Uttar Pradesh

StateCommission

CC/152/2014

Nikhil Ranjan - Complainant(s)

Versus

Ansal Properties - Opp.Party(s)

Sarvesh Kumar Sharma

26 Mar 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/152/2014
( Date of Filing : 05 Nov 2014 )
 
1. Nikhil Ranjan
Lucknow
...........Complainant(s)
Versus
1. Ansal Properties
New Delhi
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 26 Mar 2019
Final Order / Judgement

 

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

परिवाद संख्‍या-152/2014

 

निखिल रंजन पुत्र ललित राम, निवासी-एम.आई.जी. 42, शेखुपुरा हाउसिंग बोर्ड कालोनी, विकास नगर, कुर्सी रोड, लखनऊ।

                             परिवादी

बनाम्     

1. अंसल प्रोपर्टीज एण्‍ड इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर लिमिटेड, रजिस्‍टर्ड कारपोरेट आफिस स्थित 115 अंसल भवन, 16 कस्‍तूरबा गांधी मार्ग, न्‍यू दिल्‍ली 110001, द्वारा डायरेक्‍टर/मैनेजिंग डायरेक्‍टर।

2. अंसल प्रोपर्टीज एण्‍ड इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर लिमिटेड, रिजनल आफिस स्थित वाईएमसीए कैम्‍पस 13 राणा प्रताप मार्ग, लखनऊ 226001, द्वारा डायरेक्‍टर/मैनेजिंग डायरेक्‍टर।

                                  विपक्षीगण

समक्ष:-

1. माननीय श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

2. माननीय श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य।

परिवादी की ओर से      : श्री सर्वेश कुमार शर्मा, विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षीगण की ओर से    : कोई नहीं।

दिनांक 29.04.2019

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत परिवाद, परिवादी ने विपक्षीगण के विरूद्ध प्रश्‍नगत फ्लैट का कब्‍जा प्राप्‍त करने एवं क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु योजित‍ किया है।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी के कथनानुसार विपक्षीगण ने सुलतानपुर रोड, लखनऊ में सुशान्‍त गोल्‍फ सिटी योजना प्रारम्‍भ की तथा उपभोक्‍ताओं को आश्‍वासन दिया कि अपार्टमेंट के निर्माण हेतु सभी आवश्‍यक स्‍वीकृतियां प्राप्‍त कर ली गयी हैं तथ निर्माण कार्य पूरी तेजी से हो रहा है। फ्लैट का कब्‍जा वर्ष 2010 तक दे दिया जायेगा। विपक्षीगण के इन आश्‍वासनों से प्रभावित होकर परिवादी ने दिनांक 10.10.2009 को रू0 75,000/- विपक्षीगण को प्राप्‍त कराये। विपक्षीगण द्वारा बायर एग्रीमेन्‍ट दिनांकित 22.11.2009 को निष्‍पादित किया गया तथा फ्लैट संख्‍या-जी/07/06, क्षेत्रफल 92.90 वर्गमीटर मूल्‍य 15 लाख रूपये परिवादी को आवंटित किया गया। यद्यपि यह एग्रीमेन्‍ट विपक्षीगण ने अपनी सुविधानुसार तैयार कराया, किन्‍तु इस एग्रीमेन्‍ट में यह प्रावधान था कि फ्लैट का कब्‍जा बिल्डिंग प्‍लान स्‍वीकृत होने की तिथि से 36 महीने के अन्‍दर प्रदान कर दिया जायेगा। विपक्षीगण द्वारा यह सूचित किया गया था कि बिल्डिंग प्‍लान की स्‍वीकृति प्राप्‍त की जा चुकी है। इस एग्रीमेन्‍ट में आवंटियों के हितों को सुरक्षित रखने हेतु ऐसा कोई प्रावधान नहीं था कि आवंटित यूनिट के विकसित न हो पाने की स्थिति में आवंटियों को वैकल्पिक सम्‍पत्ति आवंटित की जायेगी। परिवादी को आवंटन पत्र दिनांक 23.10.2010 को आवंटित किया गया, जिसके द्वारा परिवादी को सूचित किया गया था कि परिवादी को पैराडाइस डायमण्‍ड योजना में फ्लैट आवंटित किया गया है, जिसका मूल्‍य 15 लाख रूपये है। आंवटित फ्लैट के मूल्‍य का भुगतान करने हेतु परिवादी ने बैंक आफ बड़ौदा से सम्‍पर्क किया तथा विपक्षीगण से अनुरोध किया कि अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया जाए। अत: विपक्षीगण ने दिनांक 23.10.2010 को बैंक आफ बड़ौदा के पक्ष में अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया तथा यह सूचित किया कि सभी आवश्‍यक स्‍वीकृतियां संबंधित अधिकारियों से प्राप्‍त की जा चुकी हैं। बैंक द्वारा परिवादी के पक्ष में ऋण जारी किया गया। इससे पूर्व परिवादी, विपक्षीगण तथा बैंक आफ बड़ौदा के मध्‍य एक त्रिपक्षीय इकरारनामा दिनांक 22.07.2010 निष्‍पादित किया गया। तदोपरान्‍त परिवादी निर्माण स्‍थल पर गया, जिससे से ज्ञात हुआ कि निर्माण कार्य रूका हुआ है। विपक्षीगण के प्रतिनिधि जो निर्माण स्‍थल पर मौजूद थे, द्वारा आश्‍वस्‍त किया गया कि कब्‍जा वर्ष 2012 में प्रदान कर दिया जायेगा। परिवादी निर्माण स्‍थल पर पुन: गया तो उसे सूचित किया गया कि कब्‍जा वर्ष 2013 में दिया जायेगा। इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा सेवा में त्रुटि की गयी है। विपक्षीगण द्वारा प्रश्‍नगत फ्लैट का कब्‍जा न दिये जाने के कारण परिवादी को 15 हजार रूपये प्रतिमाह की दर से किराये पर रहना पड़ रहा है। बैंक द्वारा दिये गये ऋण के भुगतन हेतु निरन्‍तर दबाव डाला जा रहा था। अत: परिवादी ने दिनांक 14.05.2014 को फ्लैट का कब्‍जा दिलाये जाने हेतु पत्र प्रेषित किया। निरन्‍तर मौखिक रूप से अनुरोध किये जाने तथा पत्र प्रेषित किये जाने के बावजूद परिवादी को प्रश्‍नगत फ्लैट का कब्‍जा नहीं दिया गया। परिवादी ने दिनांक 01.08.2014 को फ्लैट का कब्‍जा दिये जाने तथा कब्‍जा दिये जाने में हुए विलम्‍ब को स्‍पष्‍ट किये जाने हेतु पत्र प्रेषित किया। विपक्षीगण ने अपने पत्र दिनांकित 27.05.2014 द्वारा परिवादी को सूचित किया कि सोयल टेस्टिंग एवं पाइलिंग का कार्य सभी टावर्स में प्रगति पर है तथा कुछ टावरों में निर्माण कार्य प्रारम्‍भ हो चुका है। विपक्षीगण ने अपने पत्र दिनांकित 27.05.2014 द्वारा सूचित किया गया कि परियोजना के पूर्ण होने में विलम्‍ब हो रहा है, क्‍योंकि परियोजना में संबंधित नक्‍शा प्रस्‍तुत किया जा चुका है और जल्‍द ही सक्षम अधिकारी द्वारा अनुमोदन प्राप्‍त हो जाएगा उसके बाद ही निर्माण कार्य प्रारम्‍भ हो जाएगा। यह जानकर परिवादी को आघात पहुंचा कि विपक्षीगण ने बिना नक्‍शा स्‍वीकृत कराये परियोजना के अन्‍तर्गत फ्लैट परिवादी को आवंटित किया तथा अनापत्ति प्रमाण पत्र भी जारी किया एवं धनराशि न केवल परिवादी, बल्कि अन्‍य आवंटियों से भी प्राप्‍त की। इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा अनुचित व्‍यापार प्रथा कारित की गयी। अत: परिवाद योजित किया गया।

विपक्षीगण द्वारा प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया। विपक्षीगण ने परिवादी के पक्ष में पैराडाइस डयरमण्‍ड अपार्टमेंट संख्‍या-3002-0-जी/07/06 आवंटित किया जाना तथा बायर एगीमेन्‍ट दिनांकित 22.11.2009 परिवादी एवं विपक्षीगण के बीच निष्‍पादित होना स्‍वीकार किया, किन्‍तु विपक्षीगण के कथनानुसार परिवादी एक निवेशक है, इसलिए वह उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता नहीं है। विपक्षीगण का यह भी कथन है कि उत्‍तर प्रदेश सरकार ने केन्‍द्र सरकार की नेशनल हाउसिंग एण्‍ड हैबिटट पालिसी 1998 के अन्‍तर्गत वर्ष 2003 में हाईटेक टाउनशिप पालिसी लागू की, इसके अन्‍तर्गत दिनांक 15.10.2004 को हाईटेक टाउनशिप के विकास में डेवलेपर्स से प्रस्‍ताव आमंत्रित किये गये। विपक्षीगण ने भी अपना प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत किया तथा दिनांक 21.05.2005 को विपक्षीगण का लखनऊ में हाईटेक टाउनशिप का प्रस्‍ताव स्‍वीकार किया गया। अत: विपक्षीगण ने हाईटेक टाउनशिप के विकास हेतु भूमि क्रय करना प्रारम्‍भ किया। दिनांक 22.05.2006 को हाईटेक टाउनशिप की पुनरीक्षित विस्‍तृत प्रोजेक्‍ट रिपोर्ट डीपीआर कमेटी द्वारा अनुमोदित की गयी तथा उत्‍तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद की आवास योजना में 1765 एकड़ भूमि विकास हेतु अनुमोदित की गयी। वर्ष 2007 में हाईटेक टाउनशिप का अनुमोदन लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा किया गया एवं दिनांक 10.01.2006 को जिलाधिकारी लखनऊ को 5.33.447 हेक्‍टर भूमि अर्जन हेतु पत्र जारी किया गया, जिसमें बरौना ग्राम की भूमि भी सम्मिलित थी। विपक्षीगण ने ग्राम बरौना स्थित भूमि पर अपने पैराडाइस डायमण्‍ड परियोजना की मार्केटिंग प्रारम्‍भ कर दी, क्‍योंकि ले-आउट तथा रिवाइस्‍ड डीपीआर कन्‍ट्रोलिंग अथारिटी द्वारा अनुमोदित किया जा चुका था तथा उत्‍तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया जा चुका था। तत्‍पश्‍चात् गावं बरौना का खसरा नं0-1 से 116 का विवाद विपक्षीगण तथा उत्‍तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद के मध्‍य उत्‍पन्‍न हो गया। विपक्षीगण द्वारा मा0 उच्‍च न्‍यायालय, इलाहाबाद की लखनऊ खण्‍डपीठ में रिट याचिका संख्‍या-5448 (एमआईएसबी) 2011 योजित की गयी। यह विवाद मा0 उच्‍च न्‍यायालय में लम्बित है तथा विपक्षीगण को शीघ्र ही पैराडाइस डायमण्‍ड योजना की भूमि का स्‍वामित्‍व प्राप्‍त हो जाएगा। पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित इकरारनामा दिनांकित 22.11.2009 में फोर्स मीजर शर्त का भी प्रावधान क्‍लाज-13 में वर्णित  है, जिसके अनुसार डेवलेपर्स को कब्‍जा हस्‍तांतरण के लिए उचित विस्‍तारित समय प्रदान किया जाएगा। प्रस्‍तुत प्रकरण में परिस्थितियां विपक्षीगण के नियंत्रण से बाहर की रही हैं। वर्ष 2012 तक 39 किलोमीटर ड्रेन, 38 किलोमीटर सीवर लाइन्‍स, 17 किलोमीटर वाटर सप्‍लाई पाइप, 345 किलोमीटर रेन वाटर हार्वेस्टिंग पाइप्‍स तथा 102 किलोमीटर इलेक्ट्रि‍क केबिल्‍स डाले जा चुके हैं तथा 60 किलोमीटर सड़क का निर्माण भी किया जा चुका है। सामूहिक सुविधाएं जैसे फायर स्‍टेशन, सब पोस्‍ट आफिस व पुलिस स्‍टेशन टाउनशिप के अन्‍तर्गत क्रियाशील हो चुका है। लगभग 2800 प्‍लाट्स, 1250 फ्लैट्स, 4000 अपार्टमेंट बेचे जा चुके हैं। 800 ईडब्‍ल्‍यूएस / एलआईजी के मकान तथा 170 निर्मित मकानों का कब्‍जा दिये जाने हेतु प्रस्‍ताव किया जा चुका है। विपक्षीगण पैराडाइस डायमण्‍ड योजना से आच्‍छादित भूमि का स्‍वामित्‍व प्राप्‍त करने हेतु निरन्‍तर प्रयत्‍नशील है। विपक्षीगण द्वारा अपनी योजना समाप्‍त नहीं की गयी है। इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गयी है।

परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में परिवाद के साथ संलग्‍नक-1 लगायत 7 के रूप में अभिलेख दाखिल किये गये हैं।

विपक्षीगण द्वारा अपने कथन के समर्थन में प्रतिवाद पत्र के साथ संलग्‍नक-1 लगायत 6 के रूप में अभिलेख दाखिल किये गये हैं तथा श्री नरेन्‍द्र कुमार राय असिस्‍टेण्‍ट मैनेजर, लीगल का शपथपत्र दिनांकित 15.10.2015 प्रस्‍तुत किया गया है।

हमने परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री सर्वेश कुमार शर्मा के तर्क सुने। विपक्षीगण की ओर से तर्क प्रस्‍तुत करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ।

परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि परिवादी ने अपने आवासीय फ्लैट के आवंटन हेतु विपक्षीगण से सम्‍पर्क किया। विपक्षीगण द्वारा परिवादी को आश्‍वस्‍त किया गया कि प्रश्‍नगत योजना एक हाईटेक योजना है तथा एलडीए द्वारा अनुमोदित है। तदोपरान्‍त पक्षकारों द्वारा फ्लैट बायर एग्रीमेन्‍ट दिनांकित 22.11.2009 को निष्‍पादित किया गया तथा फ्लैट संख्‍या-6 टावर नं0-जी सूपर एरिया 1000 स्‍कवायर फीट मूल्‍य 15 लाख रूपये परिवादी को आंवटित किया गया। विपक्षीगण द्वारा परिवादी को दिनांक 29.09.2006 को कथित लिपिकीय त्रुटि, जिसके कारण ग्राम बरौना भूमि का विवाद उत्‍पन्‍न हुआ, से किसी भी स्‍तर से अवगत नहीं कराया गया। परिवादी की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि विपक्षीगण ने अपने प्रतिवाद पत्र के साथ संलग्‍नक-2 के रूप में उत्‍तर प्रदेश सरकार के आवास एवं शहरी नियोजन अनुभाग द्वारा जारी कार्यालय ज्ञाप दिनांकित 13.10.2011 दाखिल किया है, जिसके अवलोकन से यह स्‍पष्‍ट है कि विपक्षीगण को इस तथ्‍य की जानकारी थी कि विवादित भूमि विपक्षीगण द्वारा प्रस्‍तावित हाईटेक टाउन शिप में सम्मिलित नहीं है। इसके बावजूद विपक्षीगण द्वारा इस योजना के अन्‍तर्गत फ्लैट आवंटित किये गये। परिवादी की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि विपक्षीगण ने बैंक आफ बड़ौदा को प्रेषित अपने पत्र दिनांकित 23.10.2010 द्वारा बैंक को यह सूचित किया गया कि प्रश्‍नगत सम्‍पत्ति का विपक्षीगण का स्‍वामित्‍व पूर्णतया साफ, विधिक एवं बिक्री योग्‍य है तथा इस पत्र द्वारा यह भी सूचित किया गया कि प्रश्‍नगत सम्‍पत्ति क्रय किये जाने के सन्‍दर्भ में परिवादी को बैंक द्वारा ऋण स्‍वीकृत किये जाने पर उन्‍हें कोई आपत्‍ति‍ नहीं है। इस सन्‍दर्भ में उन्‍होंने हमारा ध्‍यान परिवाद के साथ उपरोक्‍त बैंक के पत्र की फोटोप्रति संलग्‍नक-3 की ओर आकृष्‍ट कराया, जिससे इस सन्‍दर्भ में परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथन की पुष्टि हो रही है। परिवादी की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि विपक्षीगण द्वारा प्रेषित किये गये इस पत्र तथा विपक्षीगण द्वारा जारी किये गये अन्‍य अभिलेखों के आधार पर बैंक द्वारा परिवादी को प्रश्‍नगत फ्लैट क्रय किये जाने हेतु ऋण स्‍वीकृत किया गया।

परिवादी की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि परिवादी ने अपने पत्र दिनांकित 01.08.2014 एवं दिनांक 14.09.2014 द्वारा विपक्षीगण से प्रश्‍नगत फ्लैट का कब्‍जा प्रदान करने की प्रार्थना की, जिसके उत्‍तर में विपक्षीगण द्वारा पहली बार दिनांक 27.05.2014 को परिवादी को सूचित किया गया कि निर्माण कार्य में विलम्‍ब हो रहा है। इस पत्र द्वारा भी इस तथ्‍य की कोई जानकारी नहीं दी गयी कि प्रश्‍नगत योजना से संबंधित भूमि पर कोई विवाद है तथा इस भूमि के सन्‍दर्भ में आवास विकास से कोई मुकदमा लम्बित है। इस प्रकार यह स्‍पष्‍ट है कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी को धोखे में रखकर परिवादी से प्रश्‍नगत फ्लैट के सन्‍दर्भ में निरन्‍तर धनराशि प्राप्‍त करने के बावजूद प्रश्‍नगत फ्लैट का कब्‍जा दिये जाने का कोई प्रयास नहीं किया गया।

विपक्षीगण द्वारा प्रस्‍तुत किये गये प्रतिवाद पत्र के अवलोकन से यह विदित होता है कि प्रश्‍नगत योजना के अन्‍तर्गत ग्राम बरौना की भूमि का विवाद विपक्षीगण एवं उत्‍तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद के मध्‍य मा0 उच्‍च न्‍यायालय, लखनऊ खण्‍डपीठ में लम्बित है। स्‍वंय विपक्षीगण के कथनानुसार प्रश्‍नगत पैराडाइस डायमण्‍ड योजना से आच्‍छादित भूमि का स्‍वामवित्‍व प्राप्‍त करने हेतु विपक्षीगण निरन्‍तर प्रयत्‍नशील हैं। इस प्रकार स्‍वंय विपक्षीगण यह स्‍वीकार कर रहे हैं कि प्रश्‍नगत पैराडाइस डायमण्‍ड योजना से आच्‍छादित भूमि का स्‍वामित्‍व अभी तक विपक्षीगण को प्राप्‍त नहीं हो पाया है। विपक्षीगण ने पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित इकरारनामा दिनांकित 22.11.2009 के क्‍लॉज-3 में वर्णित फोर्स मीजर शर्त का सहारा लेने का प्रयास किया है, किन्‍तु प्रस्‍तुत प्रकरण से संबंधित परिस्थितियां जिनका उल्‍लेख ऊपर किया जा चुका है, के आलोक में विपक्षीगण के आचरण विचारोपरान्‍त उन्‍हें फोर्स मीजर शर्त का लाभ प्रदान नहीं किया जा सकता है। इस तथ्‍य की जानकारी के बावजूद कि प्रश्‍नगत योजना से संबंधित भूमि का स्‍वामित्‍व पूर्ण रूप से विपक्षीगण को प्राप्‍त नही है विपक्षीगण द्वारा प्रश्‍नगत फ्लैट आवंटित किया गया तथा विपक्षीगण द्वारा बैंक आफ बड़ौदा को भी यह सूचित किया गया कि प्रश्‍नगत योजना से संबंधित भूमि का पूर्ण स्‍वामित्‍व उन्‍हें प्राप्‍त है। इस प्रकार अनुचित व्‍यापार प्रथा कारित की गयी है तथा सेवा में त्रुटि की गयी है।

परिवादी ने प्रश्‍नगत फ्लैट का कब्‍जा दिलाये जाने का अनुतोष चाहा है, किन्‍तु निर्विवाद रूप से अभी तक प्रश्‍नगत योजना से संबंधित भूमि का पूर्ण स्‍वामित्‍व विपक्षीगण को प्राप्‍त नहीं है। अत: शीघ्र परिवादी को आवंटित फ्लैट का निर्माण पूर्ण होने की संभावना नहीं मानी जा सकती है। ऐसी परिस्थिति में प्रश्‍नगत फ्लैट का कब्‍जा दिलाये जाने हेतु आदेशित किये जाने का कोई औचित्‍य नहीं होगा।

परिवादी ने प्रश्‍नगत योजना के सामान किसी अन्‍य योजना में फ्लैट आवंटित कराये जाने तथा फ्लैट का कब्‍जा दिलाये जाने की भी प्रार्थना की है, किन्‍तु उभय पक्ष द्वारा ऐसी कोई वैकल्पिक योजना में फ्लैट उपलब्‍ध होना सूचित नहीं किया है। अत: इस सन्‍दर्भ में अनुतोष प्रदान करना निरर्थक होगा। ऐसी परिस्थिति में परिवादी द्वारा जमा की गयी धनराशि मय ब्‍याज उसे वापस करायी जाना न्‍यायोचित होगा। यद्यपि परिवादी ने इस सन्‍दर्भ में विशिष्‍ट रूप से कोई अनुतोष नहीं चाहा है, किन्‍तु मामलें की परिस्थितियों के आलोक में यह अनुतोष दिलाया जाना न्‍यायोचित होगा। जहां तक ब्‍याज की दर का प्रश्‍न है, पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित इकरारनामे के अवलोकन से यह विदित है कि इकरारनामे के अनुसार परिवादी द्वारा धनराशि की अदायगी में विलम्‍ब किये जाने की स्थिति में परिवादी द्वारा विपक्षीगण को 24 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज दिया जाना था। अत: प्रस्‍तुत मामलें के तथ्‍यों एवं परिस्थितियों के आलोक में परिवादी को उसके द्वारा जमा की गयी धनराशि पर 15 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज दिलाया जाना न्‍यायोचित होगा। परिवाद तदनुसार आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

आदेश

 

प्रस्‍तुत परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह निर्णय की प्रति प्राप्‍त किये जाने की तिथि से 30 दिन के अन्‍दर परिवादी को परिवादी द्वारा जमा की गयी समस्‍त धनराशि वापस करें, इस धनराशि पर परिवादी विपक्षीगण से 15 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज धनराशि जमा करने की तिथि से सम्‍पूर्ण धनराशि की अदायगी तक प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा।

इसके अतिरिक्‍त विपक्षीगण परिवादी को 5,000/- रूपये वाद व्‍यय के रूप में भी निर्धारित अवधि के अन्‍दर भुगतान करें।

पक्षकारान को इस निर्णय एवं आदेश की सत्‍यप्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये।

 

 

(उदय शंकर अवस्‍थी)                         (गोवर्द्धन यादव)

पीठासीन सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-2                                     

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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