राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
परिवाद सं0-१२६/२०१५
१. श्रीमती इन्दू पाण्डेय पत्नी श्री पुण्य प्रताप पाण्डेय,
२. श्री पुण्य प्रताप पाण्डेय पुत्र श्री जगत नारायण पाण्डेय,
दोनों निवासीगण-१८/२, केनाल कालोनी, कैण्ट रोड, लखनऊ।
................... परिवादीगण।
बनाम
१. मै0 अंसल प्रौपर्टीज एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर लि0, ११५, अंसल भवन, १६, कस्तूरबा गॉंधी मार्ग, नई दिल्ली-११०००१. द्वारा चेयरमेन/मैनेजिंग डायरेक्टर।
२. मै0 अंसल प्रौपर्टीज एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर लि0, प्रथम तल, वाई0एम0सी0ए0 बिल्डिंग, १३, राणा प्रताप मार्ग, लखनऊ-२२६००१ द्वारा एक्जक्यूटिव डायरेक्टर।
.................... विपक्षीगण।
समक्ष:-
१.मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य ।
२.मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
परिवादीगण की ओर से उपस्थित :- श्री आलोक सिन्हा विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित :- श्री विकास कुमार वर्मा विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : ०८-०१-२०१९.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद, विपक्षीगण के विरूद्ध परिवादीगण ने, विपक्षीगण को भुगतान की गई धनराशि में से अवशेष धनराशि तथा भुगतान की गई धनराशि पर ब्याज की अदायगी एवं क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु योजित किया है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादीगण के कथनानुसार विपक्षीगण ने दैनिक जागरण समाचार पत्र में विज्ञापन के माध्यम से यह प्रकाशित कराया कि विपक्षीगण ‘’ सुशान्त गोल्फ सिटी ‘’ नाम से हाईटेक टाउपशिप के अन्तर्गत आवासीय अपार्टमेण्ट/फ्लैट का निर्माण करा रहे हैं। इस सन्दर्भ में परिवादीगण ने फ्लैट आबंटन हेतु दिनांक १५-०९-२०१२ को आवेदन पत्र प्रेषित किया तथा २,३३,७०३/- रू० बुकिंग धनराशि जमा की। विपक्षीगण ने परिवादीगण को फ्लैट सं0-३६१२-ए.के.ए.-के/ए 2-०७०२-३-बी.एच.के. आकांक्षा इन्क्लेव में ७वीं मंजिल पर आबंटित किया तथा कस्टुमर आई.डी.-
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१४७०७८ परिवादीगण के संयुक्त नाम से जारी की एवं इकारारनामा दिनांक ०५-११-२०१२ को किया। फ्लैट का मूल्य ४५,८०,२३५/- रू० निर्धारित किया गया तथा फ्लैट का क्षेत्रफल १९४८ वर्गफीट था। यह धनराशि, कुल धनराशि के ०५ प्रतिशत की दर से २० किश्तों में कन्स्ट्रक्शन लिंक्ड प्रोग्राम के अन्तर्गत भुगतान की जानी थी। इकरारनामे की शर्तों के अनुसार फ्लैट का कब्जा विपक्षीगण द्वारा ०३ वर्ष के अन्दर दिया जाना था। परिवादीगण ने इस प्रत्याशा में कि ०३ वर्ष के अन्दर उन्हें फ्लैट का कब्जा प्राप्त हो जायेगा, जी.पी.एफ. खाते से धनराशि निकालकर २,३६,०८९/-रू० ७५ पैसा ०६ किश्तों में कुल धनराशि १४,१४,२७४/- रू० ५० पैसा विपक्षीगण को भुगतान किया तथा कार्य की प्रगति के विषय में परिवादीगण ने विपक्षीगण से जानकारी हेतु कई बार प्रयास किया किन्तु कोई सकारात्मक उत्तर आश्वासन के अतिरिक्त विपक्षीगण द्वारा नहीं दिया गया। परिवादीगण ने किश्तों की शेष धनराशि के भुगतान हेतु भारतीय स्टेट बैंक, सदर शाखा, लखनऊ से ऋण प्राप्ति हेतु आवेदन किया। भारतीय स्टेट बैंक ने ऋण स्वीकृति हेतु आवश्यक अभिलेख प्रोजैक्ट के स्वीकृत नक्शे सहित मांगे। परिवादीगण ने अपने पत्र दिनांकित २२-०९-२०१२ द्वारा विपक्षीगण से बैंक द्वारा वांछित अभिलेख मांगे। विपक्षीगण द्वारा अन्य अभिलेख प्रदान किए गये किन्तु प्रश्नगत प्रोजैक्ट का सक्षम अधिकारी द्वारा स्वीकृत नक्शा प्राप्त नहीं कराया गया। इस सन्दर्भ में परिवादीगण द्वारा पुन: पत्र प्रेषित किया गया किन्तु सक्षम अधिकारी द्वारा स्वीकृत नक्शा प्राप्त नहीं कराया गया। विपक्षीगण द्वारा लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा सभी स्वीकृतियॉं प्रदान न किए जाने के कारण विकास कार्य प्रारम्भ नहीं किया गया। परिवादीगण ने मौके पर जाकर निरीक्षण किया तो उन्हें यह ज्ञात हुआ कि विपक्षीगण द्वारा ०२ वर्ष ०४ माह का समय बीत जाने के बाबजूद नीव खुदाई का कार्य भी प्रारम्भ नहीं किया गया। इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा परिवादीगण को अंधेरे में रख कर बिना सक्षम अधिकारी की स्वीकृति प्राप्त किए प्रश्नगत फ्लैट के निर्माण हेतु विज्ञापन प्रकाशित किया गया। ऐसी परिस्थिति में परिवादीगण ने विपक्षीगण से जमा की गई सम्पूर्ण धनराशि वापस किए जाने की मांग की किन्तु विपक्षीगण ने चेक दिनांक ०२-०५-२०१५ द्वारा कुल १४,१६,५३९/-
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रू० वापस किया। इस प्रकार विपक्षीगण ने परिवादीगण द्वारा जमा की गई सम्पूर्ण धनराशि वापस नहीं की और न ही जमा की गई धनराशि पर कोई ब्याज का भुगतान किया। परिवादी सं0-२ ने आपत्ति सहित विपक्षीगण द्वारा दिया गया चेक प्राप्त किया तथा इस सन्दर्भ में अपनी आपत्ति पत्र दिनांकित ०६-०५-२०१५ द्वारा प्रेषित की जिसका उत्तर विपक्षीगण ने अपने पत्र दिनांकित ०१-०६-२०१५ द्वारा दिया तथा शेष धनराशि वापस किए जाने से इन्कार किया। परिवादीगण का यह भी कथन है कि प्रश्नगत योजना के अन्तर्गत प्रथम १०० आबंटियों को दो एयर कण्डीशनर प्रदान किए जाने थे। परिवादीगण भी प्रथम १०० आबंटियों में थे। इसके बाबजूद परिवादीगण को एयर कण्डीशनर प्राप्त नहीं कराए गये। अत: परिवाद, परिवादीगण द्वारा योजित किया गया।
विपक्षीगण द्वारा प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया। विपक्षीगण ने प्रश्नगत परियोजना के अन्तर्गत परिवादीगण को उनके द्वारा अभिकथित फ्लैट आबंटित किये जाने तथा परिवादीगण द्वारा जमा की गई कथित धनराशि का भुगतान प्राप्त किए जाने से इन्कार नहीं किया गया किन्तु विपक्षीगण का यह कथन है कि परिवादीगण ने स्वयं प्रश्नगत आबंटन को निरस्त करने तथा धनराशि वापस किए जाने हेतु प्रार्थना पत्र प्रेषित किया था। अत: इकरारनामे की शर्तों के अनुसार विपक्षीगण द्वारा कुल १४,१६,५३९/- रू० का भुगतान परिवादीगण को विपक्षीगण द्वारा चेक के माध्यम से किया गया। यह भुगतान परिवादीगण द्वारा प्राप्त भी कर लिया गया। परिवादीगण के भुगतान प्राप्त करने के बाद परिवादीगण, विपक्षीगण के उपभोक्ता नहीं रह गये। परिवादीगण उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-२(१)(डी) के अन्तर्गत ऐसी परिस्थिति में उपभोक्ता नहीं माने जा सकते।
परिवादीगण की ओर से परिवाद के साथ परिवादी पुण्य प्रताप पाण्डेय का शपथ पत्र संलग्न किया गया है जिसके द्वारा परिवाद के अभिकथनों की पुष्टि की गई है। परिवादीगण द्वारा परिवाद के साथ निम्नलिखित अभिलेख संलग्नक के रूप में प्रस्तुत किए गये है :-
१. विपक्षीगण की प्रश्नगत योजना के अन्तर्गत फ्लैट आबंटन हेतु प्रस्तुत किए गये प्रार्थना पत्र की नोटरी द्वारा सत्यापित फोटोप्रति संलग्नक-१.
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२. प्रश्नगत फ्लैट आबंटन हेतु विपक्षीगण द्वारा परिवादीगण के पक्ष में जारी किए गये आबंटन पत्र की नोटरी द्वारा सत्यापित फोटोप्रति संलग्नक-२.
३. उभय पक्ष के मध्य निष्पादित फ्लैट बायर लैटर आफ एग्रीमेण्ट की नोटरी द्वारा सत्यापित फोटोप्रति संलग्नक-३.
४. परिवादी सं0-२ द्वारा अपने जी0पी0एफ0 खाते से ०९.०० लाख रू० निकाले जाने हेतु प्रेषित प्रार्थना की नोटरी द्वारा सत्यापित फोटोप्रति संलग्नक-४.
५. प्रश्नगत फ्लैट के सन्दर्भ में विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत विवरण की नोटरी द्वारा सत्यापित फोटोप्रति संलग्नक-५.
६. परिवादी सं0-२ द्वारा ऋण प्राप्ति हेतु आवश्यक अभिलेख उपलब्ध कराए जाने हेतु विपक्षीगण को प्रेषित पत्र दिनांकित २२-०९-२०१२ की नोटरी द्वारा सत्यापित फोटोप्रति संलग्नक-६.।
७. इस सन्दर्भ में भारतीय स्टेट बैंक द्वारा परिवादी को प्रेषित पत्र दिनांकित २७-०२-२०१३ की नोटरी द्वारा सत्यापित फोटोप्रति संलग्नक-७.
८. इस सन्दर्भ में पुन: परिवादीगण द्वारा विपक्षी को भेजे गये पत्र दिनांकित ०३-०४-२०१३ की नोटरी द्वारा सत्यापित फोटोप्रति संलग्नक-८.
९. परिवादीगण द्वारा विपक्षी को जमा गई धनराशि की वापसी हेतु प्रेषित पत्र दिनांकित १२-१२-२०१५ की नोटरी द्वारा सत्यापित फोटोप्रति संलग्नक-९.
१०. विपक्षीगण द्वारा परिवादीगण को भुगतान की गई धनराशि १४,१६,५३९/- रू० से सम्बन्धित चेक की नोटरी द्वारा सत्यापित फोटोप्रति संलग्नक-१०.
११. प्राप्त की गई धनराशि के सन्दर्भ में परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत की गई आपत्ति व्यक्त करते हुए परिवादीगण द्वारा विपक्षीगण को प्रेषित पत्र दिनांकित ०६-०५-२०१५ की नोटरी द्वारा सत्यापित फोटोप्रति संलग्नक-११.
१२. परिवादीगण द्वारा भेजे पत्र के विरूद्ध विपक्षीगण द्वारा प्रेषित पत्र दिनांकित ०१-०६-२०१५ की नोटरी द्वारा सत्यापित फोटोप्रति संलग्नक-१२.
१३. प्रश्नगत परियोजना के सन्दर्भ में विपक्षीगण द्वारा जारी किए गये विज्ञापन की नोटरी द्वारा सत्यापित फोटोप्रति संलग्नक-१३.
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१४. विपक्षीगण द्वारा प्रश्नगत योजना के अन्तर्गत प्रथम १०० आबंटियों में परिवादीगण के सम्मिलित होने तथा दो मुफ्त एयर कण्डीशनर प्राप्त करने के पात्र होने के सन्दर्भ में प्रेषित सूचना दिनांकित १५-०३-२०१३ की नोटरी द्वारा सत्यापित फोटोप्रति संलग्नक-१४.
इसके अतिरिक्त परिवादीगण की ओर से साक्ष्य के रूप में श्री पुण्य प्रताप पाण्डेय द्वारा अपना शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है, जिसमें परिवाद के अभिकथनों की पुष्टि की गई है।
विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र के साथ संलग्न अभिलेखों के अतिरिक्त अन्य कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई है। विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत किए गये अभिलेख ही परिवादीगण ने भी अपनी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किए हैं।
हमने परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक सिन्हा तथा विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री विकास कुमार वर्मा के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण में विपक्षीगण की सुशान्त गोल्फ सिटी योजना के अन्तर्गत परिवादीगण को विपक्षीगण द्वारा प्रश्नगत फ्लैट आबंटित किया जाना तथा इस फ्लैट के सन्दर्भ में परिवादीगण द्वारा कथित भुगतान किया जाना विपक्षीगण द्वारा स्वीकार किया गया है। परिवादीगण का यह कथन है कि परिवादीगण ने प्रश्नगत आबंटित फ्लैट के सन्दर्भ में विपक्षीगण द्वारा वांछित बुकिंग धनराशि एवं ०६ किश्तों की धनराशि अपने जी0पी0एफ0 खाते से निकालकर अदा की। शेष धनराशि के भुगतान हेतु परिवादीगण ने स्टेट बैंक आफ इण्डिया से ऋण प्राप्त किए जाने हेतु आवेदन किया। स्टेट बैंक आफ इण्डिया द्वारा विपक्षीगण की प्रश्नगत योजना के सन्दर्भ में सक्षम अधिकारी द्वारा स्वीकृत नक्शा की मांग ऋण स्वीकृति हेतु परिवादीगण से की गई। तद्नुसार परिवादीगण ने यह अभिलेख विपक्षीगण से मांगा किन्तु विपक्षीगण द्वारा यह अभिलेख परिवादीगण को प्राप्त नहीं कराया गया। परिवादीगण का यह भी कथन है कि प्रश्नगत परियोजना के सन्दर्भ में पक्षकारों के मध्य निष्पादित इकरारनामे के अनुसार परिवादीगण को आबंटित फ्लैट का कब्जा ०३ वर्ष में दिया जाना था किन्तु परिवादीगण द्वारा आवेदन किए जाने
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के उपरान्त लगभग ०२ वर्ष ०४ माह बाद भी मौके पर नीव खुदाई का कार्य भी विपक्षीगण द्वारा प्रारम्भ नहीं किया गया। इस सन्दर्भ में परिवादीगण द्वारा परिवाद में किए गये अभिकथनों को विपक्षीगण ने अस्वीकार नहीं किया है। विपक्षीगण की ओर ये यह अभिकथित किया गया है कि स्वयं परिवादीगण ने आबंटित फ्लैट के निरस्तीकरण तथा जमा धनराशि की मांग की थी। परिवादीगण की मांग के अनुसार इकरारनामे की शर्तों के अन्तर्गत परिवादीगण को १४,१६,९३५/- रू० का भुगतान चेक दिनांकित ०२-०५-२०१५ द्वारा किया गया। यह धनराशि परिवादीगण द्वारा प्राप्त कर ली गई। परिवादीगण द्वारा यह धनराशि प्राप्त कर लेने के उपरान्त परिवादीगण विपक्षीगण के उपभोक्ता नहीं रह गये हैं। प्रश्नगत आबंटित फ्लैट पर अब उनका कोई अधिकार शेष नहीं है।
यद्यपि यह तथ्य निर्विवाद है कि स्वयं परिवादीगण ने प्रश्नगत फ्लैट का आबंटन निरस्त किए जने तथा जमा की गई धनराशि की वापसी की मांग की थी किन्तु मात्र इसी आधार पर प्रस्तुत परिवाद अपोषणीय नहीं माना जा सकता। जिन परिस्थितियों के कारण परिवादीगण ने जमा की गई धनराशि की मय ब्याज वापसी की मांग की उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती। विपक्षीगण का यह कथन नहीं है कि परिवादीगण द्वारा जमा धनराशि की वापिस हेतु प्रस्तुत प्रार्थना पत्र के समय तक परियोजना के सम्बन्ध में सक्षम प्राधिकारी से नक्शा स्वीकृत करया जा चुका था। हमारे विचार से प्रश्नगत परियोजना के सम्बन्ध में विज्ञापन किए जाने से पूर्व यह अभिलेख विपक्षीगण द्वारा प्राप्त किया जाना आवश्यक था। परिवादीगण को अंधेरे में रख कर प्रश्नगत परियोजना के अन्तर्गत फ्लैट आबंटन हेतु विज्ञापन प्रकाशित किया गया जिससे आकर्षित होकर परिवादीगण द्वारा फ्लैट आबंटन हेतु आवेदन प्रेषित किया गया। हमारे विचार से विपक्षीगण द्वारा अनुचित व्यापार प्रथा कारित की गई तथा तद्नुसार सेवा में त्रुटि कारित की गई। ऐसी परिस्थिति में परिवादीगण अपनी जमा की गई सम्पूर्ण धनराशि विपक्षीगण से प्राप्त करने के अधिकारी हैं तथा क्षतिपूर्ति के रूप में जमा की गई धनराशि पर ०९ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज दिलाया जाना न्यायसंगत होगा।
जहॉं तक एयर कण्डीशनर दिलाए जाने का प्रश्न है, निर्विवाद रूप से ये एयर कण्डीशनर प्रश्नगत योजना के अन्तर्गत अधिकृत आबंटी को दिए जाने थे। निर्विवाद रूप
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से परिवादीगण प्रश्नगत योजना के अन्तर्गत आबंटी नहीं रह गये हैं, अत: परिवादीगण प्रश्नगत योजना के अन्तर्गत एयर कण्डीशनर प्राप्त करने के अधिकारी नहीं माने जा सकते। तद्नुसार हमारे विचार से परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वे परिवादीगण को, परिवादीगण द्वारा विपक्षीगण को प्रश्नगत फ्लैट के सन्दर्भ में भुगतान की गई धनराशि, भुगतान की तिथि से सम्पूर्ण धनराशि की अदायगी तक ०९ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज सहित इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि प्राप्त होने की तिथि से ३० दिन के अन्दर अदा करें। इसके अतिरिक्त निर्धारित अवधि में विपक्षीगण, परिवादीगण को १०,०००/- रू० परिवाद व्यय अदा करें। परिवादीगण को विपक्षीगण द्वारा पूर्व में अदा की गई धनराशि देय धनराशि में समायोजित की जायेगी।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(गोवर्द्धन यादव)
सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-२.