(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील सं0 :- 1986/2018
(जिला उपभोक्ता आयोग प्रथम, लखनऊ द्वारा परिवाद सं0- 317/2015 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27/09/2018 के विरूद्ध)
Sheela Yada, W/O Sri L.P. Yadav, R/O Oel House, 1, Rana Pratap marg, Near Krishna Medical Center, Lucknow
- Appellant
Versus
Ansal Properties & Infrastructure Ltd., First Floor, Y.M.C.A Campus, 13, Rana Pratap Marg, Lucknow-226001 through it’s Managing Director.
समक्ष
- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
उपस्थिति:
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री आनंद भार्गव
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री मानवेन्द्र प्रताप सिंह
दिनांक:-13.05.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
जिला उपभोक्ता आयोग प्रथम, लखनऊ द्वारा परिवाद सं0- 317/2015, शीला यादव बनाम अंसल प्रापर्टीज एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर लि0 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27/09/2018 के विरूद्ध यह अपील इस आधार पर प्रस्तुत की गयी है कि अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा समय पर किश्त का भुगतान न करने पर 15 प्रतिशत ब्याज देय होता, जबकि जिला उपभोक्ता मंच ने अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा जमा राशि पर केवल 09 प्रतिशत की दर से ब्याज अदा करने का आदेश दिया गया है। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि ब्याज दर 15 प्रतिशत संशोधित की जानी चाहिए।
जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय के अवलोकन से जाहिर होता है कि 02 भागों पर यह आदेश किया गया है कि प्रथम भाग यह है कि परिवादी अंकन 7,00,000/- रूपये प्राप्त कर विक्रय पत्र निष्पादित कर दिया जाये और दूसरा भाग यह है कि प्रथम आदेश की पूर्ति न होने पर 09 प्रतिशत ब्याज के साथ अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा जमा राशि 60 दिन के अंदर लौटायी जाये। दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण इस बिन्दु पर सहमत हैं कि आदेश के प्रथम भाग की पूर्ति नहीं हो सकती क्योंकि आवंटित करने के लिए कोई भवन प्रत्यर्थी/विपक्षी के पास नहीं है। केवल अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा जमा की गयी राशि वापस लौटायी जा सकती है।
प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि चूंकि परिवादिनी द्वारा राशि मई 2013 में जमा करायी गयी। उस समय यदि भवन प्राप्त हो जाता तब भवन का जो मूल्य अदा करना पड़ता अब इसी परिक्षेत्र का भवन विक्रय करने में लगभग 02 गुना राशि अपीलार्थी/परिवादिनी को अदा करनी होगी जो उनके लिए आर्थिक रूप से अत्यधिक भारदायी होगा इसलिए उनके द्वारा जमा राशि पर ब्याज की दर बढ़ायी जानी चाहिए चूंकि भवन प्राप्त करने में अपीलार्थी/परिवादिनी का कोई दोष निर्णय में जाहिर नहीं होता इसलिए प्रत्यर्थी/विपक्षी को 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज अदा करने का आदेश दिया जाना विधिसम्मत है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा जमा राशि पर प्रत्यर्थी/विपक्षी द्वारा 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से जमा करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक ब्याज अदा किया जाये।
अपील में उभय पक्ष वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना)(सुशील कुमार)
संदीप आशु0कोर्ट नं0 2