जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या-263/2015
उपस्थित:-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-01/09/2015
परिवाद के निर्णय की तारीख:-17/11/2020
1-नवीन कुमार पुत्र स्व0 जी0एन0श्रीवास्तव, निवासी 2/219, विवेक खण्ड, गोमती नगर लखनऊ-226010 ।
2-अनुपमा मिश्रा पत्नी श्री नवीन कुमार, निवासी 2/219, विवेक खण्ड, गोमती नगर लखनऊ-226010 । .........परिवादीगण।
बनाम
अंसल प्रापर्टीज़ एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ग्राउंड फ्लोर, वाई एम सी ए कैम्पस, 13 राणा प्रताप मार्ग, लखनऊ-226001 द्वारा प्रबन्धक। .........विपक्षी।
आदेश द्वारा-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
निर्णय
परिवादीगण ने प्रस्तुत परिवाद विपक्षी से फ्लैट नम्बर 3002-PD2-H/11/06 की रजिस्ट्री परिवादीगण के पक्ष में कराकर कब्जा प्राप्त कराने एवं जमा की गयी समस्त धनराशि पर जमा करने की तिथि से कब्जा दिये जाने की तिथि तक 14 प्रतिशत वार्षिक ब्याज अथवा परिवादीगण की जमा धनराशि प्रत्येक जमा तिथि से 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित वास्तविक भुगतान की तिथि तक, अनुचित व्यापार प्रक्रिया एवं दोषपूर्ण सेवाओं के कारण परिवादी को हुई आर्थिक, मानसिक व शारीरिक कष्ट की क्षतिपूर्ति के लिये 1,00,000.00 रूपये एवं वाद व्यय 15000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादीगण ने विपक्षी के कार्यालय में दिनॉंक 19/11/2010 को 84188.00 रूपये जमा करके सुशांत गोल्फ सिटी सेक्टर 01, पाकेट बी, ब्लाक एच के अंतर्गत प्रस्तावित पैराडाइज डायमंड 2 बिल्डिंग में 980 वर्ग फिट का फ्लैट लेने हेतु आवेदन किया था जिसकी कुल कीमत 16,41,500.00 रूपये थी। विपक्षी द्वारा परिवादीगण के नाम पर फ्लैट नम्बर 3002-PD2-H/11/06 बुक किया गया था। विपक्षी द्वारा दिनॉंक-04/12/2010 को परिवादीगण से Flat Buyers Agreement & TPA Agreement किया गया था। विपक्षी द्वारा डाउन पेमेंट करने पर 14 प्रतिशत की छूट दी जा रही थी, इसलिए परिवादीगण ने एल आई सी हाउसिंग फाइनेन्स से 11,49,000.00 ऋण लेकर एवं अपनी बचत की गयी राशि 1,54,236.00 रूपये विपक्षी के पास दिनॉंक 03/01/2011 को एकमुश्त जमा करा दी। इस प्रकार परिवादीगण द्वारा पेमेंट प्लान के अनुसार फ्लैट के मूल्य का 95% भुगतान दिनॉंक 03/01/2011 को ही कर चुके हैं और इस समय परिवादीगण पर कोई धनराशि बकाया नहीं है। विपक्षी के पेमेंट प्लान के अनुसार फ्लैट के मूल्य का 05 प्रतिशत भुगतान 82075.00 रूपये फ्लैट का कब्जा लेते समय देय है। विपक्षी द्वारा बुकिंग करते समय 36 माह के अंदर फ्लैट की रजिस्ट्री एवं कब्जा दिलाने का वादा किया गया था। धनराशि जमा किये हुए 55 माह से अधिक का समय व्यतीत हो चुका है। परन्तु अब तक विपक्षी द्वारा परिवादीगण को उक्त फ्लैट की रजिस्ट्री करा कर नहीं दिया गया है। विपक्षी के कार्यालय में संबंधित अधिकारियों से कई बार मिल चुके हैं पर विपक्षी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। विपक्षी द्वारा दिनॉंक 01/01/2015 से उन ग्राहकों को 14% प्रतिवर्ष की दर से ब्याज देने की योजना चलायी है जिन्होंने अपनी आगामी किश्तों के एवज में एकमुश्त राशि एडवांस में जमा की है और विपक्षी द्वारा ऐेसे ग्राहकों को एडवांस में जमा की गयी राशि पर 14% प्रतिवर्ष की दर से ब्याज स्वीकृत किया जा रहा है। परिवादीगण विपक्षी को एकमुश्त भुगतान दिनॉंक 03/01/2011 को ही कर चुके हैं, इसलिए परिवादीगण भी अपनी जमा राशि पर राशि जमा करने की तिथि से कम से कम 14% प्रतिवर्ष की दर से ब्याज के हकदार हैं।
विपक्षी ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए कथन किया कि परिवादीगण का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है। परिवादीगण उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आते हैं। विपक्षी का यह भी कथन है कि परिवादीगण को फ्लैट नम्बर 3002-PD2-H/11/06 सुशांत गोल्फ सिटी में आवंटित हुआ था। विपक्षी ने यह स्वीकार किया है
कि उभयपक्ष के बीच में एग्रीमेंट दिनॉंक 04/12/2010 को हुआ था। समझौते की शर्त के अनुसार एग्रीमेंट के 36 माह में दखल कब्जा परिवादीगण को दिया जाना था। विपक्षी ने यह भी स्वीकार किया कि नक्शा समय से स्वीकृत न होने के कारण निर्माण कार्य में विलम्ब हुआ है। परिवादीगण ने कुल 16,41,500.00 रूपये
का भुगतान किया है और कुछ राशि उसके ऊपर बकाया है।
परिवादीगण ने अपने कथन के समर्थन में शपथ पत्र भी दाखिल किया है। परन्तु विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में कोई शपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया है।
अभिलेख का अवलोकन किया, जिससे प्रतीत होता है कि परिवादीगण को फ्लैट नम्बर 3002-PD2-H/11/06 विपक्षी से बुक कराया था। परिवादीगण के अनुसार उसने कुल 13,87,424.00 रूपया विभिन्न तिथियों को जमा किया है। विपक्षी समझौते के अनुसार 36 माह में फ्लैट का निर्माण कराकर दाखिल कब्जा उनको नहीं दिया। परिवादीगण विपक्षी से जमा धनराशि ब्याज सहित वापस लेना चाहता है। विपक्षी के अनुसार उसने समय से नक्शा पास नहीं होने के कारण निर्माण कार्य समय से नहीं कर सका था। परन्तु यह सत्य है कि विपक्षी ने एग्रीमेंट के अनुसार परिवादीगण को फ्लैट का दाखिल कब्जा नहीं दिया क्योंकि फ्लैट का निर्माण हुआ ही नहीं था। ऐसी परिस्थिति में परिवादीगण का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवादीगण का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि वह परिवादीगण द्वारा जमा की गयी धनराशि मुबलिग 13,87,424.00 (तेरह लाख सत्तासी हजार चार सौ चौबीस रूपया मात्र) मय 14% वार्षिक ब्याज की दर से 45 दिन के अन्दर भुगतान करेंगे। ब्याज की राशि की गणना वाद दायर करने की तिथि से की जायेगी। परिवादीगण को हुए मानसिक एवं शारीरिक कष्ट के लिये मुबलिग 20,000.00 (बीस हजार रूपया मात्र) तथा वाद व्यय के लिये मुबलिग 10,000.00 (दस हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगें। यदि आदेश का पालन निर्धारित अवधि में नहीं किया जाता है, तो उपरोक्त सम्पूर्ण राशि पर 18% वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
(अशोक कुमार सिंह) (अरविन्द कुमार)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।