राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-146/2016
(सुरक्षित)
Kalpana Mishra aged about 49 years W/o Shri Govind Kumar Mishra Type V-07, ATP Colony, Anpara, Post-Anpara, District- Sonebhadra, U.P.
....................परिवादिनी
बनाम
1. VICE PRESIDENT ANSAL PROPERTIES AND INFRASTRUTURE LTD, First Floor, YMCA Campus, 13-Rana Pratap Marg, Lucknow.
2. ANSAL PROPERTIES AND INFRASTRUTURE LTD, through its Chairman 115, Ansal Bhawan, 16 KG Marg, New Delhi-110001.
...................विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य।
परिवादिनी की ओर से उपस्थित : श्री नितीश कुमार,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : श्री विकास कुमार वर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 04-10-2018
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवादिनी कल्पना मिश्रा ने यह परिवाद विपक्षीगण अंसल प्रापर्टीज एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर लि0 द्वारा वाइस प्रेसीडेन्ट एवं अंसल प्रापर्टीज एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर लि0 द्वारा चेयरमैन के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
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A. To deliver the possession of the flat to the complainant finished, ready & complete in all respects as per specification and do all the services, facilities, internal and external development, for which the complainant have paid or shall pay at the time of possession.
B. To deliver the possession of the flat as on the agreed amount to the complainant within stipulated time as this Hon’ble court may deem fit and proper, and shall not raise any further demand.
C. To pay the complainant a compensation in the form of compound interest @ 18% per annum and against the total amount deposited to the respondent, because of the losses suffered in deficiencies in services of delay in providing the flat to the complainant.
D. To pay a compensation of Rs. 1 lakh per year for the harassment and mental agony to the complainant.
E. To bear additional amount due to increase in the rules of service tax, stamp duty amount of sale deed, due to increase in circle rates and difference of amount due to increase in registration fees with effect
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from 20.10.2013.
F. To pay compensation and special damages and litigation cost as this Hon’ble court may deem fit and proper.
G. That any other and further relief in favour of the complainant as this Hon’ble court may deem fit and proper in the fact and circumstance of the case.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि उसने वर्ष 2010 में विपक्षीगण के यहॉं उनकी “Celebrity Meadows” योजना, जो सुशान्त गोल्फ सिटी, सुलतानपुर रोड, लखनऊ में स्थित है, में आवासीय फ्लैट के आवंटन हेतु आवेदन किया। तब विपक्षीगण ने उसे 1970 वर्ग फीट का अपार्टमेंट 1830.20/-रू0 प्रति वर्ग फीट के बेसिक रेट पर बेचने का करार किया। इस प्रकार अपार्टमेंट का कुल मूल्य 36,05,490/-रू0 था।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि एलाटमेंट लेटर जारी करने के पूर्व परिवादिनी ने विपक्षीगण के यहॉं 1,85,900/-रू0 बुकिंग एमाउण्ट के रूप में जमा किया। उसके बाद एलाटमेंट लेटर जारी किया गया। भुगतान एलाटमेंट लेटर में अंकित शिड्यूल के अनुसार किया जाना था और तदनुसार परिवादिनी ने विपक्षीगण द्वारा मांग किए जाने पर सम्पूर्ण तय सुदा धनराशि विपक्षीगण को अदा कर दी है।
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परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि एलाटमेंट लेटर में यह स्पष्ट उल्लेख है कि परिवादिनी को कब्जा सम्पूर्ण भुगतान प्राप्त होने पर 36 महीने में दिया जाएगा और विपक्षीगण एलाटमेंट लेटर से बंधे हैं।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि परिवादिनी को कोई सूचना दिए बिना विपक्षीगण द्वारा डिमाण्ड नोटिस परिवादिनी को भेजी गयी, जिसके द्वारा 1,75,142/-रू0 की मांग यह कहते हुए की गयी कि उसे आवंटित फ्लैट के क्षेत्रफल में परिवर्तन हुआ है, जबकि एलाटमेंट लेटर के अनुसार आवंटित फ्लैट के क्षेत्र में कोई परिवर्तन होने की दशा में पूर्व सूचना आवंटी को दिया जाना आवश्यक है, परन्तु ऐसी कोई सूचना परिवादिनी को विपक्षीगण ने नहीं दी है। अत: परिवादिनी ने डिमाण्ड नोटिस प्राप्त होने के बाद तुरन्त दिनांक 28.04.2015 को पत्र द्वारा विपक्षीगण से यह पूछा कि उसको आवंटित फ्लैट के क्षेत्र में परिवर्तन के सम्बन्ध में पूर्व सूचना क्यों नहीं भेजी गयी। तब विपक्षीगण ने परिवादिनी को पत्र भेजा, परन्तु फ्लैट में वास्तविक और अन्तिम परिवर्तन के सम्बन्ध में कोई सूचना नहीं दी गयी, जबकि परिवादिनी द्वारा यह सूचना बार-बार मांगी गयी।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि एलाटमेन्ट लेटर के अनुसार 36 महीना के अन्दर सम्पूर्ण बेसिक मूल्य व अन्य चार्जेज अदा करने पर कब्जा दिया जाना था। अत: दिनांक 27.04.2015 के पत्र के द्वारा उसने विपक्षीगण को याद
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दिलाया कि 36 महीना पूरे हो चुके हैं फिर भी उसे कब्जा नहीं दिया गया है। इसके साथ ही उसने पत्र दिनांक 04.06.2015 से विपक्षीगण से दिनांक 19.10.2013 से 10/-रू0 प्रति वर्ग फिट की दर से विलम्ब हेतु क्षतिपूर्ति मांगा।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि उसने दिनांक 27.10.2015 तक कुल 33,34,812/-रू0 का भुगतान विपक्षीगण को किया है, जिसका विवरण परिवाद पत्र की धारा-10 में अंकित है। उसने विपक्षीगण से यह भुगतान करने हेतु भारतीय जीवन बीमा निगम से ऋण लिया है, जिसकी किस्त व ब्याज उसे देना पड़ रहा है फिर भी उसे आवंटित फ्लैट का कब्जा नहीं दिया गया है और विपक्षीगण द्वारा उपरोक्त अतिरिक्त धनराशि की मांग की जा रही है। अत: विवश होकर परिवादिनी ने परिवाद प्रस्तुत किया है।
विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है, जिसमें कहा गया है कि परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत ग्राह्य नहीं है और परिवादिनी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-2 (1) (डी) के अन्तर्गत उपभोक्ता नहीं है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि परिवादिनी ने रियल स्टेट बिजनेस में लाभ पाने के उद्देश्य से धन लगाया है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि
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परिवादिनी ने विपक्षीगण की यूनिट नं0 3010-O-L-01/02 “Celebrity Meadows” सुशान्त गोल्फ सिटी हाई टेक टाउनशिप सुलतानपुर रोड लखनऊ में 3 बी0एच0के0 का फ्लैट बुक किया और उसके बाद परिवादिनी व विपक्षीगण के बीच बिल्डर बायर एग्रीमेंट निष्पादित किया गया।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि उनकी प्रश्नगत योजना सरकार द्वारा नियंत्रित थी और इस कारण घोषित कार्यक्रम के अनुसार इसे पूरा नहीं किया जा सका है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि बायर एग्रीमेंट के अनुसार फ्लैट का क्षेत्रफल Tentative था। कम्पनी द्वारा सामान्य परिस्थितियों में घोषित नक्शे के अनुसार “Celebrity Meadows” का निर्माण कार्य कराया जाना था, परन्तु उसमें परिवर्तन या संशोधन सक्षम अधिकारी के निर्देश पर किया जा सकता है और इस सम्बन्ध में परिवादिनी ने अपनी स्वीकृति प्रदान की है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया है कि एलाटमेन्ट एग्रीमेन्ट के अनुसार बिल्डिंग प्लान के Sanction की तिथि से 36 महीना के अन्दर कब्जा दिया जाना था, परन्तु 36 महीने की निर्धारित यह अवधि Force Majeure के कारण बढ़ायी जा सकती है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है।
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परिवादिनी कल्पना मिश्रा की ओर से परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में अपना शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है और विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन के समर्थन में श्री नन्द किशोर, मैनेजर (लीगल) का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
परिवादिनी ने परिवाद पत्र के साथ संलग्नक-1 फ्लैट बायर एग्रीमेन्ट मय एलाटमेंट लेटर की प्रति, संलग्नक-2 परिवादिनी द्वारा विपक्षी को प्रेषित पत्र दिनांक 27.04.2015, संलग्नक-3 परिवादिनी द्वारा विपक्षी को प्रेषित पत्र दिनांक 28.04.2015 की प्रति, संलग्नक-4 विपक्षी द्वारा परिवादिनी को प्रेषित पत्र दिनांक 04.05.2015 की प्रति, संलग्नक-5 विपक्षी द्वारा परिवादिनी को प्रेषित पत्र दिनांक 05.05.2015 की प्रति, संलग्नक-6 परिवादिनी द्वारा विपक्षी को प्रेषित पत्र दिनांक 04.06.2015 की प्रति और संलग्नक-7 परिवादिनी द्वारा विपक्षी को प्रेषित पत्र दिनांक 04.06.2015 की प्रति प्रस्तुत किया है।
परिवाद का संलग्नक-8 परिवादिनी द्वारा विपक्षी को प्रेषित पत्र दिनांक 30.10.2015 की प्रति और संलग्नक-9 कस्टमर स्टेटमेन्ट की प्रति है।
परिवादिनी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री नितीश कुमार और विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री विकास कुमार वर्मा उपस्थित आए हैं।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
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विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत लिखित कथन व शपथ पत्र में परिवादिनी को प्रश्नगत फ्लैट का आवंटन एवं परिवादिनी द्वारा कथित भुगतान अविवादित है।
बायर एग्रीमेन्ट की धारा-13 में उल्लेख है कि बिल्डिंग प्लान का सैंक्शन सक्षम अधिकारी से होने के 36 महीने के अन्दर कब्जा देने का प्रयास सम्पूर्ण भुगतान होने की दशा में विपक्षी कम्पनी करेगी, परन्तु Force Majeure की दशा में यह शर्त लागू नहीं होगी। निर्माण कार्य में इतना विलम्ब क्यों हुआ इसका कोई स्पष्ट कारण विपक्षीगण ने नहीं बताया है। विलम्ब का कारण कुछ हो पर इतना स्पष्ट है कि परिवादिनी को फ्लैट वर्ष 2011 में आवंटित किया गया है और परिवादिनी ने पेमेन्ट प्लान के अनुसार भुगतान किया है फिर भी अब तक उसे कब्जा नहीं मिला है। निश्चित रूप से विपक्षीगण द्वारा अपनायी गयी कार्य प्रणाली अनुचित व्यापार पद्धति है।
बायर एग्रीमेन्ट के पैरा-12 के अनुसार परिवादिनी के फ्लैट के क्षेत्रफल में परिवर्तन पर विपक्षीगण को अतिरिक्त क्षेत्रफल का मूल्य परिवादिनी से मूल रूप से तय मूल्य पर पाने का अधिकार है। अत: विपक्षीगण ने जो बढ़े क्षेत्रफल के लिए अतिरिक्त प्रतिफल की मांग की है वह बायर एग्रीमेन्ट के अनुसार है। इसे अनुचित व्यापार पद्धति या सेवा में त्रुटि नहीं कहा जा सकता है, परन्तु इतना अवश्य कहा जा सकता है कि इस अतिरिक्त क्षेत्रफल के
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प्रतिफल की मांग कब्जा अन्तरण के समय की जा सकती है और कब्जा अन्तरण की नोटिस तक इस धनराशि पर कोई ब्याज देय नहीं होगा।
उभय पक्ष के अभिकथन एवं उनकी ओर से प्रस्तुत शपथ पत्रों पर विचार करने के उपरान्त उपरोक्त विवेचना के आधार पर यह स्पष्ट है कि परिवादिनी के प्रश्नगत फ्लैट के आवंटन के सम्बन्ध में विपक्षीगण ने अनुचित व्यापार पद्धति अपनायी है और तयसुदा समय में निर्माण कार्य पूरा नहीं किया है तथा अपने वादे को निभाया नहीं है। अत: परिवादिनी द्वारा याचित अनुतोष को दृष्टिगत रखते हुए विपक्षीगण को यह आदेशित किया जाना उचित है कि वे इस निर्णय की तिथि से तीन मास के अन्दर परिवादिनी के फ्लैट का निर्माण कार्य पूर्ण कर उसे फ्लैट का कब्जा अवशेष धनराशि प्राप्त कर अन्तरित करें तथा आवश्यक विलेख निष्पादित करें और यदि इस अवधि में फ्लैट का निर्माण कार्य पूर्ण कर कब्जा परिवादिनी को देने में वे असफल रहते हैं तो इस अवधि की समाप्ति की तिथि के बाद की तिथि से वे परिवादिनी को उसकी जमा धनराशि पर 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से कब्जा हस्तगत करने की तिथि तक ब्याज दें और उसके बाद एक साल के अन्दर फ्लैट का निर्माण कर कब्जा परिवादिनी को न देने पर ब्याज दर 15 प्रतिशत वार्षिक किया जाना उचित है। परिवादिनी को दस हजार रूपया वाद व्यय दिया जाना भी उचित है।
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सम्पूर्ण तथ्यों व परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्त परिवादिनी द्वारा याचित अन्य अनुतोष प्रदान करने हेतु उचित आधार नहीं प्रतीत होता है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादिनी के फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा कर परिवादिनी से अवशेष धनराशि प्राप्त कर उसे फ्लैट का कब्जा इस निर्णय की तिथि से तीन मास के अन्दर हस्तगत करें तथा आवश्यक विलेख निष्पादित करें और यदि इस अवधि में फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा कर फ्लैट का कब्जा परिवादिनी को देने में वे असफल रहते हैं तो यह अवधि समाप्त होने की तिथि के बाद की तिथि से वे परिवादिनी को उसकी जमा धनराशि पर 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज कब्जा हस्तगत करने की तिथि तक दें। उसके बाद यदि एक साल के अन्दर वे फ्लैट का कब्जा परिवादिनी को देने में असफल रहते हैं तो एक साल की अवधि पूरी होने के बाद वे परिवादिनी को जमा धनराशि पर 15 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज कब्जा हस्तगत करने की तिथि तक देंगे।
विपक्षीगण, परिवादिनी को 10,000/-रू0 वाद व्यय भी अदा करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (महेश चन्द)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1