राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-147/2016
(सुरक्षित)
Hanuman Prasad, aged about 54 years, son of Late Ram Dulare, resident of B-33, Anpara Colony, Anpara, District Sonbhadra, U.P.
....................परिवादी
बनाम
1. Vice President, Ansal Properties and Infrastruture Ltd., First Floor, YMCA Campus, 13, Rana Pratap Marg, Lucknow.
2. Ansal Properties and Infrastruture Ltd., through its Chairman, 115, Ansal Bhawan, 16 KG Marg, New Delhi-110001.
...................विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री नितीश कुमार,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : श्री विकास कुमार वर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 04-10-2018
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवादी हनुमान प्रसाद ने यह परिवाद विपक्षीगण अंसल प्रापर्टीज एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर लि0 द्वारा वाइस प्रेसीडेन्ट एवं अंसल प्रापर्टीज एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर लि0 द्वारा चेयरमैन के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
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A. to deliver the possession of the flat to the complainant, finished, ready and complete in all respects as per specifications and did all the services, facilities, internal and external development, for which the complainants have paid or shall pay at the time of possession.
B. to deliver the possession of the flat as on the agreed amount to the complainant within the stipulated time as this Hon’ble Court may deem fit and proper and shall not raise any further demand.
C. to pay the complainant a compensation in the form of compound interest at the rate of 18% per annum and against the total amount deposited to the respondent/opposite party because of the losses suffered in deficiencies in services of delay in providing the flat to the complainant.
D. To pay a compensation of Rs. 1 (one) Lakh per year for the harassment and mental agony to the complainant.
E. to bear additional amount due to increase in the rules of service tax, stamp duty amount of sale deed due to increase in circle rates and difference of
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amount due to increase in registration fees w.e.f.
20.10.2013.
F. To pay compensation and special damages and litigation cost as this Hon’ble Court may deem fit and proper.
G. That any other and further relief in favour of the complainant as the Hon’ble Court may deem fit and proper in the facts and circumstances of the case.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि विपक्षीगण ने अपनी “Celebrity Meadows” योजना, जो सुशान्त गोल्फ सिटी, सुलतानपुर रोड, लखनऊ में स्थित है, में 1970 वर्ग फीट क्षेत्र का फ्लैट श्रीमती विनीता मिश्रा को आवंटित कर 1830.39/-रू0 प्रति वर्ग फीट की दर से 36,05,868/-रू0 मूल्य में बेचने का करार किया और आवन्टी श्रीमती विनीता मिश्रा ने उसे परिवादी को बेच दिया, जिसे विपक्षीगण ने स्वीकार किया। अत: श्रीमती विनीता मिश्रा की जगह परिवादी आवन्टी हो गया है और श्रीमती विनीता मिश्रा द्वारा जमा धनराशि 6,51,101/-रू0 उसके नाम Credit कर दी गयी है। शेष धनराशि का भुगतान परिवादी ने पेमेन्ट प्लान के अनुसार करना स्वीकार किया है और विपक्षीगण से डिमाण्ड नोटिस प्राप्त होने पर भुगतान किया है। उसने दिनांक 25.04.2015 तक 31,35,340/-रू0 का भुगतान किया है, जिसका विवरण परिवाद पत्र की धारा-10 में अंकित है।
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परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि दिनांक 19.10.2013 के पत्र द्वारा विपक्षीगण ने 4,79,035/-रू0 की डिमाण्ड नोटिस भेजा और 15 दिन के अन्दर भुगतान न करने पर आवंटन निरस्त करने को कहा, परन्तु उसके बाद दिनांक 21.02.2015 को 180525.79/-रू0 की अतिरिक्त मांग करते हुए डिमाण्ड नोटिस आवंटित फ्लैट के क्षेत्रफल में परिवर्तन के आधार पर भेजा, जबकि क्षेत्रफल में परिवर्तन की पूर्व सूचना उसे नहीं दिया। परिवादी ने विपक्षीगण को पूर्व सूचना दिए बिना फ्लैट के क्षेत्रफल में परिवर्तन क्यों किया गया के सम्बन्ध में पत्र लिखा, परन्तु कोई जवाब विपक्षीगण ने नहीं दिया।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि एलाटमेन्ट लेटर के अनुसार 36 महीना के अन्दर सम्पूर्ण बेसिक मूल्य व अन्य चार्जेज अदा करने पर कब्जा दिया जाना था, परन्तु विपक्षीगण ने तय समय पर कब्जा नहीं दिया है और 180525.79/-रू0 की अतिरिक्त मांग कर रहे हैं। परिवादी को एल0आई0सी0 से लिए गए ऋण की भारी किस्त का भुगतान करना पड़ रहा है और परिवादी व उसका परिवार अनउपयुक्त हालात में रहने पर मजबूर है, जबकि परिवादी अधिकांश धनराशि जमा कर चुका है। अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद प्रस्तुत किया है।
विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है, जिसमें कहा गया है कि परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम
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1986 के अन्तर्गत ग्राह्य नहीं है और परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-2 (1) (डी) के अन्तर्गत उपभोक्ता नहीं है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि परिवादी ने रियल स्टेट बिजनेस में लाभ पाने के उद्देश्य से धन लगाया है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि परिवादी ने विपक्षीगण की यूनिट नं0 L-02-02 “Celebrity Meadows” सुशान्त गोल्फ सिटी हाई टेक टाउनशिप सुलतानपुर रोड लखनऊ में बुक किया और उसके बाद बिल्डर बायर एग्रीमेंट निष्पादित किया गया।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि उनकी प्रश्नगत योजना सरकार द्वारा नियंत्रित थी और इसी कारण घोषित कार्यक्रम के अनुसार इसे पूरा नहीं किया जा सका है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि बायर एग्रीमेंट के अनुसार फ्लैट का क्षेत्रफल Tentative था और उसमें परिवर्तन या संशोधन सक्षम अधिकारी के निर्देश पर किया जा सकता है और इस सम्बन्ध में परिवादी ने अपनी स्वीकृति प्रदान की है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया है कि एलाटमेन्ट एग्रीमेन्ट के अनुसार बिल्डिंग प्लान के Sanction की तिथि से 36 महीना के अन्दर कब्जा दिया जाना था, परन्तु
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36 महीने की निर्धारित यह अवधि Force Majeure के कारण बढ़ायी जा सकती है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है।
परिवादी हनुमान प्रसाद की ओर से परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में अपना शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है और विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन के समर्थन में श्री नन्द किशोर, मैनेजर (लीगल) का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
परिवाद पत्र का संलग्नक-1 परिवादी के नाम फ्लैट के ट्रांसफर लेटर की प्रति है। संलग्नक-2 श्रीमती विनीता मिश्रा के नाम का आवंटन पत्र है। संलग्नक-3 विपक्षीगण के पत्र दिनांक 19.10.2013 की प्रति है। संलग्नक-4 विपक्षीगण के पत्र दिनांक 21.02.2015 की प्रति है। संलग्नक-5 व 6 परिवादी के दो पत्र दिनांक 04.06.2015 की प्रति है। संलग्नक-7 विपक्षीगण के कस्टमर स्टेटमेन्ट की प्रति है। संलग्नक-8 परिवादी के एल0आई0सी0 लोन एकाउन्ट की प्रति है।
परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री नितीश कुमार और विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री विकास कुमार वर्मा उपस्थित आए हैं।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
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विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत लिखित कथन व शपथ पत्र में परिवादी को प्रश्नगत फ्लैट का आवंटन एवं परिवादी द्वारा कथित भुगतान अविवादित है।
बायर एग्रीमेन्ट की धारा-13 में उल्लेख है कि बिल्डिंग प्लान का सैंक्शन सक्षम अधिकारी से होने के 36 महीने के अन्दर कब्जा देने का प्रयास सम्पूर्ण भुगतान होने की दशा में विपक्षी कम्पनी करेगी, परन्तु Force Majeure की दशा में यह शर्त लागू नहीं होगी। निर्माण कार्य में इतना विलम्ब क्यों हुआ इसका कोई स्पष्ट कारण विपक्षीगण ने नहीं बताया है। विलम्ब का कारण कुछ हो पर इतना स्पष्ट है कि परिवादी का फ्लैट वर्ष 2011 में आवंटित किया गया है और परिवादी ने पेमेन्ट प्लान के अनुसार भुगतान किया है फिर भी अब तक उसे कब्जा नहीं मिला है। निश्चित रूप से विपक्षीगण द्वारा अपनायी गयी कार्य प्रणाली अनुचित व्यापार पद्धति है।
बायर एग्रीमेन्ट के पैरा-12 के अनुसार परिवादी के फ्लैट के क्षेत्रफल में परिवर्तन पर विपक्षीगण को अतिरिक्त क्षेत्रफल का मूल्य मूल रूप से तय मूल्य पर पाने का अधिकार है। अत: विपक्षीगण ने जो बढ़े क्षेत्रफल के लिए अतिरिक्त प्रतिफल की मांग की है वह बायर एग्रीमेन्ट के अनुसार है। इसे अनुचित व्यापार पद्धति या सेवा में त्रुटि नहीं कहा जा सकता है, परन्तु इतना अवश्य कहा जा सकता है कि इस अतिरिक्त क्षेत्रफल के प्रतिफल की मांग कब्जा अन्तरण के समय की जा सकती है और कब्जा अन्तरण की
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नोटिस तक इस धनराशि पर कोई ब्याज देय नहीं होगा।
उभय पक्ष के अभिकथन एवं उनकी ओर से प्रस्तुत शपथ पत्रों पर विचार करने के उपरान्त उपरोक्त विवेचना के आधार पर यह स्पष्ट है कि परिवादी के प्रश्नगत फ्लैट के आवंटन के सम्बन्ध में विपक्षीगण ने अनुचित व्यापार पद्धति अपनायी है और तयसुदा समय में निर्माण कार्य पूरा नहीं किया है तथा अपने वादे को निभाया नहीं है। अत: परिवादी द्वारा याचित अनुतोष को दृष्टिगत रखते हुए विपक्षीगण को यह आदेशित किया जाना उचित है कि वे इस निर्णय की तिथि से तीन मास के अन्दर परिवादी के फ्लैट का निर्माण कार्य पूर्ण कर उसे फ्लैट का कब्जा अवशेष धनराशि प्राप्त कर अन्तरित करें तथा आवश्यक विलेख निष्पादित करें और यदि इस अवधि में फ्लैट का निर्माण कार्य पूर्ण कर कब्जा परिवादी को देने में वे असफल रहते हैं तो इस अवधि की समाप्ति की तिथि के बाद की तिथि से वे परिवादी को उसकी जमा धनराशि पर 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से कब्जा हस्तगत करने की तिथि तक ब्याज दें और उसके बाद एक साल के अन्दर फ्लैट का निर्माण कर कब्जा परिवादी को न देने पर ब्याज दर 15 प्रतिशत वार्षिक किया जाना उचित है। परिवादी को दस हजार रूपया वाद व्यय दिया जाना भी उचित है।
सम्पूर्ण तथ्यों व परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्त परिवादी द्वारा याचित अन्य अनुतोष प्रदान करने हेतु उचित आधार नहीं प्रतीत होता है।
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उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी के फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा कर परिवादी से अवशेष धनराशि प्राप्त कर उसे फ्लैट का कब्जा इस निर्णय की तिथि से तीन मास के अन्दर हस्तगत करें तथा आवश्यक विलेख निष्पादित करें और यदि इस अवधि में फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा कर फ्लैट का कब्जा परिवादी को देने में वे असफल रहते हैं तो यह अवधि समाप्त होने की तिथि के बाद की तिथि से वे परिवादी को उसकी जमा धनराशि पर 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज कब्जा हस्तगत करने की तिथि तक दें। उसके बाद यदि एक साल के अन्दर वे फ्लैट का कब्जा परिवादी को देने में असफल रहते हैं तो एक साल की अवधि पूरी होने के बाद वे परिवादी को जमा धनराशि पर 15 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज कब्जा हस्तगत करने की तिथि तक देंगे।
विपक्षीगण, परिवादी को 10,000/-रू0 वाद व्यय भी अदा करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (महेश चन्द)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1