Rajasthan

Ajmer

CC/24/2015

GAJENDRA SWAROOP - Complainant(s)

Versus

ANSAL PROPERTIES. - Opp.Party(s)

ADV. VINOD VERMA

31 Mar 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/24/2015
 
1. GAJENDRA SWAROOP
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. ANSAL PROPERTIES.
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

 

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

श्री गजेन्द्र  स्परूप व्यास पुत्र श्री गोविन्द स्वरूप व्यास, जाति-ब्राह्मण, निवासी- 16/24, व्यास कुटीर, कृष्णा चैक, तोपदडा, अजमेर ।                   


                                                   -       प्रार्थी

                            बनाम

1.    अंसल प्रोपर्टीस एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, 115, अंसल भवन, 16 कस्तूरबा गांधी मार्ग, नई दिल्ली- 110001
2.    बजाज केपिटल, अजमेर टाॅवर, कचहरी रोड, अजमेर । 

                                               -      अप्रार्थीगण 
                 परिवाद संख्या 24/2015
   
                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री विनोद वर्मा, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री सूर्यप्रकाष गांधी, अधिवक्ता अप्रार्थी सं.1 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 31.03.2016
 
1.           प्रार्थी ( जो  इस परिवाद में आगे चलकर उपभोक्ता कहलाएगा) ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम , 1986 की धारा 12 के अन्तर्गत अप्रार्थी संख्या 1 व 2 के विरूद्व संक्षेप में इस आषय का पेष किया है कि  अप्रार्थी संख्या 1  बैंकिग, जमा एवं फाईनेंस आदि के कार्य के लिए अप्रार्थी संख्या 2 को  अधिकृत कर रखा है  । इसी क्रम में  उसने अप्रार्थी संख्या 2 के जरिए  अप्रार्थी संख्या 1 के यहां दिनांक 24.7.2013 को रू. 1,00,000/- रसीद संख्या 92758  के  एक वर्ष के लिए  फिक्स डिपोजिट करवाई । उक्त एफडी दिनंाक 23.7.2014 को परिपक्व होकर राषि रू. 1,12,684/- का भुगतान प्राप्त होना था ।  समयावधि पूर्ण होने पर उसने अप्रार्थी संख्या 1 के निर्देषानुसार  अप्रार्थी संख्या 2 के यहां मूल एफडीआर दिनांक 20.6.2014 को जमा करवा दी ।  तदोपरान्त अप्रार्थी संख्या 1 ने  दो दिवस में परिपक्वता राषि उसके खाते में जमा कराने का आष्वासन दिया । किन्तु  बावजूद पत्राचार दिनांक 5.8.2014 व नोटिस दिनांक 8.8.2014 केे राषि का भुगतान नहीं किया ।  जिसके कारण उपभोक्ता उसके द्वारा जमा कराई जाने वालीी  बीमा की राषि का भुगतान नियत तिथि  16.10.2014 व 26.10.2014 को नहीं कर पाया । इस प्रकार अप्रार्थीगण ने राषि का भुगतान नहीं कर सेवा  में कमी की है । उपभोक्ता ने परिवाद पेष कर  उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । 
2.    अप्रार्थी संख्या 1 ने जवाब प्रस्तुत कर  उत्तरदाता द्वारा प्रोपर्टीज, इन्फास्ट्रक्चर व फाईनेंस आदि का कार्य करने को स्वीकार करते हुए जवाब परिवाद में आगे दर्षाया है कि  उपभोक्ता द्वारा 24.7.2013 को जमा कराई गई राषि रू. 1,00,000/- का भुगतान,जो दिनंाक 23.7.2014 को राषि रू. 1,12,684/- का किया जाना था , वह भुगतान उत्तरदता  ने कम्पनी  लाॅ बोर्ड, नई दिल्ली में रिपेमेन्ट आॅफ डिपोजिट बाबत् एक वाद प्रस्तुत किया था और लाॅ बोर्ड द्वारा दिए गए आदेष दिनांक 4.12.2014 के अनुसार  प्रार्थी को परिपक्वता राषि रू. 1,12,684/- का भुगतान  अदायगी की दिनांक तक मय ब्याज  राषि रू. 1,19,272/- जरिए चैक संख्या 10024 दिनांक 12.2.2015 के किया जा चुका है । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं रहीं है अन्त में परिवाद सव्यय  निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है । 
3.    अप्रार्थी संख्या 2  बावजूद नोटिस तामील न तो मंच में उपस्थित हुआ और ना ही परिवाद का कोई जवाब ही पेष किया । अतः अप्रार्थी  संख्या 2 के विरूद्व दिनांक 23.2.2015  को एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लाई गई । 
4.       उपभोक्ता के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि उसने अप्रार्थी संख्या 1 के यहां  दिनांक 24.7.2013 को एक वर्ष के लिए रू. 1 लाख की फिक्स डिपोजिट करवाई । किन्तु अप्रार्थी संख्या 1 नेे परिपक्वता राषि  परिपक्वता दिनांक  23.7.2014 को समय पर अदा नहीं कर सेवा दोष किया है । तथा उसे अपनी राषि के उपयोग उपभोग से वंचित रहना पडा । वह अपनी बीमा किष्त  जो उसे उक्त राषि के प्राप्त होने पर जमा करानी पडी थी, वह भी समय पर जमा नहीं करवा पाया  ।   
5.    इसके विपरीत अप्रार्थी संख्या 1 के विद्वान अधिवक्ता का तर्क रहा है कि  उसने कम्पनी लाॅ बोर्ड, नई दिल्ली में रि-पेमेन्ट आफ डिपेाजिट बाबत् वाद प्रस्तुत कर रखा था  और उक्त बोर्ड ने दिनांक 4.12.2012 को आदेष पारित किया और उक्त आदेष के अनुसार अप्रार्थी ने प्रार्थी को एफडीआर संख्या 92758 की परिपक्वता राषि रू. ,12,684/- का अदायगी ब्याज सहित राषि रू. 1,19,272/- का भुगतान  दिनांक 12.2.2015 को कर दिया है और जो भुगतान करने में देरी हुई है वह  न्यायिक प्रक्रिया की पालना में हुई है । उपभोक्ता को कोई मानसिक संताप नहीं हुआ है । 
6.    हमने उभय पक्ष के परस्पर तर्क सुने तथा पत्रावली का अनुषीलन किया ।

7.     परस्पर तर्क व पक्षकारों के अभिवचनों से उपभोक्ता का अप्रार्थी संख्या 2 के जरिए अप्रार्थी संख्या 1 के यहां रू. 1,00,000/- जरिए  एफडी जमा करवाना, दिनांक 20.6.2014 को  मूल एफडी जमा करवाना, दिनांक 12.2.2015 को  राषि रू. 1,19,272/-  मय ब्याज  के  प्राप्त करना  सिद्व है ।  अब मात्र विवाद का बिन्दु यह है कि  क्या अप्रार्थी संख्या 1 ने  उपभोक्ता को  तय सीमा के बाद  एफडी की परिपक्वता राषि रू. 1,12,684/-   का भुगतान किया है ?

8.    जहां तक अप्रार्थी संख्या 1 का यह तर्क है कि उसने कम्पनी लाॅ बोर्ड, नई दिल्ली में रि-पेमेन्ट आफ डिपेाजिट के संबंध में वाद प्रस्तुत किया था और उक्त बोर्ड द्वारा आदेष पारित किए जाने पर उसने  उपभोक्ता को ब्याज सहित राषि का भुगतान कर दिया ,  हम अप्रार्थी संख्या 1 के इस तर्क से सहमत नहीं  है । हमारी राय में अप्रार्थी संख्या 1 ने  उपभोक्ता को परिपक्वता राषि का  नियत समय पर भुगतान नहीं कर सेवा दोष किया है ।  उपभोक्ता अपनी जमाषुदा राषि का तय सीमा तक एफडी में निवेष कर परिपक्वता राषि के प्राप्त होने पर  इसको अपनी इच्छानुसार खर्च करने  से वंचित रहा है व इस हेतु उसका  कोई दोष भी नहीं रहा है । अपितु  अप्रार्थी संख्या 1 ने तय सीमा के पष्चात्  भुगतान करने में,  जो कम्पनी लाॅ बोर्ड में मामला लम्बित होने का तर्क प्रस्तुत किया है, वह स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है  ।  उपभोक्ता राषि के उपयोग उपभोग से वचित रहा है ऐसी स्थिति में उपभोक्ता को एक समुचित राषि मानसिक संताप के लिए  दिलाया जाना न्यायोचित है । यदि अप्राथी संख्या 1 उपभोक्ता को  नियत समय पर राषि का भुगतान कर देता तो उसे मंच में परिवाद प्रस्तुत नहीं करना पडता ।  जिसमें उपभोक्ता को खर्चा करना पडा , इसलिए उपभोक्ता इस मद  में भी समुचित राषि प्राप्त करने का अधिकारी है । परिणामस्वरूप उपभोक्ता का परिवाद आंषिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है  । अतः आदेष है कि 
                          :ः- आदेष:ः-
 8.              (1)       उपभोक्ता अप्रार्थी संख्या 1 से मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे रू.5000/- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू.2500/- भी प्राप्त करने का  भी अधिकारी होगा । 
             (2)    क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी संख्या 1    उपभोक्ता को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से उपभोक्ता के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।                 
          आदेष दिनांक 31.03.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                
(नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    
           

 
 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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