राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-44/2016
(सुरक्षित)
S.K. RATHORE, son of Late Shri Lalta Prasad Rathore, resident of 20, Hydel Officers Colony, Vivekanandpuri, Lucknow.
....................परिवादी
बनाम
1. ANSAL PROPERTIES AND INFRASTRUTURE LTD
through its VICE PRESIDENT FIRST FLOOR,
YMCA CAMPUS, 13-RANA PRATAP MARG,
LUCKNOW.
2. ANSAL PROPERTIES AND INFRASTRUTURE LTD
through its CHAIRMAN 115, ANSAL BHAWAN, 16
KG MARG, NEW DELHI-110001.
...................विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री नितीश कुमार,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : श्री विकास कुमार वर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 12-12-2017
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवादी एस0के0 राठौर ने यह परिवाद विपक्षीगण अंसल प्रापर्टीज एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर लि0 द्वारा वाइस प्रेसीडेन्ट एवं अंसल प्रापर्टीज एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर लि0 द्वारा चेयरमैन के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
-2-
A. to deliver the possession of the flat to the complainants, finished, ready & complete in all respect as per specifications & with all the services, facilities, internal & external development, for which the complainants has paid or shall pay at the time of possession.
B. to deliver the possession of the flat as on the agreed amount to the complainant within the stipulated time as this HON’BLE COURT may deem fit and proper and shall not raise further demand.
C. to pay the complainant a compensation in the form of compound interest at the rate of 18% per annum against the total amount deposited to the respondent/opposite because of the losses suffered in deficiencies in services of delay in providing the flat to the complainant.
D. to pay a compensation of Rupees 1,00,000 (one lakh) per year for the harassment and mental agony to the complainant.
E. to bear the additional amount due to increase in rates of service tax, stamp duty amount of sale deed due to increase in circle rates and difference of
-3-
amount due to increase in registration fees w.e.f. 19.10.2013.
F. to pay compensation and special damages and litigation cost as this HON’BLE COURT may deem it fit and proper.
G. That any other and further relief in favour of the complainant as the HON’BLE COURT may deem fit and proper in the facts and circumstances of the case.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसने वर्ष 2010 में विपक्षीगण के यहॉं उनकी “Celebrity Meadows” योजना, जो सुशान्त गोल्फ सिटी, सुलतानपुर रोड, लखनऊ में स्थित है, में आवासीय फ्लैट के आवंटन हेतु आवेदन किया। तब विपक्षीगण ने उसे 1295 वर्ग फीट का अपार्टमेंट 1794.50/-रू0 प्रति वर्ग फीट के बेसिक रेट पर बेचने का करार किया। इस प्रकार अपार्टमेंट का कुल मूल्य 23,23,878/-रू0 था।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि एलाटमेंट लेटर जारी करने के पूर्व परिवादी ने विपक्षीगण को 1,21,000/-रू0 बुकिंग एमाउण्ट के रूप में जमा किया और उसके बाद एलाटमेंट लेटर जारी किया गया। भुगतान एलाटमेंट लेटर में अंकित शिड्यूल के अनुसार किया जाना था और तदनुसार परिवादी ने विपक्षीगण द्वारा मांग किए जाने पर सम्पूर्ण
-4-
तय सुदा धनराशि विपक्षीगण को अदा कर दी है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि एलाटमेंट लेटर में यह स्पष्ट उल्लेख है कि परिवादी को कब्जा सम्पूर्ण भुगतान प्राप्त होने पर 36 महीने में दिया जाएगा और विपक्षीगण एलाटमेंट लेटर से बंधे हैं।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि परिवादी को कोई सूचना दिए बिना विपक्षीगण द्वारा डिमाण्ड नोटिस दिनांक 21.02.2015 के द्वारा परिवादी से 99173/-रू0 की मांग यह कहते हुए की गयी कि उसे आवंटित फ्लैट के क्षेत्रफल में परिवर्तन हुआ है। यह डिमाण्ड नोटिस कब्जा अन्तरण की तय सुदा तिथि दिनांक 19.10.2013 के करीब 16 महीने बाद भेजी गयी है, जबकि एलाटमेंट लेटर के अनुसार आवंटित फ्लैट के क्षेत्र में कोई परिवर्तन होने की दशा में पूर्व सूचना आवंटी को दिया जाना आवश्यक है, परन्तु ऐसी कोई सूचना परिवादी को विपक्षीगण ने नहीं दी है। अत: परिवादी ने नोटिस प्राप्त होने के बाद दिनांक 18.04.2015 को विपक्षीगण से यह पूछा कि उसको आवंटित फ्लैट के क्षेत्र में परिवर्तन के सम्बन्ध में पूर्व सूचना क्यों नहीं भेजी गयी। तब विपक्षीगण ने परिवादी को पत्र भेजा, परन्तु वास्तव में फ्लैट में अन्तिम परिवर्तन के सम्बन्ध में कोई सूचना नहीं दी गयी, जबकि परिवादी द्वारा यह सूचना बार-बार मांगी गयी।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि
-5-
विपक्षीगण ने पुन: दिनांक 08.10.2015 को उसे डिमाण्ड नोटिस 213661.48/-रू0 की मांग करते हुए भेजा और यह धमकी दिया कि यदि 15 दिन के अन्दर भुगतान नहीं किया जाता है तो उसका एलाटमेंट निरस्त कर दिया जाएगा।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि दिनांक 08.05.2015 के पत्र के द्वारा उसने विपक्षीगण को याद दिलाया कि 36 महीना पूरे हो चुके हैं फिर भी उसे कब्जा नहीं दिया गया है, जबकि उसने लगभग 20,00,000/-रू0 तय सुदा बेसिक प्राइस 23,23,878/-रू0 के विरूद्ध जमा किया है। परिवाद पत्र के अनुसार उसने दिनांक 19.10.2010 से दिनांक 20.10.2015 तक कुल 21,25,722/-रू0 जमा किए हैं।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि 05 साल बीतने के बाद भी उसे अपना घर नहीं मिला है और उसके द्वारा किया गया सारा प्रयास विफल रहा है। परिवाद पत्र के अनुसार परिवाद हेतु वाद हेतुक दिनांक 08.10.2015 को तब उत्पन्न हुआ जब विपक्षीगण ने अवशेष किस्त के भुगतान की मांग की और एलाटमेंट निरस्त करने की धमकी दी। अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद प्रस्तुत किया है।
विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है, जिसमें कहा गया है कि परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत ग्राह्य नहीं है और परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-2 (1) (डी) के अन्तर्गत उपभोक्ता नहीं
-6-
है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि परिवादी ने रियल स्टेट बिजनेस में लाभ पाने के उद्देश्य से धन लगाया है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि परिवादी ने विपक्षीगण की यूनिट नं0 3014-O-L/04/04 “Celebrity Meadows” सुशान्त गोल्फ सिटी हाई टेक टाउनशिप सुलतानपुर रोड लखनऊ में 2 बी0एच0के0 का फ्लैट बुक किया और दिनांक 19.10.2010 को बिल्डर बायर एग्रीमेंट निष्पादित किया गया।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि उनकी प्रश्नगत योजना सरकार द्वारा नियंत्रित थी और इस कारण घोषित कार्यक्रम के अनुसार इसे पूरा नहीं किया जा सका है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि बायर एग्रीमेंट के क्लाज 12 में प्राविधान है कि कम्पनी द्वारा सामान्य परिस्थितियों में घोषित नक्शे के अनुसार “Celebrity Meadows” का निर्माण कार्य कराया जाएगा, परन्तु उसमें परिवर्तन या संशोधन सक्षम अधिकारी के निर्देश पर किया जा सकता है और ऐसी स्थिति में संशोधित क्षेत्र के सम्बन्ध में मांग प्रति वर्ग मीटर/प्रति वर्ग फीट की तय सुदा मूल्य के अनुसार की जाएगी।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि
-7-
यदि किसी कारण वश विपक्षीगण की कम्पनी निवेदित सम्पत्ति एलाट करने में असमर्थ होती है तो ऐसी स्थिति में विकल्प के रूप में दूसरी सम्पत्ति देने पर विचार किया जा सकता है या जमा धनराशि 10 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस की जा सकती है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि विपक्षीगण 36 महीने के अन्दर पेमेंट प्लान के अनुसार पूर्ण भुगतान होने पर आवंटियों को कब्जा प्रदान करने का प्रयत्न करेंगे और विक्रय पत्र निष्पादित करेंगे। करार पत्र के अनुसार निर्माण कार्य पूरा होने पर आवंटी को नोटिस जारी की जाएगी और आवंटी द्वारा सम्पूर्ण धनराशि का भुगतान किए जाने पर ही उसे वास्तविक कब्जा दिया जाएगा।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया है कि उपरोक्त 36 महीने की निर्धारित अवधि को Force Majeure के कारण बढ़ाया जा सकता है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि निर्माण स्थल को काफी हद तक विकसित किया जा चुका है। परिवादी को आवंटित अपार्टमेंट के निर्माण में विलम्ब ऐसे कारण से हुआ है, जो विपक्षीगण के नियंत्रण में नहीं है और ऐसी स्थिति में विपक्षीगण कोई क्षतिपूर्ति देने हेतु उत्तरदायी नहीं हैं। ऐसी स्थिति में विपक्षीगण मात्र आवंटी द्वारा जमा धनराशि ही बिना ब्याज के वापस करने हेतु उत्तरदायी हैं।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि
-8-
परिवादी को आवंटित फ्लैट के क्षेत्र में जो परिवर्तन हुआ है वह नियमानुसार अपार्टमेंट में आवश्यक सुविधायें उपलब्ध कराने के कारण हुआ है। अभी सक्षम अधिकारियों से नक्शा स्वीकृत होना बाकी है। सक्षम अधिकारी द्वारा नक्शा स्वीकृत किए जाने पर उसे आवंटी को उपलब्ध करा दिया जाएगा।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है।
परिवादी एस0के0 राठौर की ओर से परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में अपना शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है और विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन के समर्थन में श्री नन्द किशोर, मैनेजर (लीगल) का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
परिवादी ने परिवाद पत्र के साथ संलग्नक-1 फ्लैट बायर एग्रीमेन्ट मय एलाटमेंट लेटर की प्रति, संलग्नक-2 परिवादी द्वारा विपक्षी को प्रेषित पत्र दिनांक 18.04.2015 व विपक्षी द्वारा परिवादी को प्रेषित पत्र दिनांक 04.05.2015 की प्रति, संलग्नक-3 विपक्षी द्वारा परिवादी को प्रेषित पत्र दिनांक 21.02.2015 की प्रति, संलग्नक-4 विपक्षी द्वारा परिवादी को प्रेषित पत्र दिनांक 02.04.2015 की प्रति, संलग्नक-5 विपक्षी द्वारा परिवादी को प्रेषित पत्र दिनांक 08.10.2015 की प्रति, संलग्नक-6 परिवादी द्वारा विपक्षी को प्रेषित पत्र दिनांक 08.05.2015 की प्रति और संलग्नक-7 पंजाब नेशनल बैंक द्वारा परिवादी को हाउसिंग लोन के सम्बन्ध में प्रेषित पत्र दिनांक 30.12.2013 की प्रति प्रस्तुत किया है।
-9-
परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री नितीश कुमार और विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री विकास कुमार वर्मा उपस्थित आए हैं।
मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
विपक्षीगण की ओर से श्री नन्द किशोर, मैनेजर लीगल का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है, जिसके पैरा-22 में परिवाद पत्र के साथ प्रस्तुत अभिलेखों को स्वीकार किया गया है। विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत लिखित कथन व शपथ पत्र में परिवादी को प्रश्नगत फ्लैट का आवंटन एवं परिवादी द्वारा कथित भुगतान अविवादित है।
बायर एग्रीमेन्ट दिनांक 19.10.2010 को निष्पादित किया जाना विपक्षीगण की ओर से श्री नन्द किशोर, लीगल मैनेजर द्वारा प्रस्तुत शपथ पत्र के पैरा-7 में स्वीकार किया गया है और यह भी स्वीकार किया गया है कि भुगतान Construction Linked Interest Free Installment Plan के अन्तर्गत होना था। विपक्षीगण के लिखित कथन एवं उसकी ओर से प्रस्तुत शपथ पत्र से भी यह स्पष्ट है कि परिवादी के प्रश्नगत फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा होना बाकी है। नक्शा स्वीकृत होना भी बाकी है तथा प्रश्नगत फ्लैट कब्जा अन्तरण हेतु अभी तैयार नहीं है।
बायर एग्रीमेन्ट की धारा-13 में उल्लेख है कि बिल्डिंग प्लान का सैंक्शन सक्षम अधिकारी से होने के 36 महीने के अन्दर कब्जा
-10-
देने का प्रयास सम्पूर्ण भुगतान होने की दशा में विपक्षी कम्पनी करेगी, परन्तु Force Majeure की दशा में यह शर्त लागू नहीं होगी। निर्माण कार्य में इतना विलम्ब क्यों हुआ इसका कोई स्पष्ट कारण विपक्षीगण ने नहीं बताया है। विलम्ब का कारण कुछ हो पर इतना स्पष्ट है कि परिवादी को फ्लैट वर्ष 2010 में आवंटित किया गया है और परिवादी ने पेमेन्ट प्लान के अनुसार भुगतान किया है फिर भी अब तक उसे कब्जा नहीं मिला है। निश्चित रूप से विपक्षीगण द्वारा अपनायी गयी कार्य प्रणाली अनुचित व्यापार पद्धति है।
बायर एग्रीमेन्ट के पैरा-12 के अनुसार परिवादी के फ्लैट के क्षेत्रफल में परिवर्तन पर विपक्षीगण को अतिरिक्त क्षेत्रफल का मूल्य परिवादी से मूल रूप से तय मूल्य पर पाने का अधिकार है। अत: विपक्षीगण ने जो बढ़े क्षेत्रफल के लिए अतिरिक्त प्रतिफल की मांग की है वह बायर एग्रीमेन्ट के अनुसार है। इसे अनुचित व्यापार पद्धति या सेवा में त्रुटि नहीं कहा जा सकता है, परन्तु इतना अवश्य कहा जा सकता है कि इस अतिरिक्त क्षेत्रफल के प्रतिफल की मांग कब्जा अन्तरण के समय की जा सकती है और कब्जा अन्तरण की नोटिस तक इस धनराशि पर कोई ब्याज देय नहीं होगा।
उभय पक्ष के अभिकथन एवं उनकी ओर से प्रस्तुत शपथ पत्रों पर विचार करने के उपरान्त उपरोक्त विवेचना के आधार पर यह स्पष्ट है कि परिवादी के प्रश्नगत फ्लैट के आवंटन के
-11-
सम्बन्ध में विपक्षीगण ने अनुचित व्यापार पद्धति अपनायी है और तयसुदा समय में निर्माण कार्य पूरा नहीं किया है तथा अपने वादे को निभाया नहीं है। अत: परिवादी द्वारा याचित अनुतोष को दृष्टिगत रखते हुए विपक्षीगण को यह आदेशित किया जाना उचित है कि वे इस निर्णय की तिथि से तीन मास के अन्दर परिवादी के फ्लैट का निर्माण कार्य पूर्ण कर उसे फ्लैट का कब्जा अवशेष धनराशि प्राप्त कर अन्तरित करें तथा आवश्यक विलेख निष्पादित करें और यदि इस अवधि में फ्लैट का निर्माण कार्य पूर्ण कर कब्जा परिवादी को देने में वे असफल रहते हैं तो इस अवधि की समाप्ति की तिथि के बाद की तिथि से वे परिवादी को उसकी जमा धनराशि पर 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से कब्जा हस्तगत करने की तिथि तक ब्याज दें और उसके बाद एक साल के अन्दर फ्लैट का निर्माण कर कब्जा परिवादी को न देने पर ब्याज दर 15 प्रतिशत वार्षिक किया जाना उचित है। परिवादी को दस हजार रूपया वाद व्यय दिया जाना भी उचित है।
सम्पूर्ण तथ्यों व परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्त परिवादी द्वारा याचित अन्य अनुतोष प्रदान करने हेतु उचित आधार नहीं प्रतीत होता है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी के फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा कर परिवादी से
-12-
अवशेष धनराशि प्राप्त कर उसे फ्लैट का कब्जा इस निर्णय की तिथि से तीन मास के अन्दर हस्तगत करें तथा आवश्यक विलेख निष्पादित करें और यदि इस अवधि में फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा कर फ्लैट का कब्जा परिवादी को देने में वे असफल रहते हैं तो यह अवधि समाप्त होने की तिथि के बाद की तिथि से वे परिवादी को उसकी जमा धनराशि पर 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज कब्जा हस्तगत करने की तिथि तक दें। उसके बाद यदि एक साल के अन्दर वे फ्लैट का कब्जा परिवादी को देने में असफल रहते हैं तो एक साल की अवधि पूरी होने के बाद वे परिवादी को जमा धनराशि पर 15 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज कब्जा हस्तगत करने की तिथि तक देंगे।
विपक्षीगण, परिवादी को 10,000/-रू0 वाद व्यय भी अदा करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1