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VIKARM SINGH filed a consumer case on 13 May 2015 against ANSHAL PROPERTIES in the Jaipur-I Consumer Court. The case no is CC/744/2012 and the judgment uploaded on 08 Jul 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर
समक्ष: श्री राकेश कुमार माथुर - अध्यक्ष
श्रीमती सीमा शर्मा - सदस्य
श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य
परिवाद सॅंख्या:744/2012
विक्रम सिंह पुत्र जगमल सिंह राठौड, जाति राजपूत, आयु व्यस्क, निवासी मकान नंबर 265, ए0 डब्ल्यू0एच0ओ0 काॅलोनी, अम्बावाडी, जयपुर Û
परिवादी
ं बनाम
अंसल प्रोपट्रीज एण्ड इन्फ्रास्क्ट्रचरर्स जरिए जनरल मैनेजर, चतुर्थ मंजिल, मयंक ट्रेड सेंटर, स्टेशन रोड़, जयपुर, राज0 302016Û
विपक्षी
अधिवक्तागण :-
श्री अनुराग कृष्णात्री - परिवादी
श्री एन.एन. बोहरा - विपक्षी
परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 25.06.12
आदेश दिनांक: 03.06.2015
परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी के यहां एक प्लाॅट नंबर एच एक्स 106 सुशांत सिटी, कालवाड रोड़ जयपुर 15.07.2006 को 253 स्कवायर मीटर का 5382/- रूपए की दर से बुक करवाया था जो नियमानुसार भुगतान करने पर परिवादी को अलाॅट कर दिया था । परिवादी का कथन है कि विपक्षी ने वर्ष 2011 में उक्त प्लाट का कुल 6.7 मीटर का क्षेत्रफल कम करके प्लाट रिवाईज करते हुए 246.40 मीटर का कर दिया । इस बाबत शिकायत करने पर 6.7 मीटर क्षेत्रफल की बकाया राशि 5,282/- रूपए की दर से 35521/- रूपए देना परिवादी को तय किया परन्तु यह राशि परिवादी को अदा नहीं की गई । विपक्षी से जानकारी मांगने पर कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दिया । परिवादी का कथन है कि दिनांक 26.03.2012 को अधिवक्ता के माध्यम से कानूनी सूचना पत्र भी दिया गया परन्तु उसके बावजूद भी राशि की अदायगी नहीं की गई और इस प्रकार सेवादोष कारित किया है जिससे उसे मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक परेशानी हुई है । ऐसी स्थिति में परिवादी ने 6.7 क्षेत्रफल की बकाया राशि 35521/- रूपए, मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक परेशानी की क्षतिपूर्ति के लिए 50,000/- रूपए, नोटिस खर्च एवं परिवाद खर्च के 10,000/- रूपए दिलवाए जाने का निवेदन किया है।
विपक्षी की ओर से परिवादी द्वारा प्रश्नगत प्लाॅट बुक करवाया जाना, परिवादी को उसका आवंटन होना स्वीकार किया गया है । विपक्षी का कथन है कि प्लाॅट के पेटे परिवादी द्वारा 13,77,985/- रूपए जमा करवाए गए जिसके तहत 13,42,038/- रूपए(6.7 वर्गमीटर कम एरिया अर्थात 246.40 मीटर) की कीमत की ही रजिस्ट्री करवाई गई है । परिवादी के पेटे 35947/- रूपए शेष थे जिनमें से 1255/- रूपए ब्याज के एवं 14,734.72 रूपए सिक्योरिटी/मेंटीनेंस के किए गए अनुबंध के तहत विपक्षी को देय हो जाने के पश्चात शेष 19957/- रूपए परिवादी को दनेे थे न कि 35521/- रूपए । इस प्रकार परिवादी ने 35521/- रूपए का गलत अंकन किया है । इस प्रकार के तथ्य अंकित करते हुए विपक्षी की ओर से परिवाद खारिज किए जाने का निवेदन किया गया है ।
मंच द्वारा परिवादी अधिवक्ता की बहस सुनी गई , विपक्षी की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्को एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
इस प्रकरण में मुख्य विवाद यह है कि विपक्षी द्वारा परिवादी को आवंटित प्लाॅट को रिवाईज करते हुए 6.7 मीटर का क्षेत्रफल कम करके 246.40 मीटर क्षेत्रफल का प्लाॅट कर दिया गया परन्तु परिवादी से 253 स्क्वायर मीटर की राशि प्राप्त की गई । विपक्षी ने परिवादी से 6.7 मीटर क्षेत्रफल की राशि 5282/- रूपए की दर से 35521/- रूपए अधिक प्राप्त कर ली है जो बार-बार मांगने पर भी परिवादी को नहीं लौटाई गई है जो कि सेवादोष की श्रेणी में आता है । विपक्षी ने अपने जवाब के चरण सॅंख्या 4 में यह तथ्य स्वीकार किया है कि परिवादी का प्लाॅट 253 मीटर से घटाकर 246.40 मीटर कर दिया गया था । इसके साथ ही विपक्षी ने यह भी स्वीकार किया है कि परिवादी से 35947/- रूपए अधिक राशि विपक्षी ने प्राप्त की थी परन्तु विपक्षी का कथन है कि इस राशि में से 1255/- रूपए ब्याज के एवं 14,734.72 रूपए सिक्योरिटी/मेंटीनेंस के प्राप्त कर लिए गए हैं इसलिए अब केवल 19957/- रूपए परिवादी को देना शेष रह गया है न कि 35521/- रूपए । विपक्षी ने यह कहा है कि वह परिवादी को 19957/- रूपए लौटाने को तैयार है । विपक्षी ने किसी भी स्तर पर परिवाद दायर होने से पहले परिवादी को उक्त राशि वापिस लौटाने के लिए कभी नहीं कहा, यहां तक कि परिवादी ने उसे नोटिस भी दिया परन्तु विपक्षी ने उस नोटिस का जवाब तक नहीं दिया । अत: परिवादी के प्लाॅट का क्षेत्रफल कम करने के उपरांत भी उससे 35521/- रूपए अधिक वसूले जो कि सेवादेाष की श्रेणी में आता है । इसकेे अलावा परिवादी को बगैर सूचित किए उक्त राशि में से मेन्टीनेंस/सिक्योरिटी की राशि काट ली गई जिसके लिए विपक्षी के पास कोई अधिकार पत्र नहीं है और ना ही संविदा में ऐसी कोई शर्त अंकित है । इस प्रकार सीधे ही अधिक प्राप्त राशि में से राशि काट परिवादी को आर्थिक हानि पहुॅचाना भी सेवादोष की श्रेणी में आता है क्योंकि विपक्षी ऐसी कोई संविदा की शर्त दर्शाने में असफल रहा है कि मेंटिनेंस/सिक्योरिटी की राशि परिवादी को देय राशि में से काटने के लिए विपक्षी अधिकृत था । विपक्षी के इस जवाब से स्वभाविक है कि परिवादी को अनावश्यक रूप से आर्थिक हानि उठानी पड़ी और मानसिक संताप झेलना पड़ा है जिसके लिए वह मुआवजा प्राप्त करने का अधिकारी है ।
अत: इस समस्त विवेचन के आधार पर परिवादी का यह परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार कर आदेश दिया जाता है कि विपक्षी आज से एक माह की अवधि मंे परिवादी को उसके प्रश्नगत प्लाॅट के पेटे अधिक प्राप्त की गई राशि 35521/- रूपए वापिस लौटाएगा तथा इस राशि पर अप्रेल 2011 से अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज अदा करेगा । इसके अलावा परिवादी को कारित मानसिक संताप व आर्थिक हानि की क्षतिपूर्ति के लिए उसे 5,000/- रूपए अक्षरे पांच हजार रूपए एवं परिवाद व्यय 1500/- रूपए अक्षरे एक हजार पांच सौ रूपए अदा करेेेगा। आदेश की पालना आज से एक माह की अवधि में कर दी जावे अन्यथा परिवादी उक्त क्षतिपूर्ति एवं परिवाद व्यय की राशि पर भी आदेश दिनांक से अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज पाने का अधिकारी होगा । परिवादी का अन्य अनुतोष अस्वीकार किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 03.06.2015 को लिखाकर सुनाया गया।
( ओ.पी.राजौरिया ) (श्रीमती सीमा शर्मा) (राकेश कुमार माथुर)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
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