Uttar Pradesh

StateCommission

C/2013/16

Manoj Kumar Tulsyan - Complainant(s)

Versus

Ansal Properties - Opp.Party(s)

Vikas Agarwal

05 Dec 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2013/16
( Date of Filing : 11 Feb 2013 )
 
1. Manoj Kumar Tulsyan
a
...........Complainant(s)
Versus
1. Ansal Properties
a
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 05 Dec 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

परिवाद संख्‍या-16/2013

मनोज कुमार तुलसयान पुत्र श्री नाथ मल तुलसयान बनाम अंसल प्रोपर्टीज एण्‍ड इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर लि0

 

समक्ष:-                                                   

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

दिनांक:  05.12.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.    यह परिवाद, विपक्षी भवन निर्माता कंपनी के विरूद्ध यूनिट सं0-3631 का आवंटन पत्र प्राप्‍त करने के लिए, जमा राशि पर 18 प्रतिशत की दर से ब्‍याज प्राप्‍त करने के लिए, कब्‍जा प्राप्‍त करने तक अतिरिक्‍त धन की मांग न करने के लिए और मानसिक प्रताड़ना की मद में तथा सेवा में कमी की मद में अंकन 25,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने के लिए प्रस्‍तुत किया गया है साथ ही परिवाद व्‍यय के रूप में अंकन 50,000/-रू0 की राशि की भी मांग की गई है।

2.    परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी द्वारा दिनांक 18.5.2012 को अंकन 1,40,000/-रू0 एक फ्लैट प्राप्‍त करने के लिए जमा किए गए, इसके पश्‍चात दिनांक 1.10.2012 को अंकन 1,90,408/-रू0 जमा किए गए। इस प्रकार परिवादी द्वारा कुल 3,30,408/-रू0 जमा किए गए, परन्‍तु विपक्षी द्वारा आवंटन पत्र जारी किए बिना अवैध रूप से अंकन 4,95,612/-रू0 की मांग की गई और अदा न करने पर आवंटन निरस्‍त करने का कथन किया गया।

3.    विपक्षी द्वारा यह कथन किया गया कि परिवादी एक इन्‍वेस्‍टर है और लाभ कमाने के लिए यह धन परिवादी द्वारा दिया गया है। सम्‍पूर्ण लिखित  कथन  में  परिवादी  से प्राप्‍त राशि से इंकार नहीं किया गया है।

 

-2-

परिवादी ने स्‍वेच्‍छा से करार पर हस्‍ताक्षर किए हैं, परन्‍तु आवंटन पत्र जारी करने या निर्मित यूनिट का कब्‍जा प्रदान करने की स्थिति में होने का कोई उल्‍लेख सम्‍पूर्ण लिखित कथन में नहीं किया गया है।

4.    परिवादी के विद्वान अधिक्‍ता श्री विकास अग्रवाल की सहायक अधिवक्‍ता सुश्री पलक सहाय गुप्‍ता तथा विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आसिफ अनीस को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का अवलोकन किया गया।

5.    परिवादी द्वारा शपथ पत्र के साथ धनराशि जमा करने की रसीदें प्रस्‍तुत की गई हैं तथा शपथ पत्र में धनराशि जमा करने का उल्‍लेख किया गया है, इस राशि की जमा से कोई इंकार नहीं किया गया है। अत: यह तथ्‍य स्‍थापित है कि परिवादी द्वारा उपरोक्‍त वर्णित धनराशि जमा की गई है, परन्‍तु परिवादी के पक्ष में कोई आवंटन पत्र जारी नहीं किया गया है। बहस के दौरान यह भी ज्ञात हुआ कि मौके पर इस योजना के अंतर्गत कोई भवन निर्मित ही नहीं किया गया है। अत: विपक्षी द्वारा निश्चित रूप से परिवादी के प्रति सेवा में कमी की गई है और परिवादी का धन यूनिट की उपलब्‍धता न होने के बावजूद वसूल किया गया और उसका अपने लिए उपयोग किया गया। परिवादी द्वारा वर्ष 2012 में धनराशि जमा की गई है और आज तक परिवादी को कोई भवन प्राप्‍त नहीं हुआ है और न ही कोई आवंटन पत्र प्राप्‍त हुआ है और कब्‍जा देने का तो अवसर ही नहीं उठता। इस प्रकार परिवादी ने जो राशि जमा की है, उसका भी पिछले 12 वर्षों से विपक्षी द्वारा उपयोग किया जा रहा है तब से अब तक भवन के मूल्‍य में अत्‍यधिक बढ़ोत्‍तरी हो चुकी है, जिसके कारण परिवादी को निश्चित रूप से मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक प्रताड़ना कारित हुई है। चूंकि मौके पर भवन निर्माण की कोई स्थिति मौजूद नहीं है। अत: इस स्थिति में विपक्षी के  विरूद्ध  यह परिवाद इस प्रकार स्‍वीकार होने योग्‍य है कि विपक्षी द्वारा

 

-3-

परिवादी से जमा राशि पर जमा करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 12 प्रतिशत की दर से ब्‍याज अदा किया जाए। यह भुगतान तीन माह की अवधि के अंदर किया जाए। तीन माह के अंदर भुगतान न करने पर ब्‍याज की गणना 18 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्‍याज की दर से की जाएगी। इसी प्रकार मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 5,00,000/-रू0 तथा परिवाद व्‍यय के रूप में अंकन 50,000/-रू0 अदा किए जाए।

आदेश

6.    प्रस्‍तुत परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी द्वारा जमा राशि जमा करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्‍याज की दर के साथ अदा की जाए। यह भुगतान तीन माह की अवधि के अंदर किया जाए। तीन माह के अंदर भुगतान न करने पर ब्‍याज की गणना 18 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्‍याज की दर से की जाएगी। मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 5,00,000/-रू0 तथा परिवाद व्‍यय के रूप में अंकन 50,000/-रू0 अदा किए जाए। मानसिक प्रताड़ना तथा परिवाद व्‍यय की मद में देय राशि पर कोई ब्‍याज देय नहीं होगा।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                        (सुशील कुमार)

  सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-2

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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