमा किया कि उपरोक्त डिमाण्ड ड्राफ्ट की धनराशि परिवादी के चालू खाते में जमा की जाए। परिवादी ने यह बैंक ड्राफ्ट अपीलार्थी बैंक द्वारा डिमाण्ड ड्राफ्ट कहीं खो दिया गया, तथा डिमाण्ड ड्राफ्ट की धनराशि परिवादी के खाते में जमा नहीं की गयी। परिवादी ने दिनॉंक 07.02.1994 को 9000.00 रूपये का चेक अपने उपरोक्त चालू खाते से जारी किया, किन्तु अपीलार्थी द्वारा उपरोक्त चेक का अनादर करते हुए इस टिप्पणी के साथ वापस कर दिया गया कि परिवादी के खाते में वाछित धनराशि उपलब्ध नहीं है। अपीलकर्ता के इस कृत्य से परिवादी की सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुँची तथा आर्थिक क्षति भी पहुँची। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने चालू खाते में 18,903.45/- रूपये की धनराशि 02 प्रतिशत मासिक ब्याज सहित जमा करने तथा परिवादी को हुए क्षतिपूर्ति हेतु 50,000.00 रूपये भुगतान हेतु परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित किया।
अपीलार्थी बैंक ने प्रत्यर्थी/परिवादी का चालू खाता संख्या 2855 अपनी बैंक में होना स्वीकार किया, किन्तु अपीलार्थी बैंक का यह कथन है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने 18,903.45/- रूपये का कोई डिमाण्ड ड्राफ्ट अपीलकर्ता बैंक में जमा नहीं किया। बैंक के अभिलेख में दिनॉंक 25.01.1994 को परिवादी द्वारा प्रश्नगत डिमाण्ड ड्राफ्ट जमा करने का कोई उल्लेख नहीं है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने गलत तथ्यों के आधार पर परिवाद योजित किया। परिवादी के खाते में पर्याप्त धनराशि न होने के कारण परिवादी का 9000.00 रूपये का चेक वापस किया गया। अपीलकर्ता बैंक द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गयी है। विद्वान जिला मंच ने प्रत्यर्थी/परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलकर्ता बैंक को निर्देशित किया कि वह परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप में 1000.00 रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 500.00 रूपये अदा करे, तथा यह आदेशित किया कि परिवादी यदि चाहे तो प्रश्नगत डिमाण्ड ड्राफ्ट के बदले दूसरा डिमाण्ड ड्राफ्ट संबंधित संस्था से जिसने उक्त डिमाण्ड ड्राफ्ट जारी किया था, को विपक्षी बैंक द्वारा जारी किये गये भुगतान न होने का प्रमाण पत्र जारी करते हुए प्राप्त कर सकते हैं। इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी।
अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता श्री सी0के0 सेठ के तर्क सुने गये। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से विदित होता है कि विद्वान जिला मंच के समक्ष प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद के अभिकथन के समर्थन में अपना शपथ पत्र प्रस्तुत किया तथा अपने कथन की पुष्टि में प्रश्नगत डिमाण्ड ड्राफ्ट जमा करने की रसीद दिनॉंकित 25.01.1994 दाखिल की, जिस पर अपीलकर्ता बैंक की मोहर लगी थी।
अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा जमा की गयी रसीद में बैंक के किसी अधिकारी अथवा कर्मचारी के हस्ताक्षर नहीं हैं। ऐसी परिस्थिति में यह रसीद अपीलकर्ता बैंक द्वारा जारी की गयी नहीं मानी जा सकती।
उल्लेखनीय है कि अपीलकर्ता बैंक ने प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रश्नगत बैंक ड्राफ्ट अपीलकर्ता बैंक में जमा किये जाने के संदर्भ में बैंक द्वारा कथित रूप से जारी की गयी रसीद पर बैंक की मोहर होने से इनकार नहीं किया है। व्यवहार में सामान्य रूप से बैंक कर्मी इस प्रकार की रसीद पर खाता धारकों को मात्र मोहर लगाकर ही अभिलेख की प्राप्ति के संदर्भ में रसीद उपलब्ध कराता है। यह नितान्त अस्वाभाविक भी प्रतीत होता है कि कोई व्यक्ति बैंक ड्राफ्ट प्राप्त कराने के तथ्य को प्रमाणित कराने हेतु फर्जी रसीद प्रस्तुत करेगा, तथा इस संदर्भ में अकारण परिवाद योजित करेगा, क्योंकि यदि स्वयं परिवादी की गलती से बैंक ड्राफ्ट कहीं खो गया होता तब वह संबंधित संस्था, जिसके द्वारा बैंक ड्राफ्ट जारी किया गया से वस्तुस्थिति स्पष्ट करके दूसरा बैंक ड्राफ्ट प्राप्त कर सकता था। संबंधित बैंक के किसी कर्मचारी की लापरवाही मानवीय भूल से संभव है परिवादी द्वारा दाखिल किया गया बैंक ड्राफ्ट कहीं खो गया हो, किन्तु प्रस्तुत प्रकरण में अपीलकर्ता बैंक ने अपनी इस गलती को स्वीकार न करके प्रत्यर्थी पर ही असत्य कथनों का आरोप लगाया है। अपीलकर्ता बैंक की ओर से किया गया यह कृत्य नि:संदेह सेवा में त्रुटि मानी जायेगी। प्रश्नगत निर्णय द्वारा विद्वान जिला मंच ने क्षतिपूर्ति के रूप में 1000.00 रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 500.00 रूपये परिवादी को भुगतान किये जाने हेतु आदेशित किया है। मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों के आलोक में हमारे विचार से विद्वान जिला मंच का यह निष्कर्ष त्रुटिपूर्ण नहीं है। अपील बलहीन होने के कारण निरस्त होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील बलहीन होने के आधार पर निरस्त की जाती है। जिला मंच द्वारा पारित आदेश/निर्णय की पुष्टि की जाती है। उभयपक्ष अपना अपना व्यय भार स्वयं वहन करें। आदेश की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
(उदय शंकर अवस्थी) (बाल कुमारी)
पीठासीन सदस्य सदस्य
प्रदीप कुमार, आशु0 कोर्ट नं0-2