Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/740/2009

RAVI PRATAP - Complainant(s)

Versus

ANSAL - Opp.Party(s)

10 Feb 2021

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/740/2009
( Date of Filing : 20 Jul 2009 )
 
1. RAVI PRATAP
SUNAYANA MEDICINE 9 B SURYA MEDICINE MARKET NAYA GOAN (E)G.B.MARG LKO.
...........Complainant(s)
Versus
1. ANSAL
13 RANA PRATAP MARG LUCKNOW 226001
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  ARVIND KUMAR PRESIDENT
  Ashok Kumar Singh MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 10 Feb 2021
Final Order / Judgement

        जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।

            परिवाद संख्‍या-740/2009      

 उपस्थित:-श्री अरविन्‍द कुमार, अध्‍यक्ष।

                    श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्‍य।                                          

परिवाद प्रस्‍तुत करने की तारीख:-20/01/2009

परिवाद के निर्णय की तारीख:-10.02.2021

Ravi Pratap, Adult C/o Sunayana Medicine,  9 B Surya Medicine Maerket  Naya Goan (E),  G.B.Marg  Lucknow.  

                                                                                      ..............Complainant.

                                  Versus

 

Ansal Properties & Infrastructure Ltd. Gound Floor, Ymca Campus 13, Rana Pratap Marg Lucknow-226001  Through ITS MANAGER.

                                                                                        ................Opp Party.    

आदेश द्वारा-श्री अरविन्‍द कुमारअध्‍यक्ष।

                           निर्णय

      परिवादी ने प्रस्‍तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध बकाया शेष रकम तब लेने के लिये जब वह सम्‍पत्ति का भौतिक कब्‍जा देने की स्थिति में हो, परिवादी द्वारा जमा धनराशि पर 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज दिलाये जाने,  लापरवाही एवं सेवा में कमी के लिये 50,000.00 रूपये एवं 2000.00 रूपये वाद व्‍यय दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्‍तुत किया है।

     संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी को विपक्षी ने अपनी योजना के अन्‍तर्गत भवन संख्‍या 0502-0-ई/1/004 सुशान्‍त गोल्‍फ सिटी लखनऊ में आवंटित किया जिसका कुल मूल्‍य 34,24,200.00 रूपये निर्धारित हुआ था। 80 प्रतिशत कीमत 45 दिनों के अन्‍दर अदा करनी थी। लोन लेने के लिये परिवादी ने बैंक में आवेदन दिया जिसमें बैंक अधिकारियों द्वारा जमीन की टाईटल डीड तथा स्‍वीकृत ले आउट की मॉंग की गयी। परन्‍तु वह टाइटल डीड तथा स्‍वीकृत ले आउट नहीं दे पाये। जमीन अविकसित थी तथा उस वहॉं किसी प्रकार का कोई काम नहीं हुआ । परिवादी ने विपक्षी से कई बार अनुरोध किया कि वह भवन का ठीक-ठीक लोकेशन बताये, परन्‍तु विपक्षी ने कोई सुनवाई नहीं की। भौतिक कब्‍जा देने के 30 दिन पूर्व सम्‍पूर्ण भुगतान करना था। परिवादी को पता चला कि विपक्षी को कोई टाइटल डी उक्‍त भूमि पर नहीं है तथा नक्‍शा भी स्‍वीकृत नहीं था। विपक्षीगण धमकी देते हैं कि पैसा जमा न करने की स्थिति में आवंटन निरस्‍त कर देगें। इसके लिये परिवादी ने विपक्षी के यहॉं अपना प्रत्‍यावेदन दिया। विपक्षी का यह कृत्‍य सेवा में कमी है।

     विपक्षी ने अपना उत्‍तर पत्र प्रस्‍तुत करते हुए कथन किया कि परिवादी का परिवाद गलत तथ्‍यों पर आधारित है, जो स्‍वीकार होने योग्‍य नहीं है। बुकिंग के समय परिवादी ने किश्‍त के आधार पर भुगतान का चुनाव किया था जो 11 किश्‍तों में होना था। सम्‍पूर्ण राशि जमा होने के बाद ही मकान का दाखिल कब्‍जा देना था। बुक किया गया भवन तीन वर्षों में तैयार होना था। परिवादी को किश्‍तों का भुगतान करना था। परिवादी को भवन संख्‍या 0502-0-ई/1/004 आवंटित हुआ था। रजिस्‍ट्रेशन बुक में उन बैंकों की सूची दी गयी थी जहॉं से लोन स्‍वीकृत होना था।

     उभयपक्ष ने अपने कथनों के समर्थन में शपथ पत्र दाखिल किया है।

     अभिलेख का अवलोकन किया जिससे प्रतीत होता है कि परिवादी को भवन संख्‍या 0502-0-ई/1/004  विपक्षी ने आवंटित किया था और 36 माह में निर्माण पूरा कर भवन का कब्‍जा परिवादी को देना था। परिवादी को चॅूंकि भवन के लिये लोना लेना था। विपक्षी का कथन यह है कि उसने रजिस्‍ट्रेशन बुक में उन बैंको/वित्‍तीय संस्‍थाओं का नाम अंकित कर दिया था जिनसे परिवदी को लोन लेना था। परिवादी का कथन यह है कि यह उसकी स्‍वतंत्रता है कि वह बैंक से या किसी अन्‍य स्रोत से लोन ले सकता है, उसके लिये विपक्षी यदि रजिस्‍ट्रेशन बुक में अंकित किया है तो यह गलत है। यहॉं यह भी स्‍पष्‍ट करना आवश्‍यक है कि लोन लेने वाला व्‍यक्ति किसी भी संस्‍था से लोन ले सकता है जो उसके लिये सुविधजनक हो। उसे विपक्षी बाध्‍य नहीं कर सकता है। उसके द्वारा निर्दिष्‍ट बैंक अथवा फाइनेन्‍स कम्‍पनी से ही लोन लेगा, यह एग्रीमेंट विधि विरूद्ध है। परिवादी ने लोन लेने के लिये विपक्षी से स्‍वीकृति लेआउट प्‍लान तथा टाइटल डीड की मॉंग की थी, परन्‍तु विपक्षी द्वारा उसे नहीं देकर सेवा में कमी किया है। उक्‍त भवन का कब्‍जा देने के लिये तैयार भी नहीं है और विपक्षी यह चाहता है कि उसे विपक्षी द्वारा निर्धारित तिथियों पर ही किश्‍त का भुगतान होता रहे। एग्रीमेंट के मुताबिक यदि विपक्षी भी कार्य नहीं करता है तो वह भी उसके द्वारा सेवा में कमी है। विपक्षी का यह कर्तव्‍य था कि वह स्‍वीकृत ले-आउट प्‍लान तथा भूमि की टाइटल डीड परिवादी को उपलब्‍ध कराता। विपक्षी सिर्फ परिवादी से भुगतान लेना चाहता है और अपने दायित्‍व की पूर्ति गलत एग्रीमेंट के आधार पर करना चाहता है। ऐसी परिस्थिति में परिवादी ने जिस अनुतोष की मॉंग की है वह उसे मिलना चाहिए। अत: परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

                            आदेश

     परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है, तथा विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि वह आवंटित भवन के लिये किश्‍तें की मॉंग उस समय करेगा जब भवन की स्थिति कब्‍जा देने लायक हो जाए,  एवं परिवादी द्वारा जमा धनराशि जो वर्ष 2009 में जमा की गयी थी पर जमा करने की तिथि से भवन निर्माण होने की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भी अदा करेंगे। साथ ही साथ विपक्षी परिवादी को सेवा में कमी के लिये मुबलिग 25,000.00 (पच्‍चीस हजार रूपया मात्र) तथा वाद व्‍यय के लिये मुबलिग 2000.00 (दो हजार रूपया मात्र) अदा करेंगें। यदि भवन का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है तो उसे पूरा कर एक वर्ष के अन्‍दर सभी औपचारिकताऍं पूरी कर विक्रय विलेख निष्‍पादित करेंगें। विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि वह भवन की स्थिति जब कब्‍जा देने लायक हो जायेगी तब वे परिवादी को निबन्‍धित डाक से सूचित करेंगे कि बकाया धनराशि अदा करें, साथ ही साथ परिवादी को लोन प्राप्‍त करने हेतु उसके द्वारा मॉंगे गये कागजात की आपूर्ति भी कर दें,  जिससे वह लोन स्‍वीकृत करा सके।

 

 

(अशोक कुमार सिंह)                       (अरविन्‍द कुमार)

     सदस्‍य                                 अध्‍यक्ष

                           जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                          लखनऊ।                                              

 

 

 

 

 

 
 
[ ARVIND KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[ Ashok Kumar Singh]
MEMBER
 

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