राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-37/2016
(सुरक्षित)
1. Anil Sharma, aged about 54 years son of late Shri H.C. Sharma,
2. Smt. Sudha Sharma, aged about 51 years, wife of Shri Anil Sharma,
both residents of Villa no.D/3/0067, Larchwood, Sector-D, Pocket-3, Sushant Golf City, Sultanpur Road, Lucknow-229010 (U.P.).
....................परिवादीगण
बनाम
1. M/s Ansal Properties and Infrastructure Ltd. (a Company incorporated under the Companies Act, 1956) having its registered office at 115, Ansal Bhawan, 16, Kasturba Gandhi Marg, New Delhi-110001 through its Chairman/Managing Director.
2. Chairman, M/s Ansal Properties and Infrastructure Ltd. having its registered office at 115, Ansal Bhawan, 16, Kasturba Gandhi Marg, New Delhi-110001.
3. Executive Director, M/s Ansal Properties and Infrastructure Ltd., YMCA Campus, 13, Rana Pratap Marg, Lucknow-226001 (U.P.).
...................विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
परिवादीगण की ओर से उपस्थित : श्री मधुसूदन श्रीवास्तव,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 30-01-2020
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह परिवाद परिवादीगण श्री अनिल शर्मा और श्रीमती सुधा
-2-
शर्मा ने धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत विपक्षीगण (1) मै0 अंसल प्रापर्टीज एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर लि0 द्वारा चेयरमैन/मैनेजिंग डायरेक्टर नई दिल्ली, (2) चेयरमैन, मै0 अंसल प्रापर्टीज एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर लि0 नई दिल्ली और (3) एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर, मै0 अंसल प्रापर्टीज एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर लि0, लखनऊ के विरूद्ध राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
(A) Compensation to the tune of Rs.48,00,000/- (Rupees Forty Eight Lac only) under the following heads:
i) Monetary loss till date : Rs.30,00,000/- (Rupees
Thirty Lac only)
ii) Mental Agony : Rs.16,00,000/- (Rupees
Sixteen Lac only)
iii) Legal Expenses : Rs.2,00,000/- (Rupees Two
Lac only)
(B) cost of the litigation may be granted in favour of the complainants and against the respondents.
(C) pass any other order or direction which this Hon’ble Court may deem just and proper in the facts and circumstances of the case.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि उन्होंने
-3-
विपक्षीगण की योजना Larchwood, जो सेक्टर-डी, पाकेट-3, सुशान्त गोल्फ सिटी, सुलतानपुर रोड, लखनऊ में स्थित है, में हाउस/विला नं0 डी/3/0067 बुक किया, जिसका क्षेत्रफल 20 मी0 x 10 मी0 है। बुकिंग के समय ही विपक्षीगण और परिवादीगण के बीच करार दिनांक 20.10.2007 को निष्पादित किया गया, जिसके अनुसार विपक्षीगण ने परिवादीगण को प्रीफरेंशियल लोकेशन की प्रापर्टी 145/-रू0 प्रति वर्ग गज की दर से प्रीफरेंशियल चार्ज पर आफर किया, जिसे परिवादीगण ने स्वीकार किया और उक्त भवन/विला के मूल्य के अतिरिक्त 34,600/-रू0 प्रीफरेंशियल लोकेशन चार्ज दिया। प्रीफरेंशियल चार्ज देकर उन्होंने पार्क फेसिंग विला बुक किया और बाद में दिनांक 09.03.2010 को सम्पूर्ण प्रतिफल धनराशि 28,09,687.50/-रू0 का भुगतान करने पर उनके पक्ष में विक्रय पत्र निष्पादित किया गया और पंजीकृत कराया गया। विक्रय पत्र निष्पादन के बाद परिवादीगण अपने उपरोक्त भवन, जो पार्क फेसिंग था, में आवास करने लगे। उनके इस भवन के सामने 09 मीटर चौड़ी सड़क उत्तर दिशा में थी और उसके ठीक बाद खुला हुआ पार्क था, जिसमें कोई घेरा या बाउण्ड्री वाल नहीं थी। पार्क और उसकी हरियाली परिवादीगण को सामने दिखायी देती थी। शाम को बच्चे पार्क में खेलते थे और सुबह को बड़े बूढ़े टहलते थे। इस बीच दिनांक 16.01.2011 को विपक्षीगण ने पार्क में खुदाई कराना शुरू किया और बड़ा इलैक्ट्रिकल पैनल/ट्रांसफार्मर लगाने हेतु प्लेटफार्म तैयार करने लगे,
-4-
जिसके सम्बन्ध में डायरेक्टर, स्टार फैसिलिटीज मैनेजमेन्ट लिमिटेड, सी-2/161, सुशान्त गोल्फ सिटी, लखनऊ को पत्र दिनांक 17.01.2011 के द्वारा सूचित किया गया और स्थल का निरीक्षण कर पैनल/ट्रांसफार्मर को अन्तरित करने का निवेदन किया गया। उसके बाद पार्क में खुदाई स्थगित कर दी गयी, परन्तु दिनांक 05.06.2014 को पुन: विपक्षीगण की इलैक्ट्रिकल टीम आयी और पार्क में नाप जोख व खुदाई इलैक्ट्रिल पैनल/ट्रांसफार्मर लगाने हेतु शुरू की। परिवादीगण की शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया। तब परिवादीगण ने दिनांक 01.11.2014 को अपने विद्वान अधिवक्ता श्री अजय विक्रम सिंह के द्वारा विपक्षीगण को नोटिस दिया।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि विपक्षीगण ने पार्क में एक बड़ा पैनल/ट्रांसफार्मर दिनांक 15.10.2014 को परिवादीगण के मकान के मेन गेट के सामने लगा दिया है। परिवादीगण ने विपक्षीगण को नोटिस भेजा और उन्हें सूचित किया कि पार्क में पैनल/ट्रांसफार्मर लगाने से उनका पार्क व्यू समाप्त हो गया है, परन्तु उन्होंने कोई सुनवाई नहीं की। तब परिवादी संख्या-1 ने सूचना के अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत डायरेक्टरेट आफ इलैक्ट्रिकल सेफ्टी, विभूति खण्ड-2, गोमती नगर, लखनऊ से सूचना मांगी कि क्या कोई आदेश या अनुमति प्रश्नगत इलैक्ट्रिकल पैनल लगाने हेतु जारी की गयी है तो दिनांक 25.02.2015 को परिवादी संख्या-1 को सूचना पत्र प्राप्त
-5-
हुआ, जिसमें अनुमति पत्र दिनांक 09.12.2014 संलग्न था।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि जो इलैक्ट्रिकल पैनल/ट्रांसफार्मर उपरोक्त पार्क में लगाया गया है वह 630 के0वी0 कैपेसिटी का है और 11000 वोल्ट की हाईटेंशन लाईन से जुड़ा है, जिससे बरसात के महीनों में बच्चे और बूढ़े जो पार्क में जाते हैं उनकी सुरक्षा खतरे में है। परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षीगण ने जब भवन की बिक्री का आफर किया था तो उसमें सुशान्त गोल्फ सिटी के अन्दर पार्क में ऐसा इलैक्ट्रिकल पैनल/ट्रांसफार्मर लगाया जाना नहीं दिखाया था। अत: ऐसा प्रतीत होता है कि पैनल/ट्रांसफार्मर की भूमि को बेचकर पार्क में विपक्षीगण ने पैनल/ट्रांसफार्मर लगाया है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि विपक्षीगण ने पार्क व्यू हेतु परिवादीगण से प्रीफरेंशियल चार्ज 34,600/-रू0 प्राप्त किया है फिर भी उन्होंने पार्क में पैनल/ट्रांसफार्मर लगाकर पार्क व्यू को बाधित किया है। ऐसा कर उन्होंने परिवादीगण को छला है, उनकी सेवा में कमी है और उन्होंने अनुचित व्यापार पद्धति अपनाई है। अत: क्षुब्ध होकर परिवादीगण ने परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि उन्होंने विपक्षीगण के विरूद्ध व्यवहार न्यायालय में दिनांक 28.01.2015 को व्यवहार वाद संख्या-163/2015 अनिल शर्मा व एक अन्य
-6-
बनाम मै0 अंसल प्रापर्टीज एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर लि0 आदि उस समय प्रस्तुत किया जब प्रश्नगत इलैक्ट्रिकल पैनल/ट्रांसफार्मर को energized नहीं किया गया था, जो अभी विचाराधीन है।
विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है और कहा गया है कि परिवाद धारा-24ए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 से बाधित है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि परिवादीगण ने व्यवहार वाद विपक्षीगण के विरूद्ध प्रस्तुत किया है और उसी आधार पर यह परिवाद प्रस्तुत किया है। अत: यह परिवाद राज्य आयोग में चलने योग्य नहीं है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि परिवादीगण ने परिवाद गलत कथन के साथ प्रस्तुत किया है। परिवादीगण धारा-2 (1) (डी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत उपभोक्ता नहीं हैं और परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत ग्राह्य नहीं है।
परिवादीगण की ओर से परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में परिवादी संख्या-1 श्री अनिल शर्मा का शपथ पत्र संलग्नकों सहित प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन के समर्थन में श्री नन्द किशोर, मैनेजर (लीगल) का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
परिवादीगण की ओर से लिखित तर्क भी प्रस्तुत किया गया है।
-7-
परिवाद की अन्तिम सुनवाई की तिथि पर परिवादीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री मधुसूदन श्रीवास्तव उपस्थित आये हैं। विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
मैंने परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
मैंने परिवादीगण के लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।
परिवाद पत्र के कथन से स्पष्ट है कि परिवादीगण ने प्रश्नगत पैनल/ट्रांसफार्मर प्रश्नगत पार्क में लगाने के सम्बन्ध में विपक्षीगण के विरूद्ध व्यवहार न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया है, जो अभी विचाराधीन है। परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवादीगण ने व्यवहार वाद पार्क में पैनल/ट्रांसफार्मर लगाने से रोकने हेतु स्थाई निषेधाज्ञा हेतु प्रस्तुत किया है, परन्तु पार्क में विपक्षीगण ने पैनल/ट्रांसफार्मर स्थापित कर दिया है। अत: परिवादीगण ने वर्तमान परिवाद विपक्षीगण की सेवा में कमी हेतु प्रस्तुत किया है। मैंने परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता के तर्क पर विचार किया है।
व्यवहार वाद एवं वर्तमान परिवाद दोनों में निर्णय हेतु विचारणीय बिन्दु एक ही है कि क्या विपक्षीगण द्वारा प्रश्नगत पार्क में पैनल/ट्रांसफार्मर लगाया जाना परिवादीगण को बिक्री किये गये भवन के पार्क व्यू के सुखाधिकार में बाधा उत्पन्न करता है और परिवादीगण के पक्ष में निष्पादित विक्रय पत्र के विरूद्ध है? व्यवहार न्यायालय कथित विधिक अधिकार के हनन हेतु
-8-
परिवादीगण को वर्तमान परिवाद में याचित अनुतोष भी प्रदान करने हेतु सक्षम है। अत: परिवादीगण द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत प्रस्तुत वर्तमान परिवाद ग्राह्य नहीं है। परिवादीगण विधि के अनुसार सम्पूर्ण अनुतोष की मांग व्यवहार वाद में करने हेतु स्वतंत्र हैं।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद परिवादीगण को इस छूट के साथ निरस्त किया जाता है कि वे व्यवहार वाद में विधि के अनुसार वर्तमान परिवाद में याचित अनुतोष की मांग करने हेतु स्वतंत्र हैं।
उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1