जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:-95/2022 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-31.01.2022
परिवाद के निर्णय की तारीख:-20.12.2023
1- Prakash Chandra Chaubey 249-A Vinowa Nagar-Near Udyog Nagar Water Tank New Market-Naini-Allahabad-Uttar Pradesh, India.
2- Preeti Chaubey W/o Prakash Chandra Chaubey 249-A Vinowa Nagar-Near Udyog Nagar Water Tank New Market-Naini-Allahabad-Uttar Pradesh, India. ..................Complainant.
Versus
Ansal Properties & Infrastructure Ltd. (Ansal Api Infrastructure Limited) 2nd Floor, Shopping Square-Sector-D, Sultanpur Road-Lucknow-226030.
................Opposite Party.
परिवादी के अधिवक्ता का नाम:-श्री अनिल कुमार मिश्रा।
विपक्षी के अधिवक्ता का नाम:-श्री शुभम त्रिपाठी।
आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
निर्णय
1. परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा-35 के तहत प्रस्तुत किया गया है और यह चाहा गया है कि फ्लैट संख्या 1103/सेक्टर-के-11 फ्लोर 1524 स्क्वायर फिट विक्रय रेट (2480/स्क्वायर फिट) का बैलेन्स धनराशि 24,13,128.00 रूपये लेकर बिना ब्याज 30 दिन के अन्दर पजेशन दे अथवा उसी मेक तथा उसी दर में किसी दूसरी योजना में उतनी ही एरिया का फ्लैट समायोजित करें। जमा धनराशि पर 18 प्रतिशत ब्याज भी दिलाया जाए तथा मानसिक, शारीरिक क्षतिपूर्ति के रूप में 70,000.00 रूपये एवं 25,000.00 रूपये वाद व्यय दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया गया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि सुशान्त गोल्फ सिटी हाईटेक टाउनशिप लखनऊ में विपक्षी द्वारा फ्लैट के लिये विज्ञापन किया गया था। परिवादी ने दिनॉंक 22.05.2013 को विपक्षी पार्टी से संपर्क किया कि उन्हें एक अपने सिर के ऊपर छत होने वाला मकान चाहिए। विपक्षी द्वारा यह बताया गया कि एक फ्लैट की स्कीम है जो करीब-करीब तैयार है जिसका एरिया 1524 स्क्वायर फिट है। परिवादी ने एक फ्लैट 1,94,816.00 रूपये अदा करके बुक कराया। विपक्षी द्वारा डिमाण्ड नोटिस शेष धनराशि के लिये भेजा गया और यह भी कहा गया कि 30 दिन के अन्दर कब्जा प्रदत्त कराया जायेगा। विपक्षी द्वारा फ्लैट नम्बर 1103 सेक्टर-के-11 फ्लोर 1524 स्क्वायर फिट का 2480 रूपये स्क्वायर फिट के हिसाब से 37,79,520.00 रूपये फ्लैट की कीमत निर्धारित की गयी।
3. परिवादी ने ऋण लेने के लिये बैंक में आवेदन किया। बैंक के अधिकारियों ने परिवादी से Title Deed of Land एवं Sanctioned Lay Out की मॉंग की, तो परिवादी ने विपक्षी से उक्त दस्तावेज की मॉंग की। परन्तु परिवादी को विपक्षी द्वारा कोई दस्तावेज प्रदत्त नहीं कराया गया। वर्ष 2022 में परिवादी व्यक्तिगत रूप से योजना की कार्यालय वेबसाइट पर गया तो परिवादी यह देखकर हैरान और चकित रह गया कि साइट पूरी तरह से अविकसित थी। निर्माण कार्य धीमी गति से चल रहा था। भूमि का पूरा क्षेत्र अविकसित था। पूछने पर पता चला कि इसे पूर्ण रूप से विकसित करने में 03 से 05 वर्ष का समय लगेगा। परिवादी द्वारा 13,66,392.00 रूपये भिन्न–भिन्न तिथियों में जमा किया गया। कुल 24,13,128.00 रूपये बकाया था। परिवादी ने बार-बार विपक्षी को नोटिस भेजा गया और यह चाहा गया कि उचित प्रपत्र प्रदत्त कराये जाऍं।
4. विपक्षी द्वारा उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए एग्रीमेंट कराया जाना स्वीकार किया गया। कथन किया कि परिवादी को एग्रीमेंट की शर्तों को मानना था। परिवादी को इस तथ्य की जानकारी थी कि 36 माह में कार्य को पूरा होना था। परिवादी इस बात पर सहमत था कि यदि किसी अप्रत्याशित परिस्थितियों के कारण परिसर के निर्माण में देरी होती है तो डेवलपर डिलीवरी के समय में उचित विस्तार का हकदार होगा। यह भी व्यवस्था थी कि अगर इस जगह फ्लैट नहीं दे पायेगें तो दूसरी योजना में एलाट कर सकते हैं। 07 अप्रैल 2021 को एक सरकारी आदेश जारी किया गया है जिसमें रियल एस्टेट डेवलपर्स को उस अवधि के लिये किसी भी बोझ से राहत दी गयी है। वर्तमान परिस्थिति में उसकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गयी है और परिवादी के परिवाद पत्र के कथनों को इनकार किया गया है।
5. परिवादी ने अपने कथानक के समर्थन में मौखिक साक्ष्य के रूप में शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में विज्ञापन की छायाप्रति, बुकिंग रसीद, एलाटमेंट लेटर, पत्र, आदि की छायाप्रतियॉं दाखिल किया है। विपक्षी की ओर से शपथ पत्र एवं समझौते की प्रति, शासनादेश, आदि की छायाप्रतियॉं दाखिल की गयी हैं।
6. आयोग द्वारा उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना गया तथा पत्रावली का परिशीलन किया गया।
7. विपक्षी द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रस्तुत प्रकरण टाइम बार्ड है, क्योंकि दो वर्ष के अन्दर काज ऑफ एक्शन के अन्दर नहीं दाखिल किया गया है और यह परिवाद वर्ष 2022 में दाखिल किया गया है, जबकि एग्रीमेंट दिनॉंक:-06 जून 2013 को हुआ है।
8. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया कि यह टाइम बार प्रकरण नहीं है। यह तथ्य सही है कि वर्ष 2022 में दाखिल किया गया है और विपक्षी द्वारा काम्पलैक्स को बनाने के लिये यथोचित अनुमति संबंधित से प्राप्त नहीं किया है न ही आज तक उक्त भवन का निर्माण ही किया गया है। अनुबन्ध के अनुसार यह व्यवस्था थी कि संबंधित से सहमति प्राप्त करने के बाद उसके 36 माह के अन्दर यानी 05 जून 2016 तक प्रश्नगत भवन या फ्लैट का कब्जा दिया जाना था। कोई अनुमति इनके द्वारा प्राप्त नहीं की गयी है। 36 माह की समय सीमा अभी प्रारम्भ ही नहीं हुई है और 36 माह बीत जाने के साथ दो वर्ष बाद यह प्रकरण दाखिल किया गया है। ऐसे में इनका वाद हेतुक उत्पन्न होता है।
मैं परिवादी के अधिवक्ता के तर्कों से सहमत हॅूं कि एग्रीमेंट के अनुसार संबंधित से सहमति प्राप्त करने के 36 माह बाद प्रश्नगत फ्लैट का कब्जा या भवन का कब्जा दिया है। विपक्षी द्वारा ऐसा कोई भी प्रमाण दाखिल नहीं किया गया कि इनके द्वारा संबंधित से सहमति पूर्व में ली जा चुकी है। मात्र कह देने से यह नहीं समझा जायेगा कि यह सहमति मिल गयी है। ऐसी स्थिति में विपक्षी के तर्कों में कोई बल नहीं है और वाद हेतुक उसका निरन्तर चल रहा है और प्रस्तुत प्रकरण समय सीमा से बाधित नहीं है।
9. विदित है कि परिवादी द्वारा यह कहा गया कि उसने अन्सल में एक फ्लैट बुक कराया था जिसके एवज में 13,66,392.00 रूपया दिया गया है और उस फ्लैट का आज तक कोई भी कार्य प्रारम्भ ही नहीं हुआ है। विपक्षी द्वारा यह स्वीकृत है कि परिवादी द्वारा 13,66,392.00 रूपये जमा किया गया है। अत: यह विवाद का विषय नहीं है कि विपक्षी के ऊपर13,66,392.00 रूपये फ्लैट के एवज में परिवादी का जमा है और उक्त फ्लैट का कोई निर्माण भी नहीं किया जा रहा है। यह तथ्य सही है कि समय सीमा तीन वर्ष की निर्धारित सहमति प्राप्त करने के उपरान्त कब्जा देना था, तो सहमति प्राप्त करने की भी एक समय सीमा होती है।
10. वर्ष 06 जून 2013 में एग्रीमेंट किया जाना और वर्ष 2022 तक सहमति के संबंध में प्रयास न करना, जिससे आगे के 36 माह बनाने का समय प्रारम्भ नहीं हो सका निश्चित ही एक प्रकार की सेवा में त्रुटि विपक्षी द्वारा की गयी है। यह तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है। परिवादी द्वारा परिवाद संख्या:-426/201 चन्द्र भान सिंह बनाम मै0 अंसल ए0पी0आई0 इन्फ्रा स्ट्रक्चर लिमि0 निर्णय दिनॉंकित 22.05.2023 राज्य उपभोक्ता आयोग, उ0प्र0 लखनऊ का सन्दर्भ दाखिल किया गया है, जिसमें माननीय राज्य आयोग द्वारा जमा की गयी धनराशि को वापस कराया गया है।
इस प्रकार जमा की गयी धनराशि जिस-जिस तिथि को जमा की गयी है उस तिथि से 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से परिवादी भुगतान प्राप्त करने का अधिकारी है। अत: परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है, विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि परिवादी द्वारा भिन्न-भिन्न तिथियों पर जमा की गयी धनराशि मुबलिग-13,66,392.00 (तेरह लाख छियासठ हजार तीन सौ बान्नबे रूपया मात्र) मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्दर अदा करेंगे। परिवादी को हुए मानसिक, आर्थिक एवं शारीरिक कष्ट के लिये मुबलिग 1,00,000.00 (एक लाख रूपया मात्र) एवं वाद व्यय के लिये मुबलिग-10,000.00 (दस हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगें। यदि निर्धारित अवधि में आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तो उपरोक्त सम्पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रार्थना पत्र निस्तारित किये जाते हैं।
निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ
दिनॉंक-20.12.2023